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Wednesday, November 1, 2017

चर्चा प्लस ... मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर विशेष : स्थापना का उत्सव पर्व - डॉ. शरद सिंह

Dr Miss Sharad Singh

मेरा कॉलम - चर्चा प्लस, सागर दिनकर 01.11.2017





मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर विशेष :
स्थापना का उत्सव पर्व
- डॉ. शरद सिंह                                                                       
1 नवम्बर 1956, मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस। यह प्रदेश जो देश का हृदय कहलाता है, अब तक विकास के कई पड़ाव तय कर चुका है और निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उद्योग, शिक्षा और कृषि की नवीन प्रविधियों के मृद्दे पर जो कभी सबसे उपेक्षित, सबसे पिछड़ा हुआ था, आज उन्नति का नया इतिहास रच रहा है। उन्नत से उन्नत क्षेत्र में कमियां होती हैं किन्तु उन्हें संभावनाओं के पाले में रखते हुए प्रदेश के स्थापना पर्व का उत्सव मनाया ही जाना चाहिए। यह उत्सव और इससे उत्पन्न होने वाली प्रसन्नता एवं गर्व को अनुभव करना प्रत्येक प्रदेशवासी का अधिकार है। इसीलिए तो मध्य प्रदेश का प्रत्येक नागरिक हर साल 1 नवंबर को यही कहता है-‘नमामि मध्यप्रदेश’। 
Column of Dr Miss Sharad Singh - Charcha Plus in Sagar Dinkar News Paper, Sagar, Madhya Pradesh, Indi

