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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, August 18, 2022

समसामयिक लेख | बधाई ! बच्चे रातोंरात बड़े हो गए | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | युवा प्रवर्तक

मित्रो,  दूध की कीमतें लगातार बढ़ने और रेल में 1 साल से अधिक आयु वाले बच्चे की टिकट लगने की न्यूज़ वायरल होने के डायरेक्ट इफेक्ट को आप अनुभव करें मेरे इस लेख में जिसे प्रकाशित किया है वेब मैगजीन "युवा प्रवर्तक" ने....
https://yuvapravartak.com/68277/
हार्दिक धन्यवाद #युवाप्रवर्तक 🙏

आप युवा प्रवर्तक की साइट पर जाकर इसे पढ़ सकते हैं। वैसे मित्रो आपके लिए यहां भी अपने लेख का टेक्स्ट साझा कर रही हूं...👇
समसामयिक लेख
बधाई ! बच्चे रातोंरात बड़े हो गए
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
     यदि मैं कहूं कि इन दिनों बच्चे रातोंरात बड़े हो रहे हैं, तो लोग समर्थन में मुंडी  हिलाएंगे और कहेंगे, "बिलकुल यह सब इंटरनेट की कृपा है।" लेकिन मैं अगर यह कहूं की बच्चे रातों-रात बड़े हो गए, तो लोग चौंकेंगे और यही कहेंगे कि 'यह कैसे संभव है? इंटरनेट से भी प्रभावित होकर बड़े होने की प्रक्रिया में समय लगता है, आप लगता है पगला गई हैं।"
      क़ायदे से तो मुझे पगला ही जाना चाहिए, बल्कि सबको पगला जाना चाहिए, यह सब देखकर लेकिन अफ़सोस  है कि अकल अभी भी साथ दे रही है और महसूस कर रही है कि रातोंरात बच्चों को कैसे बड़ा किया जा रहा है। जो विज्ञान से भी फिलहाल संभव नहीं है वह सरकारी व्यवस्थाओं के चलते संभव हो रहा है। बेशक़, सरकारी व्यवस्था चाहे तो उसके पास ऐसी जादू की छड़ी है कि वह रातों-रात बच्चों को बड़ा कर सकती है। सरकार अर्थात शासन व्यवस्था। किसी एक राज्य की सरकार नहीं, अकेली केंद्र सरकार नहीं, बल्कि कई राज्यों की सरकारें और केंद्र सरकार सब मिलकर इस जुगत में लगे हुए हैं कि एक रात में बच्चों को कैसे बड़ा कर दिया जाए और उन्होंने यह कर दिखाया है। मेरी बात पर विश्वास न हो रहा हो तो ठोस आंकड़े देखे जा सकते हैं।
       एक छोटे बच्चे को कितने वर्ष की आयु तक दूध पीना आवश्यक रहता है। इस प्रश्न का उत्तर हर माता-पिता बड़ी आसानी से दे सकता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन कहता है कि  6 माह तक ही शिशु को मां का दूध पिलाना चाहिए और इसके बाद दो साल की उम्र तक उसे धीरे-धीरे ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए जिसमें बाहरी दूध (गाय, भैंस, बकरी इदि का) भी शामिल है। कुछ शिशु विशेषज्ञ मानते हैं कि शिशु के एक साल के होने के बाद ही उसे गाय का दूध पिलाना चाहिए। दरअसल, दूध को संपूर्ण आहार कहा जाता है, क्योंकि इसमें लगभग वे सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शारीरिक विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। यही कारण है कि छोटे बच्चों के लिए दूध बेहद जरूरी होता है। छोटे बच्चों का शरीर विकसित हो रहा होता है, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। जिन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है, तो उनकि सामान्य शारीरिक विकास रुक जाता है और कुछ गंभीर स्थितियों में बच्चे कुपोषण का शिकार भी हो जाते हैं। इसलिए डॉक्टर बच्चों को पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाने का सुझाव देते हैं।
     हर माता-पिता पूरी कोशिश करता है कि अपने बच्चे को दूध की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करा सके किंतु दूध की बढ़ती हुई कीमतें माता-पिता की इच्छाओं का घर गला घोंट रही है। यह जानते हुए भी कि दूध युवाओं और वयस्कों के लिए भी आवश्यक है लेकिन महंगाई के चलते उसे गैर जरूरी श्रेणी में रखकर वयस्क समझौता कर लेते हैं और यह सोचते हैं कि उनके घर के बच्चों को दूध मिल सके यही बहुत है, वयस्क तो चाय से भी काम चला सकते हैं। जबकि आज स्थिति यह है कि चाय में भी दूध की मात्रा घटती जा रही है। अब यदि एक वर्ष में दूध की कीमत कई बार बढ़े तो एक मध्यम वर्गीय परिवार या आर्थिक स्तर से कमजोर परिवार के वयस्क न तो स्वयं दूध पी सकते हैं और न अपने बच्चों के लिए दूध का जुगाड़ कर सकते हैं। व्यक्ति जब सुबह सो कर उठता है और अखबार की खबरों के बीच दूध की बढ़ी हुई नई कीमत का पता चलता है तो उसे पहले अपने बजट याद आता है और फिर उसे लगता है कि अब का बच्चा बड़ा हो गया है, अब उसे दूध की इतनी जरूरत नहीं है, उसके दूध में कटौती की जा सकती है या फिर उसे चाय के सहारे जिंदा रखा जा सकता है। यानी रात को सोते समय तक जो बच्चा, बच्चा ही था वह सुबह उठते ही वयस्कों की श्रेणी में खड़ा मिलता है ताकि उसके द्वारा पिए जाने वाले दूध को या तो बंद कर दिया जाए या उस में कटौती कर दी जाए क्योंकि और कोई विकल्प नहीं है घर के संपूर्ण बजट को संतुलित करने का।
