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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, October 27, 2022

बतकाव बिन्ना की | पुरखन ने जी जराओ औ इन्ने दिल जीत लए | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | बुंदेली व्यंग्य | प्रवीण प्रभात

"पुरखन ने जी जराओ औ इन्ने दिल जीत लए" ( संदर्भ ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना) मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात (छतरपुर) में।
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बतकाव बिन्ना की         
पुरखन ने जी जराओ औ इन्ने दिल जीत लए
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
        
‘‘लेओ मिठाई खाओ!’’ भैयाजी ने मिठाई को डब्बा मोरे आंगू बढ़ा दओ।
‘‘ने ख्वाओ भैयाजी, मिठाई खा-खा के जी सो भर गओ आए। तीन-चार दिना से जेई चल रओ। जिते जाओ उते दिवारी की मिठाई, ने तो जोन घरे आए सो दिवारी की मिठाई संगे ले आए। अब ने खाओ जेहे।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘न बिन्ना! जे सो खाने ई पड़हे!’’ भैयाजी जिद सी करत भए बोले।
‘‘काए? जे कोनऊ स्पेसल मिठाई आए का?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘हऔ, स्पेसलई समझो।’’ भैयाजी मुस्कात भए बोले।
‘‘मने, का हो गओ? दिवारी पे कछु खेल-खाल लओ का जो जीतबे की मिठाई ख्वा रए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘अरे, राम को नाव लेओ बिन्ना! जो का कै रईं? हमने तो मुतकी साल से दिवारी पे जुआ-सुआ नई खेलो।’’ भैयाजी सफाई देत भए बोले।
‘‘हऔ, सो पैलऊं तो खेलत्ते!’’ मैंने याद कराई।
‘‘हऔ सो पैलऊं की पैलऊं ठैरी! बो तो जबलों तुमाई भौजी ने हमें अपनी कसम दई तभई से जुआ को नाम नई लओ हमने! अब तो मनो इन्टरनेट पे जुआ चलन लगे, सो हम ऊ तरफी नईं ढूंकत!’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ, जे सो सांची कही आपने। बड्डे-बड्डे हीरो हरें जुआपट्टी के विज्ञापन करत दिखात आएं। इन ओरन को कछु सरम नईं आत का?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘जो सरम आती सो काए के लाने ऐसे विज्ञापन करते? बे तो लाखों कमा रए, मनो बाकी सो अपनो घर फूंक रए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘खैर, आप सो जे बताओ के जे मिठाई मोए काए ख्वा रए? जो जे दिवारी की नई, सो काए की आए?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘तुम आजकाल खबरे नईं सुन-पढ़ रईं का?’’ जवाब देने की जांगा भैयाजी ने मोसे पूछी।
‘‘हऔ काए नईं पढ़ रई। दिवारी के दूसरे दिना अखबार नई छपे रए सो उनके डिजिटल एडीशन में पढ़ लए रए।’’ मैंने शान दिखात भई बताई।
‘‘फेर सो तुमें समझ जाओ चाइए के हम तुमें जे मिठाई काए के लाने ख्वा रए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अब जे बुझव्वल ने बुझाओ भैयाजी! आप सो सीधे बोलो के जे मिठाई काए के लाने?’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘जे लाने के हमाओ तिरंगा फहर गओ ब्रिटेन पे।’’ भैयाजी उचकत भए बोले।
‘‘जो का कै रए?’’ मोए कछु समझ में ने आई।
‘‘औ का!’’
‘‘कोनऊ मैच जीत लओ का? मोए जे किरकेट-मिरकेट में कछु मन नई लगत, सो मोए ई बारे में कछु पतो नइयां।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘अरे, बिन्ना तुम सोई!’’ भैयाजी खिझात भए बोले,‘‘ तुम सोई गजबई कर रईं। अरे, तुमे पतो नइयां का, के अपने भारतीय मूल के ऋषि सुनक उते के प्रधानमंत्री बन गए।’’
‘‘हऔ, मोए पतो आए! जे तो बड़ी खुसी की बात आए। मनो ईमें अपनो तिरंगा फहरबे की बात कां से आ गई? बे उते यूनियनजैक फहरा रए, तिरंगा काए के लाने फहराहें?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘हऔ तो, उन्ने तिरंगा फहराओ नईं, मनो भओ जेई टाईप को।’’ भैयाजी बोले।
‘‘कहूं नईं! बे उते के नागरिक ठैरे सो उते के प्रधानमंत्री बने। उते की जनता ने जेई लाने उनको समर्थन दओ। ईमें तिरंगा फहरबे की बात कां से आई?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘मनो बे आएं सो भारतीय मूल के!’’ भैयाजी बोले।
