Wednesday, July 6, 2016

चर्चा प्लस ... मिसाल बनती जा रही है ‪शिवराज सरकार‬ ... - डॉ. ‪शरद सिंह‬

Dr (Miss) Sharad Singh
मेरा कॉलम  "चर्चा प्लस" "दैनिक सागर दिनकर" में (06. 07. 2016) .....

My Column Charcha Plus‬ in "Dainik Sagar Dinkar" .....

 
चर्चा प्लस 

         मिसाल बनती जा रही है शिवराज सरकार‬

                                             - डॉ. शरद सिंह‬ 
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार मिशन 2018 की ओर अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है। यदि शिवराज सरकार का अब तक का सफ़र देखा जाए तो यही कहना होगा कि वह आसान नहीं था। जब सब कुछ ठीक-ठीक निपट जाता है तो लगता है जैसे कहीं कोई चुनौती थी ही नहीं लेकिन एक सुखद समापन के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना किया गया यह अकसर अनदेखा रह जाता है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान इस मामले में भाग्यशाली कहे जा सकते हैं कि उन्हें उनके कार्यों को समर्थन देने वाले और उनकी योजनाओं को आगे बढ़ाने वाले उत्साही और विश्वसनीय विधायकों का साथ मिला है। मंत्रीमंडल को ले कर कभी ऊंच-नीच होती भी है तो वह इतनी जल्दी सुलझ जाती है कि विपक्ष को हाथ-पैर हिलाने का अवसर भी नहीं मिल पाता है। अभी हाल ही में शिवराज मंत्रीमंडल में किया गया वस्तार इसकी ताज़ा मिसाल है। जहां तक मिसाल की बात है तो उन तीन मिसालों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है जो शिवराज सरकार के सम़ाने चुनौती के रूप में सामने आईं जिनमें से एक अभी परीक्षा की घड़ी की भांति सामने है। 
 
Charcha Plus Column of Dr Sharad Singh in "Sagar Dinkar" Daily News Paper

सिंहस्थ 2016
उज्जैन में सिंहस्थ आरम्भ होने से पहले प्रदेश सरकार को उन चुनौतियों से निपटना था जो कोई भी अनहोनी को होनी बना सकती थीं। इन चुनौतियों में प्रमुख थीं-जल संकट, सुरक्षा व्यवस्था और सौहाद्र्य का वातावरण। इन तीनों चुनौतियों से शिवराज सरकार ने जिस सफलता के साथ निपटा वह शोध का विषय बन गई। सिंहस्थ के ‘भीड़-प्रबंधन’ पर तो बाक़ायदा विश्वविद्यालयों द्वारा शोध कार्य करवाए भी गए। सबसे बड़ा खतरा सिमी एवं अन्य आतंकवादी गतिविधियों का था जिससे समूचा सिंहस्थ संकट में पड़ सकता था। प्रदेश सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की तत्परता एवं कसावट ने सभी संभावित विपत्तियों पर अंकुश लगाए रखा। कुल 42 विभागों के 16 हजार अधिकारी व कर्मचारी और 40 हजार सुरक्षा दस्ते ने सिंहस्थ जैसे बड़े महापर्व को सफल करके नया इतिहास रच दिया। पूरी दुनिया इस आयोजन को आश्चर्य के साथ देख रही थी। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी 30 दिन में 15 बार उज्जैन गए और 158 घंटे वहां रहे। सिंहस्थ की सफलता के पीछे यह भी अहम बात रही कि चार साल पहले से ही इसकी तैयारी आरंभ कर दी गई और सबसे पहला काम किया गया कि नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना पूरी हुई। इसके बाद ब्रिज, रोड, सीवरेज, हॉस्पिटल और अन्य काम रिकॉर्ड समय में पूरे हुए। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी कुंभ या सिंहस्थ में मानवीय गलती, भूल या अफवाह से किसी भी श्रद्धालु की जान नहीं गई।
सिंहस्थ-2016 में बनें चार वल्र्ड रिकार्ड जिन्हें गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड द्वारा दर्ज़ किया गया। इनमें एक ही स्थान पर एकसाथ 5595 लोगों द्वारा सफाई करके ‘मोस्ट नम्बर ऑफ पीपुल्स स्वीपिंग वल्र्ड रिकार्ड’, 21 मई के स्नान के सन्दर्भ में दुनिया में किसी एक नदी पर सर्वाधिक संख्या में लोगों द्वारा एक दिवस में स्नान करने का वल्र्ड रिकार्ड, पंचकोशी यात्रा सम्बन्धी किसी एक धार्मिक समूह द्वारा 13 लाख से अधिक की संख्या में 118 किलो मीटर लम्बी यात्रा करने का वल्र्ड रिकार्ड तथा सर्वाधिक संख्या में किसी एक स्थान पर वाईफाई द्वारा मुफ्त इंटरनेट सुविधा प्राप्त करने का रिकार्ड शामिल है। दो पवित्र नदियों क्षिप्रा और नर्मदा के मिलन का साक्षी बना सिंहस्थ।


