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My Editorials - Dr Sharad Singh

Saturday, March 18, 2023

ट्रेवलर डॉ (सुश्री) शरद सिंह | पार्ट - 1 | पटना बुज़ुर्ग

Traveler Dr (Ms) Sharad Singh | Part-1 | Patna Bujurg Road
#ilovetravel #ilovetravelling ❗️Part-1❗️
🚩मेरे सागर जिले में एक गांव है पटना बुजुर्ग। बहुत छोटा-सा। प्यारा-सा। उस गांव से गुजरते समय मुझे सड़क के दोनों ओर मौजूद छोटे-छोटे खेतों की सुंदरता को देखने का मौका मिला। गेहूं की बालियां अपनी छटा बिखेर रही थीं। मार्च का मध्य और बादलों से ढंका आसमान। बारिश की प्रबल संभावना। यह मौसम बारिश का नहीं होता है फिर भी बादलों का इस तरह घुमड़ना बारिश की चेतावनी दे रहा था। 
      🚶घूमने के हिसाब से मौसम मनोरम था। न गरमी और न ठंड। हल्की नमी लिए हुए हवाएं। 
   🌳मैंने खेतों में गेहूं की उस फसल को देखा जो कहीं पक कर तैयार हो चुकी थी, तो कहीं अधपकी थी। किसान अपनी पकी हुई दिख रही फसल की कटाई नहीं कर पाए थे। वहीं गेहूं की अधपकी बालियों में हरापन साफ दिखाई दे रहा था। उनके पकने में अभी समय था। मुझे उन फसलों को देखते हुए इस बात की चिन्ता हुई कि यदि तेज बारिश हुई तो इन फसलों का क्या होगा? और कहीं अगर ओले गिर गए तो ये फसल तो पूरी तरह से मिट जाएगी। यह सोच कर भी मुझे सिहरन हुई। मैं देख रही थी वहां की जमीन को। पथरीली जमीन को खेती लायक बनाने में किसानों ने कितनी अधिक मेहनत की होगी, इसका अंदाज़ा भी मैं नहीं लगा सकती थी। लाल मुरम जैसी मिट्टी वाली पथरीली जमीन। पुराने जंगल की पथरीली जमीन को खेती योग्य बना कर खेती करने वाले किसान की मेहनत को हर कोई नहीं समझ सकता है। जो फसल मौसम के आसन्न संकट तले मेरे सामने लहलाहती दिखाई पड़ रही थी उसे उगाने में भी किसानों का अथक श्रम और पूंजी लगी होगी। कुछ छोटे किसानों को तो अपनी पूरी पूंजी लगानी पड़ी होगी। उन्हें आशा होगी कि जब अच्छी फसल आएगी तो उनकी पूंजी उन्हें लाभ के साथ वापस मिल जाएगी। लेकिन मौसम में होने वाले अप्रत्याशित परिवर्तन के कारण उनकी यह आशा पूरी हो सकेगी? सच तो यह है कि इस बारे  में सोचने में भी मुझे डर लगता है। 
     🦉एक समय था जब मैं फील्ड जर्नलिज्म में थी। उस दौर में मैंने मध्यप्रदेश के ही पन्ना जिले में नेताओं और अधिकारियों के समूह के साथ मौसम प्रभावित खेतों के दौरे किए थे। उन दिनों मौसम में इतने अधिक परिवर्तन नहीं होते थे। फिर भी चने और गेहूं के पौधों को टूट कर मिट्टी में मिलते हुए मैंने देखा था। वह स्मृतियां आज भी मुझे डराती हैं। मुरझाए चेहरे और आंखों में आंसू भरे किसान। जिनका सबकुछ लुट चुका हो। सरकारी सहायता उन्हें सांत्वना ही दे सकती थी, उनकी नष्ट हुई फसल और मेहनत उन्हें नहीं लौटा सकती थी। 
        फसल एक किसान का जीवन तो होती ही है, साथ ही हर व्यक्ति की भूख का ईलाज और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती भी होती है।
      🌳सागर से रहली रोड के इस रास्ते में पाइप स्टोरी देखा... साथ में और भी बहुत कुछ जिसका विवरण अगली पोस्ट में..😊

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💠Traveling Date ..16.03.2023

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1 comment:

  1. खूबसूरत चित्र और रोचक विवरण

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