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My Editorials - Dr Sharad Singh

Tuesday, June 21, 2022

पुस्तक समीक्षा | रहस्य, रोमांच और मनोविज्ञान से भरपूर एक रोचक उपन्यास | समीक्षक - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | आचरण


प्रस्तुत है आज 21.06.2022 को  #आचरण में प्रकाशित मेरे द्वारा की गई उपन्यासकार कार्तिकेय शास्त्री  के अंग्रेजी उपन्यास "The Night Out" की समीक्षा... आभार दैनिक "आचरण" 🙏
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पुस्तक समीक्षा
रहस्य, रोमांच और मनोविज्ञान से भरपूर एक रोचक उपन्यास
समीक्षक - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
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उपन्यास    -  द नाईट आउट
लेखक      -  कार्तिकेय शास्त्री
प्रकाशक     - नोशन प्रेस डाॅट काॅम
मूल्य        -  199/- 
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      कभी-कभी पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है लेकिन इंसान अपनी भावानाओं तथा अपनी ज़रूरतों को ठीक से समझ नहीं पाता है और कभी अचानक एक रात में ही उसे सब कुछ समझ में आ जाता है। इसे अप्रत्याशित घटना मान लिया जाए अथवा एक अरसे से चल रहे मानसिक उद्वेलन का परिणाम, जो कभी भी अपने निष्कर्ष पर पहुंच सकता था। इस प्रकार के नए कथानकों पर इन दिनों अंग्रेजी के भारतीय युवा उपन्यासकार तेजी से अपनी कलम चला रहे हैं। जी हां, इस बार समीक्षा के लिए जिस उपन्यास को मैंने चुना है, वह अंग्रेजी में लिखा गया उपन्यास है। अपने इस काॅलम में मैं हिन्दी में लिखे गए साहित्य को ही समीक्षा के लिए चुनती रही हूं लेकिन इस उपन्यास को चुनने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके लेखक सागर में जन्मे हैं और वे आज भी सागर से जुड़े हुए हैं। लेखक का नाम है कार्तिकेय शास्त्री। वे युवा हैं और वर्तमान में दुबई में रियलस्टेट ब्रोकर का काम कर रहे हैं। इस उपन्यास के प्रति मेरी दिलचस्पी इसलिए भी रही क्योंकि घर-परिवार से दूर यूनाईटेड अरब अमिरात के दुबई शहर में पैसा कमाने निकला आज का युवा जिसकी जीवनचर्या विशुद्ध भौतिकतावादी होनी चाहिए थी, साहित्य के प्रति समर्पित हो कर उपन्यासकार बन गया। यद्यपि कार्तिकेय की साहित्य के प्रति दिलचस्पी होने के कारण की झलक उनकी लिखी भूमिका (एग्नाॅलेज़मेंट) में मिलती है कि वे अपनी मां पुष्पा शास्त्री और पिता रमाकांत शास्त्री से मिले संस्कारों के प्रति अडिग हैं। साथ ही वे अपने अंकल उमाकांत मिश्र (जो सागर नगर में श्यामलम संस्था के अध्यक्ष हैं) के प्रगतिशील विचारों से अत्यंत प्रभावित हैं। अर्थात् जो संस्कार उन्होंने अपने परिवार से पाए हैं, उसके कारण उस चकाचौंध वाले देश में आजकल के युवाओं के बीच प्रचलित नाईट आउट को भी उन्होंने साहित्य की एक अनुपम कृति बना दिया। पुस्तक की भूमिका में एक और बहुत प्यारी-सी बात है कि लेखक ने अपनी ‘‘वाईफ टू बी मेघा पांडे’’ अर्थात् होने वाली पत्नी का भी आभार माना है। यह रिश्तों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) को दर्शाता है।

‘‘द नाईट आउट’’ पर मैं चर्चा करूं इससे पहले आज के युवा उपन्यासकारों के लेखन की कुछ विशेषताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना चाहूंगी। आज के युवा रचनाकारों का अनुभव संसार एकदम अलग है। वे भाषाई तौर पर अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा पाते हैं अतः जब वे साहित्य सृजन की ओर कदम बढ़ाते हैं तो स्वाभाविक रूप से उनकी पकड़ अंग्रेजी में मजबूत होने से वे सृजन के माध्यम के लिए अंग्रेजी को चुनते हैं। किन्तु भारतीय संस्कृति और संस्कार उनके मानस में इतने गहरे समाए रहते हैं कि वे अपनी तमाम आधुनिकताओं के बाद भी रिश्तों एवं संबंधों को ले कर भारतीय दृष्टिकोण रखते हैं। यद्यपि यह भी सच है कि हुक्काबार में जाना, पब में जाना या विपरीतलिंगी मित्रता में एक से अधिक मित्रों के साथ निकट संबंधों तक पहुंच कर अलग भी हो जाना, उनके लिए कोई बहुत गंभीर विषय नहीं है। ‘‘पैचअप’’ और ‘‘ब्रेकअप’’ आजकल के युवाओं के लिए एक पीढ़ी पहले की भांति प्रायः मरने-जीने का प्रश्न नहीं बनता है। लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि आज के युवाओं को जीवन का मूल्यबोध नहीं है। बल्कि वह जीवन को पूरे जोश के साथ जीना जानता है। यही सब बातें आज के युवा साहित्य में मुखर हो कर सामने आ रही हैं। इसीलिए इस प्रकार के उपन्यासों की अपनी अलग अर्थवत्ता है। ये उपन्यास उस युवा पीढ़ी की भावनाओं एवं विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ग्लोबलाईजेशन को जी रही है।

