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My Editorials - Dr Sharad Singh

Wednesday, July 29, 2020

चर्चा प्लस - 31 जुलाई के बाद अनलाॅक-3 और उसकी चुनौतियां - डाॅ शरद सिंह


Dr (Miss) Sharad Singh
चर्चा प्लस

31 जुलाई के बाद अनलाॅक-3 और उसकी चुनौतियां 

 - डाॅ शरद सिंह

     कोरोना महामारी के भारत में प्रवेश के बाद लाॅकडाउन, अनलाॅक-1 फिर अनलाॅक-2 से आमजन को गुज़रना पड़ा है। अब 31 जुलाई के बाद अनलाॅक-3 का चरण शुरू होगा। कैसा होगा यह चरण? और अधिक छूटों का या और अधिक बंदिशों का? जो भी हो मगर यह चरण बेहद जोखिम भरा होगा क्योंकि लापरवाहियों के अनेक उदाहरण हर दिन सामने आ रहे हैं और आगे है त्यौहारों का समय। अर्थात् चुनौतियां विकट हैं। 
         देश में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना हजारों की संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं अनलॉक-2 की अवधि 31 जुलाई को पूरी होने वाली है और अनलॉक-3 लागू किया जाएगा। देश में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना हजारों की संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं। अनलॉक-3 के साथ जहां लोगों के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी वहीं कोरोना के प्रसार को लेकर डर भी बना हुआ है।
             अनलॉक-3 के लिए जनता में भी उत्सुकता है। लोग यह जानने को उत्सुक हैं कि सरकार किन-किन चीजों में ढील देने वाली है।  25 से 50 फीसदी दर्शकों के साथ खुल सकते हैं मल्टीप्लेक् अनलॉक-3 में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सिनेमा हॉल को खोलने पर विचार किया जा रहा है। सिनेमा हॉल खोलने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा जा चुका है। सिनेमाघर मालिकों और सूचना प्रसारण मंत्रालय की बैठक में मंत्रालय ने सिनेमाघरों के मालिकों के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह 25 से 50 फीसदी दर्शकों के साथ मल्टीप्लेक्स, सिंगल विंडो सिनेमाघर खोल सकते हैं। इस पर सवाल उठता है कि क्या सिनेमाघर संचालक इतने कम दर्शकों यानी इतने बड़े घाटे के साथ अपना सिनेमाघर चला सकेंगे? यदि किसी तरह चला भी लें तो क्या वे कोरोना गाईडलाईन के नियमों का पालन करा सकेंगे? एक ही हाॅल में बैठे दर्शकों की सांसों से फैल सकने वाले संक्रमण को वे कैसे नियंत्रित रख सकेंगे? क्या नियमों के पालन में वे निरंतर सख़्ती और सजगता बनाए रख सकेंगे? क्या यह वहीं सिगरेट या शराब वाला उदाहरण होगा कि ‘‘स्वास्थ्य के लिए हानिकारक’’ की सूचना छाप पर उपभोक्ताओं के विवेक पर छोड़ दिया जाएगा कि उन्हें मनोरंजन प्यारा है अथवा अपना जीवन? हमारे देश में नियम और सूचनाओं का क्या हश्र होता है वह तो अनलाॅक-2 के दौरान खुले बाज़ारों और चुनावी सभाओं में देखा ही है। बस, ट्रेन, हवाई जहाज को सर्शत छूट दिए जाने पर भी स्कूलों को बंद रखा गया है जो कि एक उचित निर्णय है। अनलाॅक-3 में भी स्कूल्स बंद रखे जाने की संभावना है। 
         सरकारी आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में अब तक 28,589 से अधिक संक्रमित मिल चुके हैं। अनलॉक 2 के बाद मध्य प्रदेश में कोरोना बेकाबू हो गया। जो स्थिति लाॅकडाउन के समय थी, उसके विपरीत अनलाॅक में स्थिति बिगडती ही गई है। इसका संक्रमण लगातार बढ़ गया। प्रदेश स्तर पर 31 जुलाई तक हर शनीवार और रविवार लॉकडाउन करने के निर्णय के बाद भी स्थानीय प्रशासन को कोरोना संक्रमण बढ़ने की चुनौती मिलती जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं कोरोना के चपेट में आ गए। यद्यपि उन्होंने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उत्सवों पर सार्वजनिक झाकियां नहीं लगाई जाएंगी। धार्मिक स्थलों, उपासना स्थलों पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे नहीं होंगे। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर पर ही आगामी त्यौहार मनाएं। देव प्रतिमा घर पर ही स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमा स्थापित करने, त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होगी। जुर्माने के प्रावधान के साथ इन नियमों का पालन कराया जाएगा। लेकिन वहीं दूसरी ओर चुनावी सभाओं और जनसंपर्क के लिए कोई स्पष्ट निर्देश नहीं हैं। 
      अनलाॅक-3 के सामने एक और बड़ी चुनौती है आगामी त्यौहारों की। बकरीद और रक्षाबंधन जैसे त्योहार 31 जुलाई के बाद आने वाले हैं। ऐसे में त्योहार को लेकर बाजार में भीड़ भाड़ बढ़ने की पूरी संभावना है। अगर लॉकडाउन खत्म किया गया तो संक्रमण और ज्यादा तेजी से फैल सकता है। अभी की ताज़ा स्थिति पर गौर करें तो बाज़ारों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियों उड़ती दिखाई देती हैं। नतीज़ा यह कि हर शहर में कोरोना के नए संक्रमितों की संख्या आए दिन पंद्रह से बीस के बीच बरामद होती है। यदि आंकड़ों पर ध्यान दें तो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 47,704 नए मामले सामने आए हैं और 654 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 14,83,157 हो गई है। जिनमें से 4,96,988 सक्रिय मामले हैं, 9,52,744 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 33,425 लोगों की मौत हो चुकी है। दुनिया भर में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर आ गया है। इस सूची में 44 लाख से ज्यादा संक्रमितों के साथ अमेरिका पहले, ब्राजील (24 लाख 43 हजार से ज्यादा) दूसरे और भारत (14 लाख 82 हजार) तीसरे स्थान पर है। देश में वर्तमान में कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण के पॉजिटिव मामले आने की दर (पाॅजिटिविटी दर) 8.07 प्रतिशत है और केंद्र सरकार राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश के साथ मिलकर इसे पांच प्रतिशत से कम करने के लिये प्रयासरत है। 

