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My Editorials - Dr Sharad Singh

Sunday, May 19, 2024

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | ऐसो बहानों कब लौं चलहे | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
ऐसो बहानों कब लौं चलहे
    - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
      ऐसी कोनऊं समस्या नोंईं जीको हल प्रशासन और नेता हरें मिल के निकार ने सकत होंए। मगर को जाने का बात आए के अपने सागर शहर की समस्याएं जे दोई मिल के हल नईं कर पा रए। जेई से पब्लिक खों कभऊं-कभऊं डाउट होन लगत आए के जे ओरें समस्याएं हल करबो चात आएं के ऊंसई पुड़िया देत रैत आएं? इते एक सबसे बड़ी समस्या आए आवारा पशुअन की। शहर को कोनऊं जांगा ऐसी नोंई जां छुट्टा जानवर ने मिलत होंए। कुत्ता हरों की तो बातई छोड़ दई जाए, काय से के ऊंसे बड़े जानवर गाय औ बैल जब उनें नईं दिखात तो कुत्ता हरों की का कई जाए। जब कभऊं आवारा पशुअन की बात उठाई जात आए तो रटो-रटाओ सो एकई जवाब मिलत आए के डेयरी शहर से बाहरे करी जा रई। भैया हरों, काय बिलमा रए? डेयरी के पशुअन के मालिक होत आएं, बे आवारा पशु नोंईं। डेयरी के पशु औ आवारा पशुअन के बारे में अलग-अलग बात करो, मालिक! कैने को तो कई गई रई के साल भरे में सबरी डेयरी शहर से बाहरे कर दईं जाहें। अबे लौं ने भईं। औ अपनों सागर ‘आवारा पशु मुक्त सड़क’ की जांगा, ‘सड़क मुक्त आवारा पशु’ वारो शहर बनो जा रओ।
जो, कछू पूछो सो, नेता प्रशासन खों दोष देत आएं औ प्रशासन नेता हरों खों। मनो, ऐसो बहानों कब तक चलहे? जा तो प्रशासन औ नेता हरें मिलजुल के कछु ठोस काम करें, नें तो मान लें के उनकी बस की कछु नईं। ईसे पब्लिक को कछु तो सहूरी मिलहे। 
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Thank you Patrika 🙏
Thank you Dear Reshu Jain 🙏

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