Friday, September 28, 2018

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar
सागर शहर की अग्रणी सामाजिक संस्था " विचार " द्वारा दिनांक 21.09.2018 को विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय सागर नगर की प्रतिभाओं के एक भव्य सम्मान समारोह में मुझे यानी डॉ. (सुश्री) शरद सिंह को इस वर्ष से प्रारम्भ किए गए प्रथम " सागर गौरव सम्मान " से सम्मानित किया गया।
मैजेस्टिक प्लाजा, सागर के सभागार में आयोजित इस समारोह में मंच पर उपस्थित लब्धप्रतिष्ठित जनों में प्रमुख थे... कला गुरु विष्णु पाठक, योग गुरु विष्णु आर्य, पर्यावरणविद आशारानी मलैया, एकता समिति के संस्थापक रशीद भाई और समाजसेवी, " विचार " संस्था के संस्थापक एवं बिजनेसमैन कपिल मलैया।
Sagar Gourav Samman 2018
Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

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Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

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Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

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Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr Varsha Singh ... Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr. Sharad Singh Awarded by Sagar Gourav Samman 2018 By Vichar Sansatha Sagar

Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News

Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News
राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखने वाले न्यूज चैनल Sagar TV News ने दिनांक 20.09.2018 को सागर नगर की सृजनात्मक प्रतिभाओं के एक भव्य सम्मान समारोह में " एक्सीलेंस अवार्ड फॉर क्रियेटर्स 2018 " से मुझे और दीदी डॉ.वर्षा सिंह को सम्मानित किया।
स्थान था रवीन्द्र भवन, सागर ...और सम्मानित करने वाली सागर शहर की विभूतियों में प्रमुख थे स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक कुलपति अनिल तिवारी, नगरपालिक निगम, सागर की प्रथम किन्नर महापौर कमला बुआ, वरिष्ठ अधिवक्ता ठा. चतुर्भुज सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवशंकर केसरी, डॉ. हरी सिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के पत्रकारिता विभाग से सेवानिवृत्त डॉ. राकेश शर्मा, युवा समाजसेवी कुलदीप सिंह राठौर और सागर टी.वी.न्यूज के युवा, उत्साही, कर्मठ चैनल हेड शिवा पुरोहित।
📺Thank You Sagar TV News 🙏
Excellence Award For Creator's 2018
20.09.2018
Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News
Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News
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Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News

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Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News
Dr Varsha Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News

Dr Varsha Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News
Dr Sharad Singh Awarded by Excellence Award For Creator's 2018 By Sagar TV News

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"इंंक पॉवर" में डॉ (सुश्री) शरद सिंह का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

About Dr (Miss) Sharad Singh in ' Ink Power ' News paper of Ink Media Institute of Journalism
सागर शहर ही नहीं अपितु देश की प्रतिष्ठत संस्था इंक मीडिया स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, सागर, मप्र के अखबार "इंंक पॉवर" ने विगत हिंदी दिवस (14.08.2018) को एक साहित्यिक विशेषांक का प्रकाशन किया गया जिसमें मेरे व्यक्तित्व एवं कृतित्व को भी स्थान दिया।

Thursday, September 27, 2018

राज्यपालों से जुड़े मेरे कुछ ख़ास ईवेंट्स - डॉ. शरद सिंह

Dr Sharad Singh Birthday celebreted by Dainik Bhaskar Rahgiri Sagar, 03.11. 2017
कल शाम फोन पर एक मित्र से वार्ता के दौरान महामहिम राज्यपालों की चर्चा आई और मुझे याद आ गए राज्यपालों से जुड़े मेरे कुछ ख़ास ईवेंट्स....शेयर कर रही हूं आपसे भी...

1. अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आदरणीय माता प्रसाद जी ने मेरी पुस्तक ‘डॉ. अम्बेडकर का स्त्रीविमर्श' का विमोचन लखनऊ उ.प्र. के प्रेस क्लब में 17.11.2012 को किया था।
अरूणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आदरणीय माता प्रसाद जी (मध्य में) मेरी पुस्तक ‘डॉ. अम्बेडकर का स्त्रीविमर्श' का विमोचन करते हुए, लखनऊ उ.प्र. के प्रेस क्लब में 17.11.2012 में।

2. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद द्वारा मुझे "नईधारा सम्मान " से सम्मानित किया था, पटना, बिहार में 30.11.2012 को
त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद (बाएं से दूसरे) द्वारा मुझे "नईधारा सम्मान " से सम्मानित किया था, पटना, बिहार में 30.11.2012 को।
3. मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम श्री रामनरेश यादव द्वारा भोपाल, म.प्र. में "जौहरी सम्मान" से मुझे सम्मानित किया गया था, दि 24.05.2012 को।
मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम श्री रामनरेश यादव द्वारा भोपाल, म.प्र. में "जौहरी सम्मान" से मुझे सम्मानित किया गया था, दि 24.05.2012 को।
4. पश्चिम बंगाल के वर्तमान राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मुझे पावस व्याख्यानमाला, भोपाल, म.प्र. में सार्थक साहित्य विमर्श में अपना योगदान देने के लिये "रजत जयंती सम्मान" से सम्मानित किया, दिनांक 29.07.2018 को। 
पश्चिम बंगाल के वर्तमान राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मुझे पावस व्याख्यानमाला, भोपाल, म.प्र. में सार्थक साहित्य विमर्श में अपना योगदान देने के लिये "रजत जयंती सम्मान" से सम्मानित किया, दिनांक 29.07.2018 को।

है न दिलचस्प यादें....

Wednesday, September 26, 2018

चर्चा प्लस ... सागर या ‘साउगोर’ : अब निर्णय लेना होगा - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
मेरा
लेख अवश्य पढ़िए और देखिए कहीं आपका शहर भी इस विडंबना का शिकार तो नहीं है? ....

चर्चा प्लस ...
सागर या ‘साउगोर’ : अब निर्णय लेना होगा

- डॉ. शरद सिंह 

 बुंदेलखंड के ऐतिहासिक महत्व का शहर है सागर। इसकी अपनी प्राकृतिक संपदा, संस्कृति और विश्वविद्यालय ने इसे हमेशा देश ही नहीं बल्कि विदेश के मानचित्र पर भी महत्वपूर्ण बनाए रखा है। किन्तु विडम्बना यह कि सागर के नाम की अंग्रेजी में प्रचलित स्पेलिंग ‘सागर’ है और भारतीय रेल में इसकी स्पेलिंग ‘साउगोर’ हो जाती है। जिससे दूसरे राज्य अथवा दूसरे देश के लोग रेलवे रिजर्वेशन के समय सागर को ढूंढते रह जाते हैं। अब समय आ गया है कि नाम की स्पेलिंग में एकरूपता लाई जाए। आखिर कब तक ढोते रहेंगे गुलामी की निशानी को? 

