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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, July 9, 2020

अब तो विकास होना चाहिए जब सितारा बुलंदी पर हो - डॉ.(सुश्री) शरद सिंह, दैनिक जागरण में प्रकाशित

Dr (Miss) Sharad Singh

अब तो विकास होना चाहिए जब सितारा बुलंदी पर हो - डॉ.(सुश्री) #शरद_सिंह

आज #दैनिक_जागरण में प्रकाशित मेरा यह लेख ...

हार्दिक आभार "दैनिक जागरण" 🙏
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विशेष लेख :

अब तो विकास होना चाहिए जब सितारा बुलंदी पर हो 
- डॉ.(सुश्री) शरद सिंह

बुंदेलखंड के सितारे इन दिनों बुंलंदी पर हैं। शिवराज सरकार के मंत्रिमण्डल के नए विस्तार में पहली बार तीन नेताओं को एक साथ मंत्रीमंडल में स्थान दिया गया है। बुन्देलखण्ड अंचल से अब कुल चार मंत्री हो गए जिनमे भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, बृजेन्द्र प्रताप सिंह एवं पं. गोपाल भार्गव शामिल है। एक साथ तीन नेताओं को मंत्रीपद मिलना बुंदेलखंड के विकास के लिए शुभसंकेत माना जा सकता है। बशर्ते ये तीनों-चारों मंत्री अपने विधान सभा क्षेत्रों के अलावा समूचे बुंदेलखंड के विकास पर मिल कर महत्वपूर्ण कदम उठाएं।

Dainik Jagaran, Article of Dr (Miss) Sharad Singh, 09.07.2020

इनमें से विधायक गोपाल भार्गव बुंदेलखंड के ही नहीं वरन् एमपी विधानसभा के सबसे सीनियर नेता हैं और अब वरिष्ठ  मंत्री भी बन गए हैं। पंडित भार्गव को प्रदेश राजनीति का एक लम्बा अनुभव है। वे उमा भारती से लेकर शिवराज सिंह के चैथे मंत्रिमण्डल तक में शामिल रहने वाले भार्गव सागर जिले की गढाकोटा विधानसभा क्षेत्र से लगातार आठवीं दफा चुनाव जीत चुके हैं जो कि अपने आप में एक रिकाॅर्ड है। पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह को दूसरी दफा मंत्री बनने का मौका मिला है। सीएम शिवराज सिंह के सबसे करीबियों में से एक भूपेंद्र सिंह छह बार चुनाव लड़े है। चार बार जीते है। वे एक कद्दावर नेता के रूप में प्रदेश राजनीति में अपनी साख स्थापित कर चुके हैं। ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह पन्ना से चुनाव से चुनाव जीत कर आए हैं और एक कर्मठ नेता के रूप में उनकी छवि है। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने वाले सुरखी विधान सभा क्षेत्र के चिरपरिचित नेता गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने से उनका वह पक्ष मजबूत हो गया है जिसमें यह माना जा रहा था कि भाजपा खेमें के कुछ लोग उनसे नाखुश हैं। यद्यपि अभी गोविंद सिंह राजपूत को उपचुनाव का सामना करना है लेकिन मंत्रीपद मिल जाने से उनकी साख में जो वृद्धि हुई है वह चुनाव परिणाम उनकी झोली में आसानी से डाल सकती है। यूं भी गोविंद सिंह राजपूत की अपने सुरखी विधान सभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है और वे इलेक्ट्राॅनि माध्यमों द्वारा भी अपने क्षेत्र की जनता से संपर्क बनाए रखते हैं।
इतिहास गवाह है कि जब भी कोई मंत्रीमंडल बनता है अथवा मंत्रीमंडल का विस्तार किया जाता है तो कहीं खुशी, कहीं ग़म का माहौल बन ही जाता है। मध्यप्रदेश विधान में बुंदेलखंड के तीन नेताओं को एक साथ मंत्रीपद मिलने से जहां खुशी की लहर दौड़ गई वहीं नाराज़गी भी उभर कर सामने आई। सागर नगर विधान सभा क्षेत्र के विधायक जो भाजपा को लगातार विजयी बनाते आ रहे हैं, मंत्रीमंडल के इस विस्तार में वंचित रह गए। जिससे उनके समर्थकों में निराशा की लहर दौड़ गई। निराश समर्थकों ने विधायक शेलेन्द्र जैन को मंत्री बनाने की मांग को ले कर ने जल सत्याग्रह करके विरोध जताया। मगर एक कुशल राजनीतिज्ञ की भांति विधायक शैलेन्द्र जैन ने अपने समर्थकों के विरोध को शांत करने के लिए बाकायदा एक सार्वजनिक अपील की। उल्लेखनीय है कि पिछली विधान सभा चुनावों के पूर्व टिकटों की घोषणा नहीं होने पर भी शैलेन्द्र जैन जनसंपर्क में जुटे रहे थे जबकि उस समय यह सुनिश्चित नहीं था कि टिकट उन्हें मिलेगा भी या नहीं। उनकी यही खूबी उन्हें एक लोकप्रिय नेता बनाती है और इसका दूसरा पक्ष यह भी कि ऐसे समर्पित नेता को मंत्रीमंडल में लिए जाने का कयास जोर पर था।
नरयावली विधान सभा के विधायक प्रदीप लारिया भी मंत्रीपद से वंचित रह गए। लेकिन उन्होंने भी अनुशासन का परिचय दिया। अर्थात् जब माहौल शांत हो और मिलजुल कर काम करने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही हो तो यह आशा की जा सकती है कि अब समूचे बुंदेलखंड नहीं तो कम से कम सागर संभाग के पांचों जिलों बुनियादी समस्याएं दूर हो सकेंगी। बुंदेलखंड के अनेक अंचल ऐसे हैं जो आज भी रेल सुविधा की बाट जोह रहे हैं। जिन्हें रेल मार्ग मिल गया है उन्हें गिनती की रेलें मिली हैं।

शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, परिवहन और स्वच्छता में पिछड़े हुए इन पांचों जिलों को विकास करने का समुचित अवसर मिल सकेगा। रोजगार के संदर्भ में युवाओं द्वारा कई बार मांग उठाई जा चुकी है कि बुंदेलखंड में आईटी सेक्टर की स्थापना की जाए ताकि युवाओं को अच्छे रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में न भटकना पड़े। किन्तु बात वहीं आवागमन के साधनों की कमी पर आ कर अटकती है। कोई भी मल्टीनेशनल कंपनी आईटी सेक्टर मंे तभी निवेश करने का मन बनाएगी जब विदेशों से आने वाले उनके प्रतिनिधियों को आवागमन की बेहतर सुविधाएं सुलभ होंगी। समूचे बुंदेलखंड में एकमात्र खजुराहो ही ऐसा हवाई अड्डा है जहां से यात्री उड़ाने भरी जाती हैं किन्तु वह भी गिनती की हैं और वहां से सभी महत्वपूर्ण शहरों के लिए उड़ानों की कमी है। इस स्थिति में जरूरी हो जाता है कि ऐसे हवाई अड्डे स्थापित किए जाएं जहां सस्ती उड़ान सेवाएं सुलभ हो सकें और बुंदेलखंड के निवासी देश के अन्य क्षेत्रों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ सकें। बुंदेलखंड में चिकित्सा साधनों की भी कमी यथावत बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र एवं गरीब तबका आज भी नीम हकीमों के हाथों अपनी जान का खतरा उठाता रहता है। विकास की दर कछुआ चाल से ही चलती रही है। इस प्रकार की अनेक छोटी-बड़ी समस्याएं हैं जो क्षेत्र के विकास में बाधा बनती रहती हैं। इन बाधाओं को दूर करने का सुनहरा अवसर आ गया है जब क्षेत्र के चारों मंत्री मिल कर संभाग का नया उज्ज्वल भविष्य लिख सकते हैं।

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(दैनिक जागरण में 09.07.2020 को प्रकाशित)
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