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My Editorials - Dr Sharad Singh

Friday, August 24, 2018

चर्चा प्लस ... इंटरनेट गेमर्स के निशाने पर बच्चे और युवा - डॉ. शरद सिंह

 
चर्चा प्लस : इंटरनेट गेमर्स के निशाने पर बच्चे और युवा - डॉ. शरद सिंह
Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस :
इंटरनेट गेमर्स के निशाने पर बच्चे और युवा
- डॉ. शरद सिंह
कुछ अरसा पहले ‘ब्लू व्हेल’ नाम के इन्टरनेट गेम ने दुनिया भर में कई युवाओं की जान ले ली थी। दुनिया भर में अनेक देशों ने इस गेम को न केवल प्रतिबंधित किया था बल्कि इसे न खेले जाने के लिए मुहिम भी चलाई। ब्लू व्हेल के बाद आया ‘किकी चैलेंज’। किकी चैलेंज से भी अधिक घातक सिद्ध हुआ ‘मैरी पौपिंस चैलेंज’। इसी क्रम में अब आ गया है एक घातक व्हाटएप्प गेम -‘मोमो’। ऐसा लगता है मानो कुछ साईको किस्म के गेमर्स युवा जगत को आत्मघाती उन्माद की दुनिया में ले जाना चाहते हैं। यह वह संकट है जिसके प्रति युवाओं का सचेत रहना जरूरी है। 
इंटरनेट गेमर्स के निशाने पर बच्चे और युवा - डॉ. शरद सिंह ... चर्चा प्लसColumn of Dr (Miss) Sharad Singh in Sagar Dinkar News Paper
जिसने भी यह खबर सुनी वह चौंक गया। चौंकना स्वाभाविक था। आखिर 14 साल की उम्र भला कोई ऐसी उम्र होती है जिसमें फांसी लगा कर आत्महत्या करने का विचार आए और उसे अमल भी कर लिया जाए। शायद इंटरनेट की दुनिया में पहुंच कर बच्चे यह भी सीख रहे हैं कि आत्मघाती कदम कैसे उठाए जाते हैं। घटना मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की है। मोबाइल पर गेम खेल रही 14 साल की बेटी को डांट लगाना मां को भारी पड़ गया। कक्षा 9वीं में पढ़ने वाली बच्ची ने कमरा बंद करके खुद को फांसी लगा ली। घर में सबकुछ ठीकठाक चल रहा था और 14 साल की बच्ची अपनी मां के फोन पर गेम खेल रही थी। बच्ची की मां ने उसे फोन छोड़कर पढ़ाई करने को कहा तो वह अपने कमरे में चले गई। मां ने उसे आवाज लगाई तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने उसके कमरे की खिड़की खोलकर देखा तो वह स्तब्ध रह गईं। बच्ची फंदे पर लटकी हुई थी। जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यदि इस प्रश्न का उत्तर ढूंढा जाए कि यह आत्मघाती कदम उस नन्हीं बच्ची को कैसे सूझा होगा? तो उंगली इंटरनेट की ओर उठती है।
मोबाईल और इंटरनेट बच्चों और युवाओं सहज ही आकर्षित कर लेते हैं। मुझे आद है अपनी सागर से भोपाल की वह छोटी-सी यात्रा। राज्यरानी एक्सप्रेस की उस इकलौती चेयरकार में एक युवा मां अपने दो साल के बच्चे के साथ सफर कर रही थी। लगभग छब्बीस-सत्ताईस हज़ार कीमत का मोबाईल फोन उसने अपने बेटे के हाथ में दे रखा था। फोन की कीमत शायद इससे भी अधिक रही हो। उसका बेटा मोबाई के बटन दबाता जिससे की-पैड टोन बजती और वह खुश हो कर हाथ हिलाने लगता। इस फेर में कई बार उसके हाथ से फोन छूट कर गिरा। ऐसा लगता था जैसे आर्थिक रूप् से समृद्ध उस युवा मां को न तो अपने कीमती मोबाईल फोन की चिन्ता थी और न अपने बेटे पर पड़ने वाले फोन के दुष्प्रभाव की। उस नन्हें बच्चे पर फोन के रेडिएशन पर असर की परवाह थी। उसे तो मजा आ रहा था अपनी समृद्धि का प्रदर्शन करने में। मुझे विचार आया कि वह बच्चा ज़रा बड़ा होगा तब भी उसके हाथों में मोबाईल होगा। तब वह उन चीजों से रूबरू होगा जो उसे उस उम्र में देखनी भी नहीं चाहिए और उसे टोकने वाला कोई नहीं होगा। ऐसे ही बच्चे युवावस्था में पहुंचते-पहुंचते हानिकारक साईट्स और गेमर्स के हत्थे चढ़ जाते हैं।
