Friday, May 29, 2020

विशेष लेख : परीक्षा, प्रमोशन और पाॅलिटिक्स - डाॅ शरद सिंह


Dr (Miss) Sharad Singh
विशेष लेख    
परीक्षा, प्रमोशन और पाॅलिटिक्स
           - डाॅ शरद सिंह
             स्कूल से लेकर काॅलेज तक की परीक्षाओं को ले कर घमासान छिड़ा हुआ है। कुछ स्टूडेंट्स फेडरेशन चाहते हैं कि कोरोना लाॅकडाउन और कोरोना के संकट को देखते हुए छात्रों को परीक्षा में जरनल प्रमोशन दे दिया जाए। वहीं प्रशासन, अभिभावक और विद्यार्थियों का एक बड़ा प्रतिशत चाहता है कि परीक्षाएं होनी चाहिए। मध्यप्रदेश में जरनल प्रमोशन के पक्षधर ‘‘हैशटैग जरनल प्रमोशन टू एम पी स्टूडेंट्स’’ पर समर्थन में सोशल मीडिया अभियान चला रहे हैं। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने परीक्षाएं कराए जाने का निर्णय ले लिया है। तारीखें भी तय कर दी गई हैं। ऐसे में राजनीति न गरमाए, यह हो नहीं सकता। ज़ाहिर है कि एक बार फिर प्रतिभाशाली छात्र राजनीति के दो पाटों के बीच खड़े दिखाई दे रहे हैं। 

इन दिनों कुछ स्टूडेंट्स फेडरेशन सोशल मीडिया पर ‘‘हैशटैग जरनल प्रमोशन टू एम पी स्टूडेंट्स’’ ट्रेंड कराकर सुरक्षा की दृष्टि से और अलग-अलग परेशानियां बताकर जनरल प्रमोशन की मांग कर रहे हैं। यह सीएम और राज्यपाल को बताना चाह रहे हैं कि आईआईटी बॉम्बे जैसे संस्थानों ने स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन देने का निर्णय लिया है। यह सभी की सुरक्षा के लिए बेहतर है। छात्र बड़ी संख्या में अपनी बात रख रहे हैं। उनके पास बड़े ठोस तर्क हैं। उनमें सबसे बड़ा तर्क है कोरोना वायस के संक्रमण का। इस बीच मध्यप्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग एवं माध्यमिक शिक्षा मंडल, मध्य प्रदेश ने यूजी और पीजी तथा 12वीं, हायर सेकेंडरी के बचे हुए पेपर कराने का फैसला लिया है। तारीखें घोषित कर दी गई है। इस निर्णय पर सलाह-मशविरा करने को सीएम शिवराज सिंह चैहान अधिकारियों के साथ राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने पहुंचे थे। इसके बाद निर्णय को अंतिम रूप दिया गया कि मध्यप्रदेश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में किसी भी कक्षा में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को लेकर सभी परीक्षाओं को आगे बढ़ा दिया गया था। परीक्षा के दौरान शारीरिक दूरी के साथ अन्य नियमों का पालन भी करवाया जाएगा।
Charcha Plus Column of Dr (Miss) Sharad Singh, 29.05.2020
      राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने इसके लिए सहमति दी है। अब उच्च शिक्षा विभाग जल्द ही निर्देश जारी करेगा। तकनीकी विश्वविद्यालय की परीक्षा 16 से 30 जून के बीच होगी। फर्स्ट ईयर में नए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का शिक्षण सत्र अक्टूबर से प्रारंभ होगा। प्रथम और द्वितीय वर्ष से द्वितीय और तृतीय वर्ष में जाने वाले विद्यार्थियों का शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर से प्रारंभ होगा। मध्य प्रदेश में स्नातक अंतिम वर्ष और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 29 जून से 31 जुलाई के बीच होंगी। बाकी परीक्षाएं कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद आयोजित की जाएंगी। किसी भी कक्षा में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। शैक्षणिक सत्र जुलाई के बाद शुरू हो जाएगा। वैसे एमपी बोर्ड ने तो संशोधित टाइम टेबल भी जारी कर दिया है लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा की तारीख नजदीक आ रही है स्टूडेंट्स भड़कते जा रहे हैं। वह किसी भी कीमत पर परीक्षा देने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि यदि परीक्षा कक्ष में बैठने के कारण कोरोनावायरस का इंफेक्शन हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा?

