पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
ई तेंदुआ सो तालो घांई लग रओ
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
आप ओरें सोच रए हुइयो के हम जे का अल्लम-गल्लम कै रये? तेंदुआ औ तालो को का मेल? तेंदुआ हारे में रैत आए औ तालो दोरे की कुंडी में लगाओ जात आए। तेंदुआ गांव-शहर में तभई आऊत आए जब ऊको हारे में खाबे के लाने कछू ने मिल रओ होए। ने तो इते से उते भटकत भऔ बस्ती में पौंच गओ होय। रई ताले की सो ऊकी कुची तो ऊके मालिक के खींसा में, ने तो मालकन के पल्लू में बंधी रैत आए। अब आप ओरें सोच रये हुइओ के एक ठइयां तेंदुआ बा अनवरसिटी के हॉस्टल लिंगे का दिखानो, के हम तेंदुआ औ तालो को ‘तुलनात्मक अध्ययन’ करन लगे। मनो हम पे अनवरसिटी की छायरी पर गई होय। सो, ऐसो नइयां। पर हमें दोई एकई से दिखा रये।
चलो, हम आपके लाने समझा रये। बा कहनात आए के ताला तो शरीफन के लाने होत आए, भड़यन के लाने नईं। ऐसई जा तेंदुआ हर की साल एक न एक दार अनवरसिटी में पौंच के मोड़ा- मोड़ियन को डरा जात आए। लेकन जो अनवरसिटी के हारे में चोरी से पेड़ काटबे वारे घुसत आएं, तो ऊनको ने तो बा अपनों मों दिखात आए औ ने उनको कछु करत आए। सो, भऔ ने तालो घांईं! सिरफ शरीफन के लाने। चोरन से ऊको कछू लेबो-देबो नइयां। मने तालो देख के शरीफ हरें घरे ना घुसबे की सोचत आएं, जबके भड़यन खों तो तालो डरो सूनो घरई अच्छो लगत। मनो तालो उनके लाने इंवीटेशन होए। ऊंसईं तेंदुआ देख के सबरे अपने घरे लुका जात आएं औ पेड़ कटवा हरें निकर परत हुइएं ओई टेम पे। सो, तेंदुआ भऔ ने तालो घांई। बोलो, हम सांची कै रये के नईं? तनक सोचियो!
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Thank you Patrika 🙏
Thank you Dear Reshu Jain 🙏
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