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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, August 28, 2025

बतकाव बिन्ना की | परकम्मा करबे की शुरुआत करी ती गणेश जू ने | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली कॉलम

बुंदेली कॉलम | बतकाव बिन्ना की | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | प्रवीण प्रभात
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बतकाव बिन्ना की
परकम्मा करबे की शुरुआत करी ती गणेश जू ने 
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
     
‘‘काए भौजी, घूम आईं बृंदाबन?’’ मैंने भौजी से पूछी। 
भौजी चार दिनां के लाने मथुरा बृंदाबन खों गई रईं। काए से उनकी बुआ सास मैहर से आईं रईं। बे बृंदाबन जान वारी हतीं सो भौजी को सोई उनके संगे प्लान बन गओ रओ। 
‘‘हऔ बिन्ना! घूम आए कान्हा की नगरी।’’ भौजी खुस होत भईं बोलीं।
‘‘औ आपकी बुआ सास नईं दिखा रईं? का बे उतई रै गईं?’’ मैंने पूछी।
‘‘अरे नईं बे तो उते से बनारस खों निकर गईं। हमसे सोई चलबे की कै रई हतीं, पर हमाए तो उतई गोड़े दुखा गए। ईसे ज्यादा हम नईं चल सकत्ते।’’ भौजी अपने घूंटा पे हात देत भईं बोलीं।
‘‘सो कोन आपखों पैदल जाने रओ? रेल से, ने तो बस से, ने तो कोनऊं टैक्सी में जातीं। सो, हो आने रओ।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘जा बात तुमाई सई आए के बृंदाबन से बनारस लौं हमें निंगत नईं जाने रओ पर बृंदाबन में पांच कोसी परकम्मा कर के तो हमाए गोड़े दुखन लगे हते। आज लौं दुख रए।’’ भौजी फेर के अपनों घूंटा दबात भईं बोलीं।
‘‘आप ने करी पांच कोसी परकम्मा? पांच कोसी मने 15 किलोमीटर निंगो आपने?’’ मोए भौतई अचरज भओ।
‘‘हऔ बिन्ना! ऊ टेम पे सब के संगे कोन पता परो के कित्तो निंग लओ, मनो परकम्मा के बाद रात को खूबई गोड़ दुखे हमाए तो। इत्ते चलबे की अब आदत नईं रई हमाई तो। जेई लाने हमने उनके संगे बनारस जाबे खों मना कर दओ। का पता उते बी बे कोनऊं परकम्मा करान लगें। बाकी आओ बड़ो मजो। परकम्मा करत टेम बिलकुल पतो नई परो। उते तो मुतकी भीड़ रैत आए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘सई कै रईं भौजी। अभईं पिछली नौरातें मैं ज्वालादेवी के दरसन के लाने गई रई। उते की छिड़ियंा देख के मोए लगो के मैं चढ़ पैहों के नईं? फेर जब चढ़न लगी तो पतई नई परी के कबे चढ़ गई। अच्छी ऊंची पहड़िया पे बिराजी हैं बे तो।’’ मैंने सोई कई।
‘‘बिन्ना उते हमें कोऊ ने बताओ के जे जो परकम्मा करबे की प्रथा आए जे बृंदाबन की पांच कोसी परकम्मा से शुरू भई रई।’’ भौजी बोलीं।
‘‘जोन ने बताई बा झूठी बताई। होत का आए के अपनी जांगा खों बढ़ा-चढ़ा के बताबे के लाने कछू बी बोल दओ जात आए।’’ मैंने कई।
‘‘सो तुमें कैसे पतो के बा ने झूठी कई?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘हमें ऐसे पतो के ई बारे में पुराण में किसां मिलत आए।’’ मैंने कई।