सागर या ‘साउगोर’ : अब निर्णय लेना होगा - डॉ. शरद सिंह ... चर्चा प्लस ... Column of Dr (Miss) Sharad Singh in Sagar Dinkar News Paper
अभी दो माह पहले की बात है मुझे तिरुअनंतपुरम के एक हिन्दी सेवी संस्थान में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया। जैसा कि आजकल चलन है कि आयोजक अपने अतिथि की परेशानी को कम करने के लिए हवाई जहाज या रेल का ई-रिजर्वेशन करा कर टिकट मेल कर देते हैं। यह मेरे लिए भी सचमुच बहुत सुविधाजनक रहता है। इससे मुझे रेल और रेल कनेक्शन्स का पता नहीं करना पड़ता है, ये सारी जिम्मेदारी आयोजक वहन कर लेता है। तो मैं बता रही थी कि तिरुअनंतपुरम के एक हिन्दी सेवी संस्थान वालों ने ई-मेल, फोन आदि से मुझसे संपर्क किया और रेल का नाम, समय आदि तय कर लिया। सागर से भोपाल और भोपाल से तिरुअनंतपुरम के लिए ट्रेन। मैं निश्चिंत हो गई कि अब वे लोग रिजर्वेशन करा लेगें ओर मुझे ई-मेल कर देंगे। लेकिन दूसरे दिन उनका चिन्तित स्वर में फोन आया कि आपका शहर तो रेलवे रिजर्वेशन साईट पर मिल ही नहीं रहा है। एक पल को मुझे लगा कि कहीं वे लोग बहाना तो नहीं बना रहे हैं लेकिन दूसरे ही पल माजरा समझ में आ गया। मैंने उनसे पूछा कि आपने सागर की स्पेलिंग क्या लिखी है? और यह स्पेलिंग वहीं निकली जो आमतौर पर लिखी जा सकती है- शब्द के अनुरुप सीधे-सीधे सागर यानी ‘एस ए जी ए आर’। मैंने उन्हें बताया कि वे सागर नहीं ‘साउगोर’ लिखें। मैंने उन्हें स्पेलिंग बताई ‘एस ए यू जी ओ आर‘ ताकि वे रिजर्वेशन करा सकें। लेकिन इस चक्कर में हुए विलम्ब के कारण बची हुई दो सीट्स भी वेटिंग लिस्ट में चली गईं। जाहिर था कि मैं वेटिंग टिकट पर इतनी लम्बी यात्रा करने का जोखिम नहीं ले सकती थी जिससे मुझे अपनी यात्रा ही रद्द करना पड़ी। आयोजक भी परेशान हुए और मैं भी। न जाने कितने लोग प्रतिदिन इस तरह से परेशान होते रहते हैं।
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय पहले भी विश्व भर में ख्याति प्राप्त था और अब केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा पाने के बाद से देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हो गई है। पहली बार सागर के लिए रेलवे रिजर्वेशन कराने वाले छात्रों को वे चाहे उत्तर प्रदेश के हों, बिहार के या फिर उत्तर-पूर्व राज्यों के, उन्हें सागर की दो तरह की स्पेलिंग को ले कर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यह परेशानी कोई नई नहीं है। वर्षों व्यतीत हो गए इस समस्या को ढोते-ढोते। लेकिन इस विडम्बना को बदलने के लिए कोई पुरजोर प्रयास नहीं किया गया। सबसे अधिक परेशानी तब आती है जब कोई व्यक्ति सागर आने के लिए या सागर से जाने के लिए रेलवे रिजर्वेशन कराता है तो उसे रेलवे की साईट पर सागर ढूंढने पर भी नहीं मिलता है। दरअसल, अंग्रेजी में सागर की प्रचलित स्पेलिंग है ‘एस ए जी ए आर’। राज्य शासन में भी यही स्पेलिंग मान्य है। लेकिन अंग्रेजों ने इसे अपने उच्चारण के हिसाब से ‘साउगोर’ कहा। यानी स्पेलिंग रखी-‘एस ए यू जी ओ आर’। सेना छावनी तथा रेलवे में यही स्पेलिंग चलाई गई। किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आम व्यवहार में यह स्पेलिंग भारतीय उच्चारण के अनुरुप सरलीकृत हो कर सागर यानी ‘एस ए जी ए आर’ हो गई। आज पत्राचार से लेकर इंटरनेट की विभिन्न साईट्स में सागर की यही स्पेलिंग काम में लाई जा रही है। यह उच्चारण और शब्दों के अनुरुप है तथा लिखने में भी सरल है। फिर भी भारतीय रेलवे में आज भी सागर की स्पेलिंग अंग्रेजों वाली ‘साउगोर’ ही चल रही है। जिससे होता ये है कि जब किसी को सागर के लिए रेलगाड़ियों की जानकारी अथवा रिजर्वेशन कराना होता है तो प्रचलित स्पेलिंग से मध्यप्रदेश में स्थित यह सागर स्टेशन मिलता ही नहीं है। प्रायः कर्नाटक स्थित शिव सागर मिल जाता है। जिससे बड़ा भ्रम उत्पन्न हो जाता है।
