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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, July 23, 2020

एकरूपता हो नियमों के पालन में - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह, दैनिक जागरण में प्रकाशित

Dr (Miss) Sharad Singh
"संक्रमितों के नामों को प्रकाशित न किए जाने का नियम सेलीब्रटीज़ पर लागू क्यों नहीं किया जाता " ... आज #दैनिक_जागरण में प्रकाशित मेरा यह लेख ...
❗हार्दिक आभार "दैनिक #जागरण"🙏
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विशेष लेख:
एकरूपता हो नियमों के पालन में
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
          कोरोना गाईड लाईन के अनुसार कोरोना संक्रमित व्यक्ति का नाम मीडिया पर सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्तियों के सिर्फ क्षेत्र की सूचना दी जाती है। 'पी1', 'पी2' के छद्म नाम के साथ। ऐसे कई मामले प्रकाश में आते रहे हैं जिनमें अज्ञानतावश संक्रमितों के संपर्क में आ कर अन्य कई लोग संक्रमित हुए हैं। बेशक यह तर्क माना जा सकता है कि संक्रमितों को किसी भी तरह की अवहेलना से बचाने के लिए उनके नामों की गोपनीयता रखी जाती है। तो फिर संक्रमितों के नामों को प्रकाशित न किए जाने का नियम सेलीब्रटीज़ पर लागू क्यों नहीं किया जाता है? चाहे वे राजनीति के ख्यातिलब्ध नाम हों अथवा फिल्मी दुनिया के। आम जनता और सेलेब्स के लिए एक ही नियम का दो तरह से पालन?
Dr (Miss) Sharad Singh article in Dainik Jagaran
    यहां सवाल व्यक्ति के पद-प्रतिष्ठा का नहीं है, सवाल है नियमों के एक समान पालन का। कहा तो यही जाता है कि नियम सबके लिए बराबर होते हैं। तो फिर इस मुद्दे पर समानता दिखाई क्यों नहीं देती है? उल्लेखनीय है कि मई के अंतिम सप्ताह में भाजपा के कद्दावर नेता और बेबाक प्रवक्ता संबित महापात्रा को कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर गुरुगांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया थ। संबित महापात्रा के ट्विटर पर 4.4 मिलियन फालोअर्स हैं और न्यूज चैनल की डिबेट में वो भाजपा की ओर से विपक्षी दलों को करारा जबाव देने के लिए जाने जाते हैं। वे एक सेलेब्स की भांति हैं और उनके कोरोना संक्रमित होने का समाचार सुर्खियां बटोरता रहा। इसके बाद बाॅलीबुड के शाहनशाह एवं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के संक्रमित होने की ख़बर ने तहलका मचा दिया। बच्चन परिवार के 54 कर्मचारी क्वारंटीन में रखे गए। पहले जहां अमिताभ बच्चन के कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आई तो उसके बाद अभिषेक भी पॉजिटिव निकले। वहीं बाद में ऐश्वर्या राय बच्चन और आराध्या के भी संक्रमित होने की खबर मिली। अमिताभ बच्चन के फैंस शहंशाह के साथ ही अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय बच्चन और आराध्या के लिए भी प्रार्थना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई ऐसे पोस्ट देखने को मिल रहे हैं, जहां पर फैंस बच्चन परिवार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। स्वाभाविक है। कोई भी व्यक्ति अपने प्रिय लगने वाले व्यक्ति को कोरोना जैसे संकट में फंसा हुआ नहीं देखना चाहता है तथा उसके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए दुआएं करने लगता है। लेकिन यदि अमिताभ बच्चन सदी के महानायक नहीं होते और एक आमजन होते तो क्या उनका अथवा उनके परिवार के सदस्यों का नाम प्रकाशित किया जाता? 

इसी तरह आगामी उपचुनावों के परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश का ही उदाहरण लें तो अनलॉक 2 के बाद मध्य प्रदेश में कोरोना बेकाबू हो गया है। इसका संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, प्रदेश स्तर पर 31 जुलाई तक हर रविवार लॉकडाउन करने के निर्णय के बाद अब स्थानीय प्रशासन भी शहरों और जिलों को फिर लॉकडाउन करने की तरफ बढ़ रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए उत्सवों पर सार्वजनिक झाकियां नहीं लगाई जाएंगी। धार्मिक स्थलों, उपासना स्थलों पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति इकट्ठे नहीं होंगे। शादी, सगाई आदि में दोनों पक्षों के 10-10 व्यक्ति से अधिक सम्मिलित नहीं होंगे। जन्मदिन आदि उत्सवों में 10 से अधिक व्यक्ति शामिल नहीं होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर पर ही आगामी त्यौहार मनाएं। देव प्रतिमा घर पर ही स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिमा स्थापित करने, त्योहार मनाने की अनुमति नहीं होगी। ऐसी दशा में आगामी उपचुनाव की चुनावी सभाओं का क्या होगा?

एक ओर कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मप्र फिर लॉकडाउन की तरफ बढ़ रहा है। राज्य में रविवार को पूरी तरह लॉकडाउन लागू करने के बाद अब एक दिन और गतिविधियां प्रतिबंधित की जा रही हैं। यह दिन रविवार के पहले शनिवार या बाद के सोमवार को होगा। भोपाल में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रहेगा। इस दौरान अत्यावश्यक सेवाओं को ही मंजूरी रहेगी। इसके अलावा सभी जिलों में कर्फ्यू रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक रहेगा। राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए यह भी साफ कर दिया है कि यदि किसी निजी दफ्तर या व्यापारिक संस्थान में कोई कोरोना पॉजिटिव मिला तो उसे सात दिन के लिए बंद कर दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि संक्रमण मुक्त जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में राज्य और केंद्र सरकार के सभी दफ्तरों में अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या 30 से 50 फीसदी ही रहेगी। अधिकारी शत-प्रतिशत आएंगे। निजी कार्यालय एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान भी 30 से 50 प्रतिशत क्षमता में संचालित होंगे। निजी दफ्तर तथा व्यापारिक संस्थानों में कोई कोरोना पॉजीटिव मिलने पर उसे 7 दिन के लिए बंद कर दिया जाएगा।  
फिलहाल इस बात के आसार नजर नहीं आ रहे हैं कि सितंबर अंत तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ जाएगी। चुनाव आयोग ने पोलिंग बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए खाका तैयार किया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव प्रचार में कोरोना गाइडलाइन के पालन की जिम्मेदारी कौन लेगा? सरकार ने सभी प्रकार के सामूहिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। तो क्या किसी भी प्रकार की चुनावी सभा इसी प्रतिबंध के दायरे में आएगी? पहले ही ऐसे मामले प्रकाश में आ चुके हैं जब संभावित उम्मींदवारों के समर्थक जनसभा में शामिल हुए और उन्होंने न तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा और न मास्क लगाने का। जब से चुनाव के निकट आने की संभावना बढ़ी तभी से कोरोना से बचाव के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली अनेक तस्वीरें समाचारपत्रों के मुखपृष्ठों पर अपनी जगह बना चुकी हैं। इस स्थिति में कोरोना गाइडलाइन का पालन सुचारु रूप से कैसे हो पाएगा, यह सबसे बड़ी चिंता का प्रश्न है। इसी परिप्रेक्ष्य में नियमों के समान रूप से पालन किया और कराया जाना प्राथमिक जरूरत है ताकि आमजन सजग और सतर्क रह कर कोरोना से अपनी रक्षा कर सके। 
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(दैनिक जागरण में 23.07.2020 को प्रकाशित)
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