‘‘कैसी किसां?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘आप पैले जे बताओ के पैले गणेशजू भए के पैले कान्हा भए?’’ मैंने भौजी से पूछो।
‘‘गणेशजू पैले भए। बे तो देवता आएं। मनो कान्हा सोई देवता आएं पर बे बिष्णु जी के अवतार रए।’’ भौजी ने कई।
‘‘बस, सो परकम्मा की शुरुआत भई गणेशजू से। औ वा बी महादेव और पार्वती जू के घरे से, सो, जा बृंदाबन से शुरू भई नईं हो सकत। मनो ओई टाईप से सब जांगा कोसी परकम्मा को चलन चल गओ। आप खों तो पतई हुइए के उतईं ब्रज में चैरासी कोस की परकम्मा होत आए जीमें 252 किलोमीटर चलने परत आए। जीमें बरसाना, नंदगांव, मथुरा, बृंदाबन गोवर्द्धन, राधाकुंड बगैरा सबई आ जात आएं।’’ मैंने भौजी से कई।
‘‘हऔ, बा तो हमें पतो , बाकी गणेशजू जी की का किसां आए?’’ भौजी ने पूछी।
‘‘अरे ने पूछो आप, बड़ी मजेदार किसां आए। का भओ के एक दार नारद जू ने सुरसुरी छोड़ दई के इत्ते लौं देवी-देवता आएं के उते धरती पे मानुस हरें समझ ने पात आएं के कोन को नांव पैले लओ जाए। नारद जू को इत्तो कैनो तो के देवता हरें झगड़न लगे के हमाओ नांव पैले लओ जानो चाइए, हमाओ नांव पैले लओ जानो चाइए। जे झगड़ा मिटाबे के लाने महादेवजू ने कई के ऐसो करो के सबरे देवता जे ब्रह्मांड के चक्कर लगा लेओ। जोन सबसे पैले परकम्मा पूरो करहे ओई को पैले पूजो जाहे। ओई को नांव पैले लओ जाहे। सब देवता ईके लाने राजी हो गए। उतई गणेशजू के भैया कार्तिकेय सोई ढ़ाड़े हते। उन्ने सोची के जेई टेम सबसे बढ़िया आए। जो हम ई टेम पे गणेश खों हरा देवें तो हमाओ नांव ईसे पैले लओ जाहे। सो कार्तिकेय ने गणेशजू खों चैलेंज करी। गणेशजू ने चैलेंज मान लओ। सबरे अपने-अपने वाहन पे सवार हो के निकर परे। कार्तिकेय को वाहन हतो मोर, जबके गणेश जू को वाहन चोखरवा। अब जे तो तै रओ के मोर चोखरवा से पैले परकम्मा पूरो कर लैहे।
सब रे देवता औ कार्तिकेय परकम्मा के लाने निकर परे। सब में लग गई रेस। मनो गणेजू तो हते बुद्धि के देवता। उन्ने चतुराई से काम लओ औ अपने मताई-बाप मने महादेव जू और पार्वती जू की परकम्मा कर के ठाड़े हो गए। पार्वती जू ने जा देखो तो बे गणेश जू से पूछ बैठीं के तुम परकम्मा पे काए नईं गए? ईपे गणेशजू ने कई के हमने तो परकम्मा पूरो कर लओ। जा सुन के महादेव जू ने कई के तुम झूठीं काए बोल रए? तुम तो इतई हमाई परकम्मा ले के ठाड़े हो गए, तुम ब्रह्मांड की परकम्मा करबे कां गए? तब गणेश जू ने कई के पिताजी हम झूठ नईं बोल रए। माता-पिता में पूरो ब्रह्मांड समाओ रैत आए, सो हमने आप दोई की परकम्मा कर के पूरे ब्राह्मांड की परकम्मा कर लई। ईमें झूठ का आए? जो सुन के नारद जू मुस्क्यान लगे औ बोले, बिलकुल सई कई। हमें आप से जेई उमींद रई। आपई हो जोन को नांव सबसे पैले लओ जाओ चाइए औ आपई की पूजा सबसे पैले करी जानी चाइए। नारद जूं की बात सुन के महादेव जू सोई मंद-मंद मुस्क्यान लगे। काए से के बे तो पैलई समझ गए रए के नारद जू ने जा सुरसुरी काय के लाने छोड़ी रई। बे समझ गए रए के नारद जू सबसे बुद्धिमान देवता चुनो चात आएं जोन को नाव ले के मानुस हरें अपनो काम बिना कोनऊं बाधा के पूरो कर सकें। 
