Pages

My Editorials - Dr Sharad Singh

Sunday, April 17, 2022

जिस कवि में प्रश्न करने का साहस होता है वही अपनी अभिव्यक्ति के साथ न्याय कर पाता है।- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मैं पूछता हूँ आसमान में उड़ते हुए सूरज से
क्या वक़्त इसी का नाम है
कि घटनाएँ कुचलती हुई चली जाएँ
मस्त हाथी की तरह
एक समूचे मनुष्य की चेतना को ?
- ये पंक्तियां हैं विचारों से जुझारू कवि अवतार सिंह पाश की।
     दरअसल, जिस कवि में इस तरह के प्रश्न करने का साहस होता है वही अपनी अभिव्यक्ति के साथ न्याय कर पाता है। कवि भी एक इंसान होता है जो अपने अनुभव से सीखता है और अपने अनुभवों को अगर उसे सही शब्दों में पिरोना आ गया तो वह एक ऐसा कवि बनने में सक्षम हो जाता है जो आम आदमी की आवाज को अपने शब्द दे सके। यदि सच कहने में लिहाज़ आड़े आ रहा हो तो सच कहते नहीं बनता है और तब बेलिहाज़ होकर ही सच्चाई को प्रखरता से सामने रखा जा सकता है।- लोकार्पित पुस्तकों में से एक बेलि कलम पर अपना समीक्षात्मक वक्तव्य देते हुए मैंने (यानी आपकी मित्र डॉ सुश्री शरद सिंह ने)कहा।
        वस्तुतः सागर नगर में जब से श्यामलम संस्था ने साहित्यिक आयोजनों की सक्रियता को पुनर्स्थापित किया नगर के सृजनात्मक क्षेत्र में भी तेजी से गति आई है आज अपरान्ह आदर्श संगीत महाविद्यालय के सभागार में बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृत विकास मंच द्वारा पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें एक साथ तीन काव्य-पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तकें 'बेलिहाज़ कलम' (कवि मणिकांत चौबे बेलिहाज़), 'फगनौटे पूरन' (कवि पूरन सिंह राजपूत) तथा 'कवित्त कौशल' (कवि राजकुमार तिवारी)। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे डॉक्टर सुरेश आचार्य। समीक्षात्मक वक्तव्य  दिया डॉ. टीकाराम त्रिपाठी, डॉ.एमडी त्रिपाठी एवं डॉ. सुश्री शरद सिंह ने। संचालन किया डॉ नलिन जैन नलिन ने एवं  परिचय वाचन किया श्री उमाकांत मिश्र अध्यक्ष श्यामलम ने।

No comments:

Post a Comment