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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, July 4, 2019

बुंदेलखंड में आज भी जारी है रथयात्रा की परम्परा - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ...' नवभारत ' में प्रकाशित

Dr (Miss) Sharad Singh

आज रथयात्रा पर विशेष "नवभारत" में प्रकाशित... 

बुंदेलखंड में आज भी जारी है रथयात्रा की परम्परा
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
     बुंदेलखंड में परम्परागत रूप से रथयात्रा पर्व मनाया जाता है, ठीक उसी दिन यानी प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्ल की द्वितिया को जब ओडीशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में स्थित भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलदाऊ को विशाल रथों में आसीन कर रथयात्रा निकाली जाती है। ये मूर्तियां अर्द्धनिर्मित हैं। जगन्नाथपुरी की अर्द्धनिर्मित प्रतिमाओं के संबंध में कहा जाता है कि राजा इन्द्रद्युम्न को भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन दिए और समुद्र में तैरते वृ़क्ष की शाखा से भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा सहित उनकी मूर्ति बनाए जाने का आदेश दिया। भोर होने पर राजा ने समुद्र तट पर पहुंच कर वह शाखा प्राप्त कर ली और कारीगरों को मूर्तियां गढ़ने का आदेश दिया। वह शाखा इतनी अद्भुत थी कि उस पर कोई भी कारीगर छैनी तक नहीं चला सका। अंततः स्वयं विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास पहुंचे और शर्त रखी कि मूर्ति निर्माण के दौरान न तो कोई उन्हें व्यवधान पहुंचाएगा और न ही मंदिर के पट खोलेगा। यदि ऐसा किसी ने किया तो वे मूर्तिनिर्माण कार्य उसी क्षण रोक कर वहां से चले जाएंगे। राजा ने शर्त स्वीकार कर ली। मंदिर से आरी, छैनी, हथौड़ी चलने की आवाजें आती रहीं। राजा इन्द्रद्युम्न की रानी गुंडिचा अपने को रोक नहीं पाई। वह दरवाजे के पास गई तो उसे कोई आवाज सुनाई नहीं दी। वह घबरा गई। उसे लगा वृद्ध कारीगर मर गया है। राजा को भी यही भ्रम हो गया। राजा ने कमरे का दरवाजा खोलने का आदेश दिया। जैसे ही कमरा खोला गया तो वृद्ध वहां नहीं था जबकि तीन अर्द्धनिर्मित मूर्तियां वहां मिलीं। तब से आज तक मूर्तियों के अर्द्धनिर्मित स्वरूप की ही पूजा की जाती है।

Navbharat -  Bundelkhand Me Aaj Bhi Jari Hai Ratha Yatra Ki Parampara  - Dr Sharad Singh

बुंदेलखंड के पन्ना नगर में भगवान जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा नगर में स्थित प्राचीन एवं ऐतिहासिक जगदीश स्वामी मंदिर जिसे बड़ा दिवाला मंदिर भी कहते हैं, से आरम्भ होती है। रथ यात्रा के शुभारम्भ में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी, देवी सुभद्रा और भगवान बलराम को पूजा अर्चना कर अलग-अलग रथ में विराजमान किया जाता है। इस भव्य रथयात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु राजपरिवार के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होते हैं। जगदीश स्वामी मंदिर से आरम्भ हो कर रथ यात्रा पन्ना जिले में ही स्थित जनकपुर मंदिर पहुंचती है। जहां मंदिर में भगवान का तिलक एवं आरती करके स्वागत किया जाता है और मंदिर में प्रवेश कराया जाता है। भगवान के मंदिर में प्रवेश के बाद जनकपुर में ही भण्डारा का आयोजन किया जाता है। पन्ना में भव्य रथों के साथ निकली शोभायात्रा में शामिल होने आस-पास के जिलों से भी श्रद्धालु पहुंचे। पन्ना में प्राचीन काल से मनाई जा रही जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा बुंदेलखंड का सबसे भव्य रथयात्रा समारोह है। पन्ना नगर में ऐतिहासिक रथयात्रा महोत्सव का आयोजन जगन्नाथपुरी की तर्ज पर होता है। 

