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My Editorials - Dr Sharad Singh

Sunday, March 8, 2015

भारत की 10 प्रभावशाली महिलाएं

मित्रो,
‘दैनिक दक्षिण मुंबई’ के आज के अंक यानी 08 मार्च 2015 अंक में ‘महिला दिवस ’ पर मेरा लेख प्रकाशित हुआ है...."भारत की 10 प्रभावशाली महिलाएं" ...शेयर कर रही हूं आप सब से ....

Hearty Thanks "Dainik Dakshin Mumbai"......
& Happy Women's Day !!!
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(प्रकाशित लेख...Article Text....)...
                                   
                            भारत की 10 प्रभावशाली महिलाएं
                                                                            - डॉ. शरद सिंह

हमारी संवैधानिक व्यवस्था में महिलाओं को पूर्ण अधिकार प्राप्त हैं। वे राजनीतिक दल में प्रवेश कर सकती हैं, अपना राजनीतिक दल गठित कर सकती हैं और अपने उसूलों के अनुरूप राजनीतिक मानक तैयार कर सकती हैं।  इसी संवैधानिक अधिकार के कारण भारत का राजनीतिक परिदृश्य महिला शक्ति से परिपूर्ण दिखाई देता है। आज अनेक नाम ऐसे हैं जिन्हें राजनीतिक क्षेत्र में विश्वासपूर्वक लिया जा सकता है। इसी तरह आर्थिक जगत और खेल जगत में भी पिछले 20 वर्षों में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति सिद्ध की है।
पिछले 20 सालों में भारत की 10 प्रभावशाली महिलाओं को चुनना हो तो यह काम बहुत कठिन है क्यों कि विगत 20 सालों में जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में अनेक स्त्रियां प्रभावशाली ढंग से उभर कर सामने आईं हैं। फिर भी इन 10 नामों को रेखांकित किया जा सकता है-

सोनिया गांधी - सोनिया गांधी भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस की राष्ट्री य अध्ययक्ष हैं। संयुक्ता प्रगतिशील गठबंधन की अध्यइक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री का पद भी ठुकराया। फोर्ब्स् मैगजीन ने सोनिया गांधी को देश की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्टप में शामिल किया है। इटली की मूल निवासी सोनिया ने कठिन परिस्थितियों में कांग्रेस की बागडोर संभाली और उसके बाद उसे सत्ता के शिखर तक भी पहुंचाया।
मायावती - चार बार उत्तेर प्रदेश की मुख्यिमंत्री रह चुकी मायावती ने दलित राजनीति को नई दिशा और दशा प्रदान की। बहुजन समाज पार्टी की अध्यखक्ष मायावती पहली दलित महिला हुईं जो किसी प्रदेश की मुख्य्मंत्री बनीं। मायावती को उनके तेजतर्रार नेता के रूप में जाना जाता रहा है। राजनीति में आने से पहले मायावती दिल्लीव के एक स्कूाल में शिक्षिका थीं। बाद में कांशीराम के संपर्क में आने के बाद राजनीति में अपना कदम रखा।
इरोम शर्मिला - आयरन लेडी के नाम से चर्चित मणिपुर की सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मीला के अनशन को पूरे बारह साल से ज्याणदा हो गए। वह सैन्य बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को हटाने की माग को लेकर वर्ष 2000 से भूख हड़ताल कर रही हैं। शर्मीला ने दो नवंबर 2000 को इंफाल घाटी के मालोम में असम राइफल्स के साथ कथित मुठभेड़ में दस लोगों की मौत के बाद अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। वह पूर्वोत्तर के राज्यों से अफस्पा को हटाने की मांग कर रही हैं। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं जहा उन्हें उनकी नाक के जरिए जबरन भोजन दिया जाता रहा है।