कार्तिकेय शास्त्री एक युवा लेखक हैं। ‘‘द नाइट आउट’’ उनका पहला उपन्यास है। यह रोमांस, रहस्य, मनोविज्ञान और फैंटासी से भरपूर है। जैसा कि कव्हर में दिया गया है कि ‘‘4 फ्रेंड, 6 प्लेसेस एण्ड वन नाईट’’, इसी से स्पष्ट हो जाता है कि पूरा कथानक एक रात की घटनाओं पर आधारित है। बस, यही बात जिज्ञासा जगाती है कि ऐसा क्या हुआ उस एक रात में जिसने उपन्यास के पूरे एक प्लाट को जन्म दे दिया। मुझे याद आ गया 2017 में प्रकाशित उपन्यास ‘‘द गोल्डन विंडो’’। जो अपने थ्रिलर प्लॉट के लिए बहुत लोकप्रिय हुआ था। इतना लोकप्रिय कि अगले साल यानी 2018 में, उसका किंडल संस्करण ‘‘गल्र्स नाईट आउट’’ के नाम से प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास की लेखिकाएं दो युवा अमेरिकन महिला लिज फेंटन और लिसा स्टिंक थी, उन्होंने मिल कर एक थ्रिलर लिखा था जो तीन दोस्तों की कहानी थी। ‘‘द गोल्डन विंडो’’ की कहानी से ‘‘द नाईट आउट की कहानी का कोई साम्य नहीं है लेकिन के किंडल संस्करण को ‘‘गल्र्स नाइट आउट’’ के नाम से छापा जाना इस बात का स्पष्ट द्योतक था कि युवा पीढ़ी की गतिविधियों और जीवनशैली को लेकर हर कोई उत्सुक रहता है। इसीलिए पाठकों में ‘‘द नाईट आउट’’ को ले कर यह जिज्ञासा जरूर जागेगी कि उस रात उन चार दोस्तों के साथ आखिर क्या हुआ था जब वे रात को अनियोजित तरीके से घूमने निकले।
चार दोस्तों के अनुभवों पर आधारित यह उपन्यास एक विनोदी, भावनात्मक और साहसिक यात्रा की तरह है जो पाठकों को दोस्ती, करियर के लक्ष्यों और सच्चे प्यार के पार बहुआयामी रास्तों से ले जाती है। कहानी फोन पर तीन दोस्तों की आपसी चर्चा से शुरू होती है, जब करण को अचानक ध्यान जाता है कि आज सैटरडे नाईट है। यानी अनप्लांड नाइट आउट। करण अपने मित्र आशीष से बात करता है और उसे इस बारे में याद दिलाता है। करण आशीष का घनिष्ठ मित्र है। उनमें कई बातें एक समान हैं। विशेष रूप से उनके सोचने का ढंग और उनकी किताबों की पसंद। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद आशीष अपने पारिवारिक व्यवसाय को संभालने में व्यस्त हो जाता है जबकि करण एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करने लगता है।

आशीष करण से बात करने के बाद अपने एक और दोस्त ऋषि को फोन करके सैटरडे नाइट की याद दिलाता है। ऋषि अपने एकाउंटिंग के काम से स्वयं को त्रस्त महसूस कर रहा था। सैटरडे नाइट की बात सुनकर वह भी राहत की सांस लेता है। लेकिन वह तत्काल अपनी सहमति व्यक्त नहीं कर पाता है। वस्तुतः ऋषि अलग स्वभाव का है। वह हर चीज को व्यवस्थित ढंग से प्लान करके करना पसंद करता है। अपने काम की व्यस्तता से झल्लाया हुआ ऋषि आखिरकार आशीष को फोन करता है और अपनी सहमति व्यक्त कर देता है। अंश, आशीष और ऋषि का स्कूल के जमाने से परस्पर मित्र हंै। अंश कद-काठी में अपने मित्रों से अलग है। उसे डबल पावर का चश्मा भी लगता है।  लेकिन इससे उनकी मित्रता में कोई फर्क नहीं पड़ता। वे सभी अच्छे मित्र हैं।

