सितंबर माह का प्रथम दिवस एक आत्मीयता भरे माहौल में व्यतीत हुआ ... जी हां, डॉ अलका जैन जो सेवानिवृत्ति आयुष अधिकारी हैं किंतु उन्हें बागवानी से असीम प्यार है... उनके घर की छत पर लगा बगीचा मन मोह लेता है... 🌹🦋🌸🐝🏵️🌹🌱☘️🍀
डॉ अलका दीदी के पास मेरे लिए एक न एक सरप्राइज जरूर रहता है जब मैं पिछली बार उनसे मिली थी तो उनके छत के बगीचे को देखकर चकित रह गई थी और इस बार मैं उनके एंटीक कलेक्शन को देखकर दंग रह गई... पुराने रेडियो, पुराने रिकॉर्ड प्लेयर्स तथा पुराने ऑडियो कैसेट्स का कलेक्शन देखकर चकित रह जाना स्वाभाविक था... उन्होंने सारी पुरानी वस्तुएं बहुत सहज कर रखी हैं... उनका रखरखाव देखकर ऐसा लगता है कि वे सभी नए इंस्ट्रूमेंट हों... रिकॉर्ड प्लेयर आज भी चल रहा है तथा पुराना रेडियो आज भी बज रहा है.... उनका यह कलेक्शन ऐसे सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो पुरानी वस्तुओं को बेकार का समान समझकर कबाड़ी के हाथों बेच देते हैं या फिर फेंक देते हैं.... 🔊📢📻🎼🎵🎶📣
आज आरंभ में मैं और अलका दीदी आपस में बतियाते रहे किंतु फिर हमने कवयित्री सुमन झुड़ेले को भी फोन करके बुला लिया। हम तीनों में साहित्यिक अभिरुचि के अलावा एक चीज और कॉमन है, वह है बागवानी का जुनून। अलका दीदी ने छत के दो तल्लों पर बगीचा लगाया हुआ है, मैंने अपनी छोटी सी बालकनी में बगीचा लगा रखा है और सुमन अपने घर की चौथी मंजिल पर रूफटॉप बागवानी करती हैं। इन दो समानताओं के अलावा एक समानता और थी जिसके कारण हमारी बैठक एक छोटी-मोटी बैचलर पार्टी जैसी हो गई। 📣🥘🥣☕🎉🎊🎈🎏
अलका दीदी के घर की छत से पुराने सागर की भी दिलचस्प झलक दिखाई देती है....
🎈वैसे आज वाकई बहुत मज़ा आया। हमेशा की तरह डॉ. अलका जैन दीदी ने मुझे दो पौधे उपहार में दिए और विशेष प्रकार के फल भी दिए जिनकी सब्जी बनाई जाती है। मैंने आज तक इसकी सब्जी नहीं खाई है। अब मैं पहली बार बनाऊंगी। सॉरी! इस फल का नाम मैं भूल रही हूं... कल उनसे फिर से पूछ कर बताऊंगी... वैसे यदि आप में से इसे कोई पहचानता हो तो मुझे नाम बता सकता है... 🌿🍀🌱🌸🌹🏵️🐝🦋
मेरे आज के दिन को सुखद और सार्थक बनाने के लिए हार्दिक धन्यवाद डॉ अलका जैन दीदी 🙏❤️🙏
और हमारे साथ शामिल होने के लिए दिली शुक्रिया प्रिय सुमन झुड़ेले 🌱❤️🌱
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