चंदा कोचर - फोर्ब्स पत्रिका में दुनिया की सशक्त महिलाओं की सूची में जगह बनाने वाली चंदा का जन्म 17 नवंबर 1961 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई जयपुर से हुई। इसके बाद वे मुंबई आ गईं जहां पर जय हिन्द कालेज से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री हासिल की। सन् 1982 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने मुंबई के जमनालाल बजाज इंस्टिट्यूट आफ बिजनेस स्टडी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की। सन् 1984 में मास्टर डिग्री लेने के बाद चंदा ने आईसीआईसीआई बैंक में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में प्रवेश किया और अपने काम और अनुभव के साथ-साथ वे लगातार आगे बढ़ती गईं। उन्होंने बैंक को सफलता के नए आयामों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व में ही बैंक ने अपने रीटेल बिजनेस की शुरुआत की। बैंकिंग के क्षेत्र में अपने योगदान के कारण चंदा को कई सम्मान प्रदान किए गए जिसमें भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला ‘पद्म विभूषण’ भी शामिल है।
इंदिरा नूयी -28 अक्टूबर 1955 को मद्रास में जन्मी और इंदिरा नूयी ने1974 में मद्रास क्रिश्चियन कालेज से रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री और कलकत्ता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। भारत में अपने कैरियर की शुरुआत करके, नूई ने जॉनसन एंड जॉनसन और कपडे़ की फर्म मेट्टुर बिअर्डसेल में उत्पाद प्रबंधक के पद पर काम किया। सन् 1978 में वह येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में भर्ती हुई और सार्वजनिक और निजी प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त किया तथा 1980 में स्नातक होकर, नूई ने बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में काम किया। सन 1994 में नूई, पेप्सीको में शामिल हुईं और 2001 में उन्हें अध्यक्ष और सीओ नामित किया गया। इंदिरा नूयी के बारे में फार्च्यून पत्रिका ने लिखा था कि -‘उनके नेतृत्व में पेप्सिको कम्पनी तेज प्रगति किया है। सभी संकेत सकारात्मक मिल रहे हैं। कम्पनी का राजस्व 35.1 अरब डालर पर जा पहुंचा है। वहीं कम्पनी को कुल 6.4 अरब डालर का संचालन लाभ हुआ है। कम्पनी ने पिछले साल की तुलना में इस साल प्रति शेयर तीन डालर अधिक की कमाई की है।’
शहनाज़ हुसैन - ब्यूटी ट्रीटमेंट के बाजार में उतरने से पहले शहनाज हुसैन एक सामान्य घरेलू महिला थी। जिन्होंने तेजी से अपनी जगह बाजार में बनाई और ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिए दुनिया भर में आयुर्वेद को फैलाया। 40 साल से वह खूबसूरती की दुनिया की बड़ी हस्ती हैं। 60 से ज्यादा देशों में उनके ढाई सौ से ज्यादा उत्पाद हैं। वह भारत की बिजनेस गुरू मानी जाती हैं. और साथ ही व्यावसायिक दुनिया में गिनी चुनी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अपने दम पर खड़ी हैं। स्पष्टवादी विचार और आकर्षक रूप के लिए जानी जाने वाली शहनाज हुसैन ने अपना दबदबा फ्रेंचाइजी सिस्टम से बनाया। इस कारण उनके हर्बल उत्पाद तेजी से दुनिया में फैशन और प्रतिष्ठा का परिचायक बन गए। लगभग हर तबके की भारतीय महिलाओं को सौंदर्य प्रसाधनों की उस दुनिया में प्रवेश कराया जिसे देख पाना भी अनेक महिलाओं के लिए स्वप्न के समान था।
मैरी कॉम - महिला मुक्केबाजी में मैरी कॉम के मुक्के को भारत ही नहीं, पूरी दुनिया मान चुकी है। लंदन ओलंपिक में कास्य पदक जीतने वाली दो बच्चोंे की मां  मैरीकॉम मैरी कॉम बॉक्सिंग में पांच बार ‍विश्व विजेता का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं। बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 2009 में मैरी कॉम को भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला। मैरी कॉम आज युवतियों की आईकॉन हैं।
सानिया मिर्ज़ा - मात्र 18 वर्ष की आयु में वैश्विक स्तर पर चर्चित होने वाली इस खिलाड़ी को 2006 में 'पद्मश्री' सम्मान प्रदान किया गया। वे यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। उन्हें 2006 में अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्लूटीए का 'मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड' प्रदान किया गया था। अपने कॅरियर की शुरुआत उन्होंने 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर किया। इसके बाद उन्होंने कई अंतररार्ष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया और सफलता भी पाई। 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्ज़ा ने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2005 के अंत में उनकी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 42 हो चुकी थी जो किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सबसे ज्यादा थी। 2009 में वह भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।
साइना नेहवाल - भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी  साइना भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं हैं। लंदन ओलंपिक 2012 में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। बैडमिंटन मे ऐसा करने वाली साइना भारत की पहली खिलाङी हैं। साइना बीजींग ओलंपिक 2008 मे भी क्वार्टर फाइनल तक पहुँची थी। वह विश्व कनिष्ठ बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय हैं। साइना की वर्तमान विश्व रैंकिंग 5वीं है।
एकता कपूर - बालाजी प्रोडक्शन कंपनी की हेड एकता कपूर ने टीवी की दुनिया ही बदल दी इसीलिए उन्हें टीवी क्वीन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भारतीय टेलीविजन की प्रस्तुति के मायने ही बदल दिए। भारतीय टेलीविजन में धारावाहिकों के जरिए बाज़ार के सौ फीसदी समावेश का श्रेय भी एकता कपूर को ही है। टीवी के साथ-साथ एकता फिल्मों का निर्माण भी करती हैं। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं।
चाहे राजनीतिक क्षेत्र हो या आर्थिक क्षेत्र, चाहे सौंदर्य प्रसाधन का क्षेत्र हो या खेल का क्षेत्र लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी क्षमताओं को पूरे विश्वास के साथ साबित कर रही हैं। भारतीय महिलाएं वे सारे मिथक तोड़ती जा रही हैं जिनमें उन्हें ‘आर्थिक व्यवस्थापन’ के क्षेत्र के योग्य नहीं समझा जाता था और उनसे पारिवारिक खर्चों के बारे में भी हिदायत दी जाती थी कि वे परिवार के पुरुषों से पूछे बिना कहीं कुछ भी खर्च न करें। आज महिलाएं आर्थिक जगत की विश्वसनीय साथी बन कर उभरी हैं। महिलाओं की जागरूकता और राजनीति में उनके दबदबे की बढ़त इसी तरह जारी रही तो एक दिन महिला प्रताड़ना जैसे मामले अतीत का किस्सा बन कर रह जाएंगे।
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