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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, August 25, 2022

बतकाव बिन्ना की | चाए ‘बुंदेली बम्प’ बने, चाए ‘दाऊ सिंह डड्डा’ बने | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | प्रवीण प्रभात


 "चाए ‘बुंदेली बम्प’ बने, चाए ‘दाऊ सिंह डड्डा’ बने"  मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम-लेख "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात (छतरपुर) में।
🌷हार्दिक धन्यवाद "प्रवीण प्रभात" 🙏
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बतकाव बिन्ना की        
चाए ‘बुंदेली बम्प’ बने, चाए ‘दाऊ सिंह डड्डा’ बने                                 
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
         '‘काए भैयाजी अपने इते बुंदेली में फिलम काए नई बन रईं? पैलऊं सो बनत्ती, पर अब सो एकऊ सुनाई नई परत। ऐसो काए?’’ मैंने भैया जी से पूछी।
‘‘हऔ बात तो ठीक कै रईं बिन्ना! मोए भी याद नई आ रई के कोनऊं फिलम बुंदेली की अभईं पिछले दिनां बनी होय। बाकी अपने सागर जिला में वा फिलम जरूर बनी, का नांव ऊको...।’’ भैया जी अपनो मूंड़ खुजाउन लगे।
‘‘फैमली फस्र्ट !’’
‘‘हऔ, बोई!
‘‘आपने देखी?’’
‘‘नई! बा तो टाॅकीज वाली नई हती।’’
‘‘हऔ! ओटीटी प्लेटफार्म एमएक्स प्लेयर पे रिलीज भई रई। औ बा अपनी बुंदेली में बी ने हती।’’ मैंने कही।
‘‘तुमने देखी?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘नई! मोरी टीवी पुरानी वाली आए सो ऊमें ओटीटी दिखात नइयां औ मोबाईल पे फिलम देखबे में कछु मजो सो नईं आत आए।’’ मैंने भैयाजी खों साफ-साफ बता दई।
‘‘जेई सो हमाई दसा आए। तुमाई भौजी कहूं से सुन आईं के नई वारी टीवी पे, वोई जीमें ओटीटी चैनल दिखात आएं ऊमें अच्छी फिलमें औ सीरियल आउत रैत आएं, सो बे हमाएं पीछे पड़ गईं के हमें तो नई वारी टीवी लान देओ। फेर हमने तुमाई भौजी खों मोबाईल पे नई वारी टीवी के रेट दिखा दए। रेट देखतई साथ बे तो आड़ी हो गईं। कैन लगीं के मोए नई चाउने जे नई-मई टीवी। हमाई पुरानी साजी। पइसन के मामले में तो तुमाई भौजी कभऊं-कभऊं दिमाग से काम ले लेत आएं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जब घर चलाने होय सो दिमाग से काम लेनई परत आए।’’ मैंने सोई हामी भरी।
‘‘बाकी ई तरफी जे जो फिलमें टाॅकीज में आईं, बे सो सबरी फ्लाॅप हो गईं। लला सिंह चड्ढा फ्लाप हो गई, रक्षाबंधन फ्लाप हो गई। जे ओरें कोन टाईप की फिलमें बना रए के एकऊ नई चल पा रईं।’’ भैयाजी ने कही।
‘‘बना का रए हाॅलीवुड की नकल मार रए। नाम धरो लाल सिंह चड्ढा औ कहानी हती टाॅम हैंक्स की फारेस्ट गम्प की। मने बोई की रीमेक रही। अब आपई तनक सोचो भैयाजी के कहां टाॅम हैंक्स औ कहां अपने आमिर खान, मने कहां राजा भोज औ कहां गंगुआ तेली।’’ मैंने कही। काए से मोए टाॅम हैंक्स भौतई पोसात आए।
‘‘अब तुम कछु ज्यादा नई कै रईं? कछु तो कदर करो चाइए अपने इते के हीरो हरन की।’’ भैयाजी मोरी बात को बुरौ मान गए।
‘‘अब आप ऐसो ने कहो भैयाजी! ईसे हमाई देशभक्ति कछु कम नई भई जा रई। बे ओरें हाॅलीवुड की नकल मारें सो कछु नईं औ हमें उते को हीरो पोसा गओ सो आप अपने-तेरे करन लगे। जे बात ठीक नइयां। अपने आमीर भैया टेक्नाॅलौजी से 57 के 17 की उमर के बन गए, चलो ठीक रओ, पर एक्टिंग सोई ऊंसई होय तब ने।’’ मैंने सोई खरी-खरी भैयाजी से कै दई।
‘‘हऔ, एक्टिंग में सो दम नई रई। बो एक फिलम आई रई आमिर की जीमें बो एलियन बनो रओ। औ फिलम चलाबे के लाने चड्डी पहनबे के बजाय रेडियो धर के ठाड़ो रओ आओ। जो का आए? मोए जे सब नई पोसात। फिलम सो आई रई पैडमैन। कित्ती नोनी फिलम। बा हती अपने इते की कहानी पे।’’
