Pages

My Editorials - Dr Sharad Singh

Monday, April 18, 2011

गर्मी, पानी और औरत

- डॉ. शरद सिंह

      गर्मी का मौसम आते ही पानी की किल्लत सिर चढ़कर बोलने लगती है। पानी और औरत तो मानों एक-दूसरे की पर्याय है। ग्रामीण क्षेत्र हो या महानगर की मलिन बस्तियां, पानी भरने का काम महिलाओं के जिम्मे ही होता है। घर के लिए काम में आने वाला तमाम पानी मसलन वह चाहे नहाने या कपड़े धोने के लिए हो या फिर पीने के लिए हो, प्रबंध महिलाओं को ही करना पड़ता है। चाहे पालिका के नल पर लंबी कतार में खड़े हो कर पानी भरना हो या फिर पांच-सात किलोमीटर की दूरी पैदल तय करके अपने सिर पर पानी ढोकर लाना पड़ता हो यह जिम्मा महिलाओं का ही होता है कि वे अपने परिवार को पानी मुहैया कराएं। कच्ची उम्र से ही यह दायित्व उनके हिस्से में आ जाता है, परंपरागत ढंग से। कोमल बाहों वाली, नाजुक गर्दन वाली ग्रामीण महिलाएं तीन-तीन घड़े एक साथ अपने-अपने सिर पर रखकर कई किलोमीटरों का रास्ता तय करती हैं।

     नारीवादी आंदोलन शहरी क्षेत्रों में पानी की कितनी भी अलख जगा लें किंतु ग्रामीण औरतों की बुनियादी पीड़ाओं को दूर कर पाने का मसला अभी भी दायरे से बाहर खड़ा दिखाई देता है। वैवाहिक जीवन में स्त्री के अधिकार, राजनीतिक जीवन में स्त्री के अधिकार, आर्थिक धरातल पर स्त्री के अधिकार जैसे विषय निश्चित रूप से महत्वपूर्ण हैं किंतु उतने ही महत्वपूर्ण हैं वे विषय जो औरतों के जीवन से बुनियादी स्तर पर जुड़े हुए हैं। इनमें से एक ज्वलंत विषय है पानी की आपूर्ति का।

 जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के स्रोत कम होते हैं तथा जल स्तर गिर जाता है, उन क्षेत्रों की औरतों को कई किलोमीटर पैदल चल कर अपने परिवार के लिए पीने का पानी जुटाना पड़ता है। छोटी बालिकाओं से लेकर प्रौढ़ाओं तक को पानी ढोते देखा जा सकता है। स्कूली आयु की अनेक बालिकाएं अपनी साइकिल के कैरियर तथा हैंडल पर प्लास्टिक के कुप्पे’ (पानी भरने के लिए काम में लाए जाने वाले डिब्बे) की कई खेप जलास्रोत से अपने घर तक ढोती, पहुंचाती हैं। अवयस्क आयु मे आरंभ होने वाला यह क्रम पानी ढोने की शारीरिक क्षमता रहते तक अनवरत चलता है। गोया पेयजल जुटाना भी खालिस औरताना काम हो।

               
देश में पेयजल का संकट अनेक रूप में देखने को मिल जाता है। दिल्ली में पानी की किल्लत के चलते पानी कभी हरियाणा से मंगाया जाता है तो कभी भाखड़ा से।

 स्थिति इसी तरह बिगड़ती गई तो गर्मी, पानी और औरतों के त्रिकोण का एक कोण यानी औरत का पक्ष सबसे कमजोर पड़ जाएगा। आखिर वह अपने परिवार के लिए पेयजल कहां से जुटाएगी?


(साभार-दैनिक नई दुनिया’,03अप्रैल2011 में प्रकाशित मेरा लेख)

45 comments:

  1. आज़ादी के 64 साल बाद भी देश के कई इलाक़े पेयजल की समस्या से जूझ रहा है और हम कॉमन वेल्थ गेम्स का आयोजन कर खु़श हो लेते हैं।
    आंखें खोलती तस्वीर प्रस्तुत की है आपने।

    ReplyDelete
  2. वास्तविकता से सबको रुबरु कराया है आपने....बहुत सुंदर आलेख।

    ReplyDelete
  3. वाकई जहाँ पिने के लिए पानी भी नहीं वहां उन्नत्ति और विकास की बातें करते हैं हम.

