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My Editorials - Dr Sharad Singh

Thursday, December 3, 2020

चर्चा प्लस | मनोरंजन की दुनिया में ओटीटी प्लेटफाॅर्म की धमक | डाॅ शरद सिंह

चर्चा प्लस
मनोरंजन की दुनिया में ओटीटी प्लेटफाॅर्म की धमक
      - डाॅ शरद सिंह
  जब टेलीविजन का प्रसारण भारत में आरंभ हुआ तो एक बड़ी क्रांति का अनुभव हुआ था। घर बैठे ‘कृषिदर्शन’ देखना भी हर दर्शक को भला लगता था। फिर केबल टीवी के आगमन ने टेलीविजन को एक नया विजन दिया। मनोरंजन और सूचनाओं के नए-नए द्वार खोल दिए। अब आज के दौर में ओटीटी प्लेटफाॅर्म ने धूम मचा रखी है। मनोरंजन की दुनिया के उपभोक्ताओं के लिए यह एक चकाचौंध भरी नई दुनिया है। ‘‘कर लोदुनिया मुट्ठी में के बतर्ज़ ओटीटी प्लेटफाॅर्म के लिए नारा दिया जा सकता है-‘‘कर लो मनोरंजन मुट्ठी में’’। 

भारत में टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत दिल्ली से 15 सितंबर, 1959 को हुई थी। 1972 तक टेलीविजन की सेवाएं अमृतसर और मुंबई के लिए बढ़ाई गईं। 1975 तक भारत के केवल सात शहरों में ही टेलीविजन की सेवा शुरू हो पाई थी। भारत में कलर टीवी और राष्ट्रीय प्रसारण की शुरुआत 1982 में हुई। लगभग एक सदी पहले टेलीविजन के आविष्कार ने इंसान को एक नयी दुनिया से परिचित कराया। 1924 में ब्रिटेन के जॉन लेगी बेयर्ड द्वारा टीवी के आविष्कार के बाद से इसमें कई बदलाव आते गए। 20वीं सदी में शुरू हुआ यह ब्लैक एंड व्हाइटए 21वीं सदी में एलसीडी, एलइडी तक रंग-बिरंगी हाइ डेफिनिशन में पहुंच गया। शुरु में विशेष वर्ग तक सीमित रहनेवाले टेलीविजन की पहुंच आज जन-जन तक है। संचार क्रांति और विकास के साथ इसका दायरा बढ़ता गया। आज दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा लोगों के जीवन का यह अभिन्न हिस्सा बना चुका है। नयी तकनीकों ने टेलीविजन के प्रसारण को बेहतर बनाने में अमूल्य योगदान दिया है। एनालॉग तकनीक के माध्यम से ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखानेवाला यह टीवी आज डीवीबी-टी2 तकनीक के जरिये हाइ डेफिनिशन डिजिटल वीडियो से लोगों का मनोरंजन कर रहा है।

आज ओटीटी प्लेटफाॅर्म ने मनोरंजन की दुनिया को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। ओटीटी प्लेटफॉर्म यानी ‘‘ओवर-द-टॉप’’ प्लेटफॉर्म के आने के बाद से दुनिया के तमाम देशों में टेलीविजन देखने वालों की संख्या घटी है। आजकल कई फिल्मे सिनेमाहाल मे नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफाॅर्म जैसे की नेटफ्लिक्स, आॅमेजाॅन प्राईम इत्यादि पर रिलीज़ हो रही है। इंटरनेट का प्रयोग अब सभी क्षेत्रो मे होने लगा है। इस आधुनिक तकनीक ने हमारे जीने का ढंग ही बदल दिया है। आज लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी रूप से इंटरनेट से जुड़ता जा रहा है। सरकारी कामकाज ने भी इंटरनेट को स्वीकार कर लिया है। इस कोरोनाकाल में इंटरनेट ने और भी पैंठ जमा ली है। इस दौरान इंटरनेट में भी अनेक सकारात्मक सुधार हुए हैं। इंटरनेट पर काम करना सबके लिए आसान होता जा रहा है और यह सभी पुराने तरीकों को छोड़ कर तेजी से आगे बढ़ता जा रहा है। आजकल कई फिल्मे सिनेमाहाल मे नहीं बल्कि ओटीटी प्लेटफाॅर्म जैसे की नेटफ्लिक्स, आॅमेजाॅन प्राईम इत्यादि पर रिलीज़ हो रही है। अभी भी कई लोगों को ठीक से ज्ञात नहीं है कि ओटीटी क्या है? दरअसल, ऐसे प्लेटफार्म जो इंटरनेट के जरिए वीडियो कंटेंट या कोई भी मीडिया कंटेंट हम तक पहुंचाते हैं , उसे ओटीटी प्लेटफार्म कहा जाता है। यह इंटरनेट डाटा पर चलता है और स्मार्टफोन यूज़र उसे अपने मोबाईल पर इंटरनेट डाटा द्वारा देख सकता है। लेकिन डाटा के साथ ही सब्सक्रिप्शन चार्ज भी लगता है। हर प्लेटफाॅर्म का अपना अलग सब्सक्रिप्शन चार्ज रहता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार टीवी के मंथली पैक का दाम जहां लगभग 150 रुपये महीना है, वहीं एमेजॉन प्राइम, हॉटस्टार, जी5 और सोनी लिव जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्मों के सालाना सब्सक्रिप्शन की लागत 999 रुपये या इससे भी कम है। हॉटस्टार वीआईपी सिर्फ 35 रुपये महीना (सालाना 365 रुपये) में उपलब्ध है। इसमें तमाम सीरियल्स के साथ हिंदी, तमिल और तेलुगू फिल्म जगत की ताजातरीन फिल्में भी देखने को मिल जाती हैं। सीरियल के वक्त टीवी पर विज्ञापन काफी ज्यादा आते हैं, वहीं ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के प्राइम ग्राहकों के सामने यह समस्या नहीं होती है। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि ओटीटी का सब्सक्रिप्शन गिनाते समय डाटा चार्ज को जोड़ कर नहीं बताया जाता है जो इंटरनेट चार्ज के रूप में उपभेक्ता को ही देना पड़ता है।