सागर बुंदेलखंड का शांत, सुंदर और शिक्षा की दृष्टि से समृद्ध नगर है। सागर का अपना एक अनूठा इतिहास है। सागर शहर की बसाहट 1660 ई. से मानी जाती है। प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार ऊदन शाह जो निहाल सिह के वंशज थे, उन्होंने एक छोटा सा किला बनवाया था जो परकोटा कहलाता है। यह परकोटा समय के साथ विस्तार पाता गया और आज परकोटा शहर के केन्द्र में अवस्थित हो गया है। अन्य शहरों की भांति सागर शहर ने भी विस्तार पा लिया है और इसका स्वरूप निरंतर बढ़ता जा रहा है। दरअसल, पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सागर गोंड शासकों के आधीन रहा। फिर महाराजा छत्रसाल ने धामोनी, गढ़ाकोटा और खिमलासा में मुगलों को हराकर अपनी सत्ता स्थापित की लेकिन बाद में इसे मराठों को सौंप दिया। सन् 1818 में अंग्रेजों ने अपना कब्जा जमाया और यहां ब्रिटिश साम्राज्य का आधिपत्य हो गया। सन् 1861 में इसे प्रशासनिक व्यवस्था के लिए नागपुर में मिला दिया गया और यह व्यवस्था सन् 1956 में नए मध्यप्रदेश राज्य का गठन होने तक बनी रही। जहां तक सागर शहर के नामकरण का प्रसंग है तो इसके संबंध में बड़ी ही रोचक कहानी प्रचलित है। यहां पर स्थित सागर के समान विस्तृत झील (दुर्भाग्यवश अब यह पहले जैसी विस्तृत नहीं रही) के कारण ही इसे सागर का नाम दिया गया। कहा जाता है कि इस झील को एक बंजारे ने बनाया था।
लाखा बंजारा झील अर्थात् सागर झील, सागर नगर की पहचान ही नहीं बल्कि इसके अस्तित्व की परिचायक भी है। यह काफी प्राचीन है। राजा ऊदनशाह ने जब 1660 में यहां छोटा किला बनवाकर पहली बस्ती यानि परकोटा गांव बसाया, तो तालाब पहले से ही मौजूद था। सागर के बारे में यह मान्यता है कि इसका नाम सागर इसलिए पड़ा क्योंकि यहां एक विशाल झील है। सागर झील की उत्पत्ति के बारे में वैसे तो कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। इनमें सबसे मशहूर कहानी लाखा बंजारा के बहू-बेटे के बलिदान के बारे में है। इस कथा के अनुसार एक बंजारा दल घूमता-फिरता सागर आया। उसके सरदार ने पाया कि सागर में पानी का भीषण संकट है। उसने अपने पुत्र लाखा बंजारा से विचार-विमर्श किया। दोनों ने तय किया जिस भूमि पर उन्होंने डेरा उाला है और जहां का वे नमक खा रहे हैं, उस भूमि के नमक का हक अदा करने के लिए एक झील बनाई जाए जिससे सागर के निवासियों को कभी पानी के संकट से नहीं जूझना पड़े। स्थानीय लोगों की मदद से उन बंजारों ने भूमि की खुदाई कर के एक विशाल झील तैयार कर ली। किन्तु समस्या यह थी कि उसमें पानी ठहरता ही नहीं था। झील सूखी की सूखी बनी रहती थी। तब किसी तांत्रिक ने बंजारा सरदार को सलाह दी कि यदि वह अपने बेटे और बहू की बलि देगा तो झील में पानी भर जाएगा। सरदार हिचका। लेकिन उसके बेटे और बहू ने अपना बलिदान देना स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि लाखा और उसकी पत्नी के बलिदान के बाद झील में पानी हिलोरें लेने लगा। लाखा के नाम पर ही सागर झील को लाखा बंजारा झील भी कहा जाता है।
ऐसे संवेदनशील अतीत की संपदा संजोए हुए सागर को अब अंग्रेजों द्वारा थोपे गई स्पेलिंग से मुक्ति मिल जानी चाहिए। एक शहर, एक नाम, एक स्पेलिंग इसकी पहचान को और अधिक सुगम बना देगा। बस, जरूरत है एक जोरदार आवाज़ उठाने की और नाम की स्पेलिंग में एकरूपता लाने का सरकार से आग्रह करने की।
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( सागर दिनकर, 26.09.2018)

