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My Editorials - Dr Sharad Singh

Wednesday, January 31, 2018

लेखक, चिंतक मुकुल कनीटकर से मुलाक़ात ...

शाम, 31 जनवरी 2018 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर के विचार सुनने का अवसर मिला। उनकी उद्बोधन शैली और विचारों की स्पष्टता प्रभावी है। अवसर था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सागर द्वारा "राष्ट्रवाद बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" विषय पर प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी का ।
From left - Dr Varsha Singh, Dr (Miss) Sharad Singh, Mr Mukul Kanitkar and Pro Negi

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...और स्थान था जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी, सागर, मध्यप्रदेश का सभागार। 
- डॉ शरद सिंह
Patrika, Sagar Edition, 02.02.2018 -
Dr Varsha Singh, Dr (Miss) Sharad Singh, Mr Mukul Kanitkar

Dainik Bhaskar, Sagar Edition, 02.02.2018 -
Dr Varsha Singh, Dr (Miss) Sharad Singh, Mr Mukul Kanitkar




चर्चा प्लस ... भारतीय संस्कृति में राष्ट्रवाद और महिलाएं ... डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस
भारतीय संस्कृति में राष्ट्रवाद और महिलाएं
  - डॉ. शरद सिंह
 (दैनिक सागर दिनकर, 31.01.2018)
राष्ट्रवाद एक ऐसा विचार, एक मनोभाव है जो प्रत्येक नागरिक को उसकी नागरिकता का अहसास कराता है। यह भावना किसी भी राजनीतिक दल अथवा राजनीतिक विचारों में सिमटी हुई नहीं होती है और यह पुरुषों और स्त्रियों में बंटी हुई नहीं होती। एक स्त्री भी किसी पुरुष की भांति राष्ट्रवादी होती है। यह राष्ट्रीयता की भावना होती है जो राष्ट्र के प्रति होती है। आज आवश्यकता है राष्ट्रवाद को एक व्यापक दृष्टिकोण से समझने और आत्मसात करने की और इसे याद रखने की भी कि भारतीय संस्कृति में राष्ट्रवाद के विचार आदिकाल से मौजूद हैं।   
Nationalism and Women in Indian Culture - Charcha Plus Column of Dr Sharad Singh in Sagar Dinkar Dainik
‘‘प्रादुर्भूतोस्मि राष्ट्रेस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु मे।’’
- श्रीसूक्तम में दिए गए इस श्लोक का अर्थ है कि -हे देवि! मैं इस राष्ट्र में उत्पन्न हुआ हूं, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें!
राष्ट्र और राष्ट्रवाद परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं। राष्ट्रवाद एक ऐसा विचार, एक मनोभाव है जो प्रत्येक नागरिक को उसकी नागरिकता का अहसास कराता है। किसी भूमि को राष्ट्र के रूप में अपने जातीय गौरव से जोड़ कर देखना, यह एक गर्व से परिपूर्ण भावना है। वस्तुतः राज्य एक राजनीतिक अवधारणा है, जो नियमों के बल पर संचालित होती है और उसे अपने मूल स्वरूप में बनाए रखने के लिए दण्डशक्ति एक सशक्त तत्व होती है। जबकि राष्ट्र एक सांस्कृतिक अवधारणा है। जिस देश में लोग रहते हैं, उस भूमि के प्रति उन लोगों की भावना और उस भावना से संचालित होने वाले क्रियाकलापों से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। अपने राष्ट्र के प्रति सर्वस्व अर्पण करने की भावना ही राष्ट्रवाद है।
राष्ट्रवाद को ले कर अकसर लोगों में भ्रम पैदा हो जाता है। यह होता है राष्ट्रवाद की मूल प्रवृत्ति को न पहचान पाने के कारण। जैसा कि अकसर लोग भस्रम में पड़ जाते हैं विचारक एवं लेखक कामू के एक वक्तव्य को ले कर। फ्रेंच लेखक अल्बेयर कामू ने एक बार लिखा था, “मैं अपने देश को इतना प्यार करता हूं कि मैं राष्ट्रवादी नहीं हो सकता।