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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, July 30, 2020

विशेष लेख : लापरवाहियां भारी पड़ सकती हैं अनलाॅक-3 में - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह, दैनिक जागरण में प्रकाशित

Dr (Miss) Sharad Singh





"लापरवाहियां भारी पड़ सकती हैं अनलाॅक-3 में " ... आज 30.07.20 #दैनिक_जागरण में प्रकाशित मेरा यह लेख ...


हार्दिक आभार "दैनिक #जागरण"🙏

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विशेष लेख :

लापरवाहियां भारी पड़ सकती हैं अनलाॅक-3 में

- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

       अनलॉक-2 की अवधि 31 जुलाई को पूरी होने वाली है और उसके बाद अनलॉक-3 लागू किया जाएगा। अनलाॅक-3 के सामने एक और बड़ी चुनौती है आगामी त्यौहारों की। बकरीद और रक्षाबंधन जैसे त्योहार 31 जुलाई के बाद आने वाले हैं। ऐसे में त्योहार को लेकर बाजार में भीड़-भाड़ बढ़ने की पूरी संभावना है। अगर लरपरवाहियां नहीं छोड़ी गईं तो संक्रमण और ज्यादा तेजी से फैल सकता है। अभी की ताज़ा स्थिति पर गौर करें तो बाज़ारों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियों उड़ती दिखाई देती हैं। राजनीतिक सभाओं एवं संपर्कों के दौरान कोरोना गाईडलाईन अनके स्तरों पर तोड़ी गईं। बड़े रसूखदार व्यक्ति भी जिनसे समझदारी की उम्मींद की जाती है, वे भी मास्क लगाने में लापरवाही बरतते हैं। या तो मास्क लगाते ही नहीं हैं और यदि लगा लिया तो उसे ठोढ़ी या गले में फंसाए रखते हैं। मानो कोरोना वायरस का संक्रमण नाक से नहीं गले या ठोढ़ी से प्रवेश करेगा। ऐसी ही चूक का परिणाम है कि आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। जाहिर है कि इस महामारी का संबंध किसी विशेष जाति, धर्म, संप्रदाय राजनीतिक दल या व्यक्ति से नहीं है। इसके लिए हर इंसान टारगेट है। एक कुली भी इसका शिकार बन सकता है और मुंबई के सबसे पाॅश इलाके में रहने वाले अमिताभ बच्चन भी इसकी ग़िरफ़्त में आ सकते हैं। अब जबकि अनलाॅेक-3 के बारे में कयास लगाया जा रहा है कि इसमें और अधिक छूटे मिलेंगी तो और अधिक सतर्कता जरूरी हो जाती है।
Dr (Miss) Sharad Singh article in Dainik Jagaran

