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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, April 23, 2020

विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर प्रकाशित फीचर में डॉ. शरद सिंह


Dr (Miss) Sharad Singh with her Books
विश्व पुस्तक दिवस (23 अप्रैल) पर आज नवदुनिया द्वारा सागर नगर के तीन प्रमुख साहित्यकारों से उनके जीवन में पुस्तकों के महत्व के बारे में एक फीचर प्रकाशित किया गया जिसमें मैं डॉ. शरद सिंह और मेरी दीदी डॉ. वर्षा सिंह भी शामिल हैं। 😊 पढ़िए आप भी यह रोचक फीचर-
हार्दिक धन्यवाद ‘‘नवदुनिया’’ !!!
Navdunia, Vishwa, Pustak Diwas, 23.04.2020.- Dr Sharad Singh
Dr (Miss) Sharad Singh
 पुस्तकों ने मेरे जीवन को सार्थकता दी
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह, वरिष्ठ लेखिका एवं उपन्यासकार

एक साहित्यिक परिवार की होने के कारण बचपन से साहित्यिक पुस्तकों से जुड़ाव रहा। जब छोटी थी तो पंचतंत्र और चार्ल्स डिकेंस की कहानियां पढ़ती थी। कॉलेज के दिनों में टॉलस्टॉय, गोर्की, काफ्का, शेक्सपियर, प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद की किताबें पढ़ीं। आज मैंने एक लेखिका के रूप में पचास से अधिक किताबें लिखी हैं जिनमें मेरे चार बेस्टसेलर उपन्यास भी शामिल हैं, तो इन सबके पीछे उन सैंकड़ों किताबों का योगदान है जिनको पढ़ कर मैं अपना अलग दृष्टिकोण और अपनी अलग लेखन शैली विकसित कर सकी। निकोलाई आस्त्रोवस्की की 'अग्निदीक्षा' ने जहां मुझे जीवन के संघर्षों से जूझने का हौसला दिया, वहीं शिवाजी सावंत की 'मृत्युंजय' ने पात्रों के मनोभावों को अभिव्यक्ति देने की मेरी समझ को मांजा। एक लेखिका और पाठक दोनों रूप में पुस्तकों ने मेरे जीवन को सार्थक बनाया है, उनके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकती हूं।
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