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक उद्घाटन कार्याक्रम के दौरान अपने एक संबोधन में कहा था कि आने वाले समय में कई सारे त्योहार आने वाले हैं। इस दौरान हमें काफी सावधान रहने की जरूरत है। जब तक कोरोना का इलाज नहीं मिल जाता तब तक हमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग आदि के द्वारा ही कोरोना से बचना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा पूरे देश में आज 1300 से अधिक लैब्स काम कर रही हैं। आज भारत में पांच लाख से ज्यादा टेस्ट हर रोज हो रहे हैं। आने वाले हफ्तों में इसे 10 लाख प्रतिदिन करने की कोशिश हो रही है। इस महामारी के दौरान हर कोई सभी भारतीयों को बचाने के संकल्प से जुड़ा है। भारत ने जो किया वो एक सफल कहानी है। एक समय भारत में पीपीई किट्स नहीं बनता था। लेकिन छह महीने में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पीपीई किट्स उत्पादक देश बन गया है। हमारे यहां प्रत्येक दिन हर रोज पांच लाख से ज्यादा पीपीई किट्स बन रहे हैं। आज भारत में तीन लाख से ज्यादा एन-95 मास्क हर रोज बन रहे हैं। जबकि पहले हम दूसरे देशों से मंगा रहे थे। पहले भारत वेंटिलेटर के लिए भी दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन आज हमलोग एक साल में तीन लाख वेंटिलेटर्स बना सकते हैं। सभी के सामूहिक प्रयासों की वजह से लोगों का जीवन भी बच रहा है साथ ही आयात करने वाले चीजों का निर्यात कर पा रहे हैं।
         काश, पीपीई किट्स, मास्क, वेंटिलेटर के क्षेत्र में उत्पादन और निर्यात की इस प्रगति के बदले हमारे पास कोरोना महामारी के मरीजों के निरंतर घटते आंकड़े होते। जब प्रश्न जीवन और मृत्यु से जुड़ा हो तो हर प्रगति जीवन की कसौटी पर ही कसा जाएगा। प्रधानमंत्री की चिन्ता वाजिब है। अनलाॅक-1 और अनलाॅक-2 के दौरान हुई लापरवाहियां अनलाॅक-3 में नहीं दुहराई जाएंगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में अनलाॅेक-3 की चुनौतियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। 

नियम को ताक में रखकर जो आगे बढ़ रहेहैं
नये  ख़तरे, नई  मुश्क़िल   वही  तो गढ़ रहे हैं
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   (दैनिक सागर दिनकर में 29.07.2020 को प्रकाशित)

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