“ जाहिर है कि कामू इस बात को स्पष्ट करना चाहते थे कि राष्ट्रवाद महज एक शब्द नहीं अपितु भावना है, यह कोई तमगा या टोपी नहीं कि जिसे पहन कर स्वयं को राष्ट्रवादी करार दे दिया जाए। राष्ट्रवाद एक जटिल, बहुआयामी अवधारणा है, जिसमें अपने राष्ट्र से एक साझी साम्प्रदायिक पहचान समावेशित है। यह एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में अभिव्यक्त होता है, जो किसी समूह के लिए ऐतिहासिक महत्व वाले किसी क्षेत्र पर साम्प्रदायिक स्वायत्तता, और कभी-कभी सम्प्रभुता हासिल करने और बनाए रखने की ओर उन्मुख हैं। राष्ट्रवाद में संस्कृति, भाषा, धर्म, राजनीतिक लक्ष्य के साथ ही एक आम साम्प्रदायिक पहचान का आधार होता है लेकिन यहां सम्प्रदाय से अर्थ राष्ट्रीय-सम्प्रदाय होता है, न कि धर्म या जाति से जुड़ा संकुचित सम्प्रदाय। दरअसल, राष्ट्रवाद लोगों के किसी समूह की उस आस्था का नाम है जिसके तहत वे ख़ुद को साझा इतिहास, परम्परा, भाषा, जातीयता और संस्कृति के आधार पर एकजुट मानते हैं। इन्हीं बंधनों के कारण वे इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि उन्हें आत्म-निर्णय के आधार पर अपने सम्प्रभु राजनीतिक समुदाय अर्थात् ‘राष्ट्र’ की स्थापना करने का आधार है। राष्ट्रवाद के आधार पर बना राष्ट्र उस समय तक कल्पनाओं में ही रहता है जब तक उसे एक राष्ट्र-राज्य का रूप नहीं दे दिया जाता। राष्ट्र की परिभाषा एक ऐसे जन समूह के रूप में की जा सकती है जो कि एक भौगोलिक सीमाओं में एक निश्चित देश में रहता हो, समान परम्परा, समान हितों तथा समान भावनाओं से बंधा हो और जिसमें एकता के सूत्र में बांधने की उत्सुकता तथा समान राजनैतिक महत्वाकांक्षाएं पाई जाती हों। राष्ट्रवाद के निर्णायक तत्वों मे राष्ट्रीयता की भावना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है।
यह सच है कि जब-जब राष्ट्र पर संकट आया तो राष्ट्रवादी भावना मुखर रूप से सामने आई। जैसा कि पराधीनता की बेड़ियां तोड़ने के समय हुआ। इस संदर्भ में यह माना जाता है कि भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा का अंकुर सत्रहवीं शताब्दी के मध्य से उगने लगा था किन्तु यह धीरे-धीरे विकसित होता रहा अन्त मे 1857 ई. में पूर्ण हो गया। लेकिन यह भी सच है कि भारत में राष्ट्रवाद के जन्म के कारण जो राष्ट्रीय आन्दोलन प्रारम्भ हुआ वह विश्व में अपने आप में एक अनूठा आन्दोलन था भारत में राजनीतिक जागृति के साथ-साथ सामाजिक तथा धार्मिक जागृति का भी सूत्रपात हुआ। डॉ. जकारिया का मत है कि ”भारत का पुनर्जागरण मुख्यतः आध्यात्मिक था। इसने राष्ट्र के राजनीतिक उद्धार के आन्दोलन का रूप धारण करने से बहुत पहले अनेक धार्मिक और सामाजिक सुधारों का सूत्रपात किया।“
यदि देश के स्वतंत्रता संग्राम का अध्याय छोड़ कर देखा जाए तो राष्ट्रवाद की संकल्पना हमारे सूक्तों में प्रखर रूप से दिखाई देती है। शिवसंकल्पसूक्त का यह श्लोक देखें-
यत्प्रज्ञानमुत चेतो ध तिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किंचन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु।।
अर्थात् जो मन प्रखर ज्ञान से संपन्न, चेतना से युक्त्त एवं धैर्यशील है, जो सभी प्राणियों के अंतःकरण में अमर प्रकाश-ज्योति के रूप में स्थित है, जिसके बिना किसी भी कर्म को करना संभव नहीं, ऐसा हमारा मन शुभ संकल्पों से युक्त हो। जिन व्यक्तियों का मन शुभ संकल्पों से युक्त होता है, वही अपना जीवन राष्ट्रहित में समर्पित करते हैं। सच्चे राष्ट्रवादी व्यक्ति अपने जीवन को अपनी आकांक्षा, अपने सपनों  और अपने सिद्धांतों के अनुरूप ढाल लेते हैं। अकसर यह माना जाता है कि जो व्यक्ति साधन सम्पन्न न हो उसके लिए अपने सपनों को पूरा कर पाना अत्यंत कठिन होता है। किन्तु, यदि कोई व्यक्ति साधनहीनता को ही अपने साधन का आधार बना ले तो वह अपने सारे स्वप्न, समस्त आकांक्षाओं को अपने सिद्धांतों की बलि दिए बिना पूरे कर सकता है।
