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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, July 22, 2021

चर्चा प्लस | बुंदेलखंड तक आ पहुंची पेगासस की आंच | डाॅ शरद सिंह

चर्चा प्लस            

बुंदेलखंड तक आ पहुंची पेगासस की आंच
- डाॅ शरद सिंह
बुंदेलखंड का क्षेत्र आमतौर पर राजनीतिक दृष्टि से शांत क्षेत्र है। यहां कोई बड़ी राजनीतिक हलचल कभी नहीं हुई। शायद पहली बार बुंदेलखंड किसी राजनीतिक मुद्दे पर दुनिया के नक्शे पर आ गया है। पेगासिस लिस्ट में बुंदेलखंड के एक राजनेता का नाम आना चौंकाने  वाला है। पेगासस यानी हैकिंग की दुनिया का वो ‘‘सफे़द घोड़ा’’ जो डेटा सुरक्षा की हर दीवार लांघ सकता है। सच-झूठ का पता तो बाद में चलेगा लेकिन फ़िलहाल इस मुद्दे ने बुंदेलखंड में एक गर्म लहर दौड़ा दी है।


केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का नाम भी पेगासस की नई लिस्ट में पाए जाने से बुंदेलखंड में राजनीतिक गरमागर्मी शुरू हो गई है। प्रहलाद सिंह पटेल मध्य प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। वाजपेयी प्रशासन में एक पूर्व कोयला मंत्री, प्रहलाद सिंह पहली बार 1989 में 9 वीं लोकसभा के लिए चुने गए और फिर 1996 में 11 वीं लोकसभा (दूसरा कार्यकाल), 1999 में 13 वीं लोकसभा (तीसरा कार्यकाल), 16 वीं लोकसभा 2014 में (चैथा कार्यकाल) के लिए चुने गए। वे वर्तमान में मध्य प्रदेश में दमोह लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय संसद के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। वे कटनी जिले में नर्मदाखंड सेवा संस्थान, तहसील बहोरीबंद के संस्थापक हैं। वे नियमित रूप से विभिन्न रक्तदान और नेत्र दान शिविरों का संचालन करते हैं और गरीब बच्चों और व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रमों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न वर्गों का संचालन भी करते हैं। लेकिन मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले प्रहलाद सिंह पटेल का नाम पेगासस की लिस्ट में पाया गया। क्या उनकी भी जासूसी की जा रही थी? यदि हां, तो कौन कर रहा था यह?
इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए जाने का मामला अब गंभीर हो चला है। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले ही इस जासूसी कांड का खुलासा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों के फोन टैप किए गए उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई पत्रकार भी शामिल हैं। यद्यपि, सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है और रिपोर्ट जारी होने की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि इजराइल स्थित कंपनी एनएसओ ग्रुप के सैन्य दर्जे के मालवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक असंतुष्टों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है।
पत्रकारिता संबंधी पेरिस स्थित गैर-लाभकारी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज एवं मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल की गई और 16 समाचार संगठनों के साथ साझा की गई 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से पत्रकारों ने 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना। वैश्विक मीडिया संघ के सदस्य श्द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, जिन लोगों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया, उनमें 189 पत्रकार, 600 से अधिक नेता एवं सरकारी अधिकारी, कम से कम 65 व्यावसायिक अधिकारी, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। ये पत्रकार द एसोसिएटेड प्रेस (एपी), रॉयटर, सीएनएन, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, ले मोंदे और द फाइनेंशियल टाइम्स जैसे संगठनों के लिए काम करते हैं। एनएसओ ग्रुप के स्पाइवेयर को मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और मैक्सिको में लक्षित निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने के आरोप हैं। सऊदी अरब को एनएसओ के ग्राहकों में से एक बताया जाता है। इसके अलावा सूची में फ्रांस, हंगरी, भारत, अजरबैजान, कजाकिस्तान और पाकिस्तान सहित कई देशों के फोन हैं। इस सूची में मैक्सिको के सर्वाधिक फोन नंबर हैं। इसमें मैक्सिको के 15,000 नंबर हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के मंत्रियों अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिए हैकिंग के लिए सूचीबद्ध किया गया था। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने सोमवार को यह जानकारी दी।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे तथा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर हैकरों के निशाने पर थे। गांधी और केंद्रीय मंत्रियों वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल के अलावा जिन लोगों के फोन नंबरों को निशाना बनाने के लिये सूचीबद्ध किया गया उनमें चुनाव पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर और शीर्ष वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार सूची में राजस्थान की मुख्यमंत्री रहते वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव और संजय काचरू का नाम शामिल था, जो 2014 से 2019 के दौरान केन्द्रीय मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी के पहले कार्यकाल के दौरान उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) थे। इस सूची में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अन्य जूनियर नेताओं और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया का फोन नंबर भी शामिल था।
पेगासस संबंधित फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है। पेगासस स्पाइवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं। क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस एक स्पाइवेयर है, जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज ने बनाया है। इसका दूसरा नाम क्यू-सुईट भी है।
स्पाईवेयर का अर्थ है जासूूसी करने वाला टूल। स्पाई यानी जासूस और वेयर का मतलब टूल। सरल शब्दों कहें तो स्पाईवेयर उस सॉफ्टवेयर को कहते हैं जो डिवाइसेज की हैकिंग के काम आता है। इन्हें जासूसी के काम में लाया जाता  है। पेगासस स्पाईवेयर दुनिया में अब तक किसी प्राइवेट कंपनी का बनाया सबसे ताकतवर स्पाईवेयर माना जा रहा है। एक बार ये किसी फोन डिवाइस में घुस गया तो फोन यूज़र की रह बात जैसे वह किससे बात करता है, कहां जाता है, क्या मैसेज करता है, यहां तक कि चुपके से कैमरा ऑन करके वीडियो भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। पेगासस वॉट्सऐप चैट, ईमेल्स, एसएमएस, जीपीएस, फोटो, वीडियोज, माइक्रोफोन, कैमरा, कॉल रिकॉर्डिंग, कैलेंडर, कॉन्टैक्ट बुक, इतना सब एक्सेस कर सकता है।
किसी फोन में सिर्फ मिस कॉल के जरिए इसे इंस्टॉल किया जा सकता है। इसे यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में डाला जा सकता है। एक बार फोन में पहुंच जाने के बाद इसे हटाना आसान नहीं होता। ये एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे अगर किसी स्मार्टफोन फोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। यह एक ऐसी खुफिया तकनीक है जो हर डिवाइस और सॉफ्टवेयर में सेंध लगा सकती है। चाहे एंड्रॉयड फोन हो या आई फोन, इससे कोई नहीं बच सकता है।
पेगासस नाम ग्रीस के देवता के सफेद घोड़े का है, जो अपने पंखों के सहारे किसी को भी धरती से पल भर में सातवें आसमान पर पहुंचा सकता है। अर्थात् पेगासस को कोई बाधा रोक नहीं सकती है। उसकी इसी विशेषता को ध्यान में रखते हुए इसका स्पाईवेयर का नाम पेगासस दिया गया। आज इस साफ्टवेयर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है। बहरहाल, यह तय है कि भारतीय संसद के मानसून सत्र का केन्द्रबिन्दु पेगासस ही रहेगा और बुंदेलखंड को भी इसकी आंच झुलसाती रहेगी।   
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(सागर दिनकर, 22.07.2021)
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