"भाषाई दक्षता जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता की पहली शर्त है भाषा चाहे जो भी हो उसमें निपुणता एवं परिपक्वता आवश्यक है जिससे संबंधित विषय के बारे में आत्मविश्वास और दक्षता के साथ अपनी बात रखी जा सके। भाषा अभिव्यक्ति और संवाद का माध्यम है और उसमें कौशल रोजगार की सफलता को सुनिश्चित करता है। एक अपढ़ भिखारी भी अपने भाषाई कौशल से आपको पैसे देने को विवश कर देता है। फिर एक पढ़ा लिखा व्यक्ति तो अपने भाषाई कौशल से बहुत उन्नति कर सकता है। यदि आप मातृभाषा के अतिरिक्त एक से अधिक भाषा सीख सकें तो यह और भी अच्छा है।" - बतौर सारस्वत वक्ता आपकी इस मित्र डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए।
अवसर था 24.12.2024 को पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य (अग्रणी) महाविद्यालय, सागर (म.प्र.) में "कौशल सम्वर्द्धन : स्वरूप एवं संभावनाएं" पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत भाषण कौशल और रोजगार विषय पर मैंने अपना वक्तव्य दिया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन सागर विधायक श्री शैलेंद्र जैन जी ने किया। इस आयोजन में खंडवा से डॉ श्रीराम सिंह परिहार, छतरपुर से डॉ बहादुर सिंह परमार, बनारस से डॉक्टर विवेकानंद उपाध्याय के साथ ही सागर स्थित विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजय तिवारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री टीकाराम त्रिपाठी जी की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
यह समूचा आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ सरोज गुप्ता जी के कुशल निर्देशन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन किया डॉ राना कुंजर सिंह ने।
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