राष्ट्र वैचारिक रूप से तब पिछड़ने लगता है जब स्त्री बौद्धिकता को कम कर के आंका जाने लगता है। भारतीय पुरुष भी देवी के शक्तिस्वरूप को स्वीकार करते हैं किन्तु स्त्री का प्रश्न आते ही विचारों में दोहरापन आ जाता है। इस दोहरेपन के कारण को जांचने के लिए हमें बार-बार उस काल तक की यात्रा करनी पड़ती है जिसमें ‘मनुस्मृति’ की रचना की गई। स्मृतिकाल से पहले स्त्री का समाज में स्थान इस तरह दोयम नहीं था जिस तरह ‘मनुस्मृति’ की रचना के बाद हुआ। एक यही स्मृतिग्रंथ नहीं लिखा गया, और भी कई स्मृतिग्रंथों की रचना हुई किन्तु पुरूष प्रधान समाज में यह स्मृतिग्रंथ पूरी तरह से आत्मसात कर लिया गया क्यों कि इसमें स्त्रियों को दलित बनाए रखने के ‘टिप्स’ थे। फिर भी पुरुषों में सभी कट्टर मनुवादी नहीं हुए समय-समय पर अनेक पुरुष जिन्हें हम ‘महापुरुष’ की भी संज्ञा देते हैं, मनुस्मृति की बुराइयों को पहचान कर स्त्रियों को उनके मौलिक अधिकार दिलाने के लिए आगे आए और न केवल सिद्धांत से अपितु व्यक्तिगत जीवन के द्वारा भी मनुस्मृति के सहअस्तित्व-विरोधी बातों का विरोध किया।
राष्ट्र की परिकल्पना में भारतीय विचारकों ने देश को माता का स्थान दिया। माता जो स्त्री है। जो प्रत्येक शिशु को अपनी संतान मानती है और सभी दुख सह कर उसकी रक्षा और लालन-पालन करती है। सन् 1881 में बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपनी पुस्तक “आनंदमठ” में “वन्दे मातरम” गीत लिखा। बंकिमचन्द्र ने भारत माता को एक पवित्र प्रतीक के रूप में चित्रित किया, जो राष्ट्र की छवि थी और दैवीय शक्तियों से युक्त थी। राष्ट्र-राज्य को देवी और मां के रूप में देखते हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर शांति निकेतन में आई हुई  महिलाओं से कहा था कि “क्या मैंने तुम्हें नहीं बताया कि तुममें (महिलाओं), मैं हमारे देश की शक्ति देखता हूं?”
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का कहना था कि, “महिला जिस तरह से राष्ट्रवाद की जन्मदात्री और पोषक रही है, उस तरह पुरुष कभी नहीं हो सकते। राष्ट्रवाद को गति देने में महिलाओं की भूमिका को पर्याप्त तवज्जो नहीं दी गयी।’’ उन्होंने लिखा, “सामाजिक एकजुटता के बगैर राजनीतिक एकता हासिल करना मुश्किल होगा। अगर वह हासिल कर भी ली जाती है तो उसका बच पाना उतना ही अनिश्चित होगा, जितना कि गर्मी में लगाये गए एक छोटे-से पौधे का, जिसे प्रतिकूल दुनिया की हवा का एक झोंका कभी भी उखाड़ देगा। महज राजनीतिक एकता से भारत एक राज्य बन सकता है लेकिन राज्य होने का मतलब राष्ट्र होना नहीं है और जो राज्य, राष्ट्र नहीं होता, उसका अस्तित्व बने रहने की संभावना कम ही होती है।”
डॉ. अंबेडकर राष्ट्रवाद के विचार को सुदृढ़ बनाए रखने के संदर्भ में कहते थे जब तक स़्ी और पुरुष समाज के सामन शक्ति वाली धुरी नहीं बनेंगे तक तक राष्ट्र का भला नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा था कि “महिलाओं की तुलना में पुरुष हमेशा से अधिक शक्तिसंपन्न रहे हैं। हर समूह में उनका बोलबाला रहा है और दोनों लिंगों में से हमेशा उनकी अधिक प्रतिष्ठा रही है। महिलाओं पर पुरुषों की इसी उच्चता के चलते, हमेशा पुरुषों की इच्छाओं को तवज्जो दी जाती रही। दूसरी ओर, महिलाएं हमेशा हर तरह के अन्यायपूर्ण धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंधों का शिकार बनती रहीं।’’ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी महिलाओं की सबलता में राष्ट्र की उन्नति देखते थे। उन्होंने सत्याग्रह और असहयोग आन्दोलन जैसे कई राजनीतिक और राष्ट्रीय आंदोलनों में महिलाओं को शामिल कर उनके लिए सार्वजनिक जीवन के रास्ते खोले। महात्मा गांधी ने यह स्थापित किया कि महिलाएं, राष्ट्रीय आंदोलन में विशिष्ट और अहम भूमिका निभा सकती हैं।
   वास्तविक राष्ट्रवादी विचार वही होते हैं जिनमें स्त्री और पुरुष की बौद्धिक क्षमता को बराबरी से महत्व दिया जाता है और यह बिना किसी पूर्वाग्रह स्वीकार किया जाता है कि राष्ट्र के उत्थान के लिए दोनों की समानभागीदारी आवश्यक है तथा भारतीय संस्कृति में यही विचार सदियों से प्रवाहमान हैं।
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Tuesday, January 30, 2018