चर्चा प्लस ... एक आंदोलन आई टी पार्क के लिए - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस ... 

एक आंदोलन आई टी पार्क के लिए
- डॉ. शरद सिंह

वर्तमान वैश्विक प्रगति में आई टी सेक्टर की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। युवाओं को आई टी सेक्टर से जोड़ने के लिए महानगरों में आई टी पार्क बनाए जा चुके हैं और इसके बाद बारी है शहरों की। मध्यप्रदेश के इन्दौर जैसे औद्योगिक शहर में एक से अधिक आई टी पार्क हैं, वहीं सागर जैसा शहर घोषणा के बावजूद आज भी एक अदद आई टी पार्क के लिए प्रतीक्षारत है। ऐसे में आई टी पार्क के लिए आंदोलन का सिर उठाना स्वाभाविक है। 

एक आंदोलन आई टी पार्क के लिए - डॉ. शरद सिंह ... चर्चा प्लस ... Column of Dr (Miss) Sharad Singh in Sagar Dinkar News Paper
मध्यप्रदेश में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर के बाद अब सागर में भी आई पार्क बनाए जाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया जा रहा है। प्रदेश शासन द्वारा स्वीकृति के बाद जिला प्रशासन द्वारा पार्क के लिए ज़मीन भी तय की जा चुकी है। मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम पहले ही इसे हरी झंडी दे चुका है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह पहले ही यह कह चुके हैं कि आई टी माध्यम से प्रदेश में कौशल विकास कार्यक्रम भी संचालित होने चाहिए जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर आई टी कम्पनियों को प्रशिक्षित मानवक्षमता का लाभ मिल सकेगा। विडम्बना यह है कि सागर में आई टी पार्क की प्रतीक्षा कुछ अधिक ही लम्बी हो गई जिससे अब नागरिकों के धैर्य का बांध टूटने लगा है और वे जुलूस निकाल कर, ज्ञापन सौंप कर अपनी मांग के पक्ष में आवाज उठाने लगे हैं। स्थानीय गैरराजनीतिक संस्था ‘‘गतिविधि’’ ने इस दिशा में हस्ताक्षर अभियान चलाया, पोस्टकार्ड अभियान चलाया, जनजागृति अभियान चलाया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। संस्था के सचिव शिवा पुरोहित का कहना है कि यह हमारे युवाओं के रोजगार का रास्ता खोल देगा, इसलिए हम तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक कि सागर में आई टी पार्क स्थापित करने की दिशा में काम शुरू नहीं हो जाता है।
आई टी पार्क की यदि अर्थशास्त्रीय परिभाषा देखें तो एक भौगोलिक विकास है जिसमें उच्च विनिर्देश कार्यालय स्थान के साथ-साथ आवासीय और खुदरा विकास शामिल होते है जो सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर विकास इत्यादि जैसी उच्च प्रौद्योगिकी कंपनियों के स्थानीयकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता हैं, जिससे प्रत्येक आर्थिक इकाई पर अर्थव्यवस्थाओं का लाभ मिलता है। भारत के सभी प्रमुख शहरों में अब कम से कम एक आई टी पार्क है जिसमें परिसर में सभी आवश्यक सुविधाएं हैं। प्रमुख आईटी पार्क राजीव गांधी चंडीगढ़ प्रौद्योगिकी पार्क चंडीगढ़, मिहान यह पार्क नागपुर, क्रिस्टल आईटी पार्क इंदौर, वेंकटदात्री आईटी पार्क बैंगलोर, ईन पार्क और डीएलएफ आईटी सेज हैदराबाद है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां है। उनमें से प्रमुख हैं - इंफोसिस, टी.सी.एस. , विप्रो, सत्यम, इंटेल, माइक्रोसॉफ़्ट, टी.आई., गूगल, याहू ,सैप लैब्स इंडिया, ऑरेकल आदि।
यदि अतीत में झांकें तो भारत में आई टी उद्योग को सन् 2004 में करीब पचीस बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक का राजस्व मिला जिसमें करीब सत्रह बीस बिलियन डालर की आय अकेले निर्यात से प्राप्त हुई। भारत में इस उद्योग में एक मिलियन से भी अधिक लोग सीधे रोजगार पा रहे हैं जबकि 2.5 मिलियन से ज्यादा लोग अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ चुके हैं। आई पार्क के अंतर्गत विभिन्न देशों में उत्पाद इकाइयां बनाना, हर देश में उपलब्ध श्रेष्ठ संसाधन का उपयोग करना, विभिन्न देशों से काम करते हुए पूरे 24 घंटे अपने ग्राहक के लिए उपलब्ध रहना और ऐसे डेटा सेंटर बनाना जो कहीं से भी इस्तेमाल किए जा सकें, ये कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही बेरोजगारों को भी रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्राप्त हुआ है।