छतरपुर नगर के तमराई मुहल्ला में प्राचीन भगवान जगन्नाथ स्वामी का मंदिर है। इसी मंदिर से श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा आरम्भ होती है। यहां सबसे पहले आकर्षक तरीके से सजाए गए रथ में भगवान जगन्नाथ के साथ बहन सुभद्रा और बलदाऊ की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इसके बाद पूजन, आरती और प्रसाद लगाया गया और शंखनाद के साथ रथयात्रा होती है। बैंड बाजे के साथ रथयात्रा तमराई मुहल्ला से गोवर्धन टाकीज के पास से कोतवाली रोड होते हुए महल परिसर में पहुंचती है।
रथयात्रा के अवसर पर सागर नगर में बड़ा बाजार, चमेली चौक स्थित मंदिरों एवं गोपालगंज स्थित वृंदावन बाग से भगवान जगन्नाथ की अलग-अलग रथयात्राएं निकाली जाती हैं। बड़ा बाजार स्थित श्रीरामबाग मंदिर की रथयात्रा आरम्भ होती है जो मोतीनगर, विजय टॉकीज आदि मुख्य मार्गों से होती हुए मंदिर पर समाप्त होती है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वामी विराजमान हैं। मंदिर का नाम भी पहले श्री जगन्नाथ रामबाग मंदिर था। इस अवसर पर शुद्ध घी से बने मालपुओं का भोग लगाया जाता है। बड़ा बाजार स्थित श्रीदेव अटल बिहारी मंदिर से निकलने वाली शोभायात्रा की शुरुआत वर्षों पहले महंत दयालदास महाराज ने की थी। श्रीद्वारकाधीश मंदिर में भगवान बाल स्वरूप में विराजमान हैं, इसलिए उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता है। भगवान को मंदिर में ही रथ पर बैठाकर भ्रमण कराया जाता है। इसी प्रकार राधावल्लभ मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, जगन बल्देव मंदिर चकराघाट में भी मंदिर के अंदर ही भगवान को रथ में घुमाया जाता है। बड़ा बाजार स्थित साहू समाज मंदिर से भी रथयात्रा निकाली जाती है। इसी प्रकार गेंडाजी मंदिर बड़ा बाजार, कुंजीलाल जगन्नाथ स्वामी मंदिर लक्ष्मीपुरा, बांके बिहारी मंदिर चमेली चौक से भी रथ यात्रा निकलती है।

सागर की गढाकोटा तहसील में परंपरागत तरीके से निकाली जाने वाली जगदीश स्वामी की रथ यात्रा जगदीश मंदिर पटेरिया से हर्षोल्लास के साथ निकाली जाती है जो बाजार वार्ड स्थित मालगुजार परिवार के जनकपुरी मंदिर तक पहुंचती है। इस दौरान ढोल, मंजीरा, झांझर आदि के साथ लोग भजनों के स्वर गूंजने लगते हैं। रहली में पहली यात्रा महावीर चौक स्थित जगदीश स्वामी मंदिर से निकाली जाती है और दूसरी रथ यात्रा बजरिया स्थित देवलिया मंदिर से निकलती है। वहीं रहली में गहोई वैश्य समाज द्वारा रथयात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी वर्गों एवं धर्मों के लोग शामिल होते हैं। राहतगढ़ और सिहोरा में भी रथयात्राएं सोल्लास निकाली जाती हैं।
झांसी में रथयात्रा उत्सव समिति द्वारा यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। ललितपुर में लगभग 25-26 साल पहले छोटे से तांगे पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई थी। किन्तु अब हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं। जैसा कि जगन्नाथपुरी में सोने की झाड़ू से जगन्नाथ रथयात्रा के रास्ते को साफ किया जाता है। उसी तरह ललितपुर में चांदी की झाडू से मार्ग को साफ किया जाता है।

रथयात्रा एक ऐसा पर्व है जिसे समूचा बुंदेलखंड ठीक उसी प्रकार से मानता है जैसाकि ओडीशा के पुरी में में मनाया जाता है। वैसी ही अर्द्धनिर्मित मूर्तियां, वैसे ही रथ और ठीक वैसे ही रथ को अपने हाथों से खींचने का उत्साह। बुंदेलखंड ने रथयात्रा की इस अनूठी परम्परा को बखूबी सहेज रखा है।
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( नवभारत, 04.07. 2019 )
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