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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, April 27, 2023

बतकाव बिन्ना की | "इते की झेल ने पाओ हुइए बेचारो | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम | बुंदेली व्यंग्य | प्रवीण प्रभात

"इते की झेल ने पाओ हुइए बेचारो !" - मित्रो, ये है मेरा बुंदेली कॉलम "बतकाव बिन्ना की" साप्ताहिक #प्रवीणप्रभात , छतरपुर में।
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बतकाव बिन्ना की  
इते की झेल ने पाओ हुइए बेचारो !                
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
      मोरी औ भौजी की बतकाव चल रई हती। भौजी पिलानिंग बना रई हतीं के कऊं घूमबे के लाने जाओ चाइए। औ बातई बात में हम ओरें रमझिरिया, भीमकुंड से ले के लेह-लद्दाख औ काठमांडू लों हो आए। मनो, गए कऊं नई, बस सरकारी पिलानिंग घांई पिलानिंग करत-करत टेम पास करत रए। हम दोई जनी ने ऐसो मुतके बार करो आए, के पिलानिंग सो खूब करी मनो आए-गए कऊं नई। जे टेम पे हम ओरन की बतकाव चल रई हती ऊ टेम पे मोरी नज़र परी के भैयाजी बेर-बेर अपनो मोबाईल पे टकटकी बांधत त्ते औ सोच में पर जात्ते। सो, जो भौजी बात खतम कर के चाय-पानी खों उठीं के मैंने भैयाजी की सुध लई।
‘‘जा बेर-बेर अपने मोबाईल पे का देख रए भैयाजी?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘कछू नहीं!’’ भैयाजी उदासे-से बोले।
‘‘कछू तो जरूर फिकर वारी चीज देख रए, तभईं तो आपको मों लटको दिखा रओ।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, मनो दुख सो हो रओ!’’ भैयाजी ने मान लओ।
‘‘काय को दुख? ऐसो का देख लओ, के जी दुखा गओ?’’ भैयाजी को स्वीकारबो सुन के मोय चिन्ता भई। कोनऊं गंभीर बात तो नोंईं?
‘‘कछू बताओ भैयाजी! आप सो मोय डरा रए। ऐसो का हो गओ जो आप को दुख लग रओ।’’ मैंने भैयाजी से फेर के पूछी।
‘‘होने को का, तुमने चीता की वीडियो देखी?’’ भैयाजी ने पूछी।
‘‘चीता की वीडियो? मैंने सो नेशनल जियोग्राफी चैनल औ एनिमल प्लैनेट चैनल पे हाजार खांड बेर चीता के वीडियो देखे आएं।’’ मैंने तनक शान मारी, काय से के मोय पतो आए के भैयाजी ने जे दोई चैनल कभऊं चालू नईं कराए।
‘‘हम बे वारी वीडियो की नई कै रए।’’ भैयाजी बोले। उनकी आवाज मनो मरी-मरी सी लग रई हती।
‘‘सो, कौन से वीडियो की कै रए आप?’’ मैंने भैयाजी से पूछी।
‘‘अरे जे वारी, जा इमें देखों बेचारो चीता कैसो लड़खड़ात भओ दिखा रओ....’’ भैयाजी बतान लगे के मैं बीचई में बोल परी।
‘‘सो गरमी के मारे लड़खड़ा रओ हुइए। उन ओरन खों भौतई गरमी लगत आए।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘बा गरमी से नोईं लड़खड़ा रओ। लेओ, तुमई देख लेओ अपनी सगी आंखन से।’’ कैत भए भैयाजी ने अपनो मोबाईल मोरी आंखन के आंगू कर दओ।
‘‘अई, जो का?’’ मोरे मों से निकरो। मैंने भैयाजी से उनको मोबाईल अपने हाथ में ले के बा वीडियो देखी। ऊमें लोहा की जाली के ऊ तरफी एक चीता चलत में लड़खड़ात भओ दिखा रओ हतो। बा दो-चार कदम चलो औ उतई गिर परो। बा वीडियो के संगे खबर दई गई रई के गिरत साथई चीता के प्रान निकर गए। बा वीडियो देख के मोरो मुंडा सोई खराब हो गओ।
‘‘जे तो भौतई बुरौ भओ!’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, जेई से सो हमाओ मन खराब हो गओ।’’ भैया जी बोले।
‘‘मनो जा ई खबर में बताओ गओ आए के जा चीता खों हार्टफेल हो गओ रओ। बाकी मैंने सो पैली बेर सुनी के कोनऊं जीता खों हार्टफेल भओ। काय से के उन ओरन खों ले के कहनात चलत आए के- शेर-चीता घांईं करेजो। जे इत्तो कमजोर करेजा को कैसे निकरो?’’ मोय अचरज भई।
‘‘जेई सो सोचबे वारी बात आए बिन्ना! काय से के जा न्यूज में बताओ गओ आए के जा चीता नमीबिया से कूनो नेशलन पार्क लाओ गओ रओ। सो उते नमीबिया के हाल अपने इते के हाल से कोन से अच्छे आएं?’’ भैयाजी बोले।
