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Saturday, August 3, 2024

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | जे इते ठाड़े, बे उते ठाड़े, मों बंधो ऊपे से | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
जे इते ठाड़े, बे उते ठाड़े, मों बंधो ऊपे से
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
         अबई मईना खांड़ में करै दिन मने पितर पक्ष आओ जा रओ। ऊ टेम पे अपन ओरें सबई अपने-अपने पितरों खों याद करबी। उने पानी देबी औ ऊनके लाने बरा बनाबी। आप ओरें सोच रए हुइयो के हम अबे से करै दिन की बतकाव काय कर रए, अबे तो गणेश जू पधरने, जन्माष्टमी मनने, राखी मनाई जैहे औ संगे स्वतंत्रता दिवस सोई मनाओ जैहे। बिलकुल जे सबई कछू मनाओ जैहे, मनो बे ओरें हमाई जे खुसियां कैसे देखहें, जोन जे इते ठाड़े, बे उते ठाड़े औ ऊपे बंधों मों उनको। अब आप ओरें सोच रए हुइयो के जो जे औ बे कोआ? सो, आप ओरें सब समझ जैहो जो तनक लाखा बंजारा झील के लिंगे पौंचो। उते बे लाखा बंजारा कुल्ल समै से ठाड़े । उनके मों पे पट्टी सोई बंधी। जीसे बे जा ने देख सकें के उनके तला में का गोलमाल चल रओ। बाकी उनको मों खुलो बी रैतो, तो बे का कर लेते? अकेले अंसुआं बहाउते।
     ऐसई एक जने कुल्ल समै से ठाड़े कबूला पुल चौराए पे। उनके मों पे सोई कपड़ा बंधो। एक ठाड़े रजाखेड़ी की बजरिया में। जे सब ओरें अपने पितर आएं। इन्ने अपन ओरन के लाने अपनी जिनगी लगा दई, औ अपन का करए उके संगे? उन ओरन के मों पे कपड़ा बंधा के मईनों, सालों ठाड़े रख रए। जेई आए अपने करम? औ बे उते सिविल लेन पे स्वामी विवेकानंद जू  पीठ दिखात भए उल्टे ठाड़े। जिन्ने दुनिया खों रास्ता दिखाओ बे खुदई रास्ता देखबे खों तरस रए। सो, अब जिम्मेवार लोगन खो कछू तो शरम आओ चाइए।
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Thank you Patrika 🙏
Thank you Dear Reshu Jain 🙏
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