कुछ समय पहले इन्टरनेट पर एक गेम आया था- ब्लू व्हेल। इस ब्लू व्हेल गेम की वजह से भारत समेत कई देशों में किशोरों और बच्चों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आए थे। लगभग 130 से ज्यादा जान गई थीं ब्लू व्हेल गेम के कारण। इस गेम के तहत खुद को हर रोज किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाना होता था 50वें दिन खुद की जान लेने के साथ यह गेम खत्म होती थी अब व्हाट्सअप मंच पर उपलब्ध ‘मोमो’ से भी वैसा ही खतरा पैदा होने की आशंका जताई जा रही है। ब्लू व्हेल गेम के बाद अब इस नए व्हाट्सएप गेम ‘मोमो’ ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। यह खतरनाक गेम खासतौर से किशोरों और बच्चों को अपना निशाना बनाने की कोशिश में है। विशेषज्ञों ने दुनियाभर के माता-पिता को चेताया है कि यह व्हाट्सएप गेम ब्लू व्हेल गेम की तरह घातक साबित हो सकती है। इस गेम के जरिए यूजर को हिंसक तस्वीरें भेजी जाती हैं। अगर यूजर इसे खेलने से मना करता है, तो उसे धमकाने की भी कोशिश की जाती है। इस गेम के लिए जो डरावनी तस्वीर इस्तेमाल की जा रही है, उसे जापानी कलाकार मिदोरी हायाशी ने बनाया था। हालांकि मिदोरी का इस गेम से कोई लेना-देना नहीं है। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में एक 12 साल की लड़की की संदिग्ध मौत के पीछे इसी गेम को माना जा रहा है। पुलिस का भी यह मानना है कि मोमो गेम की चुनौती के तहत बच्ची ने संभवतः आत्महत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने की भी कोशिश की थी। अर्जेंटीना में प्रशासन ने इस संबंध में लोगों को जागरूक करने की मुहिम भी शुरू कर दी है।
इससे पहले सोशल मीडिया पर ‘‘आइस बकेट’’ चैलेंज चला था जिसमें बर्फ से भरी बाल्टी को अपने सिर पर उड़ेलना था और ऐसा करते हुए अपना वीडियो अपलोड करना था। इसके बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर करने लगा किकी चैलेंज। कनेडियन हिप हॉप सुपरस्टार ड्रेक के लेटेस्ट ऐल्बम स्कॉर्पियन के हिट सॉन्ग ‘इन माय फीलिंग’ पर शुरू हुआ ‘किकी चैलेंज’ दुनियाभर में वायरल हो गया। इसमें सिलेब्रिटीज के भी शामिल हो जाने से अधिक से अधिक लोगो को इसने आकर्षित किया। आम लोग भी इस चैलेंज को पूरा करने में जुट गए। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि स्पेन, अमेरीका, मलेशिया और यूएई में लोग इस चैलेंज वीकार करने लगे और दूसरों के लिए मुसीबत खड़ी करने लगे। यहां तक कि पुलिस को एडवाइजरी तक जारी करनी पड़ी जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे कीकी चैलेंज को स्वीकार न करें यह खतरनाक हो सकता है। अमेरिकी पुलिस ने इसे सबसे खतरनाक डांस मूव बताया। वहीं फ्लोरिडा की पुलिस ने यह डांस मूव करते हुए पकड़े जाने पर 1000 डॉलर का जुर्माना लगाने का एलान किया। भारत में यूपी और दिल्ली समेत कई राज्यों में पुलिस ने चेतावनी जारी की। इस चैलेंज में कैनेडियन रैपर ड्रेक के गाने ‘इन माय फीलिंग’ पर लोग चलती गाड़ी से उतरकर डांस स्टेप करते थे। इस दौरान गाड़ी की रफ्तार बहुत धीमी होती थी। चैलेंज की खास बात है कि डांस के बाद वापस चलती गाड़ी में ही बैठना होता है।
इसी तरह का घातक चैलेंज है मैरी पौपिंस चैलेंज। इसमें किसी ऊंचाई पर चढ़ कर एक खुले छाते के सहारे नीचे कूद पड़ना होता है। इस चैलेंज में भी कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। चैलेंज वाले इन गेम्स के क्रम में अब आ धमका है ‘मोमो’ गेम। इसका प्लेटफार्म व्हाट्सएप्प होने से इसके अधिक से अधिक वायरल होने की संभावना है। भले ही भारत में एक बार में व्हाट्सएप्प मैसेज को पांच से अधिक फॉवर्ड करने पर रोक लगा दी गई है लेकिन खतरों से भरे इस गेम का खतरा सिर्फ सजगता से ही टाला जा सकता है। माता-पिता, अभिभावकों, मित्रों और शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए बच्चों और युवाओं की मोबाईल और इंटरनेट गतिविधियों पर ध्यान रखना होगा, तभी सुरक्षित रहेंगे बच्चे और युवा।
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(Sagar Dinkar, Daily, 22.08.2018)
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