tag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post7419890907610845524..comments2024-03-22T14:49:36.707+05:30Comments on Sharadakshara: ये जीवट वाली औरतेंDr (Miss) Sharad Singhhttp://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-19663506656469771162011-11-30T17:09:01.959+05:302011-11-30T17:09:01.959+05:30शायद ही किसी नें इनके दर्द को ऐसे महसूस किया होगा ...शायद ही किसी नें इनके दर्द को ऐसे महसूस किया होगा .....<br />आपकी संवेदनशीलता प्रभावशाली है !<br />शुभकामनायें आपको !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-61849438666787272542011-09-26T10:33:06.229+05:302011-09-26T10:33:06.229+05:30सार्थक आलेख और संवेदनशील प्रस्तुतिसार्थक आलेख और संवेदनशील प्रस्तुतिKANTI PRASADhttps://www.blogger.com/profile/03429990046226724610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-88691597496751139102011-09-20T13:18:51.643+05:302011-09-20T13:18:51.643+05:30सार्थक लेखन सच्ची तस्वीर उभारता हुआसार्थक लेखन सच्ची तस्वीर उभारता हुआरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-50835913980577956112011-09-19T22:11:30.937+05:302011-09-19T22:11:30.937+05:30यही वह कामगार वर्ग है जिनसे ज़िन्दगी लेदे के बस ज़ि...यही वह कामगार वर्ग है जिनसे ज़िन्दगी लेदे के बस ज़िंदा रहने की शर्त पूरी करवाती है .विदेशों में श्रम का सम्मान है ,यहाँ कामवाली की कोई न्यूनतम पगार नहीं है .नखराली मालकिनों के मर्दों की नजर भी इन पर रहती है .शोषण के ये आयाम यहाँ मुखर हैं .बाहर श्रम का सम्मान है मान है ,पैसा है श्रम के अनुकूल ,बे -फिक्री,यहाँ उपेक्षा है ,गुमान है ओछी दौलत का ,मालिकिन भाव है ।<br />सोमवार, १९ सितम्बर २०११<br />मौलाना साहब की टोपी मोदी के सिर .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-59207358570829107822011-09-17T16:46:12.220+05:302011-09-17T16:46:12.220+05:30inki jivat se hu hum chalte haininki jivat se hu hum chalte hainरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-26719113972443684192011-09-17T06:20:13.631+05:302011-09-17T06:20:13.631+05:30Exactly we all wait for them so badly.
and I agr...Exactly we all wait for them so badly. <br /><br />and I agree its nt at all exaggeration to call them as fundamental need in Indian SocietyJyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-26924333659034625082011-09-15T16:41:19.165+05:302011-09-15T16:41:19.165+05:30आपके इस सामाजिक सरोकार को नमन!
सार्थक और संवेदनशील...आपके इस सामाजिक सरोकार को नमन!<br />सार्थक और संवेदनशील प्रस्तुतिसुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-67967653410609911092011-09-15T11:59:18.129+05:302011-09-15T11:59:18.129+05:30सही कहा है आपने, सार्थक व सटीक लेखन...सही कहा है आपने, सार्थक व सटीक लेखन...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-58311771744293264692011-09-12T09:13:42.076+05:302011-09-12T09:13:42.076+05:30शहरों में तो हालात में कुछ बदलाव आया है पर अब भी प...शहरों में तो हालात में कुछ बदलाव आया है पर अब भी पूरी तरह से नहीं।...वैसे भी रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे...लगातार बढ़ते अपराध और बांग्लादेशी घूसपैठ की वजह से आपसी विश्वास भी कम हुआ है जिस कारण स्थितियां जटिल हो रही हैं शहरों में। आप पहले इन पर भरोसा करते थे पर अब अंसभव है। काम करवाले वाले ज्यादा से ज्यादा शोषण करने को तैयार रहते हैं तो घरेलू काम करने वाले ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐठने के चक्कर में।Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-9277965319792100452011-09-11T20:44:30.004+05:302011-09-11T20:44:30.004+05:30घरों में काम करने वाली बाइयां हमारे समाज की महत्वप...घरों में काम करने वाली बाइयां हमारे समाज की महत्वपूर्ण सदस्य हैं। इन्हें भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है। हमें चाहिए कि उन्हें हम घर के सदस्य के रूप में समझें।<br />इनके लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम स्वागतेय है।<br />यह आलेख समय की पुकार है।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-45102381273390051732011-09-11T16:46:14.199+05:302011-09-11T16:46:14.199+05:30सार्थक आलेख...निश्चित ही इस वर्ग की मजबूरियों को स...सार्थक आलेख...निश्चित ही इस वर्ग की मजबूरियों को समझने की आवश्यक्ता है. उम्दा चिन्तन!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-69301044404164758552011-09-11T13:13:42.814+05:302011-09-11T13:13:42.814+05:30सार्थक और संवेदनशील प्रस्तुतिसार्थक और संवेदनशील प्रस्तुतिVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-48280548382421389122011-09-10T22:46:45.951+05:302011-09-10T22:46:45.951+05:30डॉ. शरद सिंह जी,
