आदरणीय डॉ.साहिब, मै आपका पूर्ण सम्मान करता हूँ पर आपके कथन से थोडा मै असहमत हूँ .पुरुष के सही माने 'आत्मा'से हैं .जिसकी स्थिति स्थूल शरीर,मन और बुद्धि से भी ऊपर है.'आत्मा' शब्द स्त्रीवाचक है .अगर जो व्याकरण में ऐसा राग और द्वेष होता तो हमारी भाषा इतनी समृद्ध न होती .फिर 'भाषा'जिसके लिए व्याकरण संरचित हुआ भी तो स्त्रीवाचक है,'पृथ्वी'जो हम सबको आश्रय देती है भी स्त्रीवाचक है.वास्तव में तो स्त्री -पुरुष पूरक हैं एक दूसरे के .क्या दिल को दिमाग से अलग किया जा सकता है ?
आत्मा जब शरीर धारण कर अपनी निकटस्थ आत्मा से भी दूर होती है तो 'वह' यानि प्रथम पुरुष बनी रहती है ,जब अपनी निकटस्थ आत्मा को पहचान कर 'तुम' से मुखातिब होती है तो 'मध्यम पुरुष',और जब आत्मा खुद यानि 'मै' को भी पहचान जाती है तो 'उत्तम पुरुष'होती है.विवेचना अनेक प्रकार से की जा सकती है .
व्याकरण को समझने के लिए कुछ उदाहरण दे दिए गए तो क्या हुआ....बचपन में तो हम पढ़ते थे... कमला माला ला, लाल माला ला...साथ ही मदन बाजा बजा. इत्यादि.... मदन और कमला तो साथ ही हैं....आप चिंता ना करें....हर समझदार व्यक्ति एक स्त्री के सम्मान के बारे मेसोचता है और एक समझदार स्त्री पुरुष के बारे में भी सम्मान ही रखती है.... जो ऐसा नहें करते हैं उनको व्याकरण में उपयुक्त स्त्री या पुल्लिंग से कोइ फरक नहीं पड़ता... फिर भी आपका प्रश्न सोचनेवालों के लिए विचारणीय है.... महिला दिवस की शुभकामना.
पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ पर आपके ब्लॉग पर आकर प्रसंता हुई जितनी तारीफ़ की जाय कम है । आदरणीय राकेश जी के विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ. आप चिंता ना करें....हर समझदार व्यक्ति एक स्त्री के सम्मान के बारे मे सोचता है हमारी शुभकामनाये आपके साथ है...
सर्वप्रथम महिला - दिवस पर आपको शत - शत नमन
ReplyDeletebadalne ke liye bahut kuchh hai, jise badalna chahiye,
आदरणीय डॉ.साहिब,
ReplyDeleteमै आपका पूर्ण सम्मान करता हूँ पर आपके कथन से थोडा मै असहमत हूँ .पुरुष के सही माने 'आत्मा'से हैं .जिसकी स्थिति स्थूल शरीर,मन और बुद्धि से भी ऊपर है.'आत्मा' शब्द स्त्रीवाचक है .अगर जो व्याकरण में ऐसा राग और द्वेष होता तो हमारी भाषा इतनी समृद्ध न होती .फिर 'भाषा'जिसके लिए व्याकरण संरचित हुआ भी तो स्त्रीवाचक है,'पृथ्वी'जो हम सबको आश्रय देती है भी स्त्रीवाचक है.वास्तव में तो स्त्री -पुरुष पूरक हैं एक दूसरे के .क्या दिल को दिमाग से अलग किया जा सकता है ?
आत्मा जब शरीर धारण कर अपनी निकटस्थ आत्मा से भी दूर होती है तो 'वह' यानि प्रथम पुरुष बनी रहती है ,जब अपनी निकटस्थ आत्मा को पहचान कर 'तुम' से मुखातिब होती है तो 'मध्यम पुरुष',और जब आत्मा खुद यानि 'मै' को भी पहचान जाती है तो 'उत्तम पुरुष'होती है.विवेचना अनेक प्रकार से की जा सकती है .
ReplyDeletebina aurat ke purash kya hai ?
ReplyDeleteव्याकरण को समझने के लिए कुछ उदाहरण दे दिए गए तो क्या हुआ....बचपन में तो हम पढ़ते थे...
ReplyDeleteकमला माला ला, लाल माला ला...साथ ही मदन बाजा बजा. इत्यादि....
मदन और कमला तो साथ ही हैं....आप चिंता ना करें....हर समझदार व्यक्ति एक स्त्री के सम्मान के बारे मेसोचता है और एक समझदार स्त्री पुरुष के बारे में भी सम्मान ही रखती है....
जो ऐसा नहें करते हैं उनको व्याकरण में उपयुक्त स्त्री या पुल्लिंग से कोइ फरक नहीं पड़ता...
फिर भी आपका प्रश्न सोचनेवालों के लिए विचारणीय है....
महिला दिवस की शुभकामना.
यह एक मौलिक प्रश्न है जो इस दिवस की सर्थकता को आगे लाता है।
ReplyDeleteपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ पर आपके ब्लॉग पर आकर प्रसंता हुई जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
ReplyDeleteआदरणीय राकेश जी के विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ. आप चिंता ना करें....हर समझदार व्यक्ति एक स्त्री के सम्मान के बारे मे सोचता है
हमारी शुभकामनाये आपके साथ है...
this is awesome blog and you write good.
ReplyDeleteआदरणीया डॉ.शरद सिंह जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
आपके प्रश्न महत्वपूर्ण हैं , लेकिन राकेश जी के मत से सहमत हूं …
शब्द से अधिक भाव महत्वपूर्ण हैं …
विलंब से ही सही , स्वीकार कीजिए मेरी तरफ से भी
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
नमस्कार
ReplyDeleteआपका ह्रदय से आभारी हूँ ,
आपने मुझे प्रोत्साहित किया यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और
भी प्रगति कर पाऊं ....आपका धन्यवाद
very nice you did it here !!!
ReplyDeleteto research ur Raam..visit now ---
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राकेश कुमार जी से सहमत...
ReplyDeleteसांख्य दर्शन देखिए...
पुरुष का कारण स्पष्ट हो जाएगा...