Wednesday, February 20, 2019

चर्चा प्लस ...अब जरूरी है उदारता की सीमा तय करना - डॉ. शरद सिंह

 
Dr (Miss) Sharad Singh
"जनता प्रतीक्षा कर रही है सरकार द्वारा कठोर कदम उठाए जाने की। ऐसे दौर में पाकिस्तानी निशानेबाज खिलाड़ियों को भारतीय वीजा देकर एक उदारवादी कदम और उठाया जाना ठेस पहुंचा सकता है जनता की भावनाओं को। अब उदारता की सीमा तय करना जरूरी है। " ...आज के चर्चा प्लस से।

चर्चा प्लस ...
   अब जरूरी है उदारता की सीमा तय करना
        - डॉ. शरद सिंह
पुलवामा में आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया है। सुरक्षा ऐजेंसियों को ले कर अनेक प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि आतंकवाद के विरुद्ध नौकरीपेशा लोगों  से लेकर गृहणियां तक सड़कों पर उतर आईं। जनता प्रतीक्षा कर रही है सरकार द्वारा कठोर कदम उठाए जाने की। ऐसे दौर में पाकिस्तानी निशानेबाज खिलाड़ियों को भारतीय वीजा देकर  एक उदारवादी कदम और उठाया जाना ठेस पहुंचा सकता है जनता की भावनाओं को। अब उदारता की सीमा तय करना जरूरी है।                 
 चर्चा प्लस ...अब जरूरी है उदारता की सीमा तय करना  - डॉ. शरद सिंह Charcha Plus Column of Dr (Miss) Sharad Singh in Sagar Dinkar Daily
    सारा देश क्रोध से उबल रहा है। आतंकवाद को प्रश्रय देने वालों के विरुद्ध कड़ा कदम उठाने को आतुर है। आतंकवाद के विरुद्ध सारी जनता एकजुट है। आमजनता नाराज़ है आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के रुप में कुख्यात हो चले पाकिस्तान से। देश के हर शहर, हर गांव, हर गली में पुलवामा हादसे से उभरा आक्रोश फूट पड़ रहा है। सरकार से बस एक ही मांग की जा रही है कि अब कोई ऐसा कड़ा कदम उठाया जाए जिससे इस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगे। कहीं दुनिया हमारी सहनशीलता को हमारी कायरता न समझने लगे। जो चिनगारी पुलवामा में हुई आतंकी घटना से भड़की उसने जनता की कोमल भावनाओं को धधका दिया है, इसके साथ ही विसंगतियों की जो पर्तें खुलने लगी हैं, वे भी कम चौंकाने वाली नहीं है। पुलवामा हमले के बाद समाचार माध्यमों द्वारा यह जानकारी आमजनता तक पहुंची कि अलगाववादियों की सुरक्षा और अन्य सुविधाओं पर सरकार हर साल 10 करोड़ से ज्यादा खर्च करती है। इसके बाद सरकार ने तुरंत कदम उठाया और मीरवाइज उमर फारुक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, फजल हक कुरैशी और शब्बीर शाह अलगाववादी नेताओं को दी गई सुरक्षा, गाड़ी और अन्य सुविधाएं वापस ले ली गईं। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर में कहा था कि पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंड लेने वालों की सुरक्षा हटाई जाएगी। आतंकियों से खतरे की आशंका के चलते केंद्र की सलाह पर राज्य सरकार ने इन्हें एडहॉक सुरक्षा मुहैया कराई जा रही थी। यद्यपि भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अल कायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, बब्बर खालसा समेत 35 से अधिक आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल रखा है। ऐसे संगठनों को सहायता देने वालों को सरकारी सुविधा देना बंद करने का निर्णय एक सही कदम है।
एक विसंगति सुधरी तो दूसरी सामने दिखाई देने लगी। जहां एक ओर देश के कोने-कोने से आवाज़ उठ रही है कि आतंकवादी गतिविधियों का सहारा लेने वाले पाकिस्तान से सभी तरह के संबंध तोड़ लिए जाएं वहीं भारतीय उच्चायोग और पाकिस्तानी निशानेबाजी महासंघ ने भी पुष्टि की है कि दो निशानेबाजों और मैनेजर के टिकट बुक हो गए हैं। इससे पहले पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले के कारण पाकिस्तानी निशानेबाजों के विश्व कप में भाग लेने पर संदेह पैदा हो गया था। पाकिस्तान निशानेबाजी महासंघ ने कहा था कि समय से वीजा नहीं मिलने पर वह अपने निशानेबाज नहीं भेजेगा। पाकिस्तान के निशानेबाजों को नई दिल्ली में होने वाले विश्व कप के लिए वीजा दे दिया गया है। अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ के इस टूर्नामेंट के जरिए टोक्यो ओलंपिक 2020 के कोटा-स्थान तय होंगे। विश्व कप गुरुवार से कर्णी सिंह रेंज पर खेला जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बॉलीवुड की सभी बड़ी हस्तियों और खेल जगत की हस्तियों ने इस हमले पर भर्त्सनापूर्ण टिप्पणी की। सितंबर 2016 में उरी हमले के बाद इसे सबसे खतरनाक हमला बताया जा रहा है। क्रिकेट खिलाड़ी गौतम गंभीर ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘चलिए अलगाववादियों से बात करते हैं। चलिए पाकिस्तान से बात करते हैं, लेकिन इस बार वार्ता मेज पर नहीं होगी बल्कि युद्ध के मैदान में होगी। अब बहुत हो चुका है।’’  क्रिकेट के दीवाने तक क्रिकेट विश्वकप में पाकिस्तान के साथ न खेलने की मांग कर रहे हैं।  क्रिकेट विश्व कप में भारत और पाकिस्तान के बीच 16 जून 2019 को मैनचेस्टर में मैच होना है। पुलवामा में हुए इस आंतकी हमले के बाद भारतीय फैन्स वर्ल्ड कप 2019 में भारत-पाकिस्तान मैच को रद्द करने की मांग भी कर रहे हैं।
