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My Editorials - Dr Sharad Singh

Friday, October 27, 2023

शून्यकाल | सागर विधानसभा क्षेत्र की प्रथम महिला विधायक | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

"दैनिक नयादौर" में मेरा कॉलम ...
शून्यकाल
सागर विधानसभा क्षेत्र की प्रथम महिला विधायक          
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह                                                                                     
        सागर विधान सभा क्षेत्र में वर्तमान चुनाव में महिला दावेदार मौजूद हैं। इससे पूर्व सागर को विधायक के रूप में महिला नेतृत्व मिल चुका है। वह भी पूरे 15 वर्ष तक। दिलचस्प बात यह कि पूरी क्षमता से अपना कार्य सम्हाला जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें जनता ने बार-बार अवसर दिया। जिस राजनीतिक दल ने उनकी योग्यता पर विश्वास किया और उन्हें विभिन्न पद सौंपा, फिर विधान सभा का टिकट भी दिया। किन्तु उसी दल ने उनकी 15 वर्ष की लम्बी पारी के बाद टिकट नहीं दिया। परिवर्तन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने अपनी पार्टी का ही साथ दिया तथा दल-बदल नहीं किया। सागर की वह प्रथम महिला विधायक रहीं अधिवक्ता श्रीमती सुधा जैन।
सागर शहर बुंदेलखंड के मध्यप्रदेशीय क्षेत्र का एकमात्र संभागीय मुख्यालय है। विधानसभा क्रमांक 41 सागर विधानसभा पूरी तरह से शहरी विधानसभा है। सागर (निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 41) सागर जिले में स्थित 8 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। सागर अभी भी अपने विकास के लिए संघर्षरत है। पिछले कुछ दशकों में यदि उसे विकास की कुछ सागातें मिलीं तो उनसे जुड़े अनेक विवाद भी उसके खाते में आए। 
    यदि बात की जाए समूचे सागर संभाग की तो विधानसभा में महिला नेतृत्व की स्थिति काफी प्रभावी रही है। पन्ना से कुसुम महदेले 1990, 1998, 2003 एवं 2013 में चुनाव जीतीं। बड़ामलहरा से 1993 में उमा यादव, 2003 में उमा भारती, 2008 और 2013 में रेखा यादव चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचीं। सागर विधानसभा से सुधा जैन 1993, 98 और 2003 में चुनाव जीतीं। हटा से 1980 में स्नेह सलिला हजारी, 2008 और 2013 में उमादेवी खटीक चुनाव जीतीं। बिजावर से 1957 में गायत्री देवी और 2008 में आशारानी चुनाव जीतीं। बीना से 2003 में सुशीला सिरोठिया, 2008 में डाॅ. विनोद पंथी, पथरिया से 2003 में सोना बाई और 2018 में रामबाई, छतरपुर से 2008 और 2013 में ललिता यादव चुनाव जीतीं। सुरखी से 2013 में पारुल साहू, खुरई से 1985 में मालती मौर्य, निवाड़ी से 2008 में मीरा यादव, पृथ्वीपुर से 2013 में अनीता नायक चुनाव जीतीं। रहा सवाल सागर विधान सभा क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति का तो इस पर सागर गर्व कर सकता है उसने अपन प्रथम महिला विधायक को लगातार तीन बार अर्थात लगातार 15 वर्ष विधायकत्व का अवसर दिया। सागर की प्रथम विधायक सुधा जैन को सागर के मतदाताओं ने नहीं वरन उनकी पार्टी ने ही परिवर्तन के तहत चैथी बार मौका नहीं दिया, वरना शायद मतदाता उन्हें एक बार फिर विधायक बनने का अवसर दे देते।    
      सुधा जैन का जन्म 13 अक्टूबर 1949 को सागर में ही हुआ था। उनके पिताजी मुन्नालाल जैन एक बड़े उद्योगपति के साथ ही आरएसएस के प्रमुख कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में थे। माता जी का नाम भगवती जैन था, जो कि गृहणी थीं। सुधा जैन के कुल 11 भाई बहन हैं जिनमें वे दूसरे नंबर की हैं। उन्हें जन्म से ही एक भरा-पूरा और बड़ा परिवार मिला जिससे उन्हें पारिवारिक रिश्तों-नातों के महत्व को उन्होंने भली-भांति समझा। एक बड़े परिवार में रहकर घर के सभी दायित्व को भी बखूबी निभाया, माता-पिता के संस्कारों ने सभी भाई बहनों को एक अच्छा जीवन दिया। सन 1971 में सुधा जैन का विवाह सागर के एक सभ्रांत परिवार पन्नालाल जैन तिली वालों के सुपुत्र रमेश चंद जैन एडवोकेट के साथ हुआ।