1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश के रूप में स्थापित यह सुरम्य भू-भाग देश का हृदय-प्रदेश है। प्रति वर्ष 1 नवम्बर को मध्यप्रदेश के सभी निवासी उत्सव मानते हैं अपने प्रदेश के स्थापना दिवस के रूप में इस वर्ष भी यह उत्सव पर्व है और तीन दिवसीय है। मनुष्य होने के नाते हम उत्सव जीवी हैं। हम अपनी प्रसन्नता और उत्साह को उत्सव के रूप में ही तो व्यक्त करते हैं, इसे हम अपने मनुष्यत्व का प्राकृतिक गुण भी कह सकते हैं। प्रत्येक पर्व समाज के उत्कृष्ट रूप को प्रतिबिम्बित करता है क्यों कि ऐसे अवसरों पर समाज का प्रत्येक व्यक्ति परस्पर एक-दूसरे से खुशियां बांटता है और अपनत्व की नई सीढ़ियां चढ़ता है। 1947 में भारत की आजादी के बाद, 26 जनवरी, 1950 के दिन भारतीय गणराज्य के गठन के साथ सैकड़ों रियासतों का संघ में विलय किया गया था। राज्यों के पुनर्गठन के साथ सीमाओं को तर्कसंगत बनाया गया। 1950 में पूर्व ब्रिटिश केंद्रीय प्रांत और बरार, मकाराई के राजसी राज्य और छत्तीसगढ़ मिलाकर मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ तथा नागपुर को राजधानी बनाया गया। सेंट्रल इंडिया एजेंसी द्वारा मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल जैसे नए राज्यों का गठन किया गया। राज्यों के पुनर्गठन के परिणाम स्वरूप 1956 में, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्यों को मध्यप्रदेश में विलीन कर दिया गया, तत्कालीन सी.पी. और बरार के कुछ जिलों को महाराष्ट्र में स्थानांतरित कर दिया गया तथा राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में मामूली समायोजन किए गए। फिर भोपाल राज्य की नई राजधानी बन गया।  नवंबर 2000 में, राज्य का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा विभाजित कर छत्तीसगढ़ का नया राज्य बना। इस प्रकार, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया।
मध्य प्रदेश का समृद्ध इतिहास मौर्य राजवंश के काल तक रहा है। लेकिन उससे भी पहले पाषाण काल के लोगों द्वारा प्रागैतिहासिक काल में भीमबेटका, आबचंद की गुफाओं और रायसेन के शैलाश्रयों को चित्रित कर के अपने जीवन के अनुभवों को संजोया। गुप्तकाल में राजधानी के रूप में उज्जैन ने अपने समय में गौरव शिखर को छुआ और उसकी ख्याति पूरी दुनिया में फैली। चंदेलवंश ने खजुराहो में जो मंदिर शिल्प की विरासत छोड़ी वह आज भी बेजोड़ है। प्रदेश के ऊंचे शैल-शिखर विन्ध्य, सतपुड़ा, मैकल की पर्वतीय श्रृंखलाओं की हरियाली और उनमें कहे-सुने जाते पौराणिक आख्यान इसे समृद्ध बनाते हैं। नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा, केन, धसान, तवा, ताप्ती, शिप्रा, काली सिंध आदि नदियों के उद्गम और मिलन स्थल अनेकानेक कथाएं कहते हैं।
मध्य प्रदेश अपने आप में अनूठा है। यहां की संस्कृति में विविधता है जो सतरंगी आभा का सृजन करती है। अन्य भाषायी प्रदेशों की भांति मध्य प्रदेश की कोई एक भाषित संस्कृति नहीं है, यहां बहुभाषिक संस्कृतियां सदियों से साझातौर पर फल-फूल रही हैं। वस्तुतः मध्य प्रदेश विभिन्न लोक और जनजातीय संस्कृतियों का ऐसा गुलदस्ता है जिसमें विभिन्न रंगों और सुगधों के फूल महकते रहते हैं। यहां कोई एक लोक संस्कृति नहीं है अपितु अनेकता में एकता का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करती एकाधिक लोक संस्कृतियां हैं। यहां पांच लोक संस्कृतियां एक साथ मौजूद हैं जो निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और ग्वालियर और धार-झाबुआ, मंडला-बालाघाट, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद्, खण्डवा-बुरहानपुर, बैतूल, रीवा-सीधी आदि क्षेत्रों में अपनी परम्पराओं को सहेजे हुए हैं। लोक गायन की शैलियों में फाग, भर्तहरि, संजा गीत, भोपा, कालबेलिया, भांड, वसदेवा, विदेसिया, कलगी तुर्रा, निर्गुनिया, आल्हा और पंडवानी गायन आदि हैं। मध्य प्रदेश का शास्त्रीय और लोक संगीत के क्षेत्र में विशेष अवदान है। विख्यात हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत घरानों में मध्य प्रदेश के मैहर घराने, ग्वालियर घराने और सेनिया घराने शामिल हैं। वर्तमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर के निकट जन्म हुआ था तानसेन और बैजू बावरा का। आधुनिक में प्रसिद्ध ध्रुपद कलाकार अमीनुद्दीन डागर इंदौर में, गुंदेचा ब्रदर्स और उदय भवालकर उज्जैन में जन्मे थे। पार्श्व गायक किशोर कुमार का खंडवा में जन्म हुआ था तो स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जन्मस्थान इंदौर हैं।
प्रदेश के लोक नृत्य में बधाई, राई, सैरा, जवारा, बरेदी, सैला, मौनी, ढिमरियाई, कनारा, भगोरिया, दशेरा, ददरिया, दुलदुल घोड़ी, लहगी घोड़ी, फेफरिया मांडल्या, डंडा, एडीए-खड़ा, दादेल, मटकी, बिरहा, अहिराई, परधौनी, विल्मा, दादर और कलस ने देश-विदेश में ख्याति अर्जित की है। जहां तक शास्त्रीय नृत्यों का प्रश्न है तो कथक नृत्य ने मध्यप्रदेश में गरिमापूर्ण पहचान बनाई है। खजुराहो-उत्सव में प्रदर्शित शास्त्रीय नृत्य दुनिया भर के नृत्यकारों के आकर्षण का केन्द्र होते हैं।