मंत्रीमंडल का विस्तार
सिंहस्थ की चुनौती के पहले से ही मंत्रीमंडल के विस्तार की अटकलें लगाई जा रही थीं। सिंहस्थ के समापन के बाद ये अटकलें और तेज हो गईं। किसका क़द बढ़ेगा और किसका कद घटेगा, यह प्रश्न राजनीतिक गलियारों से ले कर संचार माध्यमों तक चर्चा का विषय बना रहा। अंततः वह समय भी आ गया जब मंत्रीमंडल के विस्तार की घोषणा कर दी गई। यह घोषणा चैंकाने वाली रही। मध्यप्रदेश के शिवराजसिंह मंत्रिमंडल का जिस तरह से विस्तार हुआ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के दृढ़निश्चय पर एक बार फिर मुहर लगा दी। प्रदेश सरकार में एक-एक मंत्री और एक-एक विधायकों की नाराज़गी विशेष अर्थ रखती है। इसीलिए आमतौर पर मंत्रीमंडल के विस्तार के समय तुष्टिकरण की नीति अपनाई जाती है। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को तो मानो चुनौतियों से डर लगता ही नहीं है। उन्होंने जिस तरह 75 वर्ष की आयु से ऊपर वाले बुजुर्ग मंत्रियों को आयुसीमा दिखा दी वह कम साहसिक नहीं था। कुछ घंटे तो ऐसे उबाल भरे गुजरे कि जैसे अब विपक्ष के भाग्य से छींका टूट जाएगा लेकिन फिर जल्दी ही परिदृश्य बदल गया। रूठे हुए बुजुर्ग मान गए और उन्होंने वस्तुस्थिति को स्वीकार कर लिया। इस विस्तार के पहले हुए एक महत्व पूर्ण घटनाक्रम में पार्टी ने केबिनेट के दो सबसे वरिष्ठ और वयोवृद्ध मंत्रियों से त्यागपत्र ले लिया गया। इनमें पूर्व मुख्य्मंत्री और वर्तमान गृह मंत्री बाबूलाल गौर तथा लोक निर्माण विभाग मंत्री सरताजसिंह शामिल थे। समाचारों के अनुसार इन दोनों मंत्रियों ने त्यागपत्र देने से पहले बगावती रुख दिखाया और त्यागपत्र देने से इनकार कर दिया लेकिन अंततः त्यागपत्र दे दिया।
विस्तार से जुड़ी दूसरी महत्वपूर्ण घटना प्रदेश के सबसे महत्व पूर्ण जिले इंदौर से किसी का भी मंत्री न बनाया जाना। इससे पहले कैलाश विजयवर्गीय मंत्रिमंडल में इंदौर का प्रतिनिधित्व करते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर दिल्ली बुला लिया। माना जा रहा था इस विस्तार में इंदौर से एक न एक मंत्री तो जरूर बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल इंदौर में वरिष्ठ नेताओं की आंतरिक खींचतान के चलते किसी को मौका नहीं दिया गया। जबकि भूपेंद्र सिंह प्रदेश के नए गृहमंत्री बनाए गए, जयभान सिंह पवैया को उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा सौंपा गया तथा नरोत्तम मिश्रा को संसदीय कार्यमंत्री का प्रभार के साथ जल संसाधन और जनसंपर्क मंत्री का पद भी सौंप दिया गया।
इस तरह मध्यप्रदेश में वह मिसाल पेश कर दी गई जो मंत्रियों की आयुसीमा के निर्धारण में सभी राज्यों एवं केन्द्र के लिए आधार बन सकती है। राजनीतिक विश्लेषक इस पूरे घटनाक्रम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की एक बड़ी राजनीतिक सफलता मान रहे हैं।


ब्रिक्स का आयोजन
दुनिया के पांच प्रमुख देशों के ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी मध्यप्रदेश करेगा। विदेश मंत्रालय ने दो दिनी महत्वपूर्ण सम्मेलन के लिए भारत के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल खजुराहो का चयन किया है। भारत की अध्यक्षता में होने वाला सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा। खजुराहो में होने वाले आठवें ब्रिक्स सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस महत्वपूर्ण आयोजन में ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतीन, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग एवं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जेकब जुमा भी आएंगे। खजुराहो सम्मेलन का ध्येय वाक्य जवाबदेही का निर्माण, समावेशी और सामूहिक समाधान तय किया गया है। ब्रिक्स उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ का शीर्षक है। सदस्य देशों के अंग्रेजी नाम के प्रथम अक्षरों से मिलकर ‘ब्रिक्स’ समूह का नामकरण हुआ है। दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे ‘ब्रिक’ के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडकर, ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स सम्मेलन के लिए भारत में पहले गोवा का चयन किया गया था, लेकिन बाद में विदेश मंत्रालय ने खजुराहो को ज्यादा उपयुक्त पाया। ब्रिक्स सम्मेलन के लिए खजुराहो का चयन किया जाना मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात है। केंद्र सरकार के इस आयोजन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खजुराहो की ब्रांडिंग में मदद मिलगी। पर्यटन की दृष्टि से दुनिया के नक्शे पर मप्र का नाम होगा। जाहिर है कि इस सम्मेलन के आयोजन की सफलता शिवराज सरकार की सफलताओं के आकाश में एक सितारा और टांक देगी।

मिसाल बनने का माद्दा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की स्पष्टता और दृढ़ता ने उनकी सरकार को एक मिसाल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां एक ओर वर्तमान राजनीतिज्ञों का आचरण ढुलमुल किस्म का रहता है, वहीं शिवराज सिंह चौहान तात्कालिक हानि-लाभ को परे धकेल कर डट जाते हैं। उनकी यह व्यक्तिगत खूबी राजनीतिक विश्लेषकों को भी ज़ोर के झटके दे देती है। वोट बैंक का चयन करना और उनके पक्ष में डटे रहना दोनों बातों में अन्तर होता है। कई बार असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है लेकिन शिवराज सिंह चौहान ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सभी को अपनी स्पष्टता और दृढ़ता से चकित कर देते हैं। भले ही वह सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के समय दिए जाने वाले आरक्षण का हो अथवा दलितों को मंदिरों की पुरोहिताई सौंपने का अतिसंवेदनशील मसला हो। बिना किसी पक्षपात के, तटस्थ भाव से भी यह मानना ही होगा कि देश के राजनीतिक जगत् में एक मिसाल बनती जा रही है शिवराज सरकार।
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