सीएम की घोषणा और लाभ से वंचित अविवाहित बेटियां - डाॅ शरद सिंह
शिवराज सरकार बेटियों के हित में हमेशा महत्वपूर्ण घोषणाएं करती रही है जिनसे हर आयुवर्ग की बेटियों का जीवन संवर सके। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इन घोषणाओं का कितना परिपालन किया जाता है इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है जिसमें अविवाहित बेटियों के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद भी परिवार पेंशन दिए जाने की घोषणा लगभग साल भर पहले की गई थी। लेकिन अविवाहित बेटियां आज भी इस लाभ से वंचित हैं क्यों प्रशासनिक आदेश का कहीं अता-पता नहीं है। इसे घोषणाओं का खोखलापन कहें या प्रशासनिक लापरवाही? या फिर सीएम हाउस द्वारा घोषणाओं के क्रियान्वयन के फालोअप में कमी। जो भी कहें आर्थिक परेशानी भुगत तो रही हैं प्रदेश की अविवाहित बेटियां।
प्रदेश में बेटियों को सम्मान, सुरक्षा और बेहतर जीवन देने की दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमेशा प्रयासरत रहते हैं जो कि समय-समय पर उनके द्वारा की जाने वाली घोषणाओं से प्रकट होता रहता है। लेकिन विसंगति यह है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं और उसको अमलीजामा पहनाने के बीच बहुत बड़ा अंतर रह जाता है। जिस गति से घोषणा पर अमल किया जाना चाहिए, उस तेज गति से अमल होता नहीं है। जैसे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त 2020 को अपने संबोधन के दौरान लाल परेड मैदान में घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश में सभी शासकीय कार्यक्रम ‘‘बेटियों की पूजा’’ के साथ शुरू किए जाएंगे जिससे बेटियों और महिलाओं का सम्मान का भाव सबके मन में जागे। दिलचस्प यह कि घोषणा के पूरे चार माह बाद आदेश जारी किए गए। अर्थात् मुख्यमंत्री की घोषणा को अमल में लाने में पूरे चार माह लगे और फिर आदेश जारी किया गया। जिसकी कॉपी मध्यप्रदेश सरकार के सभी विभागों, सभी विभागाध्यक्ष, सभी संभागायुक्तों, सभी कलेक्टरों और सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को भेजी गई। बेटियों के पांव पूजन की घोषणा को अमलीजामा पहनाने में प्रशासन को चार माह का समय लग गया।
25 वर्ष से ऊपर आयु की अविवाहित बेटियों के हित में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी। यह घोषणा प्रशासनिक स्तर पर आज भी लागू होने की बाट जोह रही है।
शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ी योजना के संशोधन पर विचार करते हुए केंद्र सरकार के नियम की ही तर्ज पर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा अविवाहित बेटियों के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद पारिवारिक पेंशन दिए जाने की घोषणा की थी। इसके लिए प्रस्ताव परीक्षण के लिए सामान प्रशासन विभाग को भेजा गया था। दरअसल, केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के मामले में 28 अप्रैल 2011 को पेंशन नियम में संशोधन किया था। जहां अविवाहित बेटी, विधवा, परित्यक्ता बेटी को पेंशन देने की पात्रता उम्र बढ़ा दी गई थी। जिसके बाद अविवाहित पुत्री के मामले में यदि आयु 25 वर्ष से अधिक हो गई हो और उसका विवाह नहीं हुआ हो तो उसे पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा। इसी नियम को शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश में लागू करने का विचार किया। सन् 1976 के अधिनियम के अनुसार प्रदेश में कर्मचारियों के मामले माता-पिता की मृत्यु के बाद प्रदेश में अभी बेटे को 18 साल और बेटी को 25 साल तक ही परिवार पेंशन पाने की पात्रता है। प्रदेश में इस प्रस्ताव को परिवार पेंशन अधिनियम 1976 से ही लागू किया गया है। वहीं इसमें संशोधन हो जाने पर अविवाहित बेटी के लिए 25 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद जब तक उसका विवाह नहीं हो जाता तब तक पारिवारिक पेंशन दिया जाएगा। इस संबंध में प्रावधान बना कर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया। इस पर वित्त विभाग 13 मार्च 2020 को परिवार पेंशन कल्याण मंडल ने भी सैद्धांतिक सहमति दे दी। किन्तु इसके बाद भी राज्य प्रशासन को 25 वर्ष से अधिक आयु अविवाहित बेटियों को पारिवारिक पेंशन का लाभ दिलाने के लिए कोई आदेश जारी नहीं कर सका है। वित्त विभाग मार्च 2020 में ही इस प्रस्ताव को सहमति दे चुका है। उसके तत्काल बाद सामान्य प्रशासन विभाग के पास यह प्रस्ताव परीक्षण भेजा गया था। कोई बाधा न होते हुए भी अंतिम निर्णय साल भर से लंबित है। यानी शिवराज सरकार द्वारा अविवाहित बेटियों के हित में की गई घोषणा आज भी क्रियान्वयन की ंप्रतीक्षा कर रही है और सैकड़ों बेटियां आर्थिक संकट से जूझ रही हैं।