हमारे देश में ओटीटी प्लेटफॉम का चलन तेजी से बढ़ रही है क्योंकि अब लोगों को मनपसंद शो, सीरियल या मूवीज के लिए ड्राइंग रूम में टीवी के सामने बैठने की जरूरत नहीं है। वे अब ओटीटी प्लेटफॉम की मदद से कहीं भी, कभी भी, कोई भी शो, सीरियल, मूवी, न्यूज देख सकते हैं। इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, दर्शक पांच वर्ष पहले एक हफ्ते में तकरीबन 100 अरब मिनट तक ऑनलाइन कंटेंट देखते थे, जो अब बढ़कर 600 अरब मिनट प्रति सप्ताह हो गया है। यानी अब वे ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर छह गुना ज्यादा वक्त बिताने लगे हैं। इस दौरान स्मार्टफोन और डेटा, दोनों ही सस्ते हुए हैं। पहले 40 करोड़ मोबाइल ही ओटीटी को सपोर्ट करते थे। अब यह संख्या 100 करोड़ हो गई है। वर्तमान ट्रेंड में कई लोग अपनी केबल या संटेलाईट सब्सक्रिप्शन रद्द कर रहे हैं और बदले में स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ को अपने टीवी देखने के समाधान के रूप में बदल रहे हैं। लेकिन इसका एक पहलू और भी है। हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्र में इंटरनेट की उपलब्धता तथा आर्थिक स्तर अभी भी कम है इसलिए ओटीटी की पकड़ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी कमज़ोर है। टीवी के सभी कंटेंट ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर तो मिल जाते हैं, लेकिन ओटीटी इंडस्ट्री के कंटेंट टीवी के लिए सुलभ नहीं होते हैं। स्मार्ट टीवी की मदद से जरूर ओटीटी कंटेंट को टीवी पर देखा जा सकता है, लेकिन ज्यादातर घरों में अभी भी परंपरागत टीवी ही है। खासकर, ग्रामीण इलाकों में जहां सस्ते स्मार्टफोन और डेटा तो पहुंच गए हैं, लेकिन अभी स्मार्ट या ऐंड्रॉयड टीवी नहीं पहुंचा है।

यूं तो वेब सीरीज पर उम्र की हिदायत रहती है, लेकिन जिस प्रकार सिनेमाघर की तरह अवयस्क दर्शकों के प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है वैसी रोक घरों में बैठे अवयस्क दर्शक पर नहीं लगाई जा सकती है। केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपब्लध कंटेंट को लेकर 11 नवंबर 2020 को जारी एक गजट नोटिफिकेशन के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप पर गंभीरता से चर्चा चल पड़ी है। नोटिफिकेशन में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट की निगरानी की बात कही गई थी। इसके पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि ऑनलाइन माध्यम की निगरानी टीवी से ज्यादा जरूरी है। दरअसल देश में डिजिटल कंटेंट की निगरानी के लिए अभी तक कोई कानून या संस्था नहीं है। यही वजह है कि ओटीटी पर किसी भी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं है। ओटीटी के कंटेंट पर नियंत्रण इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि लाॅकडाउन के बाद से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शकों की संख्या बढ़ी है। लगभग 15 ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जिसमें नेटफ्लिक्स, डिज्नी प्लस हॉट स्टार, वूट, अल्ट बालाजी, वूट जैसे बड़े प्लेयर शामिल हैं, जिन्होंनेे मिलकर कंटेट रेगुलेशन के लिए कोड वर्ष 2020 में ही बनाया है, जिसमें पांच तरह के कंटेट ओटीटी प्लेटफार्म पर न दिखाने की सहमति दी है। हालांकि, सरकार ने इसे पर्याप्त नहीं माना। इस रेगुलेशन कोड में ओटीटी प्लेयर्स ने तय किया था कि राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान करने वाला कोई कंटेंट नहीं दिखाया जाएगा। साथ ही चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने वाला, धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला और आतंकवाद को किसी भी रूप में बढ़ावा देने वाला कंटेंट नहीं दिखाया जाएगा। साथ ही ऐसा कोई कंटेंट नहीं दिखाया जाएगा, जिस पर अदालत ने किसी भी तरह की रोक लगाई है।  लेकिन वेब सीरीज के नियमित समीक्षक मानते हैं कि ‘‘वेब सीरीज की दुनिया में क्रांति हो रही है, लेकिन यह क्रांति कंटेंट की कम कामुकता की अधिक हो रही है। दर्शकों को सॉफ्ट पोर्न दिखा कर उसका मानसिक स्खलन किया जा रहा है। एक समीक्षक के अनुसार ‘मिर्जापुर’, ‘इनसाइड ऐज’, ‘गंदी बात’, ‘कौशिकी’ और ‘बारकोड’ जैसे वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफार्म पर सेंसरशिप का नया कानून बनवा कर ही मानेंगे।’’ इस संकट से निपटने के लिए सरकार ओटीटी के लिए अलग से सेंसरशिप कानून लाने पर विचार कर रही है। जो आवश्यक भी है। बहरहाल, ओटीटी प्लेटफाॅर्म टेलीविज़न पर भारी पड़ता नज़र आ रहा है और उसकी धमक को साफ़-साफ़ महसूस किया जा सकता है।

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(दैनिक सागर दिनकर में 03.12.2020 को प्रकाशित)
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