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My Editorials - Dr Sharad Singh

Tuesday, January 5, 2021

6 जनवरी अर्थात् युद्ध अनाथों का विश्व दिवस | World Day Of War Orphans | लेख | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह

 

Dr (Miss) Sharad Singh

लेख 

6 जनवरी अर्थात् युद्ध अनाथों का विश्व दिवस 

- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


लिप्सा से जन्मा युद्ध

नहीं दे सकता

रोटी, पानी और घर। 

युद्ध 

एक गिद्ध है

जो टोहता है विभिषिका को

लाशों को

और बच रहे उन अनाथों को

जो कहलाते हैं शरणार्थी।

इसी धरती के वासी

इसी धरती पर बेघर


युद्ध नहीं चाहती मां

युद्ध नहीं चाहता पिता

युद्ध नहीं चाहते नाना-नानी

युद्ध नहीं चाहते दादा-दादी

युद्ध नहीं चाहते बच्चे


फिर कौन चाहता है युद्ध?


वे जिन्हें नहीं होना पड़ता अनाथ

न बनना पड़ता है शरणार्थी

और न रक्त से नहाना पड़ता है 

एक अदद निवाले, एक सांस या एक स्वप्न के लिए।

(मेरी लंबी कविता 'टोहता है गिद्ध' का अंश - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह)

 

Picture of 03 year old child Alan Kurdi

ऐलान कुर्दी नामक तीन वर्षीय शिशु की तुर्की में भूमध्यसागर के तट पर औंधे मुँह पड़ी लाश की हृदय विदारक तस्वीरें दुनिया भर में मीडिया एवं सोशल मीडिया की सुर्खियों में छाई रहीं। नन्हा ऐलान कुर्दी सीरिया में रहने वाले एक कुर्द परिवार का बच्चा था जो सीरिया में जारी साम्राज्यवादी हमले एवं गृहयुद्ध की वजह से समुद्री नाव से कनाडा में शरण लेने जा रहा था और नाव में क्षमता से अधिक लोग होने की वजह से वह डूब गयी। 

6 जनवरी को प्रतिवर्ष युद्ध अनाथों का विश्व दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य युद्ध के कारण हुए अनाथों की स्थिति की ओर पूरी दुनिया का ध्यान दिलाना है। युद्ध के अनाथों के विश्व दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी संगठन, एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेस द्वारा की गई थी। एक सर्वे के अनुसार द्वितीय विश्व युद्ध ने यूरोप में लाखों लोग अनाथ हुए। आंकड़ें पोलैंड में 300,000 यूगोस्लाविया में 200,000 अनाथ होने की संख्या बयान करते हैं।

Refugee Syrians-Kurdish-war-September-2014

यद्यपि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कोई विश्वयुद्ध नहीं हुआ है, किन्तु विभिन्न देशों के बीच हुए युद्वों और गृहयुद्धों ने युद्ध-अनाथों की संख्या में निरंतर वृद्धि की है। ये अनाथ शरणाथर््िायों के रूप में जीवन संघर्ष में जूझने को विवश हैं। शरणार्थियों के मामले को देखने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर (यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिशनर फॉर रिफ्यूजीज) के मुताबिक दुनिया भर में शरणार्थियों की संख्या आज 6 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है जो अब तक के इतिहास में सबसे अधिक है। गौरतलब है कि इन शरणार्थियों में अधिकांश बच्चे हैं। वर्ष 2014 में ही लगभग 1.4 करोड़ लोगों को गृह युद्ध एवं अन्य प्रकार की हिंसा की वजह से मजबूरन विस्थापित होना पड़ा जिनमें से 1.1 करोड़ लोग अपने-अपने देशों की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित हुए जबकि 30 लाख लोगों को अपना वतन छोड़ना पड़ा। इस वर्ष तो यह संख्या और भी ज्यादा बढ़ गयी  होगी।

Somali Refugee Orphan Children

सीरिया, अफगानिस्तान, इराक और लीबिया। पिछले डेढ़ दशक में इन देशों में अमेरिका के नेतृत्व में साम्राज्यवादी दखल से पैदा हुई हिंसा और अराजकता ने इन इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है। इस हिंसा में भारी संख्या में जानमाल की तबाही हुई है और जो लोग बचे हैं वो भी सुरक्षित जीवन के लिए अपने रिहायशी इलाकों को छोड़ने पर मजबूर कर दिये गये हैं। अमेरिका ने 2001 में अफगानिस्तान पर तथा 2003 में इराक पर हमला किया जिसकी वजह से इन दो देशों से लाखों लोग विस्थापित हुए जो आज भी पड़ोसी मुल्कों में शरणार्थी बनकर नारकीय जीवन बिताने को मजबूर हैं। 2011 के बाद से सीरिया में एक करोड़ से भी अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं जिनमें से 40 लाख लोग तो वतन तक छोड़ चुके हैं। पिछली सदी में भी पूँजीवाद-साम्राज्यवाद ने दो विश्वयुद्धों एवं उसके बाद इजरायल-फिलिस्तीन विवाद, कोरिया युद्ध, वियतनाम युद्ध, एवं सोमालिया, रवांडा, कांगो जैसे अफ्रीकी मुल्कों में क्षेत्रीय युद्धों को बढ़ावा देकर लाखों की संख्या में लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए थे।

Polish Orphan Children - World War Second

अकेले द्वितीय विश्वयुद्ध में 6 करोड़ लोग विस्थापित हुए थे। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद 1-4 करोड़ लोग विस्थापित हुए। 1948 से जारी इजरायल-फिलिस्तीन विवाद में अब तक 50 लाख से भी ज्यादा लोग पश्चिम एशिया के विभिन्न देशों मसलन जॉर्डन, लेबनॉन और मिस्र में स्थित 60 शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। 1950-1953 के बीच चले कोरियाई युद्ध के दौरान 10 लाख से 50 लाख लोग उत्तरी व दक्षिण कोरिया से विस्थापित होने को मजबूर हुए। 1955-75 के वियतनाम युद्ध में 30 लाख लोग विस्थापित हुए। 1991-95 के यूगोस्लाविया संकट के दौरान 27 लाख लोग विस्थापित हुए। 1991 में सोमालिया में सियाद बार की सत्ता के पतन के बाद से जारी गृहयुद्ध में अब तक 11 लाख लोग विस्थापित हुए। रवाण्डा में 1994 में के गृहयुद्ध में 35 लाख लोग विस्थापित हुए। 1996-98 के बीच डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में ग्रह युद्धों में 5 लाख से भी ज्यादा लोग विस्थापित हुए। 2013 में म्यांमार के रखाइन राज्य में हिंसा की वजह से लगभग 5 लाख रोहिंग्या लोग विस्थापित हुए और 2013 में दक्षिणी सूडान में दो साल तक चले गृह युद्ध में 15 लाख से भी ज्यादा लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हुए।

Rohingya orphan refugee children


युद्ध अनाथों का विश्व दिवस मनाते हुए हमें दुआ करनी चाहिए कि युद्धों की मानसिकता पर विराम लगे और युद्ध-अनाथों की संख्या में और वृद्धि न हो।

World Day Of War Orphans

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#World_Day_Of_War_Orphans

2 comments:

  1. ज्ञानवर्धक आलेख

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    1. इस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद !!!

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