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My Editorials - Dr Sharad Singh

Wednesday, October 16, 2024

चर्चा प्लस | और कितनी बार लगेगा प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | सागर दिनकर

चर्चा प्लस
और कितनी बार लगेगा प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह ? 
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह  
     न्यायपालिका अथवा उच्च प्रशासनिक स्तर पर चाहे जितने नियम-कानून बना दिए जाएं पर उन पर पूरा अमल होता नहीं दिखता है। यदि किसी पीड़ित को चिकित्सक आवश्यक सर्टीफिकेट न दे अथवा थाने में उसकी रिपोर्ट न लिखी जाए तो त्वरित न्याय अथवा पुलिस सहायता की आशा करना ही व्यर्थ है। यह कटु सत्य पिछले कुछ समय से बार-बार उजागर हो रहा है। यदि सत्ताधारी दल के विधायकों को अपने ही शासन में अपनी ही जनता के लिए न्याय मांगने हेतु अपना त्यागपत्र देने जैसा कदम उठाना पड़े तो इसी से स्थिति की गंभीरता को समझा जा सकता है।
प्रशासनिक अव्यवस्था को अभिव्यक्ति देने वाला एक भयावह और कठोर शब्द है ‘‘जंगलराज’’। क्या हमारी प्रशासनिक व्यवस्था उसी ओर बढ़ रही है? जिला मुख्यालय अथवा संभाग मुख्यालय में स्थिति फिर भी ठीक है किन्तु तहसील या ग्रामीण क्षेत्र में हाल सही नहीं है। इसका उदाहरण उस समय सामने आया जब सागर जिले की देवरी विधानसभा सीट से बीजेपी के प्रभावशाली विधायक बृजबिहारी पटैरिया को अपना त्यागपत्र देने जैसा कदम उठाना पड़ा। यद्यपि बाद में उन्होंने त्यागपत्र वापस ले लिया किन्तु इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी। मीडिया से बातचीत में विधायक पटैरिया ने कहा कि जब पुलिस सत्ता पक्ष के विधायक की भी नहीं सुन रही तो मुझे ऐसी विधायकी नहीं करनी है। उन्होंने स्पीकर ने नाम पत्र भेजकर इस्तीफे की पेशकश की। बाद में उन्होंने मीडिया से यह कहा भी की मैंने इस्तीफा दे दिया है।  

यह मामला थाने में एक डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर न लिखे जाने का था। एक व्यक्ति की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। जब उस व्यक्ति के परिजन सर्पदंश के मामले की पोटमार्टम रिपोर्ट बनाने के लिए डाक्टर से निवेदन किया तो डाॅक्टर ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के देने बदले से पैसे की मांग की। इससे मृतक के परिजन परेशान हो उठे। मामला विधायक बृजबिहारी पटैरिया तक पहुंचा और वे तत्काल डाॅक्टर की इस हरकत के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंचे। विधायक पटैरिया की मांग थी कि पुलिस डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे, लेकिन जब मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो रात में ही विधायक पटैरिया अपने समर्थकों के साथ एफआईआर नहीं लिखे जाने के विरोध में धरने पर बैठ गए। उनका कहना था कि जब तक डॉ. दीपक दुबे के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। फिर बीजेपी विधायक पटैरिया ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई, जिसमें उनकी बात नहीं सुनी जाने का जिक्र किया। पत्र में लिखा है कि यदि उनकी मांग नहीं मांगी जाती तो वे विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। स्पीकर को लिखा उनका पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया तथा समाचारपत्रों ने भी उसे प्रकाशित किया।