घरेलू काम करने वाली औरतों की पीड़ा...डॉ. शरद सिंह जी,<br />घरेलू काम करने वाली औरतों की पीड़ा को बखूबी उजागर किया है | बहुत अच्छा लगा ये लेख | इस लेख को सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगस्पोट डाट काम के <a href="http://cityjalalabad.blogspot.com/p/blog-page_10.html" rel="nofollow">काव्य मंच</a> पेज पर पूर्ण रूपेण संकलित किया गया है | ऐसी ही उत्कृष्ट रचनाओं को इस पेज पर संकलित किया जाता है |tips hindi mehttps://www.blogger.com/profile/01058993784424803727noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-39614475478835322892011-09-10T10:19:50.439+05:302011-09-10T10:19:50.439+05:30बेहतरीन प्रस्तुति !बेहतरीन प्रस्तुति !PRIYANKA RATHOREhttps://www.blogger.com/profile/05173622889571039240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-8466737827108327612011-09-10T06:33:57.630+05:302011-09-10T06:33:57.630+05:30डॉ शरद ! हम आभार व्यक्त करते हैं आपके इस सामयिक स...डॉ शरद ! हम आभार व्यक्त करते हैं आपके इस सामयिक सोधात्मक लेख के लिए , "चाँद ढूढ़ना आसान है ,नामुमकिन है धरती छोड़ देना " इन्शानियत की बड़ी -२ बांतें करना ,अलग बात है , इसको अमल में लाना अलग बात है , जब कभी काम वाली बायीं या नौकर / मजदूर की दास्ताँ का पड़ताल कीजिये तस्वीर साफ दीखती है ,शायद उनका एक अलग भारत है ....../ साधुवाद आपके इस विचारनीय ,लोकप्रिय लेख के लिए ...../udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-11139649057989106412011-09-10T05:21:52.584+05:302011-09-10T05:21:52.584+05:30सहमत हूँ .... एक सार्थक और विचारणीय सोच लिए विवेचन...सहमत हूँ .... एक सार्थक और विचारणीय सोच लिए विवेचन डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-14932693793430904962011-09-09T22:57:34.731+05:302011-09-09T22:57:34.731+05:30आपके इस सामाजिक सरोकार को नमन!
इन सबसे महत्त्व के...आपके इस सामाजिक सरोकार को नमन!<br /><br />इन सबसे महत्त्व के प्राणी पर आपके विचार ने प्रेरित किया।<br /><br />थैन्क्स गॉड आज तक हमने उन्हें नहीं डांट लगाई है कभी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-84743711423382258522011-09-09T19:32:45.728+05:302011-09-09T19:32:45.728+05:30बेहतरीन प्रस्तुति !बेहतरीन प्रस्तुति !कमलेश खान सिंह डिसूजाhttps://www.blogger.com/profile/11370684870906721882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-43115191498439249792011-09-09T18:56:35.707+05:302011-09-09T18:56:35.707+05:30सार्थक लेखसार्थक लेखसंजय कुमार चौरसियाhttps://www.blogger.com/profile/06844178233743353853noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-5938348178674826862011-09-09T15:14:10.766+05:302011-09-09T15:14:10.766+05:30जी,मैं शिखा वार्ष्णेय जी की बात से सहमत हूँ.
आजकल ...जी,मैं शिखा वार्ष्णेय जी की बात से सहमत हूँ.<br />आजकल स्थिति में बहुत बदलाव आया है.<br />अब तो ठीये भी बाँट कर रखतीं हैं ये.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-52372270434857549722011-09-09T15:11:25.031+05:302011-09-09T15:11:25.031+05:30अक्षरश: सही कहा है आपने, सार्थक व सटीक लेखन ... ।अक्षरश: सही कहा है आपने, सार्थक व सटीक लेखन ... ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-24183484345425297342011-09-09T15:00:03.433+05:302011-09-09T15:00:03.433+05:30वैसे अब स्थिति में थोडा बदलाव तो आया है. घरों में ...वैसे अब स्थिति में थोडा बदलाव तो आया है. घरों में अब बाई नाम से पुकारते लोग कम ही देखे जाते हैं.और इनसे काम करना है या नहीं ये ओप्शन अब घरवालों का नहीं इनका रहता है :)<br />सार्थक आलेख.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-15289784507422092712011-09-09T14:14:54.922+05:302011-09-09T14:14:54.922+05:30आप पीड़ित महिलाओं के दर्द को बखूबी अपने कलम के ज़र...आप पीड़ित महिलाओं के दर्द को बखूबी अपने कलम के ज़रिये समाज के सामने लाती हैं,पढ़कर अच्छा लगता है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3788166314632687735.post-31642139202055778602011-09-09T12:50:00.006+05:302011-09-09T12:50:00.006+05:30सार्थक लेख ... सच इनकी अनुपस्थिति मानसिक तनाव पैदा...सार्थक लेख ... सच इनकी अनुपस्थिति मानसिक तनाव पैदा कर देती है ..लेकिन इनकी मजबूरियों को और इनके प्रति अदर सम्मान कि भावना को समझना ज़रुरी है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com