‘‘हाल से का मतलब?  बा उते जंगल में रैत रओ, औ इते ला के इते जंगल में राखो गओ। मनो उते के मुकाबले इते जांगा जरूर कम रई। पर जंगल सो जंगल ठैरो, चाय बड़ो होय चाय छोटो।’’ मैंने कई।
‘‘हऔ, जेई सो हम सोच रए के बा बिचारो इते आ के ऐसो कैसो गिर-गुरा के मर गओ? कओ जा रओ के ऊको हार्टफेल भओ। बा का कहाउत आए डाक्दर हरन की भाषा में- कार्डिएक आर्टरी फेल।’’ भैयाजी बोले।
‘‘हऔ! जे सो हमने जेई सुनी रई के ई टाईप से इंसान मरत आंए। मनो अब जे चीता सोई मर गओ।’’ मैंने कई। मोय दुख बी हो रओ हतो औ अचरज बी।
‘‘हम बताएं के भओ का आए बिन्ना, अपने संगवारन से बिछड़ के जा चीतो को रो-रो के कलेजा कमजोर पर गओ हुइए। ऊपे इते की दसा देख के ऊको लओ हुइए के आसमान से गिरे सो खजूर पे अटके। इते केा भ्रष्टाचार, इते की राजनीति, इते की मैंगाई, इते की मारामारी देख के ऊको दिल दुखी हो गओ हुइए। करत-करत इत्तो कमजोर हो गओ के सह ने सको बेचारो, औ टें बोल गओ।’’ भैयाजी ने चीते खों हार्टफेल होबे के कारन गिना डारे।  
‘‘जे सो आपने सही कई भैयाजी! मनो बा चीता को एकाध बेरा संसद औ कोनऊं विधान सभा को फेरा लगवा दओ जातो सो ऊको करेजो तनक मजबूत हो गओ रैतो। ऊको इते के दांवपेंच औ बेसर्मी समझ में आ जाती, ऊको हार्ट मट्ठर हो जातो औ बा बेचारो जिन्दा रैतो।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, जेई हम सोच रए हते के अब की बेरा जो नओ चीता लाओ जाए, सो ऊको पैले कोनऊं नेताजी के इते चार दिनां राखो जाओ चाइए। फेर ऊको संसद औ विधान सभा में घुम्मी कराओ जाओ जाए। ईसे ऊको करेजा तनक दमदार हो जेहे। ने तो जेई वारे घांई हाल हुइए के ने गाज गिरी, ने बाज औ भई चिरैया टें।’’ भैयाजी बोले। फेर बे कछू सोचत भए बोले के ‘‘बिन्ना काल दुफैरी में आइयो, जो लौं हम एक दरखास्त बना के तैयार राखबी, तुम ऊको पीएम हाउस खों ईमेल कर दइयो।’’
‘‘पीएम हाउस? आप का करहो, पोस्टमार्टम रपट लेके? चीता खों मरने हतो सो मर गओै, आपके कछू करबे से बा जी ने जेहे। सो आप ने मंगाओ पोस्टमार्टेम की रपट।’’ मैंने भैया जी से कई।  
‘‘अरे हम पोस्टमार्टम की रपट की नई कै रए बिन्ना! हम सो पीएम हाउस मने परधानमंत्री भवन की कै रए।’’ भैयाजी बोले।
‘‘सो उते चिट्ठी लिख के का करहो? अपने परधानमंत्री जी सोई दुखी हुइएं।’’ मैंने भैयाजी से कई।
‘‘हऔ, उनको सो दुखी होबो बनत आए, काय से के बेई सो मंगा लाए हते जे चीता हरें। सबसे पैले उनई ने देखो रओ। सो बे का दुखी ने हुइएं? जेई से सो हमें एक चिट्ठी उनके लाने लिखनी आए के जीमें पैले सो हम उनके अंसुआ पोंछहें, उनको सहूरी बंधाहें, औ फेर सलाह देहैं।’’ भैयाजी बोले।
‘‘आप देहो उनको सलाह? जो का कै रै? उनके लाने सलाहकारन की भर्ती करी जात आए। औ आप चले हो उनको सलाह देबे के लाने। अपनों भी टेम खोटो करहो औ उनको टेम बी।’’ मैंने भैयाजी खों समझाओ।
‘‘अरे, हमें ज्यादा कछू नईं, बस, इत्तो लिखने आए के बा चीता इते की झेल ने पाओ हुइए, सो अगली बेरा कछू मुस्टंडा टाईप को चीता मंगइयो जो इते के महौल खों झेल पाए। औ इते के रंग में रंग के रंगदारी करन लगे।’’ भैयाजी बोले।
‘‘जै हो आपकी भैयाजी! जो ऐसो कछू लिखने होय सो जे मीडिया के लाने भेजियो पीएम हाऊस नोईं। बाकी मोय चलन देओ, ने तो आप मोय सोई कच्ची में बिधा देहो।’’ मैंने उते से खिसकबे में ई अपनी भलाई जानी।
बा चीता के लाने मोय सोई दुख भओ। बाकी अब ‘‘शेर-चीता सो करेजो’’ वारी कहनात बदलबे की सोचने परहे। मनो बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लों जुगाली करो जेई की। सो, सबई जनन खों शरद बिन्ना की राम-राम!
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