बॉलीवुड ने पाकिस्तान के कलाकारों को बैन कर दिया है। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इम्प्लाइज (एफडब्लूआइसीई) ने यह फैसला लिया है। एफडब्लूआइसीई के मुख्य सलाहकार अशोक पंडित ने कहा कि -‘‘यदि फिल्म जगत इस नियम को नहीं मानता और पाकिस्तान के कलाकारों के साथ काम करने का दबाव बनाता है तो शूटिंग को कैंसिल कर दिया जायेगा साथ ही उन पर भी प्रतिबंध लगाया जायेगा।  जो फिल्म निर्माता पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने के लिए दबाव बनाएंगे एफडब्लूआइसीई उन पर भी प्रतिबंध लगाएगी।’’ एफडब्लूआइसीई के मुख्य सलाहकार अशोक पंडित ने कहा, “एफडब्ल्यूआईसीई पाकिस्तान के कलाकारों के साथ काम करने की जिद करने वाले फिल्म निर्माताओं पर प्रतिबंध लगाएगा। हम इसकी आधिकारिक घोषणा करते हैं। सीमापार से हमारे देश पर बार-बार हमले होने के बावजूद पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने की जिद करने वाली म्यूजिक कंपनियों को शर्म आनी चाहिए। चूंकि उन्हें कोई शर्म नहीं है तो हमें उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर करना होगा। जम्मू एवं कश्मीर के बाहर से हम जितने नुकसान का अंदाजा लगा सकते हैं, नुकसान उससे कई गुना ज्यादा हुआ है। इसकी भरपाई में सालों लग जायेंगे। एक व्यक्ति इतना ज्यादा आरडीएक्स लेकर जम्मू एवं कश्मीर में छिपकर कैसे आ सकता है? ऐसे समय में जब आतंकवादी हमले इतने ज्यादा हो गए हैं तब ये सोचना मुश्किल है कि हमारे मनोरंजन उद्योग में कुछ लोग कलाकारों के लिए पाकिस्तान की तरफ देख रहे हैं।”
प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आज़मी ने भी ट्वीट किया है और कहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी सांस्कृतिक आदान-प्रदान को स्थगित करने की ज़रूरत है। उन्होंने स्वयं अपना वह कार्यक्रम रद्द कर दिया जिसमें उन्हें पाकिस्तान पहुंच कर एक कार्यक्रम में भाग लेना था। यानी चाहे फिल्मी कलाकार हो, चाहे साहित्यकार हो, चाहे व्यापारी वर्ग हो सभी कठोर कदम उठाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहां तक कि गृहणियां भी पुलवामा की जघन्य घटना के विरोध में प्रदर्शन पर उतर आईं। फिर भी दो पाकिस्तानी निशानेबाजों को भारतीय वीजा जारी कर दिया जाना आमजनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला काम है। आखिर उदारता की भी कोई सीमा तय की जानी चाहिए। श्रीकृष्ण ने भी अपनी बुआ के पुत्र शिशुपाल के लिए अपनी उदारता की सीमा तय की थी। उन्होंने अपनी बुआ को वचन दिया था कि मैं शिशुपाल के सौ अपराधों को क्षमा कर दूंगा और उन्होंने ऐसा किया भी। लेकिन 101 वां अपराध होते ही शिशुपाल का वध कर के उसे दण्डित कर दिया था। जबकि देश के बंटवारे के समय से ही पाकिस्तान भारत के विरुद्ध अपराध पर अपराध करता आ रहा है और भारत उसके प्रति अपनी उदारता बरतता चला आ रहा है। आखिर इस उदारता की सीमा का निर्धारण अब करना ही होगा।
आज जिस कश्मीर की जमीन को रक्तरंजित किया जा रहा है, उसी कश्मीरी मूल के सन् 1901 में जन्मे लखनवी शायर आनन्दनारायण ’मुल्ला’ भारत-विभाजन से आहत होकर लिखा था जो कश्मीर की वर्तमान दशा पर भी सटीक बैठता है -
वतन फिर तुझको पैमाने-वफ़ा देने का वक़्त आया
तिरे नामूस पर सब कुछ लुटा देने का वक़्त आया
वह खि़त्ता देवताओं की जहां आरामगाहें थीं
जहां बेदाग़ नक़्शे-पाए-इंसानी से राहें थीं
जहां दुनिया की चीख़ें थीं, न आंसू थे न आहें थीं
उसी को जंग का मैदां बना देने का वक़्त आया
वतन फिर तुझको पैमाने-वफ़ा देने का वक़्त आया
रुपहली बर्फ पर है सुर्ख़ ख़ूं की आज इक धारी
सहर की नर्म किरनों ने यहां दोशीज़गी खोई
हुई आलूदा यह मासूम दुनिया अप्सराओं की
अब इन नापाक धब्बों को मिटा देने का वक़्त आया
वतन फिर तुझको पैमाने-वफ़ा देने का वक़्त आया
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( दैनिक "सागर दिनकर" , 20.02.2019 )
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