        पिछले दिनों भावी उपचुनावों को लेकर हुई सभाओं में कोरोना गाईड लाईन को ताक में रख दिया गया था। बाज़ारों में फिजिकल डिस्टेंसिंग को तो लगभग भुला ही दिया गया। माॅर्निंगवाॅक और ईवनिंगवाॅक के दौरान बिना मास्क के घूमने वालों की कोई कमी नहीं है। ऐसे लोगों को भी डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रहता है। बहरहाल, समाचारपत्रों एवं अन्य मीडिया द्वारा सभाओं में बरती गई लापरवाहियों पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं किए जाने का परिणाम यह हुआ है कि शैक्षणिक संस्थाओं में फिजिकल डिस्टेंसिंग को भुला कर कथित वेबिनार किए जा रहे हैं। जबकि वेबिनार का कंसेप्ट ही है कि वेब अथवा इंटरनेट द्वारा परस्पर चर्चा एवं संवाद। कुर्सी से कुर्सी जोड़ कर यदि पांच व्यक्ति बैठे हैं तो यह वेबिनार नहीं बल्कि संक्रमण को दावत देना ही कहलाएगा। अधिक उत्साह में आ कर व्याख्यान और सम्मान कार्यक्रम किया जाना भी ख़तरे को दावत देने के समान है। क्योंकि ऐसे आयोजन में शामिल होने वालों की कार्यक्रम-पूर्व कोरोना जांच की कोई चाक-चैबंद व्यवस्था तो होगी नहीं, लिहाज़ा इस बात की गारंटी नहीं ली जा सकती है कि आयोजन में उपस्थित सभी व्यक्ति ‘‘कोरोना मुक्त’’ हैं। सागर जिला प्रशासन एक बार ऐसी चूक कर चुका है जब प्रशासन ने एक मुनिश्री को अन्यत्र जाने की अनुमति दी और साथ ही भीड़ जुड़ने का अनुमान नहीं लगा सका। उस चूक से सीख लिया जाना चाहिए था। अनलाॅक-1 और अनलाॅक-2 में मिली छूटों में आमजन भी लापरवाही बरतने में पीछे नहीं रहे हैं, नतीज़ा यह कि हर शहर में कोरोना के नए संक्रमितों की संख्या आए दिन पंद्रह से बीस के बीच बरामद होती है। यदि आंकड़ों पर ध्यान दें तो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 47,704 नए मामले सामने आए हैं और 654 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 14,83,157 हो गई है। जिनमें से 4,96,988 सक्रिय मामले हैं, 9,52,744 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 33,425 लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर आ गया है।
अनलॉक-3 के साथ जहां लोगों के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी वहीं कोरोना के प्रसार को लेकर डर भी बना हुआ है। अनलॉक-3 के लिए जनता में भी उत्सुकता है। लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि सरकार किन-किन चीजों में ढील देने वाली है।  25 से 50 फीसदी दर्शकों के साथ खुल सकते हैं मल्टीप्लेक् अनलॉक-3 में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सिनेमा हॉल को खोलने पर विचार किया जा रहा है। सिनेमा हॉल खोलने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा जा चुका है। सिनेमाघर मालिकों और सूचना प्रसारण मंत्रालय की बैठक में मंत्रालय ने सिनेमाघरों के मालिकों के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह 25 से 50 फीसदी दर्शकों के साथ मल्टीप्लेक्स, सिंगल विंडो सिनेमाघर खोल सकते हैं। इस पर सवाल उठता है कि क्या सिनेमाघर संचालक इतने कम दर्शकों यानी इतने बड़े घाटे के साथ अपना सिनेमाघर चला सकेंगे? यदि किसी तरह चला भी लें तो क्या वे कोरोना गाईडलाईन के नियमों का पालन करा सकेंगे? एक ही हाॅल में बैठे दर्शकों की सांसों से फैल सकने वाले संक्रमण को वे कैसे नियंत्रित रख सकेंगे? क्या नियमों के पालन में वे निरंतर सख़्ती और सजगता बनाए रख सकेंगे? क्या यह वहीं सिगरेट या शराब वाला उदाहरण होगा कि ‘‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’’ की सूचना छाप पर उपभोक्ताओं के विवेक पर छोड़ दिया जाएगा कि उन्हें मनोरंजन प्यारा है अथवा अपना जीवन? शराब की दूकाने खोलने की अनुमति के बाद उन दूकानों पर नियमों की धज्जियां उड़ाती भीड़ की अनके तस्वीरें आंखों के सामने से गुज़री हैं। ऐसे में बड़ी चुनौती होगी सिनेमाघरों को खोलना। हमारे देश में नियम और सूचनाओं का क्या हश्र होता है वह तो अनलाॅक-2 के दौरान खुले बाज़ारों और चुनावी सभाओं में देखा ही है। बस, ट्रेन, हवाई जहाज को सर्शत छूट दिए जाने पर भी स्कूलों को बंद रखा गया है जो कि एक उचित निर्णय है। अनलाॅक-3 में भी स्कूल्स बंद रखे जाने की संभावना है।
अनलॉक-2 के बाद मध्य प्रदेश में कोरोना बेकाबू हो गया। जो स्थिति लाॅकडाउन के समय थी, उसके विपरीत अनलाॅक में स्थिति बिगडती ही गई है। आगामी त्योहारों के सीज़न को ध्यान में रख कर यह गाईडलाईन दोहराई गई है कि धार्मिक स्थलों, उपासना स्थलों पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे नहीं होंगे। घर पर ही आगामी त्यौहार मनाना होगा। देव प्रतिमा घर पर ही स्थापित कर पूजा-अर्चना करना होगा। सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमा स्थापित करने, त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होग। जुर्माने के प्रावधान के साथ इन नियमों का पालन कराया जाएगा। अनलाॅक-3 में छूटे बढ़ाई जानी सामान्य जीवन को व्यवस्थित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगी लेकिन उतनी भी ख़तरनाक भी। इसलिए एक अगस्त से संभावित अनलाॅक-3 में लापरवाहियां छोड़ कर सतर्कता को अपनाना होगा वरना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए भारी पड़ेंगी लापरवाहियां।       
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(दैनिक जागरण में 30.07.2020 को प्रकाशित)

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1 comment:

  1. परिस्थितियों का एकदम सटीक आकलन.... बहुत ही उत्तम आलेख

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