      आंकड़ों पर जाएं तो  पीछे बहुत दूर तक लौटने की जरूरत नहीं है । 15 अगस्त 2022 को हमने अपना स्वतंत्रता दिवस मनाया और 16 अगस्त को दूध की बढ़ी हुई कीमत का उपहार मिल गया। देशवासियों को महंगाई का एक और झटका लगा। मदर डेयरी और अमूल दोनो ने ही दूध के दामों में 2-2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। यह 6 महीने के अंदर ये दूध की कीमतों में लगातर दूसरी बढ़त रही। इससे पहले 6 मार्च को ही मदर डेयरी, अमूल और पराग मिल्क ने भी अपने अपने दूध उत्पादों की कीमतों को 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया था। यानि 6 महीने के अंदर पराग और मदर डेयरी के उत्पाद 4 रुपये प्रति लीटर महंगे हो चुके हैं। वहीं एक साल से कुछ ज्यादा वक्त यानि 13 महीने में कीमतें 6 रुपये प्रति लीटर बढ़ी हैं। पिछले साल पहली जुलाई से अब तक 3 बार में 2-2 रुपये दूध महंगा हो चुका है। इस डर को देखते हुए बच्चों का एक झटके में बड़ों की श्रेणी में आ जाना स्वाभाविक है क्योंकि अब उनके माता-पिता की क्षमता से यह बाहर होता जा रहा है कि वह अपने बच्चों को दूध खरीद कर पिला सकें। 
     बच्चों को रातों-रात बड़ा करने में अगर कोई कसर बाकी थी तो वह भी एक अदद ख़बर ने पूरी कर दी । खबर वायरल हुई कि भारतीय रेलवे ने ट्रेन में यात्रा करने वाले बच्चों के लिए टिकट बुकिंग के संबंध में नियम बदल दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि अब एक से चार साल की उम्र के बच्चों को ट्रेन में सफर करने के लिए टिकट लेना होगा। जब इस ख़बर ने सबको परेशान कर दिया, तब रेलवे ने इस रिपोर्ट का खंडन किया। उसने कहा कि ट्रेन में यात्रा करने वाले बच्चों के लिए टिकट बुकिंग संबंधी नियम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेल मंत्रालय ने एक बयान जारी किया कि यह समाचार सामग्री और मीडिया रिपोर्ट भ्रामक हैं। रेल मंत्रालय ने कि भारतीय रेलवे ने ट्रेन में यात्रा करने वाले बच्चों के लिए टिकटों की बुकिंग के संबंध में कोई बदलाव नहीं किया है। यात्रियों की मांग पर उन्हें टिकट खरीदने और अपने 5 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए बर्थ बुक करने का विकल्प दिया गया है। यदि वे बच्चे के लिए अलग बर्थ नहीं चाहते हैं, तो यह सुविधा निशुल्क है, जैसे पहले हुआ करती थी। मगर सवाल उठता है कि अगर यह ख़बर भ्रामक थी तो इसे मीडिया में वायरल करने से किसका भला होने वाला था? कहीं यह "माइंड मेकअप" जैसी कोई बात तो नहीं कि निकट भविष्य में इसे लागू करने की ज़मीन तैयार की जा रही हो। यदि ऐसा होता है और इस तरह के नियम लागू किए जाते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि अब जब बच्चे दुधमुंहे नहीं रहेंगे, 1 साल की उम्र के बाद उनका दूध पीना वैसे ही कम हो जाएगा या छूट जाएगा और वे खानपान के मामलों में बड़ों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे तो रेल विभाग यदि उनके भी टिकट के पैसे वसूलने लगे तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।
      हमें तो खुश होना चाहिए कि अब अपने बच्चों को बड़ा करने की चिंता उनके माता-पिता को नहीं करनी पड़ेगी बल्कि यह सब काम सरकार और सरकार की निगरानी में काम कर रही एजेंसियां बखूबी निभाने लगी हैं। यदि साल भर में 4 बार दूध के दाम बढ़ें और 1 साल की आयु से अधिक बच्चे के फुल टिकट लगने की संभावना बनने लगे तो यह मान लेना चाहिए कि अब बच्चे रातोंरात बड़े हो गए हैं।
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(18.08.2022)
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