मध्यप्रदेश देश का एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य है। यहाँ 6000 मिलियन टन लाईम स्टोन रिजर्व है। देश का 8 प्रतिशत कोयला है। कोल बेड मीथेन 144 बिलियन क्यूबिक मीटर उपलब्ध है। देश के 18 एग्रो क्लाईमेटिक जोन में से 11 एग्रो क्लाइमेटिक जोन मध्यप्रदेश में हैं। देश में मध्यप्रदेश का सोयाबीन, दालें, चना एवं लहसुन उत्पादन में प्रथम स्थान है। गेंहू, मिर्च, रामतिल एवं धनिया उत्पादन में प्रदेश प्रथम पांच में है। केला, संतरा, आम एवं नीबू उत्पादन में प्रदेश अग्रणी है। विपरीत स्थितियों में भी यहां का किसान हार नहीं मानता है। मध्य प्रदेश अपने टेक्सटाईल उत्पादों के लिए मशहूर है। महेश्वरी और चंदेरी साड़ियों की समृद्ध परंपरा आज भी मौजूद है। भोपाल का ज़रदोजी का काम भी बहुत मशहूर है।
मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त पर्यटन केन्द्र हैं। ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक की दृष्टि से खजुराहो, सांची, माण्डू, ग्वालियर, ओरछा एवं भीमबैठका आदि। प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से पचमढ़ी, भेड़ाघाट और अमरकंटक आदि। धार्मिक दृष्टि से उज्जैन, अमरकण्टक, ओंकरेश्वर, महेश्वर, चित्रकूट, मैहर, बुरहानपुर आदि। इनके अतिरिक्त अनेक ऐसे स्थान हैं जो स्थानीय पर्यटन के रूप में विकसित हैं।
लाड़ली लक्ष्मी, रुक जाना नहीं, मेधावी लड़कियों को लैपटॉप और स्मार्टफोन, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश विधवा पुनर्विवाह योजना, प्रतिभा किरण योजना, मध्यप्रदेश लोकसेवा गारंटी अधिनियम जैसी योजनाएं प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के विकास के लिए क्रियान्वित हैं। रुक जाना नहीं, लाड़ली लक्ष्मी, मेधावी लड़कियों को लैपटॉप और स्मार्टफोन, मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश विधवा पुनर्विवाह योजना, प्रतिभा किरण योजना, मध्यप्रदेश लोकसेवा गारंटी अधिनियम जैसी योजनाएं प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के विकास के लिए क्रियान्वित हैं। प्रदेश सरकार की योजनाएं उद्योगों के विकास को ध्यान में रख कर बनाई जाती रही हैं। 
राज्य शासन द्वारा प्रदेश के तेज गति से औद्योगिक विकास तथा यहां पूरे विश्व से निवेश सुलभ करवाने के लिये प्रति दो वर्ष में किया जाने वाला वैश्विक निवेशक सम्मेलनों से उत्तरोत्तर आर्थिक सफलता की उम्मींद की जा सकती है। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में 21 से 23 अक्टूबर 2016 तक आयोजित पांचवां वैश्विक निवेशक सम्मेलन अत्यधिक सफल रहा था। इसमें उद्योगपतियों एवं निवेशकों द्वारा प्रदेश में 2,630 निवेश के इरादे (इन्टेन्शन टू इन्वेस्ट) व्यक्त किये गये थे, जिनकी कुल कीमत 5 लाख 62 हजार 847 करोड़ थी। निवेशकों द्वारा जो घोषणाएं की गई थीं, वे थीं- प्रदेश की मंडला इकाई में न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन 25 हजार करोड़ का निवेश करेगा, बिड़ला समूह विभिन्न क्षेत्रों में 20 हजार करोड़ का निवेश करेगा, इंडियन ऑइल 4760 करोड़ के निवेश करेगा, एस्सार समूह गैस शोधन क्षेत्र में प्रदेश में 4500 करोड़ के नये निवेश करेगा, सिन्टेक्स समूह प्रदेश में 2000 करोड़ के निवेश करेगा, पी एण्ड जी इंडिया 1100 करोड़ के निवेश करेगा, ल्यूपिन इंडिया 700 करोड़ का निवेश करेगा, जर्मनी का हैटिक समूह 400 करोड़ का निवेश करेगा।
विगत अक्टूबर 2017 में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने अमेरिका के प्रवास को अनिवासी भारतीयों के प्रदेश में निवेश पर केन्द्रित रखा। भारतीय समुदाय से चर्चा करते हुए उन्होंने राज्य में निवेश की अपार संभावनाओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। यह बात और है कि वे अति उत्साह में प्रदेश की सड़कों को वाशिंगटन की सड़कों से कई गुना अच्छी कह बैठे। लेकिन निवेश कराने के प्रति उनकी लगन और इच्छा को कम कर के नहीं आंका जा सकता है। इस बात को समझना होगा कि सरकारें नागरिकों के दम पर होती हैं नागरिक सरकारों के दम पर नहीं। हमें सरकार को कोसना भर नहीं बल्कि सरकार को अपनी समस्याएं बताना, जताना और मनवाना आना चाहिए। साथ ही, सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठाना भी आना चाहिए।
स्थापना के उत्सव पर्व को मनाते हुए प्रदेश का प्रत्येक नागरिक इस आशा पर तो विचार कर ही सकता है कि भविष्य में उसका यह मध्य प्रदेश स्वच्छता में अग्रणी होगा, उर्जा उत्पादन की मिसालें कायम कर सकेगा, स्त्री एवं बालिका सुरक्षा के क्षेत्र में प्रतिमान गढ़ेगा। सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्नता के नए शिखरों को छुएगा क्यों की यहां ईको, पुरातात्विक, कला और चिकित्सकीय पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। बस, आवश्यकता है तो राजनीतिक और नागरिक के रूप में अपनी उन आदतों को सुधारने की जिनके कारण प्रदेश पूर्ण सफलता का स्वाद नहीं चख पाता है। इस उत्सव पर्व में अपनी बुरी आदतों को सुधारने का संकल्प तो लिया ही जा सकता है।

Happy Madhya Pradesh Foundation Day !

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