भारत की वर्तमान प्रगति में आईटी का बहुत बड़ा योगदान है। भारतीय आईटी उद्योग देश का पहला वैश्विक व्यवसाय सिद्ध हो रहा है। भारत की टाटा कंसलटेंसी ने ब्रिटेन में प्रमुख कंप्यूटर प्रदाता कंपनी के रूप में वैश्विक बाजार में अपनी जगह बनाई है। सूचना प्रौद्योगिकी के लचीले व्यवसायिक नियमों के कारण आज कई कंपनियां ज्यादा कुशलतापूर्वक अपना काम कर रही हैं। इनमें टाटा कम्पनी ने दुनिया की दस बड़ी कंपनियों में जगह बना ली है। तीस वर्ष से टाटा कंसलटेंसी भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले व्यवसाय के अनुरूप परिवर्तन की प्रक्रिया अपनाए हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय प्रतिभाओं की भारी मांग ने भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज गति से विकास करने वाला सूचना प्रोद्योगिकी बाजार बना दिया है। भारतीय साफ्टवेयर और आईटीईएस उद्योग का पिछले छह वर्ष के दौरान करीब 30 प्रतिशत के सीएजीआर की दर से विकास सामने आया है। उपभोक्ताओं की उभरती आवश्यकताओं का प्रबंधन बेहतर रूप से करने के लिए, बहुउद्देशीय सेवा प्रदायी क्षमताओं के लाभ और कुछ नई सेवाओं की प्रदायगी की दिशा में अपनी सेवाएं बढ़ा रही हैं।
माइक्रोसाफ्ट, ओरेकल, एसएपी जैसे साफ्टवेयर उत्पादों की बड़ी कंपनियों ने अपने विकास केंद्र भारत में स्थापित किए हैं। सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में भारत का रिकार्ड अधिकांश देशों से बेहतर माना जा रहा है। भारत के प्राधिकारी देश में सूचना सुरक्षा के परिवेश को और मजबूत करने पर गहन रूप से बल दे रहे हैं। इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों में सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम में संशोधन, समीक्षा, उद्योगों के प्रबंध वर्गों के बीच आपसी संपर्क में वृद्घि के बारे में जागरुकता बढ़ाई जा रही है। भारत की अधिकांश कंपनियों ने आईएसओ, सीएमएम, सिक्स सिगमा जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और व्यवहारों को पहले ही शामिल कर लिया है, जिस कारण भारत को एक भरोसेमंद सोर्सिंग गंतव्य के रूप में स्थापित करने में सहायता मिली है। आने वाले समय में अब दुनिया में केवल प्रतिभाओं की मांग होगी। विश्व समुदाय मानता है कि भारत में आईटी के क्षेत्र में प्रतिभाओं की अद्भुत खोज हुई है। अर्थशास्त्रियों का यह अनुमान है कि एक समय बाद भारतीय प्रतिभाएं दुनिया के लिए बड़ी मजबूरी बन जाएंगी, उनके बिना किसी भी देश का काम नहीं चलेगा।
मध्यप्रदेश का ही उदाहरण लें तो मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास केन्द्र निगम (एमपीएवीकेएन) की भविष्य संबंधी परियोजना, आईटी पार्क (सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क) को इंदौर में एक उच्च तकनीकी औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह उच्च तकनीकी क्षेत्र, सभी विकासशील सूचना प्रौद्योगिकी संस्थारपना (सेटअप) में विश्व स्तर के उत्पादों और समाधानों को प्रस्तुत करने में आईटी कंपनियों को सक्षम बनायेगा। व्यापार नीतियों में कुशल समर्थन के साथ, तेजी से विकास कर रहे सभी क्षेत्रों में इस परियोजना को प्रगतिशील बनाने का एक सुनहरा अवसर है। आईएसडीएन लाइनों, उपग्रह सेटअप, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, और अन्य बुनियादी जरूरतों के साथ, आईटी पार्क भविष्य के लिए एक कॉस्मो सॉफ्टवेयर शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है। भोपाल आईटी पार्क में एलईडी बल्ब का उत्पादन शुरू हो चुका है। ग्रीन सर्फर नामक यह कंपनी यहां बने ऊर्जा बचत करने वाले ये बल्ब पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात सहित पांच राज्यों को सप्लाय करने लगी है। एमपी ऑनलाइन, सोलर प्लांट बनाने वाली कंपनी डाउसन, एक्सट्रा नेट, सर्विन बीपीओ, पी नेट और स्मार्ट चिप जैसी कंपनियां यहां आ चुकी हैं। अब सागर जिले को भी प्रतीक्षा है एक आई टी पार्क की जिससे स्थानीय युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरुप रोजगार उपलब्ध करा सके और उन्हें वैश्विक विकास से सीधा जोड़ सके।
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( सागर दिनकर, 19.09.2018)


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