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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, August 13, 2020

किसी चुनौती से कम नहीं ‘गंदगी भारत छोड़ो’ अभियान | डॉ. (सुश्री) शरद सिंह | दैनिक जागरण में प्रकाशित

दैनिक जागरण 13.08.2020 में प्रकाशित मेरा विशेष लेख "किसी चुनौती से कम नहीं ‘गंदगी भारत छोड़ो’ अभियान" 🚩
❗हार्दिक आभार "दैनिक #जागरण"🙏
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विशेष लेख :
किसी चुनौती से कम नहीं ‘गंदगी भारत छोड़ो’ अभियान
     - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
       प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अगस्त को दिल्ली में ’स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत बनाए गए ’राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र’ का उद्घाटन किया था। उसी दौरान देशवासियों से स्वतंत्रता दिवस तक एक सप्ताह लंबा ‘‘गंदगी भारत छोड़ो’’ अभियान चलाने का आह्वान किया और कहा कि ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ ने हर देशवासी के आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाया है तथा इससे जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में मिल रहा है। जैसे महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई का आंदोलन शुरू करते हुए अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। उसी तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी ’गंदगी भारत छोड़ो’ का नया नारा दिया है। इस नारे के साथ जुड़े हुए अभियान की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी जी का अभियान था- अंग्रेजों भारत छोड़ो। अब हम लोग अभियान चला रहे हैं- गंदगी भारत छोड़ो। देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा। इसी सोच के साथ पिछले छह वर्षों से देश में एक व्यापक ’भारत छोड़ो अभियान’ चल रहा है। 
     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंदगीमुक्त भारत अभियान की शुरुआत की। 8 अगस्त से शुरू हुआ अभियान 15 अगस्त तक चलना तय किया गया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ‘‘भारत छोड़ो के यह सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप हैं। आइए, आज से 15 अगस्त तक यानि स्वतंत्रता दिवस तक देश में एक हफ्ते का लंबा अभियान चलाएं। स्वराज के सम्मान का सप्ताह यानी ’गंदगी भारत छोड़ो सप्ताह’... उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान की सफलता के बाद अब देश को गंदगीमुक्त बनाने पर जोर देना होगा। कचरे से कंचन बनाना है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें कचरे से खाद बनाने, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति पाने की दिशा में बढ़ना होगा। इसी दौरान पिछले छह वर्षों के स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे कोरोना से युद्ध में भी लाभ मिला है। उन्होंने कहा, ’अगर 2014 के पहले कोरोना जैसी आपदा आती तो क्या हम इसे रोक पाते। लॉकडाउन कभी सफल होता? उस समय 60 करोड़ की बड़ी आबादी खुले में शौच करने को मजबूर थी। कोरोना के दौरान शौचालय न होता तो क्या हाल होता?’’ 

प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद मध्यप्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘गंदगी भारत छोड़ो’ अभियान को मध्यप्रदेश में जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। उनके अनुसार यह अभियान प्रदेश में 16 अगस्त से 30 अगस्त तक चलाया जाएगा। अभियान में शहरों में व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन पर नागरिकों को संवेदित और जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में अपने शहरों को गंदगी मुक्त करने की दिशा में जुट जाएं। इस अभियान में 16 और 17 अगस्त को स्वच्छता शपथ एवं व्यक्तिगत शौचालयों का रखरखाव और सफाई पर अशासकीय संगठनों के माध्यम से झुग्गीबस्तियों एवं अन्य मोहल्लों में नागरिकों से चर्चा की जाएगी। निकाय में आवासीय परिसरों, प्रमुख स्थानों और कार्यालयों में स्वच्छता की शपथ दिलाई जाएगी। 18 से 20 अगस्त तक नो प्लास्टिक और रिसाइकिल, रियूज, रिड्यूज और रिफ्यूज के संबंध में निकायों, युवाओं और विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद और परिचर्चाओं का आयोजन किया जाएगा। नागरिक संगठनों एवं जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर प्लास्टिक प्रतिबंध के संबंध में जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। अभियान में 21 से 23 अगस्त तक कोविड-19 के संबंध में लोगों को नेपकिन और उपयोग किए गए मास्क आदि के सुरक्षित निपटान के संबंध में जागरूक किया जाएगा। नगरीय निकाय द्वारा क्वारेंटाइन केन्द्रों की स्वच्छता, मास्क पहनने की समझाइश और निकायों में सफाईकर्मियों को सम्मानित करने का कार्य किया जाएगा। अभियान में 24 से 26 अगस्त तक आवासीय परिसरों में स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्कीकरण, घरेलू हानिकारक कचरे का सुरक्षित निपटान करने के संबंध में जन-जागरूकता के साथ ही स्व-सहायता समूह के सदस्यों एवं आवासीय संघों से चर्चा की जाएगी। अंतिम चरण में 26 से 30 अगस्त तक निकायों एवं सहयोगी संगठनों के सहयोग से स्वच्छता श्रमदान तथा निकायों द्वारा सभी सार्वजनिक शौचालयों के अंदर और बाहर विशेष सफाई अभियान चलाया जाएगा। कार्यक्रमों में मास्क पहनने और सोशल डिस्टेसिंग प्रोटोकॉल का अनिवार्य रूप से पालन करने तथा कंटेनमेंट जोन में यह गतिविधियां नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। गतिविधियों की नियमित रिपोर्टिंग की जाए। अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार कर नागरिकों को जागरूक एवं प्रोत्साहित किया जाए।

ध्यान रखने वाली बात यह होगी कि कहीं यह अभियान काग़ज़ी और समारोही हो कर न रह जाए। यहां याद दिलाना जरूरी है कि 2 अक्टूबर 2014 को ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ प्रधानमंत्री द्वारा आरम्भ किया गया था। नामचीन लोग इस अभियान के ब्रांड एम्बेस्डर बनाए गए। अभियान आरम्भ हुए लगभग छः साल होने को आ रहे हैं लेकिन परिणाम का आकलन हम अपने शहरों की गलियों और निचली बस्तियों को देख कर स्वयं ही कर सकते हैं। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री को एक इमोशनल नारे के रूप में अभियान को सामने रखने की आवश्यकता महसूस हुई। वे भी जानते हैं कि झाड़ू और तसले के साथ फोटो खिंचवा कर मीडिया में प्रचारित कर सफ़ाई नहीं की जा सकती है। यदि नारों और अभियानों की सूची मात्र बढ़ानी है तो बात और है अन्यथा प्रशासन को असली गंदगी तक पहुंचना होगा और उसके निपटारे पर ध्यान देना होगा। इसके लिए हर व्यक्ति के मन में भी स्वच्छता की भावना जगानी होगी, जो अपने आप में सबसे बड़ी चुनौती है। कम से मध्यप्रदेश में और उसमें भी बुंदेलखंड में यह चुनौती और अधिक व्यापक है। यदि ज़मीनी स्तर पर ’गंदगी भारत छोड़ो’ अभियान भी ‘‘शो बिजनेस’’ की तरह चलाया गया तो शायद अगले छः साल में एक और अभियान की ज़रूरत पड़ेगी और तब तक आम नागरिक गंदगी के ढेर पर बैठा प्रदूषित सांसें लेता बीमारियों से जूझता रहेगा। यानी कुल मिला कर अवधि कम है और चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। 
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(दैनिक जागरण में 13.08.2020 को प्रकाशित)
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