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My Editorials - Dr Sharad Singh

Friday, December 27, 2019

इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में डॉ शरद सिंह का बतौर स्पीकर - पहला सत्र

Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019
इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019, 22 दिसंबर को मेरे पहले सत्र में मेरे लेखन और मेरे नए उपन्यास "शिखंडी" के बारे में मुझसे चर्चा की कवि मॉडरेटर आशुतोष जी ने... समाचार एवं छायाचित्र उसी सत्र के...
Thank you Indore Literature Festival 2019 🌹
Thank you Naidunia, Indore 🌹 


    हैलो हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 में बतौर स्पीकर मैंने भी दो सत्रों में साहित्य पर चर्चाएं की। मेरे प्रथम सत्र में साहित्यकार डाॅ आशुतोष दुबे ने मुझसे मेरे लेखन के बारे में विस्तृत चर्चा की। मेरे उपन्यासों एवं स्त्रीविमर्श लेखन के संदर्भ में उन्होंने बड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। जिनमें से एक प्रश्न था कि क्या साहित्य में फोटोग्राफिक यथार्थ होना चाहिए? मैं व्यक्तिगतरूप से यथार्थवादी लेखन की हिमायती हूं और यथार्थ मेरे साहित्य में मुखर रहता है। चूंकि यह साहित्य होता है अतः कल्पना और साहित्यिक शिल्प की सरसता तो इसमें स्वतः शामिल हो जाती है। इसी तारतम्य में डाॅ आशुतोष दुबे ने एक और मुद्दा उठाया कि हिन्दी में अकसर समीक्षकों द्वारा गढ़े गए फार्मेट पर खरे न उतर पाने का डर लेखक को बना रहता है जो लेखन को प्रभावित करता है। इस पर मैंने उत्तर दिया कि यह लेखक को स्वयं तय करना चाहिए कि वह अपने विषय के साथ न्याय करने के लिए और पाठकों के लिए लिख रहा है अथवा समीक्षकों के लिए। मैंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि समीक्षकों के डंडे डर के साए में कोई अच्छा साहित्य नहीं रच सकता है। लेखक में अपनी छूट लेने का हौसला होना चाहिए। चर्चा हुई मेरे उपन्यास ‘कस्बाई सिमोन’ के संदर्भ में लिव इन रिलेशन पर। इस पर मैंने वही कहा जो मेरे उपन्यास के केन्द्र में है कि लिव इन रिलेशन एक आग का दरिया है, जो तैरने का हौसला रखता हो वह तैरे, लेकिन उससे जुड़ी चैतरफा समस्याओं को ध्यान में रख कर। ऐसे संबंधों में सबसे अधिक नुकसान अगर किसी का होता है तो वह स्त्री का ही। फलां के साथ रह चुकी का टैग उसके नाम के साथ जुड़ जाता है जबकि उसका पुरुष साथी स्वतंत्र जीवन जीता है।
          इसी सत्र में डाॅ आशुतोष द्वारा मेरे नवीनतम उपन्यास ‘‘शिखण्डी ... स्त्री देह से परे’’ के बारे में प्रश्न किए। जिनका उत्तर देते हुए मैंने बताया कि मेरा यह उपन्यास महाभारत के महत्वपूर्ण पात्र शिखण्डी के जीवन पर आधारित है। अपने उपन्यास में मैंने शिखण्डी के साथ जुड़े उस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है कि वह थर्ड जेंडर था। वस्तुतः वह मूलतः एक स्त्री थी जो परिस्थितिवश पुरुष बनने को विवश हुई किन्तु आत्मा और अंतर्मन से सदैव स्त्री ही रही। यह स्त्री संघर्ष की मार्मिक गाथा है जिसे मैंने तथ्यों का गहनता से अध्ययन करने के पश्चात उपन्यास में ढाला है। मेरा यह उपन्यास पाठकों को न केवल चौंकाएगा अपितु उन्हें नए सिरे से सोचने पर भी विवश करेगा। 

Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019

Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019

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Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019

Dr (Miss) Sharad Singh Speaker of Indore Literature Festival 2019, -News Nai Dunia Indore, 23.12.2019

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