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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, February 21, 2019

नामवर सिंह ने अपने मानक स्वयं गढ़े - डॉ शरद सिंह

Tribute to Nambar Singh by Dr Sharad Singh
            विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
"श्रद्धेय नामवर सिंह वे विरले साहित्यालोचक थे जिन्होंने अपना मानक स्वयं गढ़ा। उन्होंने  दूसरी परंपरा की खोज करके हिन्दी साहित्य को एक नई दिशा दी। नामवर जी का जाना हिन्दी साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि !" - डॉ शरद सिंह

"आलोचकों की प्रथम पंक्ति में जिनका नाम आता है उनमें से एक हैं नामवर सिंह। हिन्दी साहित्य में नामवर सिंह होने का अर्थ क्या है? इस पर बड़ी सजगता से कलम चलाई है सदानंद शाही ने।"
- ‘‘सामयिक सरस्वती’’ पत्रिका के जुलाई-सितम्बर 2016 अंक में मेरे संपादकीय से...डॉ शरद सिंह

"वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने टिप्पणी की थी कि ‘‘अपनी आलोचनात्मक क्षमता के द्वारा मुक्तिबोध ने प्रमाणित कर दिया कि कोई भी चीज तभी स्पष्ट होती है जब कम-से-कम एक ईमानदार व्यक्ति मौजूद हो।’’" - ‘‘सामयिक सरस्वती’’ पत्रिका के अप्रैल-जून 2017 अंक में मेरे संपादकीय से...डॉ शरद सिंह

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