‘‘हऔ! तभई सो खूब चली बा। भैयाजी बात जे आए के अब तो बच्चा हरें लों हाॅलीवुड की फिलम देखत रैत आएं, सो अब आज के दर्शक खों बेवकूफ नई बनाओ जा सकत आए।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हमने कहूं पढ़ो रओ के आमिर को मोड़ा जुनैद खान एक्टिंग की ट्रेनिंग लेबेे खों अमेरिका गओ रओ, ने तो बो सोई ई फिलम में रैतो।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अब मोड़ा अमेरिका ई सो जाहे एक्टिंग सीखबे के लाने, काए से उने फिर जिनगी भरे उतई की सो नकल मारने परहे। जिते की चुरानंे उते सो जानई परहे। औ आप भैयाजी हाॅलीवुड की कै रै, इते सो दक्षिण भारत की फिल्मन को रीमेक बनाऊत नई थक रए।’’ मैंने भैयाजी खों याद दिलाई।
‘‘हऔ! ठीक कै रईं! जेई से सो अब टीवी पे साउथ की फिलम ज्यादा पोसात आएं। हम सोई बेई देखत आएं। जो कोनऊ हिन्दी में डब कर के हाॅलीवुड की फिलम आ गई सो बो देख लई, नई तो साउथ की सो कहूं गई नइयां। सच्ची अब बाॅलीबुड की फिलम देखबे को मनई नई करत आए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जेई सो मैं कै रई भैयाजी! जो ओरीजल वारी देखबे खों मिल रई होय सो नकल को देखहे। इने काए नईं समझ में आउती जे बातें?’’ भैयाजी से पूछी।
‘‘उने समझ के करने का आए? उने अपने इते के टेलेंट की कोन परवा कहानी? ने तो अपने इते के कलाकार चुनते, इतई की कहानी बनाउते फेर देखते के कैसे नई चलती फिलमें? एक बे अपने अक्षय कुमार भैया ठैरे, पैडमैन घांई फिलम सो नोनी बनाई पर उनखांे सोई बिदेसी मोड़ियन खों नचाए बिना चैन नईं परत। अरे, अपने इते की मोड़ियन खों नचाउत नई बनत का? मगर उने सो गोरी चमड़ी दिखाने रैत आए।’’ अब भैयाजी की गाड़ी पटरी से उतरन लगी।
‘‘चलो छोड़ो भैयाजी! आप सो जे सोचो के बाॅलीवुड वारे अब अपने बुंदेलखंड में फिलम सूटबें के लाने आन लगे आएं, पर अपने इते के फिलम बनाबे वारे अच्छी बुंदेली फिलम काए नई बना रए? उने सोई बनाओ चाइए।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ, एक फिलम वारो हमाओ पैचान को सो आए। हम ऊसे कैबी के इते फेस्टिमल-वेस्टिमल करा रए सो तो ठीक पर बुंदेली में फिलम सोई बनाओ।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अरे-अरे, ऐसो ने कइयो! आप की बात से डरा के कहूं बो फेस्टिमलई बंद ने कर दे। कछु सो होन देओ। बाकी बो है को?’’
‘‘अब जे छोड़ो के बा कोआ। बाकी ऊके संग वारे को मोड़ा सोई बिदेस में एक्टिंग सीखबे के लाने गओ रओ।’’
‘‘सो? संग वारे के मोड़ा को का करने?’’ मैंने पूछी।
‘‘करने कछु नईं, बा सो हमें याद आ गई। ऊ मोड़ा ने उते से लौट के सोई बाॅलीवुड में काम करो रओ।’’
‘‘फेर?’’
‘‘फेर का? ऊकी फिलम-इलम चली नईं, आज बो गिट्टियन की कांट्रेटरगिरी कर रओ। ने तो उसे कैबी के उते बाॅलीवुड में हीरो ने बन सके, सो इते बुंदेली की फिलम बनाओ औ ऊमें हीरो बन के कछु कर दिखाओ।’’ भैयाजी खुदई की बात पे फूलत भए बोले।
‘‘हऔ, संगे जे सोई कै दइयो के बुंदेली मने बुंदेलखंड की कहानी पे बनाउने परहे, जे नई के ‘फारेस्ट गम्प’ पे ‘बंुदेली बम्प’ बना के धर देओ, औ फेर अपने इते के दर्शक गरियात फिरें।’’ मैंने हंस के कही। बाकी भैयाजी मोरो व्यंग ने समझे औ बे जे कैत भए उठ खड़े भए के,‘‘ऊको मोबाईल नंबर तलासने परहे, जाने कोन सी डायरी में लिखो रओ।’’   
बाकी मोए सोई बतकाव करनी हती सो कर लई। अब चाए बुंदेली बम्प बने, चाए दाऊ सिंह डड्डा बने? मोए का? बाकी, बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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(25.08.2022)
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