‘‘जे सो हमने मानी आपकी बात के बे आएं तो भारतीय मूल के। मनो उनको प्रधानमंत्री बनाबे के लाने उते की जनता औ पार्लियामेंट को गुनगान करो चाइए, के उन्ने एक बिदेसी मूल के अपने नागरिक पे भरोसा करो औ उनको मौका दओ।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ, सो ईमें का? ऋषि सुनक जे जोग आंए सो उनको मौका दओ गओ!’’ भैयाजी तिनकत भए बोले, ‘‘तुम काए उल्टो-सुल्टो बोल रईं?’’
‘‘मैं उल्टो नईं बोल रई। मैं सो जे कै रई के जिन अंग्रेजन के पुरखा हरन ने हमाई जमीन पे कब्जा करो औ हमें 200 बरस गुलाम बनाए रए, उनकी जे पीढ़ी ने अपने सुनक पे भरोसा जता के अपन ओरन के दिल पे कब्जा कर लओ। औ जेई तरां से अपने पुरखा हरन के पाप को प्रायश्चित सोई कर लओ।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ, जे तो तुमने सांची कई। अंग्रेजन ने दिल तो खुस कर दओ।’’ भैयाजी खुस होत भए बोले।
‘‘मनो, उनकी जांगा अपने ओरें होते सो कभऊं ऐसो ने करते।’’ मैंने कही।
‘‘मने?’’
‘‘मने जे के अपन उनके लाने बिदेसी-बिदेसी की ठेन कर कर के उनको कोनऊं कोनिया में पटक देते। औ अपने ओरे जे कर बी चुके आएं।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ हम समझ गए के तुम का कहबो चा रईं! बाकी बे इते की बहू रईं औ जे इते के दमाद आएं।’’ भैयाजी तर्क देत भए बोले।
‘‘हऔ, औ अपन ओरें बहू औ दमाद में फरक करबो सो खूबई अच्छे से जानत आएं। दमाद के पांव परे जात आएं औ बहू से पांव पड़ाए जात आएं। सांची कई न मैंने?’’ मैंने भैयाजी को तानो मारो।
‘‘सो का, बहू तो बहू आए औ दमाद तो दमाद आए। बाकी तुम जे नेता हरन घांई काए गिचड़ रईं? अपने ओरें कोनऊं टीवी डिबेट में नईं बैठे।’’ भैयाजी बात बदलबे के लाने बोले।
‘‘काए की नेतागिरी? मोए का करने राजनीति से? मैं सो जे लाने कै रई के ऊ टेम पे अपन ओरन ने खूबई विरोध करो रओ, जब के कऔ जात आए के ब्याओ के बाद लड़की को घर ऊको सासरो होत आए। मनो अपन ओरन ने ऊ टेम पे अपनी जे सारी बातें भुला दई रईं। औ अब जब अपने इते के दमाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए, सो अपन ओरें फूले फिर रए। बहू औ दमाद में जो अंतर अपन ने राजनीति में सोई दिखा दओ।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘ सो तुम का चात हो के अपने सुनक भैया खों उते प्रधानमंत्री नईं बनाओ जाओ चाइए रओ?’’ भैयाजी तनक गुस्सा होते भए बोले।
‘‘मैंने जे कब कई? मैं सो जे कैत हों के सबई जांगा ऐसई दिल खुलो रखो जाओ चाइए। औ कोनऊं अपनई की बात नइयां, अमरीका ने सोई अपन ओरन घांई करो रओ। जब बो हाॅलीवुड को हीरो अर्नाल्ड श्वेजनेगर की उते के राष्ट्रपति बनबे की बात चली रई सो ऊके लाने बी बिदेसी कै के ऊकी उम्मीदवारी पैलई ठुकरा दई गई रई। मनो अंग्रेजन ने दिखा दओ के समै के संगे बे ओरें पूरे बदल गए आएं। उनके पुरखा हरन ने अपन ओरन खों जी जराओ औ इन्ने दिल जीत लए। संगे दुनिया के सबई देसन के लाने एक अच्छो उदाहरण रख दओ।’’ मैंने भैयाजी से कही।
‘‘हऔ, बिन्ना! को जाने कल को जेई रस्ता से कमला हैरिस अमरीका की राष्ट्रपति बन जाएं।’’ भैयाजी भारी खुस होत भए बोले। उन्ने फेर के मिठाई को डब्बा मोरे आंगू बढ़ा दओ,‘‘लेओ, जेई बात पे मिठाई खाओ के आज ऋषि सुनक औ काल कमला हैरिस!’’
‘‘औ अपने इते...?’’ मैंने भैयाजी को चुटकी लई।
‘‘नेता घांईं गिचड़ ने करो!’’ भैयाजी हंसत भए बोले।    
बाकी मोए सोई बतकाव करनी हती सो कर लई। मनो आए सो जे मिठाई खाबे वारी बात के अपने इते को मूल को और अपने इते को दमाद ब्रिटेन को प्रधानमंत्री बन गओ। एक नओ इतिहास लिख गओ। जे जो परम्परा चलन में आ जाए सो, देसन के बीच की रार सोई मिटन लगहे औ तब सच्चो ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ कहो जा सकहे। तो अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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(27.10.2022)
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