#विश्वहास्यदिवस ... "साहित्य के नौ रसों में से एक और जीवन की सभी रसों में सबसे महत्वपूर्ण हास्य रस। बाज़ारवाद ने हमें अनेक भौतिक सुविधाएं दी हैं किंतु हमसे हमारी हंसी छीन ली है। आज का इंसान हर समय तनावग्रस्त रहता है। ऐसे कठिन समय में साहित्य के द्वारा किसी व्यक्ति को हंसाकर प्रफुल्लित करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि जिस भारत में दुनिया को शून्य का अंक दिया उसी हमारे भारत देश में दुनिया को यह हास्य दिवस प्रदान किया है। हंसिए, हंसाइए और खुश रहिए।" विशिष्ट अतिथि के रूप में मैंने (डॉ सुश्री शरद सिंह) अपने यह विचार रखें हास्य दिवस पर आयोजित समारोह में जिसका आयोजित किया था और ऑरिकल इवेंट तथा श्यामलम संस्था ने। इस अवसर पर मैंने अपनी एक हास्य ग़़ज़ल भी पढ़ी।
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My Editorials - Dr Sharad Singh
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Monday, May 2, 2022
बाजारवाद में हमें ढेरों सुविधाएं की लेकिन हमसे हमारी हंसी छीन ली- डॉ (सुश्री) शरद सिंह, विशिष्ट अतिथि, विश्वहास्यदिवस 2022
विगत नौ वर्ष से प्रति वर्ष मनाए जा रहे इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे बीना से पधारे श्री महेश कटारे 'सुगम' जिन्होंने अपनी बेहतरीन बुंदेली ग़ज़लें और दोहे सुनाए। अध्यक्षता की श्री मणिकांत चौबे 'बेलिहाज' जी ने तथा अतिथि थे श्री शिवरतन यादव एवं डॉ अशोक तिवारी। आयोजन का आरम्भ किया श्यामलम अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्र ने हास्यमय रोचक अंदाज में। तत्पश्चात और एकल यूनियन के अध्यक्ष अधिवक्ता श्री अंकलेश्वर दुबे ने आयोजन एवं हास्य दिवस के संबंध में जानकारी देते हुए स्वागत भाषण दिया।
हास्य रस में डूबे पूरे आयोजन का कुशल संचालन किया आकाशवाणी उद्घोषक श्री अतुल श्रीवास्तव ने। श्री कपिल बैसाखिया, श्री मुकेश तिवारी, श्री रमाकांत शास्त्री, डॉ चंचला दवे, श्रीमती सुनीला सराफ, श्री शुकदेव तिवारी, डॉ नवनीत धगट, डॉ मनीष झा, श्री देवी सिंह राजपूत, श्री कुंदन पाराशर आदि नगर के साहित्यकारों ने बड़ी संख्या में उपस्थिति देकर इस आयोजन का आनंद उठाया।
Date : 01.05. 2022
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