इस मामले को कांग्रेस ने आड़े हाथों लिया और बीजेपी विधायक पटैरिया का पत्र एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि ‘‘मध्य प्रदेश में बीजेपी के जनप्रतिनिधियों की ही सुनवाई नहीं हो रही है, तो आम जनता फिर क्या ही उम्मीद कर सकती है?’’ इस बीच विधायक पटैरिया का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें वे कह रहे थे कि ‘‘ऐसा निर्वाचित विधायक होने का कोई मतलब नहीं है, जिसमें विधायक को पीड़ित की रिपोर्ट लिखवाने के लिए विधायक को खुद थाने आना पड़े।’’ 
इसके बाद मध्य प्रदेश बीजेपी के नेता और गढ़ाकोटा विधायक गोपाल भार्गव ने बृजबिहारी पटैरिया से बात की। उन्होंने देर रात फेसबुक पर लिखा, ‘‘अभी-अभी देर रात जानकारी लगी कि मेरी नजदीकी विधानसभा क्षेत्र देवरी के विधायक बृजबिहारी पटैरिया ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है और वे केसली थाना में धरने पर बैठ गए हैं। इसकी जानकारी लगते ही मैंने वरिष्ठ विधायक पटैरिया से चर्चा कर विषय जाना। उन्होंने मुझे जो बताया उसे सुनकर मैं स्तब्ध हूं और सोच में पड़ गया। उन्होंने बताया कि उनकी विधानसभा क्षेत्र के मेढ़की ग्राम के व्यक्ति की सर्पदंश से मृत्यु हुई, मृत्यु उपरांत ग्रामवासी एवं परिवारजन मृत सांप और मृतक के शरीर को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और चिकित्सक को घटना के संबंध में अवगत कराया। चिकित्सक द्वारा मृतक के परिवारजन से इस आशय का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 40 हजार रुपए की मांग की गई। पटैरिया ने बताया कि पीड़ित परिवारजन ने जब पूरे प्रकरण की जानकारी दी और सबंधित चिकित्सक के विरुद्ध थ्प्त् कराए जाने की कार्रवाई की मांग की, तो मैं स्वयं केसली थाना पहुंचा और डॉक्टर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहा, परंतु प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।’’
इधर बृजबिहारी पटैरिया द्वारा मीडिया को बताया कि ‘‘साक्ष्यों के उपरांत जब प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मुझे पीड़ित पक्ष के साथ धरने पर तक बैठना पड़ा और कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे पद का क्या मतलब? यह घटनाक्रम दुखद है, किसी व्यक्ति मृत्यु की जैसी घटना पर भी शासकीय कर्मचारियों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाने के लिए पैसे की मांग की जा रही है। बीजेपी की सरकार जो गरीबों के लिए ही दिन रात कार्य कर रही है, ऐसी सरकार में पुलिस के अधिकारियों या चिकित्सकों कोई भी हो जो जनता से चुने विधायक की भी न सुने उनकी ऐसी कार्यप्राणली बर्दास्त नहीं की जाएगी।’’
विधायक पटैरिया के इस्तीफा देने के बाद विधायक गोपाल भार्गव ने उनसे बात की और  फिर मीडिया को बताया कि ‘‘मैंने पटैरिया जी को समझाया है कि हमें क्षेत्र की जनता ने आशा और विश्वास के साथ चुना है, आप इस्तीफा न दें। मैं स्वयं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों एवं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से संबंधित पुलिसकर्मी और दोषी चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई के लिए बात कर रहा हूं। इसके बाद मैंने जिले के अधिकारियों से बात कर संबंधित दोषियों के विरुद्ध अविलंब कार्रवाई करने को कहा है, साथ ही उन्हें बताया कि प्रदेश की बीजेपी सरकार आमजन के प्रति बेहद संवेदनशील है, इस प्रकार के गैरजिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली और व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’
अंततः दोषी थाना प्रभारी को लाईन अटैच किया गया और विधायक बृजबिहारी पटैरिया ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। साथ ही उन्होंने कहा कि जनता के साथ होते अन्याय को देख कर मैं आक्रोश से भर उठा था और मुझे इस्तीफा देने का कठोर कदम उठाना पड़ा था। उल्लेखनीय है कि बृजबिहारी पटैरिया कांग्रेस से भाजपा में आए थे। पहले वे देवरी से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक बन चुके थे। बीते विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया था। शिवराज सिंह खेमे से उन्हें टिकट मिला था, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री हर्ष यादव को शिकस्त दी थी।