24 जनवरी 2021 को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर मिंटो हाल में ‘‘पंख’’ अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चैहान ने कहा था कि शिशु के कोख में आने से लेकर मृत्यु के बाद तक परिवार की सहायता के लिए मध्यप्रदेश में अनेक योजनाएं चल रही हैं। सभी योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लाना है। यह हम सभी का दायित्व भी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित हैं। इनमें एक अनूठा ‘‘पंख’’ अभियान भी है जो बालिकाओं के संरक्षण, जागरण, पोषण, ज्ञान, स्वास्थ्य, स्वच्छता का प्रतीक है। पी से प्रोटेक्शन, ए से अवेयरनेस, एन से न्यूट्रीशन, के से नॉलेज एवं एच से हेल्थ व हाइजीन के माध्यम से बेटियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जाना तय किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पंख अभियान के लिए हिन्दी में अभिप्रायरू पावक (अग्नि), अंतरिक्ष, नीर (पानी), क्षितिज और हवा से है। यह अभियान बालिकाओं और महिलाओं की निराशा को दूर करेगा। भारत सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ् सयोजना किशोरियों को चहुंमुखी विकास में मदद करती है। मध्यप्रदेश में इसे नया स्वरूप दिया गया है। पंख अभियान भी इस योजना का ही हिस्सा है, जिसके अंतर्गत अगले दो महीनों की गतिविधियों का कैलेण्डर तैयार किया गया है। अभियान के अंतर्गत जिला स्तर पर विभिन्न विभागों के सहयोग से किशोरियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा। किशोरियों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे उनके विकास में सहयोग मिलेगा। जनप्रतिनिधि और अशासकीय संस्थाओं को भी अभियान से जोड़ा जाएगा। बालिका जन्म को प्रोत्साहन, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, पॉक्सो एक्ट, दहेज प्रतिषेध अधिनियम के प्रचार-प्रसार, किशोरियों और उनके अभिभावकों को कुप्रथाओं की समाप्ति के लिए जागरूक करना, किशोरियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना, उनके पोषण के स्तर को सुधारना, पंचायत स्तर पर वोकेशनल ट्रेनिंग देना और उनकी नेतृत्व क्षमता विकसित करना अभियान के अंग हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना, मातृ वंदना योजना, उदिता योजना, वन स्टॉप सेंटर का संचालन, लाडो अभियान का संचालन सभी का उद्देश्य किशोरियों और महिलाओं की ताकत बढ़ाना है।
महिला सशक्तीकरण के लिए गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण, कन्या विवाह योजना, शौर्या दल गठन, महिला स्व-सहायता समूह महत्वपूर्ण माध्यम हैं। लाड़ली लक्ष्मी योजना की वर्ष 2007 में शुरूआत हुई थी। बहुत से ऐसे परिवार है जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के करना अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा नहीं दे पाते और न ही उनके विवाह के लिए पैसे इकट्ठा नहीं कर पाते हैं। बहुत से लोग लड़का और लड़कियों में भेद भाव भी करते है । इन सभी परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार ने लाडली लक्ष्मी योजना 2021 को शुरू किया इस योजना के तहत उद्देश्य है बेटी की पढाई और शादी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना। इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के नागरिको की नकारात्मक सोच को बदलना और बालिकाओ के भविष्य को उज्जवल बनाना है और इस पैसे का इस्तेमाल लड़की द्वारा उसकी उच्च शिक्षा अथवा विवाह के लिए किया जा सकता है। इस तरह मध्य प्रदेश राज्य में महिलाओं और पुरुषों के लिंग अनुपात को कम करना और राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का प्रयास है। लेकिन घोषणाओं के लागू किए जाने में साल भर से भी अधिक समय लगना इस बात को सोचने पर मजबूर करता है कि सरकार की सोच और प्रशासन की तत्परता के बीच तालमेल का अभाव है जिससे बेटियों का हित चाहने वाले मुख्यमंत्री की छवि पर भी विपरीत असर पड़ता है। घोषणा यदि विज्ञापन की वस्तु बन कर रह जाए तो उसका जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आमजन शासन-प्रशासन से सहयोग की आशा रखता है किन्तु जब जीवनयापन के प्रश्न का हल ही ठंडे बस्ते में लम्बित पड़ा हो तो घोषणाओं पर से विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है।
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