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया। लोगों का अपने घरों से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं था। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी राज्यों की तरह मध्यप्रदेश सरकार ने भी मार्च-अप्रैल में होने वाले शिक्षा कार्यक्रमों और परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था। अब परिस्थितियों का आकलन करते हुए परीक्षा कराए जाने का निर्णय लिया गया। परीक्षा और जरनल प्रमोशन पर राजनीति करने वालों को सबसे बड़ा सहारा इस बात का मिला है कि परीक्षा के निर्णय को ले कर सभी राज्यों में एकरूपता नहीं है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अलग-अलग नीतियां निर्धारित की जा रही हैं जिससे पक्ष-विपक्ष दोनों को अपने-अपने मतलब की सनद मिल रही है। मसलन वे उदाहरण दे-दे कर अपने तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार ने माध्यमिक शिक्षा के अध्य्यनरत छात्रों को जनरल प्रमोशन दिया हैं। एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष ने विश्वव्यापी महामारी कोविड 19 को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश में सभी कॉलेजों के छात्रों को जनरल प्रमोशन दिए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा। इसके पहले छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के छात्र संगठनों ने भी जनरल प्रमोशन देने की मांग की थी। एबीवीपी छात्र नेता व पं. रविशंकर शुक्ल विवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने भी जनरल प्रमोशन देने की मांग उठाई थी।

इस बीच एक और मंथन चलता रहा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी दिशा निर्देशों के अनुसार अंतिम वर्ष के छात्रों को जनरल प्रमोशन नही दिया जाएगा, उन्हें भी इस महामारी में राहत दिलाने के लिए छात्रों ने परीक्षाओं का आयोजन होने पर इन छात्रों को परीक्षावार कोरोना बोनस अंक देने की मांग की है। इसके अंतर्गत जनरल प्रमोशन सिर्फ प्रथम और द्वितीय वर्ष के बीए, बीकॉम, बीएससी, बीबीए आदि कक्षाओं में दे सकते हैं। रहा मध्यप्रदेश में परीक्षाओं और पढ़ाई के सत्र का प्रश्न तो अब ग्रेजुएशन फाइनल ईयर और पोस्टग्रेजुएशन फाइनल ईयर की परीक्षाएं 29 जून से 31 जुलाई के बीच होंगी। किसी भी कक्षा में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। इधर सीबीएसई ने छात्रों को अपने निकट का परीक्षा सेंटर चुनने का विकल्प दे दिया है।

अब ध्यान दें परीक्षा पर पाॅलिटिक्स के प्रश्न पर, तो विचारणीय है कि जो दल छत्तीसगढ़ में जरनल प्रमोशन की मांग उठा रहे हैं वही दल मध्यप्रदेश में मांग क्यों नहीं उठा रहे हैं ? दरअसल, छात्रों को अपना भला-बुरा स्वयं तय करना चाहिए। उन्हें सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा है और वे यह मानते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए सरकार उनकी परीक्षा ले सकती है तो उन्हें सरकार के क़दम का स्वागत करना चाहिए। यदि उन्हें सरकारी सुरक्षा व्यवस्थाओं पर संदेह है तो परीक्षा तिथियां बढ़वाने की मांग करनी चाहिए, जरनल प्रमोशन की नहीं। जरनल प्रमोशन कोई सम्मानजनक स्थिति नहीं है। जरनल प्रमोशन से आगे बढ़े हुए छात्रों की योग्यता पर निजी क्षेत्र शंका की दृष्टि से देखेंगे। यदि जरनल प्रमोशन होता है तो उन छात्रों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा जो पढ़ाकू हैं और जिन्होंने इस कोरोना लाॅकडाउन के दौरान घर में रह कर जम कर पढ़ाई की है। आमतौर पर वे छात्र ही जरनल प्रमोशन की मांग के पक्ष में हैं जिन्होंने ढंग से पढ़ाई नहीं की है और अब जरनल प्रमोशन की बहती गंगा में नहा कर बिना परीक्षा के अगली कक्षा में पहुंच जाना चाहते हैं। छात्रों के भावी कैरियर के लिए जरनल प्रमोशन उचित नहीं ठहरता है। किन्तु जीवन की सुरक्षा से बढ़ कर कुछ नहीं होता है अतः यदि छात्रों को अपनी सुरक्षा का डर है तो उन्हें खुल कर अपनी बात प्रदेश सरकार के आगे स्वयं रखनी होगी। लेकिन जरनल प्रमोशन के मायाजाल को भुला कर। छात्रों को याद रखना ही होगा कि परीक्षाएं ही योग्यता को साबित करने का अवसर होती हैं और यह अवसर उन्हें राजनीतिक ‘‘तू-तू, मैं-मैं’’ में पड़ कर नहीं गंवाना चाहिए।          
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(दैनिक सागर दिनकर में 29.05.2020 को प्रकाशित)
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