      सुधा जैन अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थीं। ससुराल पक्ष से उन्हें समर्थन मिला और उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने हिंदी साहित्य में प्रथम श्रेणी में एम.ए. किया। तत्पश्चात, सन 1972 से 1975 तक एल.एल.बी. की पढ़ाई की। सागर विश्वविद्यालय से सन 1975 एल.एल.बी. में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। सन 1975 से 1990 तक सुधा जैन ने अधिवक्ता के रूप में सागर के जिला न्यायालय में वकालत की। इस दौरान वे लगभग 10 बैंकों की वकील रहीं। उनकी वकालत बहुत अच्छी चल रही थी। लेकिन इसी बीच सन 1989-90 पार्टी ने उन्हें टिकट देना चाहा। उस समय उनका सक्रिय राजनीति में आने का मन नहीं था अतः उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। किन्तु भाजपा उनकी योग्यता को भांप चुकी थी। भाजपा की सरकार आने पर सन 1990 में सुधा जैन को मध्य प्रदेश समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष का पद सौंपा गया, जिसमें उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था। इसके बाद उनका सक्रिय राजनीति के प्रति झुकाव आरंभ हुआ। सन 1992-93 से उन्होंने चुनाव में अपनी भागेदारी आरंभ कर दी। सन 1993 में सागर से विधानसभा का चुनाव लड़ा। आजादी के बाद पहली बार भाजपा को सागर विधानसभा पर जीत मिली थी। इसके बाद सुधा जैन का राजनीतिक सफर गतिमान हो गया।
      सागर विधान सभा क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने सन 1998 में सुधा जैन को दोबारा टिकट दिया। एक बार फिर उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता और आमजन में अपनी पैंठ को साबित करते हुए विजय हासिल की। सुधा जैन की विशेषता यह थी कि वे आमजन के लिए सहज उपलब्ध थीं। कई बार वे अपने स्कूटर पर ही निकल पड़ती थीं। उच्चशिक्षा प्राप्त तो वे थीं ही, साथ ही सबसे मिलना और उनकी समस्याएं सुनना उनकी आदत बन गई थी। इसका सीधा प्रभाव मतदाताओं के मन पर पड़ता रहा। इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।  
सन् 2003 में एक बार फिर भाजपा ने सागर विधान सभा क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में सुधा जैन को ही टिकट दिया। एक बार फिर मतदाताओं ने उनके प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया और उन्होंने एक बार फिर विजय हासिल की। यह उनकी तीसरी पारी थी। इसके बाद भाजपा ने सागर विधान सभा सीट पर अपने उम्मीवार में परिवर्तन का मन बनाया और सुधा जैन के स्थान पर शैलेन्द्र जैन को टिकट दिया। इससे सुधा जैन तनिक निराश एवं चकित तो हुईं किन्तु अपने दल के प्रति उनकी आस्था में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने दलबदल करने का भी विचार अपने मन में नहीं लाया।
     भाजपा ने सुधा जैन को विधानसभा का टिकट भले ही नहीं दिया किन्तु उनकी क्षमताओं को भुलाया भी नहीं। सन 2008 में उन्हें भाजपा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने पूरे प्रदेश में संगठन को मजबूत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। सन 2009 एवं 2010 में भाजपा की जिला अध्यक्ष बनीं, जिसमें क्षेत्रीय स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का कार्य किया।
     सन 2011 में उन्हें म.प्र. महिला वित्त एवं विकास निगम की चेयरमेन बनी जिसमें उन्हें एक बार फिर कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। महिलाओं को उत्तम रोजगार सेवाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से वर्ष 1986-87 में महिला विकास निगम की स्थापना की गयी थी। इस प्रकार प्रदेश शासन व भाजपा पार्टी में विभिन्न पदों पर रहकर उन्होंने देश, प्रदेश एवं पार्टी की सेवा की। 
     विधायक सुधा जैन ने जनहित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। जैसे मुनिश्री प्रमाण सागर जी की प्रेरणा से म.प्र. में मांस निर्यात निषेध अशासकीय संकल्प विधानसभा से पारित कराया। अनेकों संघर्ष के बाद सागर की स्थाई जल समस्या का हल राजघाट बांध बनवाकर करवाया। सागर में मेडिकल कॉलेज की उपलब्धि व केन्द्रीय विश्वविद्यालय जैसी महात्वपूर्ण उपलब्धियाँ पाने में सफलता प्राप्त की। विधायक अधिवक्ता सुधा जैन को समय-समय पर अनेक सम्मान प्रदान किए गए। विधानसभा के सर्वोच्च श्रेष्ठ विधायक सम्मान से सम्मानित किया गया, जो कि किसी भी विधायक के लिए गौरव का विषय हो सकता है। आज भी अनेक सामाजिक व राजीेतिक गतिविधियों में संलग्न रहने के साथ ही लेखन, अध्ययन एवं धार्मिक कार्यों में व्यस्त रहती हैं।                      
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