    ReplyDelete
  4. स्थिति इसी तरह बिगड़ती गई तो गर्मी, पानी और औरतों के त्रिकोण का एक कोण यानी औरत का पक्ष सबसे कमजोर पड़ जाएगा।

    पानी की समस्या के साथ ही यह भी पानी की आपूर्ति महिलाओं के ही जिम्मे है ..गंभीर मुद्दा है

    ReplyDelete
  5. पानी अभी तो समस्या है ही,लेकिन निकट भविष्य में यह एक अति गंभीर समस्या बन जायेगा.जल स्तर दिनप्रतिदिन बहुत तेजी से गिर रहा है.अत: गंभीर जल संकट के लिए तैयार रहना होगा हम सभी को.

    ReplyDelete
  6. MAINE BHI KAI BARSHON TAK CYCLE AUR CHAAR PAHIYE KE THELE PAR PAANI LAAKAR POORTI KI HAI, MAHILAON KE SAATH - SAATH PURUSH BHI DIN MAIN MAJDOORI AUR RAAT MAIN PAANI BHARTE HAIN

    ReplyDelete
  7. पानी के साथ साथ औरतों की स्थिति पर आपकी चिंता जायज है ! विचारणीय है कि इतना सब कुछ करने के बाद भी क्या उन्हें उनके हिस्से का सम्मान मिल पाता है ?
    आभार शरद जी !

    ReplyDelete
  8. dr. singh .
    nari ki durbalata nari mahsus karne men hai .sagiyon se nari bandishon men ,kaid men rahi hai adhyatm va samajik rup dono se .purush -mansikata ko uska mukt hona sahan nahin hai. age ana hi hoga . jwalant prashn ke chintan hetu sadhuvad.

    ReplyDelete
  9. वाकई पानी के साथ महिलाओं की जद्दोजहद जीवनपर्यन्त चलती रहती है ।

    ReplyDelete
  10. ab to haryana khud pani ki tangi jhel rha hai

    rhi bat mahilaaon ki to aapki bat 100% sahi hai

    ReplyDelete
  11. बिल्कुल सही.......जीवन के लिए जल ही नहीं तो क्या विकास ....?

    ReplyDelete
  12. छोटी छोटी चीज़ों के माध्यम से आप बहुत ही सही बातें उठाती हैं....आपके गर्मी, पानी और स्त्री का त्रिकोण समाज का दृष्टिकोण बदलने में सक्षम होगा....
    काफी दिन बाद ब्लॉग से जुड़ सका....क्षमाप्रार्थना के साथ नमस्कार.

    ReplyDelete
  13. सभी के अपने-अपने काम बंटे होते हैं। कोई घर का काम करता है कोई बाहर का। कुछ जातियाँ ऐसी हैं जिनमे पानी भरने का काम मर्द ही करते हैं।

    जल स्तर का रसातल में जाना भीषण समस्या है।

    आभार

    ReplyDelete
  14. जी बिल्कुल सही। बिन पानी सब सून

    ReplyDelete
  15. वास्तविकता से सबको रुबरु कराया है आपने....बहुत सुंदर आलेख
    बहुत बहुत धन्यवाद आपका

    ReplyDelete
  16. वाकई में आज पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है...दिल्ली क्या हर जगह कमोबेश यही स्थिति है..
    मूलभूत मुद्दा है...अच्छा आलेख...

    ReplyDelete
  17. पानी की समस्या तो विकट है ही, आपने जिन शब्दों एवं चित्रों के जरिये प्रस्तुत किया, गहराई तक असर करती है.

    ReplyDelete
  18. garmiyon me paani ke haal kya kahne ?maaramari tak hone lagti hai ,saarthak lekh .

    ReplyDelete
  19. सार्थक एवं मार्मिक लेख ....

    बहुत कुछ सोचने को विवश करता है आपका लेख ..

    यह हमारा दुर्भाग्य ही है की सबको पेय जल तक मुहैया नहीं ...

    ReplyDelete
  20. बहुत सुंदर आलेख। ******बहुत कुछ सोचने को विवश करता है

    ReplyDelete
  21. .

    40 % of our brother and sisters are living below poverty line. Is it that difficult for our government to address the problems they face in their lives.

    How can we think of a nation progressing when women are living in such harsh conditions ? Situation is pathetic.

    .

    ReplyDelete
  22. वाकई दुर्दशा जनक स्थिति है आज भी सुदूर स्थानों पर ! आशा करिए की शीघ्र कुछ स्थिति संभले ! शुभकामनायें आपको !