इस घटना के पूर्व, दशहरे से पहले भाजपा नेता पं. गोपाल भार्गव ने बालिकाओं पर होती हिंसा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर रावण दहन के मुद्दे पर सवाल उठाए, जिससे राजनीतिक हंगामा मच गया था। उन्होंने समाज में व्याप्त विडंबना पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि एक तरफ हम देवी की पूजा करते हैं, वहीं दूसरी तरफ छोटी बच्चियों के साथ दुव्र्यवहार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा था कि नवरात्रि के अवसर पर जहां एक ओर दुर्गा पूजा और कन्या पूजन हो रही है। वहीं दूसरी ओर अखबारों में छोटी छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की खबरें भी सामने आ रही हैं। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि उन्हें दुनिया के किसी और देश में ऐसी खबरें देखने को नहीं मिलीं। 
एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने विधायक भार्गव के बयान का समर्थन किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘‘गोपाल भार्गव जी आपको साधुवाद देना चाहता हूं कि आपने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मध्य प्रदेश में बेटियों के साथ हो रहे अपराधों को स्वीकार किया है। यह मुद्दा भाजपा या कांग्रेस का नहीं है, बल्कि हमारे प्रदेश की बेटियों की सुरक्षा का है।’’ यद्यपि इसके बाद विधायक भार्गव ने सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी और अपने विचारों को विस्तार से समझाया। उन्होंने अपने पुरानी पोस्ट पर हो रही राजनीति पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं है।

बात मात्र इन दो विधायकों की नहीं है। कुछ दिनों पहले सागर के नरयावली विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक प्रदीप लारिया अपने इलाके में अवैध शराब, जुआ-सट्टा से परेशान होकर बार-बार पुलिस को ज्ञापन देते रहे हैंे। कई महीनों तक ज्ञापन देने के बाद भी उनकी सुनवाई होती उन्हें नहीं मिली जिससे वे क्षुब्ध रहे। 
इसी तरह रीवा मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल अपनी सुनवाई न होने के कारण पहले आईजी ऑफिस पहुंचकर, फिर एडीशनल एसपी के सामने दंडवत हो गए थे। यह मामला काफी चर्चा में छाया रहा। मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल का सोशल मीडिया पर यह वीडियो जमकर वायरल हुआ। इसमें वे एडिशनल एसपी के दफ्तर में दंडवत प्रणाम करते हुए दिखाई दे रहे थे। मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल ने नशे के खिलाफ पुलिस की निष्क्रियता और बढ़ रहे अपराधों को लेकर एडिशनल एसपी के सामने दंडवत प्रणाम किया। इस दौरान वे यह भी कह रहे थे कि ‘‘मुझे गुंडो से मरवा दीजिए।’’
वस्तुतः मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल नशे के खिलाफ लगातार शिकायत कर रहे हैं। उनका कहना है कि मऊगंज जिले में नशे का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा आपराधिक वारदातें भी बढ़ रही हैं, जिसकी शिकायत की जा रही है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। इसी के चलते उन्होंने पुलिस के सामने दंडवत प्रणाम किया है। इस घटना पर पाटन के भाजपा विधायक अजय विश्नोई पटेल के समर्थन में उतरे और उन्होंने कहा कि ‘‘प्रदीप जी, आपने सही मुद्दा उठाया है, पर क्या करें? पूरी सरकार शराब ठेकेदारों के आगे दंडवत है।’’ इसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव घेरा कि उनकी पार्टी के विधायक ही पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। नशे के खिलाफ मध्य प्रदेश में कार्रवाई नहीं हो रही है। 

इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरे प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। यदि सत्ताधारी दल के विधायकों को ही न्याय दिलाने के लिए जूझना पड़े तो फिर आम जनता में भय पैंठेगा ही। बहरहाल, यदि लगाम कसने वाले समय रहते नहीं चेते तो यह स्थिति मध्यप्रदेश में भावी चुनावों में स्वयं सत्ताधारी दल पर भारी पड़ सकती है।       
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