इत्ते में कार्तिकेय औ बाकी देवता हरें सोई ब्राह्मांड की परकम्मा कर के लौट आए। सबने कई के अब बताओं के हममें से कोन जीतो? नारद जू ने बता दओ के गणेशजू जीते। जा सुने के कार्तिकेय खों खूबई गुस्सा आओ। बे झगड़न लगे। तब महादेव जू ने उने पूरी किसां बताई और गणेशजू की बुद्धिमानी बताई। तब कार्तिकेय सोई मान गए के सबसे पैले नांव जिनको लओ जा सकत आए बे गणेशजू के अलावा औ कोई होई नईं सकत। फेर ब्रह्माजू बोले के सबसे पैली सई परकम्मा गणेशजू ने करी सो अब जेई समै से परकम्मा करे की प्रथा शुरू भई कहानी। 
सो जे रई गणेशजू की परकम्मा की किसां जो सबसे पैली परकम्मा हती। काए से है का के चाए कोनऊं तीरथ कर आओ मनो सई पुन्न तभई मिलत आए जब मताई-बाप खों खुस राखों औ उनकी सेवा करो। एक तो अपने धरती वारे मताई-बाप रैतईं आएं औ देखों जाए तो सबरे देवी-देवता हरें सोई अपने मताई-बाप ठैरे सो उनकी परकम्मा करी जात आए। जोन से जितनी कोस बने।’’ मैंने भौजी खों पूरी किसां सुना डारी।
‘‘जा किसां हमें ने पता रई। जे तो सई में बड़ी मजेदार आए औ नोनी आए।’’ भौजी बोलीं।
‘‘मनो आजकाल तो मताई बाप औ भगवान को मतलबई बदल गओ आए।’’ भैयाजी बोल परे, जो उतईं खटिया पे परे-परे ऊंघ रए हते।
‘‘का मतलब आपको?’’ मैंने पूछी।
‘‘देख नईं रईं। राजनीति वारन के लाने उनको आका मताई-बाप, भगवान सब कछू होत आए। औ कऊं पार्टी ढरक गई तो आका मने भगवान सोई बदल जात आएं। जोन कुर्सी पे बिराजे, बेई भगवान औ बेई मताई-बाप।’’ भैयाजी बोले।
‘‘अरे, ऐसों की का कओ भैयाजी, बे तो अगरबत्ती की जांगा बिड़ी खोंस आएं औ कएं के हम अगरबत्ती जला आए। ऐसे लोगन को कोनऊं धरम नईं होत। बे धरम के नांव को भलई खा लेबें, मनो धरम-करम कोन जानत आएं। जेई लाने तो हर बरस गणेशजू पधारत आएं के सबई खों कछू बुद्धि दे दओ जाए। कछू बुद्धि ले लेत आएं औ कछू खाली चंदा खा के अफर जात आएं।’’ मैंने हंस के कई।
भैयाजू सोई हंसन लगे। फेर बे बृंदाबन को अपनो अनुभव सुनान लगे।               
बाकी बतकाव हती सो बढ़ा गई, हंड़ियां हती सो चढ़ा गई। अब अगले हफ्ता करबी बतकाव, तब लौं जुगाली करो जेई की। मनो सोचियो जरूर ई बारे में के बुद्धि के देवता गणेशजू सोई चात आएं के पैले मताई-बाप की सेवा करो, काए से उनकी सेवा करे से भगवानजू खुदई प्रसन्न हो जात आएं। सो बोलो, गणपति बप्पा की जै!!! 
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     गणपति बप्पा मोरया
     फोटो : डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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