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My Editorials - Dr Sharad Singh

Sunday, March 19, 2023

मुनि क्षमा सागर जी का स्मरण समारोह | मुख्य अतिथि डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"मुनि क्षमा सागर की कविताएं समय से संवाद करती हैं। मुनिश्री पूर्णतः आत्मान्वेषी थे।  मुनिश्री ने भारी-भरकम उपदेश नहीं दिए बल्कि अपने अनुभवों से यह बताया कि व्यक्ति किस तरह से आत्मसाक्षात्कार कर सकता है। वे प्रकृति प्रेमी थे इसीलिए उनकी कविताओं में सूर्य, हवा, चिड़ियां बिम्ब के रूप में मौजूद हैं। लेकिन उनकी रचनाओं में प्रकृति के इन तत्वों की उपस्थिति  गहन जीवन दर्शन कराती है। वस्तुतः जिसने मुनि क्षमा सागर की कविताओं में चिड़िया की उपस्थिति के महत्व को समझ लिया मानो उसने मानव जीवन के मूल दर्शन को समझ लिया।" मुख्य अतिथि के रूप में मैंने ये विचार प्रस्तुत किए। 
    अवसर था मुनि क्षमा सागर जी की दो पुस्तकों "आत्मान्वेषी" और "Mind Your Karma" का लोकार्पण तथा उनकी चुनी हुई कविताओं का संग्रह "अपना घर" पर चर्चा समारोह का। 
    यह मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे मुनिश्री से कई बार विभिन्न स्थानों पर भेंट करने का तथा साहित्य चर्चाएं करने का अवसर मिला जैसे सागर में ही अंकुर मंदिर, मोराजी मंदिर, खुरई में, बीना बारह में तथा शाहपुर में उनसे भेंट हुई थी। व्हिच इतने बड़े दार्शनिक थे उतने ही उम्दा साहित्यकार एवं कवि। उनकी कविताओं में चिड़िया की उपस्थिति बहुतायत रही है।  बारे में मैंने कई बार सोचा। चिड़िया ही क्यों? तितली अथवा कोई और पंखोंवाला प्राणी क्यों नहीं? इस चिंतन-मनन किया और मुनिश्री की कविताओं को बार-बार पढ़ा। फिर मुझे समझ में आया कि चिड़िया के रूप में उन्होंने एक अद्भुत बिम्ब तलाशा था। उनकी कविताओं की चिड़िया के मूल में गौरैया है। एक घरेलू पक्षी। जिसे मनुष्यों के बीच रहना है और अपनी अलग दुनिया बसाना है। गौरैया जो बहुत नन्हां, कोमल और असहाय-सा प्रतीत होने वाला सुंदर जीव है, अपनी कर्मठ प्रवृत्ति और लगन से सबको चकित करता रहता है। मुनि क्षमा सागर चिड़िया के बहाने बहुत गहन बातें कही हैं।
       शाहपुर में जब मेरी उनसे अंतिम भेंट हुई थी उस समय वे तपस्या की उस पराकाष्ठा में पहुंच चुके थे जहां उनके लिए बातचीत करना संभव नहीं था। वे कृषकाय हो चुके थे। फिर भी मैं उनसे यह पूछे बिना नहीं रह सकी कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है? मेरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने उस कक्ष के उस रोशनदान की ओर संकेत किया था जहां  एक चिड़िया बैठी थी अर्थात वे स्वयं को एक चिड़िया की भांति महसूस कर रहे थे। 
        आज का यह समारोह पूर्व सांसद दादा श्री लक्ष्मी नारायण यादव के सानिध्य में तथा व्यंग्य विधा के पुरोधा डॉ सुरेश आचार्य की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि थी मैं डॉ (सुश्री) शरद सिंह। डॉ आशुतोष मिश्र एवं श्रीमती निरंजना जैन ने मुनि श्री के काव्य संग्रह पर अपने विशिष्ट वक्तव्य दिए। श्यामलम संस्था तथा पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस समारोह का संचालन किया डॉ अमर जैन ने। 
आचरण 20.03.2023⬇️
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