    ReplyDelete
  23. शरद जी , आपने इस पोस्ट के माध्यम से बहुत ही गहरी समस्या की तरफ ध्यान दिलाया. सच पेय जल की किल्लत देश के कई इलाके में काफी दयनीय स्तर तक पहुँच गयी. विचारनीय पोस्ट.

    ReplyDelete
  24. ...Aaake naam ke aage jo Dr.lgaa he...aapkaa lekhan use saaf drshaa rhaa he
    kaafi analytical write up he
    achaa lgaa pr ke
    take care

    ReplyDelete
  25. बहुत अच्छा कार्य कर रहीं है आप मै गुजरात के कच्छ जिले का रहने वाला हू आज तो हमारे मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदीजी की कृपा से गाँव गाँव मै नर्मदा का पानी पिने के लिए उपलब्ध है जितनी आसानी से पानी मिले लोग उतना ही दुर्प्रयोग करते है इसका एक उदाहरण देता हूँ हमारे गाँव में किसानो को सरकार सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराती है और उन्ही किसानो के घर मै पंखे, फ्रिज, और टी. वि. के कारण खेत से जादा घर का बिल आता है. मेरे घर मै भी ऐ सी लगा है बचे कमरे में प्रवेश के साथ ही ट्यूब लाईट, पंखा टी.वि. और ऐसी के साथ साथ बाथरूम की लाईट भी चालू कर देते है. उनको पानी की बिजली की कीमत पता नहीं है क्युकी जन्म के साथ ही इनको यह सब मिल गया है. मुझे लगता है बच्चो को स्कूल मै बिजली और पानी बचाने की शिक्षा अनिवार्य रूप देनी चाहिए

    ReplyDelete
  26. samyik vishay par aapka aalekh sarthak prastuti hai .sarkar ke sath-sath samaj ko bhi sabhi pahluon par gambheerta ke sath dhyan dena hoga .bahut vicharniy post .aabhar

    ReplyDelete
  27. आप गाँव के महिलाओं का दर्द बड़ी शिद्दत से महसूस करती हैं ये भी बहुत बड़ी बात है.सार्थक लेख पढ़कर अच्छा लगा.

    ReplyDelete
  28. एक महिला ही दूसरी महिला का दर्द अच्छी तरह से समझ सकती है .
    लगता है अन्ना जैसे किसी अन्य'चाणक्य'महापुरुष को एक और आन्दोलन करना होगा,तब ही भ्रष्ट व मद में डूबी 'नन्द-वंशीय' सरकार की नींद खुलेगी .

    ReplyDelete
  29. कितनी अजीब बात है कि पिछले ६ सालों से सामान्य मानसून के बावजूद हमारी पानी की समस्या को हम सुलझा नही पा रहे । सरकार गर्मियों में क्यू नही डि सिल्टिंग करा पाती ताकि बारिश के पानी का भरपूर लाभ हो और महिलाओं के कष्ट कुछ कम ।

    ReplyDelete
  30. पानी का सारा दारोमदार मां या गृहणी पर होता है...धरती मां कि सबसे बड़ी नियामत पानी है...जो तमाम कष्ट के बाद पानी पाते हैं उन्हें ही पानी का मोल मालूम होता है...पोलिटिकल विल और सोशल प्रेशर हो तो इस समस्या से निजात मिल सकती है...नदियों का अगर एक बूँद पानी भी हम समुन्दर में जाने से बचा लें...नदियों को लिंक करके...बांध बना के...नदियों के सिल्ट को कम करके...ये ज़रूरी है अगर हम वाकई अपनी महिलाओं के कष्ट के प्रति जागरूक हैं...हम लोग ये कब समझेंगे कि बिन पानी सब सून...

    ReplyDelete
  31. इस त्रिकोण पर विमर्श स्त्री की स्तिथि पर पैनी नजर और एक उम्दा पोस्ट स्त्री के लिए सोचने पर मजबूर करती है... बहुत सार्थक पोस्ट

    ReplyDelete
  32. Badhatee huee jansankhya aur aur ghatte hue natural resources! Samasya behad gambheer hai! Bahut badhiya likhtee hain aap! Pahlee baar aayee hun aapke blog pe!

    ReplyDelete
  33. अच्छा लिखा है आपने । वाकई ज़मीनी हक़ीकत और उन समस्याओं से दूर आसमानी तरक्की की बातें आसान है ,इसलिये सब उस में ही व्यस्त रहते हैं ......