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति मेरी साहित्यिक श्रद्धांजलि ... डॉ. शरद सिंह

My Literary Tribute to Mahatma Gandhi ...
My Book "Rashtravadi Vyaktitva : Mahatma Gandhi " is a Biography. Which is published by Samayik Prakashan, New Delhi in year of 2016.
 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति मेरी साहित्यिक श्रद्धांजलि ...
मेरी यह किताब “राष्ट्रवादी व्यक्तित्व : महात्मा गांधी“ एक जीवनी पुस्तक है जिसका प्रथम संस्करण वर्ष 2016 में सामयिक प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।

यदि आप पढ़ना चाहें तो इस पते से मंगा सकते हैं-
3320-21 Jatwara,Netaji Subhash Marg, Daryaganj
New Delhi 110002
E-mail: samayikprakashan@gmail.com
Telephone: 011-23282733, 23270715
Telefax: 011-23270715
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Thursday, January 25, 2018

चर्चा प्लस ... गणतंत्र के प्रति युवाओं का दायित्व - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
मेरा कॉलम.... चर्चा प्लस
गणतंत्र के प्रति युवाओं का दायित्व
- डॉ. शरद सिंह
(दैनिक सागर दिनकर, 24.01.2018)
भारतीय गणतंत्र में युवाओं को अनेक अधिकार दिए गए। युवाओं की बौद्धिकता एवं समझबूझ को देखते हुए मतदान की आयु में संशोधन किया गया। यह माना गया कि आज का युवा अधिक विवेकशील और विचारवान है। वह तटस्थतापूर्वक राजनीतिक निर्णय ले सकता है। लेकिन विगत कुछ समय से युवाओं और विशेष रूप से अवयस्क युवाओं ने जिस प्रकार आपराधिक तेवर दिखाए हैं वह चौंकाने वाले हैं। आज वह समय है जब भारत समूचे विश्व की अगुवाई करने की स्थिति में आता जा रहा है। ऐसी स्थिति में युवाओं का भी दायित्व बनता है कि वे अपने देश की छवि और विकास के प्रति स्वयं को पूरी लगन और निष्ठा से प्रस्तुत करें। 

