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My Editorials - Dr Sharad Singh

Saturday, March 26, 2022

मध्य प्रदेश इतिहास परिषद का 39 वें अधिवेशन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

" इतिहास को प्राचीन भारतीय इतिहास, मध्यकालीन भारतीय इतिहास, आधुनिक इतिहास यानी मॉडर्न हिस्ट्री के रूप में बांट दिया गया है। मैं सोचती हूं कि मॉडर्न हिस्ट्री के बाद अब क्या आएगा?" यह प्रश्न था डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर की विदुषी कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता का।
    वहां उपस्थित एक प्रोफेसर ने उत्तर दिया कि मॉडर्न के बाद पोस्ट मॉडर्न आता है। तो इस पर कुलपति महोदय ने प्रश्न किया कि "और पोस्टमाडर्न के बाद? इसे कितने साल का पीरियड मानेंगे?" 
     सभी अनुत्तरित रह गए प्रश्न वाकई साइंटिफिक था और आज के इस उद्घाटन सत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि भी। इतिहास का कालक्रम अनुसार विभाजन करने वालों को इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना होगा।
    आमंत्रित अतिथि के रुप  मैं भी उपस्थित थी और मैं भी इस प्रश्न पर चिंतन कर रही हूं। अवसर था मध्य प्रदेश इतिहास परिषद का 39 वें अधिवेशन का विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू लाइब्रेरी के सभागार में शुभारम्भ का। इसे इतिहास विभाग द्वारा आयोजित किया गया है। उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष, मध्य प्रदेश इतिहास परिषद एवं अध्यक्ष, इतिहास विभाग प्रो. बी के श्रीवास्तव का उद्बोधन आयोजन की गरिमा के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ उद्बोधन रहा किंतु इसके पूर्व विश्वविद्यालय की विदुषी कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अपने उद्बोधन में जो प्रश्न किया वह बहुत मायने रखता है। प्रो. गुप्ता एक साइंटिस्ट है और देश विदेश में अपने अनेक शोध पत्र प्रस्तुत कर चुकी हैं। एक साइंटिस्ट के रूप में उनका विशेष स्थान है। इसलिए जब उन्होंने यह प्रश्न किया तो इस प्रश्न पर विचार करना जरूरी है।
(26,03.2022)
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#डॉसुश्रीशरदसिंह

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