    ReplyDelete
  34. गोया पेयजल जुटाना भी खालिस औरताना काम हो।... एक सामयिक और सार्थक चर्चा जिसपर बहुत काम होना शेष है.

    ReplyDelete
  35. घर की जरूरतों में पानी का अहम् स्थान है . इसलिए नारी का इससे सीधा संबंध अपने आप बन जाता है.

    ReplyDelete
  36. डॉ शरद जी सार्थक लेख पानी की किल्लत के साथ औरत और बालिकाओं की भागीदारी उनका परिश्रम आप ने जो दिखाए वाकई काबिले तारीफ़ है कहीं कहीं बड़ी दुर्दशा है कहीं वोट की दुहाई दे नल लगे खराब पड़े फिर कौन बनाता है कहीं पानी की इतनी बर्बादी लोगों ने किया अब पक्के घर छोड़ भागना -ढेर सारे कारण -काश लोग और हमारी सरकार आँख खोले -निम्न प्रश्न आप का बड़ा प्रश्न है -

    स्थिति इसी तरह बिगड़ती गई तो गर्मी, पानी और औरतों के त्रिकोण का एक कोण यानी औरत का पक्ष सबसे कमजोर पड़ जाएगा। आखिर वह अपने परिवार के लिए पेयजल कहां से जुटाएगी?
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  37. बहुत ही सामयिक! पानी पानी हो जाने की स्थिति है! हम कब संभलेंगे?

    ReplyDelete
  38. शरद जी !इस दौर में पानी बचा ही सिर्फ औरत की आँख में है ।
    अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ,
    आँचल में है दूध और आँखों में पानी ।
    रहीम दास ने तो बहुत पहले भांप लिया था -
    रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून ,
    पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून .
    आकड़ों की बिसात पर इस देश को भरमाने वाले आर्थिक विकास का सब्ज़ बाग़ दिखाने वाले क्या खुद नहीं जानते-
    इस देश में पीने ,धोने के लिए शुद्ध जल नहीं है ।
    गुसल -खाने ,शौच घर नहीं हैं ।सिर्फ "नरेगा "और अब "मरेगा "हैं .
    जल जनित रोग ,पिलीया का जोर ,संदूषित जल की ही सौगातें हैं .और अतिसार मेरे देश में कैंसर से घातक बना हुआ है इसी जलाभाव की वजह से .
    फिर भी हम गातें हैं -
    मेरे देश में पवन चले पुरबाई ....

    ReplyDelete
  39. Burning issue... Irrespective of rural or urban areas Water Scarcity is pervasive.
    I my area every morning when water supply comes my mommy cant think about anything else but water :)

    ReplyDelete
  40. most vital issue to look at now.you gave best words with very good picturisation......tooo good ma'am.

    ReplyDelete
  41. जब तक मंत्रियों के नल बंद नहीं किये जाएंगे, बरसात के पानी का संरक्षण इस देश में शुरू नहीं होगा

    ReplyDelete
  42. achhe lekh ke liye shubhkamanaye ...
    aabhar......

    ReplyDelete
  43. I Want to use this medium in appreciating (wizardcyprushacker@gmail.com) after being ripped off my money,They helped me find out if my Girlfriend is seriously cheating on me whenever i'm busy at work... They helped hack her WHATSAPP, GMAIL and kik,Bank transfer,Bitcoin hack, facebook hack,Instagram hack, website, Email&Address hack,Paypal hack,recovery of passwords, and i got to know that she was cheating on me,in less than 24 hours he helped me out with everything,wizardcyprushacker, is trust worthy and affordable contact him on (wizardcyprushacker@gmail.com) whatsapp +1 (424) 209-7204

    ReplyDelete
  44. I lost my bitcoin to fake (blockchain) impostors on Facebook, they contacted me as blockchain official support and i fell stupidly for their mischievous act, this made them gain access into my blockchain wallet whereby 7.0938 btc was stolen from my wallet in total .I was almost in a comma and dumbfounded because this was all my savings i relied on . Then I made a research online and found a recovery expert , with the contact address- wizardcyprushacker@gmail.com WhatsApp +1 (424) 209-7204

    I wrote directly to the specialist explaining my loss. Hence, he helped me recover my bitcoin just after 2 days he helped me launch the recovery program , and the culprits were identified as well , all thanks to his expertise . I hope I have been able to help someone as well.

    ReplyDelete