Gantantra Ke Prati Yuvaon Ka Dayitwa - Charcha Plus Column of Dr Sharad Singh in Sagar Dinkar Dainik
 गणतंत्र का आशय है वह तंत्र जनता द्वारा निर्धारित एवं शासित हो। बहुत ही सुंदर संकल्पना। यह हम भारतीयों का सौभाग्य है कि हम विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र के नागरिक हैं। इस गणतांत्रिक व्यवस्था को आकार में आए अब छः दशक से अधिक का समय हो चुका है। सन् 1950 में गणतंत्र की स्थापना के बाद हमने गणतांत्रिक मूल्यों में विश्वास किया है और उसी में जीवनयापन किया है। 69 वां गणतंत्र दिवस ... लगभग 68-69 वर्ष का समय कोई संक्षिप्त समय नहीं होता। इस बीच वैश्विक पटल पर पूंजीवाद ने पांव पसारे और साम्यवाद सिमटता चला गया। चीन एक विशेष शक्ति बन कर उभरा और कई अरब देश आतंकी संगठनों के निशाना बने। किन्तु भारतीय गणतंत्र अडिग बना रहा। इसका सबसे बड़ा कारण इसका संवैधानिक लचीलापन है। गणतंत्र का यह भी अर्थ है कि देश के नागरिकों के पास वह सर्वोच्च शक्ति होती है जिसके द्वारा वे देश के नेतृत्व के लिये राजनीतिक नेता के रुप में अपने प्रतिनिधि चुन सकते हैं। ये चुने हुए मुखिया वंशानुगत आधार पर नहीं होते हैं। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वहीं चुने हुए मुखिया का दायित्व होता है कि वह जनता के दुख-सुख का ध्यान रखते हुए देश के विकास के लिए काम करे। दुख है कि कुछ ऐसे अवसर भी आए हैं जब नागरिकों को चाहे स्थानीय स्तर पर, राज्य स्तर पर या फिर राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व चुनने के बाद ठगा-सा महसूस करना पड़ा। लेकिन जल्दी ही जनता ने अपनी भूल को सुधारते हुए सत्ता परिवर्तन का शंखनाद कर के जता दिया कि भारतीय गणतंत्र को किसी भी प्रकार की तानाशाही में नहीं बदला जा सकता है। और यह संभव हो सका तत्कालीन बुजुर्ग नेतृत्वकर्ताओं के साथ खड़ी होने वाली युवाशक्ति के कारण। जब कभी ऐसा लगने लगता है कि फलां धारा समसामयिक मूल्यों पर खरी नहीं उतर रही है तो उसमें बेझिझक आवश्यक संशोधन कर लिए जाते हैं। भारतीय गणतंत्र में युवाओं को भी अनेक अधिकार दिए गए। युवाओं की बौद्धिकता एवं समझबूझ को देखते हुए मतदान की आयु में संशोधन किया गया। यह माना गया कि आज का युवा अधिक विवेकशील और विचारवान है। वह तटस्थतापूर्वक राजनीतिक निर्णय ले सकता है। लेकिन विगत कुछ समय से युवाओं और विशेष रूप से अवयस्क युवाओं ने जिस प्रकार आपराधिक तेवर दिखाए हैं वह चौंकाने वाले हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकाड़ें विगत कुछ वर्षों से निरंतर चकित रहे हैं। यदि वर्ष 2013 के आंकड़ों पर दृष्टि डालें तो वर्ष 2013 में गिरफ्तार किए गए अवयस्क अपराधियों में कुल 35244 अवयस्क अपराधी ऐसे थे जो अपने अभिभावकों के साथ ही रहते हुए अपराध में लिप्त थे। प्राप्त आकड़ों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 16-18 आयु वर्ग के नाबालिगों की संख्या साल 2003 से 2013 तक बीच बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई थी। अवयस्कों द्वारा किए जा रहे संगीन अपराधों में निरंतर वृद्धि को देखते हुए जनवरी 2018 में हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था दिल्ली पुलिस नाबालिगों के किए गए अपराध का भी डोजियर बनाए। ये डोजियर 16 से 18 साल के उन नाबालिगों का बनेगा जो संगीन अपराध करते हैं। माह जनवरी 2018 में दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें खुलासा किया गया था कि दिल्ली में हुए अपराधों में वर्ष 2016 में नाबालिगों द्वारा 18 फीसदी अपराध किए गए, इनमें हत्या और रेप जैसी संगीन वारदातें भी शामिल हैं। इसके अलावा 27 प्रतिशत चोरी और लूट के मामलों में भी नाबालिगों की भूमिका पाई गई। पुलिस के मुताबिक अपराध करने वालों में 16 से 18 वर्ष की आयु के नाबालिग ज्यादा हैं। ये रिपेर्ट हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली में हुए मर्डर के साथ पेश की। इस मर्डर में तीन नाबालिगों ने एक राहगीर से 600 रुपए लूटे थे और जब उसने इसका विरोध किया था तो उन लोगों ने उसकी निर्ममता से हत्या कर दी थी। इस मामले में तीनों नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा गया था। पुलिस ने दलील दी थी कि तीनों नाबालिग की उम्र 18 साल में महज तीन से पांच महीने का अंतर था। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि कानून को नहीं बदला जा सकता, लेकिन ये जरूर किया जा सकता है कि इनके डोजियर को बनाया जाए, ताकि भविष्य में जब ये लोग इस तरह के अपराधों को करें तो इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। इससे पूर्व सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय की रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट पेश कर चुका है, जिसके तहत 17 साल से अधिक के नाबालिग जो संगीन अपराध करते हैं उन्हें भी आम बदमाशों की श्रेणी में रखा जाए। इस पर जुलाई, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि जब नाबालिग अपराध करने में नहीं कतराते और उनके उम्र को हथियार बनाकर क्राइम को पेशा बना लिया है तो ऐसे में इन लोगों के खिलाफ सख़्त कानून बनाना चाहिए।