सभी मित्र एक कार में सवार होकर निकल पड़ते हैं। वे एक हुक्का बार वे पहुंचते हैं जहां उन्हें अपनी दो गर्लफ्रेंड अवनी और गार्वी मिलती हैं। गार्वी का ताजा ब्रेकअप हुआ था जिससे वह अपसेट थी। हुक्का बार से दोनों लड़कियों को साथ लेकर उन्हें उनके घर पहुंच जाते हैं और फिर वे चारों दोस्त आउटिंग करते हुए कुछ देर के लिए एक बेंच पर जा कर बैठते हैं और आपस में चर्चा करने लगते हैं।  अंश लड़कियों को लेकर दोनों दोस्तों से अलग विचार रखता है। वह स्वीकार करता है कि जब से उसका अपनी गर्लफ्रेंड रूमी से ब्रेकअप हुआ तब से लड़कियों के प्रति उसका नज़रिया बदल गया है। रूमी से अलग होने के बाद वह किसी एक लड़की के साथ गंभीर रिश्ता नहीं बना पाया। वह बताता है कि आज रात अभी गार्वी को उसके घर छोड़ते समय गार्वी ने उसके निकट आने की कोशिश की थी । मगर अंश ने उससे फिर कभी मिलने की बात कह कर विदा ले ली थी। 

चारों दोस्त वहां से चलकर, रात भर खुले रहने वाले एक कैफे में पहुंचते हैं। फिर एक बार उनके बीच चर्चाओं का दौर चलता है। करण अपनी गर्लफ्रेंड वानी के साथ  2 साल से रिलेशन में था । लेकिन वानी करण से बहुत दूर रहती थी जिसके कारण वे महीने में एक-दो बार ही मिल पाते थे। वही ऋषि की भी अपनी एक गर्लफ्रेंड है जो स्कूल के समय से ही ऋषि के प्रेम में डूबी हुई है। जिसका नाम है मोनिका। लेकिन ऋषि और मोनिका के बीच ब्रेकअप हो जाता है जिस पर मोनिका बहुत रोती है और तब करण उसे समझा कर शांत करता है। कैफे में कुछ देर आपस में बहस करने के बाद वे फिर एक बार खुली सड़क पर ड्राइविंग के लिए निकल पड़ते हैं। अपनी दफ्तर की जिंदगी में एक जगह बैठे रहने से उकताए हुए दोस्त नाईट आउट में एक जगह पर अधिक देर नहीं बैठे रहना चाहते हैं।
रात्रि समाप्त होते-होते वे फार्म हाउस से होते हुए पहाड़ की चोटी पर पहुंचते हैं। वहां वे परस्पर बातें करते हैं, बहस करते हैं और आपस में एक दूसरे को और अधिक परस्पर जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। अंत में अंश को अवनी की भावनाओं का एहसास होता है और उपन्यास अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है। बीच में कई ऐसी चर्चाएं हैं जो सस्पेंस जगाती हैं और रहस्योद्घाटन भी करती हैं, जिन्हें पढ़ने का अपना एक अलग ही आनंद है। यह उपन्यास बेहद रोचक है और एक ही बैठक में पढ़े जाने को विवश करता है।

उपन्यास 9 चैप्टर में विभक्त है- द मीटअप, द प्लान, द कैफे, द लांग रोड, द रेस्टोरेंट्स ऑन द हाईवे, द पैलेस, द फार्म हाउस, द हिल तथा द फेयरवेल।  यह बेहद सरल शब्दों में लिखा गया है किंतु इसमें दृश्यात्मकता की कोई कमी नहीं है। जैसे मध्यरात्रि का वर्णन करते हुए लेखक ने लिखा है-‘‘इट वाज गेटिंग क्लोज टू मिड नाइट एंड द सिटी वास शटिंग डाउन। दिस वाज द टाइम फॉर नाइट आऊल्स....।’’

लेखक की मनोवैज्ञानिक पकड़ भी जबरदस्त है। अकेलेपन के बारे में बहुत गहराई से लिखा गया है- ‘‘लोनलीनेस इज फार मोर डेंजरस देन गेटिंग प्वाइजंड। इटमैक्स यू एनाक्सियस, इट मैक्स यू वांट टू एस्केप, ए मैन कैन सरवाइव ऑलमोस्ट एनीथिंग - एंड टेक ए ब्रेक अप, द लॉस ऑफ ए लव्ड वन,  बट नॉट लोनलीनेस। इट किल्स स्लोली एंड देयर इज नो इंस्टेंट रिमेडी।’’

युवा मनःस्थिति को जानने-समझने की दृष्टि से यह उपन्यास बहुत महत्वपूर्ण है। यह किसी भी दृष्टि से ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि किसी लेखक की पहली कृति है। पूरे उपन्यास में लेखन शैली, भाषा और कथानक की दृष्टि से पूरी गंभीरता का आभास होता है। कार्तिकेय शास्त्री का यह पहला उपन्यास उनके उज्ज्वल लेखकीय भविष्य के प्रति आश्वस्त करता है। सरल अंग्रेजी में लिखे गए इस उपन्यास को एक बार अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।
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