राजधानी दिल्ली में 16 दिसम्बर, 2012 को निर्भया के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की घटना में एक नाबालिग भी लिप्त था। उस समय नाबालिगों के खिलाफ सख्त कानून बनाने की देश भर में पुरजोर मांग की गई थी। इस घटना को दो साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013 में नाबालिगों द्वारा छेड़छाड़ और बलात्कार के मामलों में 132 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। विगत एक-दो माह में जो घटनाएं सामने आई हैं वह और अधिक चिन्ता में डालने वाली हैं। गुरुग्राम के एक नामी स्कूल के एक लड़के ने स्कूल के एक बच्चे की हत्या केवल इसलिए कर दी, ताकि कुछ दिनों के लिए परीक्षा टल जाए, नोएडा में तो एक लड़के ने अपनी मां और बहन को इसलिए मार डाला, क्योंकि वे उसे डांटते थे तथा एक नाबालिग छात्र ने गुस्से में आ कर अपनी स्कूल शिक्षिका पर गोलियां बरसा दीं। ये घटनाएं भारतीय गणतंत्र के लिए चुनौती के समान हैं। यह भारतीय संस्कृति का भी चेहरा नहीं है। नवीन कुमार जग्गी, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय एवं अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष, बालकन जी बार इंटरनेशनल का मानना है कि ‘‘गंभीर अपराध करने पर नाबालिग को छोड़ा नहीं जाना चाहिए क्योंकि बार-बार अपराध करने वालों के सुधरने की संभावना नहीं रहती है। आयुसीमा का लाभ उठाकर नाबालिग अपराध करते हैं जिसका नुकसान समाज को उठाना पड़ता है। मेरा मानना है कि नाबालिग को अपराध के अनुपात में दंड मिलना चाहिए।’’
जिस तरह युवाओं में बढ़ती अपराध की प्रवृत्ति एक सच है, उसी तरह यह भी सच है कि कोई भी युवा जन्म ये अपराधी नहीं होता है। वातावरण उसे अपराध की ओर धकेल देता है। यदि आज युवा गंभीर अपराध में लिप्त दिखाई दे रहे हैं तो कहीं न कहीं दोष उस वातावरण का है जो ग्लोबलाईजेशन और इन्टरनेट के माध्यम से भ्रमित कर रहा है। वैसे इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता है कि जिस तरह युवाओं में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ती दिखाई दे रही है वहीं दूसरी ओर आत्मविश्वास से भरी-पूरी युवा खेप भी नज़र आती है। आत्मविश्वास से भरा युवा वर्ग अपने कैरियर के प्रति जागरूक रहता है। वह अपने भविष्य का फैसला खुद करके स्वयं को सक्षम साबित करने के लिए तत्पर रहता है। आज का युवा मेहनत से नहीं घबराता है। वह सरकारी नौकरियों के बंधे-बंधाएं वेतन की बजाय पे पैकेज को बेहतर मानता है। लेकिन यहां चिन्ता का विषय यह है कि पैकेज़ब्रांड युवा वर्ग ‘‘हाई लाईफ-हाई लिविंग’’ के उसूलों पर चलते हुए विदेशों की ओर मुंह कर के खड़ा रहता है। उनके माता-पिता भी गर्व करते हैं यदि उनकी आंखों का तारा अपना देश छोड़ कर उनसे सात समुन्दर पार चला जाता है। जिस आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और दृढ़निश्चयी युवा शक्ति की देश के गणतंत्र को आवश्यकता है वे देश से पलायन के सपने बुनते रहते हैं।
आज वह समय है जब भारत समूचे विश्व की अगुवाई करने की स्थिति में आता जा रहा है। ऐसी स्थिति में युवाओं का भी दायित्व बनता है कि वे अपने देश की छवि और विकास के प्रति स्वयं को पूरी लगन और निष्ठा से प्रस्तुत करें। इसके लिए युवाओं के माता-पिता को भी अपने दिवास्वप्नों से बाहर निकलना होगा, इससे उनकी संतानें उनके पास रहते हुए देश के विकास में भागीदार बन सकेंगी और उनका वृद्धावस्था का अकेलापन भी दूर कर सकेंगी। उन युवाओं को भी समझना होगा जो अपराध के प्रति आकर्षित होते हैं कि वे अपराध कर के बच तो पाएंगे नहीं, वरन् अपना और अपने परिवार का जीवन भी बरबाद कर बैठेंगे। वस्तुतः प्रत्येक युवा को यह समझना चाहिए कि गणतंत्र वह संवैधानिक वातावरण है जो उन्हें अवांछित अथवा अवैधानिक बिना दबाव के जीने और बहुमुखी विकास करने के अवसर देता है।
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Dr (Miss) Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)

Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)
मंगलवार, 23.01.2018 को नवदुनिया प्रजा मंडल सागर के मेरे सहित सभी सदस्यों ने स्वच्छता अभियान के तहत् चलाये जा रहे जागरूकता अभियान में एक्सीलेंस गर्ल्स पीजीकॉलेज में छात्राओं से जलसंरक्षण एवं स्वच्छता विषय पर चर्चा की। तस्वीरें तथा समाचार उसी अवसर के ...
Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP), Navdunia, Sagar Edition, 24.01.2018


Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)


Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)


Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)


Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)

Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)

Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)

Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)
 
Dr Sharad Singh in Sanitaion Mission Navdunia Prajamandal Sagar, 23.01.2018 At Excellence Girls PG College Sagar (MP)

Dr (Miss) Sharad Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018
20.01.2018 को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा सागर की बैठक में आगामी समारोह की रूपरेखा पर विचार-विमर्श हुआ जिसमें मैं (डॉ. शरद सिंह) एवं मेरी दीदी डॉ वर्षा सिंह ने भी अपने विचार रखे। इस बैठक की अध्यक्षता ठाकुर रामगोपाल सिंह राजपूत दुधवारा ने की तथा मुख्य अतिथि कर्नल रामसिंह थे एवं बैठक का संयोजन एडवोकेट वीनू शमशेर जंग बहादुर राणा ने किया था।
Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr (Miss) Sharad Singh and Dr Varsha Singh in All India Kshatriya Mahasabha Sagar Meeting, 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP)

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018
शनिवार, 20.01.2018 को नवदुनिया प्रजा मंडल सागर के मेरे ( Sharad Singh ) सहित सभी सदस्यों ने स्वच्छता अभियान के तहत् शहर में चलाये जा रहे जागरूकता अभियान में नमकमंडी के व्यावसायियों तथा बाज़ार में मौजूद महिलाओं-पुरुषों से स्वच्छता बनाये रखने की अपील की। इस दौरान हमने दूकानों के सामने से स्वयं कचरा उठा कर उनसे स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध किया। तस्वीरें तथा समाचार उसी अवसर के ...
Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018 ... Navdunia, Sagar Edition, 21.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018


Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Dr. (Miss) Sharad Singh in Sanitation Mission with Navdunia Prajamandal Sagar (MP) .... 20.01.2018

Sunday, January 21, 2018

‘नवदुनिया प्रजामंडल’ की बैठक में डॉ शरद सिंह

Navdunia, Sagar Edition,  20.01.2018
19.01.2018 को ‘नवदुनिया प्रजामंडल’ के मेरे सहित उपस्थित सभी सदस्यों ने एक बैठक कर के  कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं तय कीं, उन्हें आज 20.01.2018 को दैनिक ‘नवदुनिया’ ने प्रमुखता से स्थान दिया जिसके लिए दैनिक ‘नवदुनिया’ को हार्दिक धन्यवाद !
Navdunia, Sagar Edition,  20.01.2018

Navdunia, Sagar Edition, 20.01.2018