अपने परिवार की नौवीं संतान इंगलुक शिनवात्रा उच्च शिक्षा प्राप्त महिला हैं। इंगलुक ने देश के उत्तरी शहर चियांग माइ से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद अमेरिका के केंटुकी स्टेट यूनिवर्सिटी से परा-स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद अपने भाई थाकसिन द्वारा स्थापित दूरसंचार कंपनी एआईएस में प्रबंध निदेशक के पद पर कार्य किया। इंगलुक ने प्रधानमंत्री पद से पूर्व और कोई राजनीतिक पद नहीं संभाला है। वे थाईलैंड की 28 वीं प्रधानमंत्री हैं।
44 वर्षीया इंगलुक शिनवात्रा देश के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा की छोटी बहन हैं अतः राजनीतिक वातावरण से उनका पुराना परिचय है। इंगलुक शिनवात्रा थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। थाईलैंड में संसद के लिए आम चुनाव 03 जुलाई, 2011 को कराया गया था। चुनाव आयोग ने थाईलैंड में संसद के लिए हुए आम चुनाव के परिणाम की घोषणा 4 जुलाई, 2011 को की। इस आम चुनाव में इंगलुक शिनवात्रा के नेतृत्व वाली फू थाई पार्टी ने 500 सीटों वाली थाई संसद में 265 सीटें जीतीं। इस दल ने प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी को पराजित किया। ब्रिटिश मूल के अभिसित वेज्जाजीवा की डेमोक्रेटिक पार्टी को कुल 159 सीटें मिलीं।
44 वर्षीया इंगलुक शिनवात्रा देश के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा की छोटी बहन हैं अतः राजनीतिक वातावरण से उनका पुराना परिचय है। इंगलुक शिनवात्रा थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी गईं। थाईलैंड में संसद के लिए आम चुनाव 03 जुलाई, 2011 को कराया गया था। चुनाव आयोग ने थाईलैंड में संसद के लिए हुए आम चुनाव के परिणाम की घोषणा 4 जुलाई, 2011 को की। इस आम चुनाव में इंगलुक शिनवात्रा के नेतृत्व वाली फू थाई पार्टी ने 500 सीटों वाली थाई संसद में 265 सीटें जीतीं। इस दल ने प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी को पराजित किया। ब्रिटिश मूल के अभिसित वेज्जाजीवा की डेमोक्रेटिक पार्टी को कुल 159 सीटें मिलीं।
इंगलुक शिनवात्रा को चार और पार्टियों का समर्थन प्राप्त है, जिससे उनके पक्ष में बहुमत २९९ का हो गया। इंगलुक शिनवात्रा दृढ़ विचारों की महिला मानी जाती हैं लेकिन थाईलैंड की प्रधानमंत्री के रूप में उनकी राह आसान नहीं है।
महिलाओं का भरपूर समर्थन |
थाईलैंड में महिला प्रधानमंत्री के रूप में सबसे बड़ी चुनौती महिला तस्करी अर्थात् वूमेन ट्रैफिकिंग की है। थाईलैंड लगभग दो दशक पहले महिलाओं की तस्करी के क्षेत्र में सबसे अग्रणी देशों में गिना जाता था। थाईलैंड अब भी वूमेन ट्रैफिकिंग के मार्ग में सहायक देश माना जाता है। महिला तस्करी के विरुद्ध विश्वसंगठन (कोलिटेशन अगेन्स ट्रैफिकिंग इन वूमेन सीएटी डब्ल्यू) की एशिया पेसफिक रिपोर्ट के अनुसार रूस, यूगोस्लाविया, पोलैंड और चेक और स्लोवाक गणराज्यों, दक्षिण अमेरिका से महिलाओं की तस्करी थाईलैंड के रास्ते से की जाती है। थाईलैंड के रास्ते संचालित महिला तस्करी नीदरलैंड और जर्मनी यूरोपीय संघ, जापान, भारत, मलेशिया और मध्य पूर्व के देशों तक फैली हुई है। इसी विश्व संगठन के अनुसार थाईलैंड चीन, वर्मा, लाओस तथा कम्पूचिया के ग्रामीण क्षेत्रों से १८ से ३० वर्ष आयु वर्ग की महिलाएं बैंकाक के रास्ते विश्व के विभिन्न देशों में भेजी जाती हैं। इस तरह निकटवर्ती देशों के साथ ही महिलाओं के साथ ही थाई महिलाएं भी तस्करी की शिकार हैं। वेश्यावृत्ति के लिए उनकी तस्करी की जाती है। इस अवैध व्यापार के कारण थाईलैंड में देह व्यापार भी फल फूल रहा है।
इस दुश्चक्र में फंसी अभागी औरतों को नया जीवन प्रदान करने की गंभीर चुनौती इंगलुक शिनवात्रा के सामने है। बैंकाक पोस्ट के एक समाचार के अनुसार बड़ी संख्या में थाई महिलाओं को यौनाचार में धकेल दिया जाता है। इनमें से अधिकांश औरतें गरीब घरों की होती हैं जिन्हें अच्छे वेतन वाली नौकरी का लालच दे कर दुश्चक्र में फंसाया जाता है। जून 1997 में इसी तरह की एक घटना प्रकाश में आई। महिला तस्करी से जुड़े एक आदमी ने तीन बहनों को कुआलालंपुर, मलेशिया में एक रेस्तरां में नौकरी दिलाने का वादा किया। वह उन्हें मलेशिया तो ले गया किंतु नौकरी दिलाने के बजाय उन्हें वेश्यावृत्ति में झोंक दिया। तीनों बहनों में से एक बहन किसी प्रकार अपनी मां को फोन करने में सफल हो गई। तब मां ने बेटियों को बचाने के लिए थाई पुलिस के आगे गुहार की।
थाई पुलिस ने मलेशियाई पुलिस के साथ मिलकर एक सफल प्रयास किया और तीनों बहनों को वेश्यावृत्ति के दलदल से बचा लिया। किंतु अधिकांश लड़कियां और महिलाएं जो एक बार इस दलदल में फंसती हैं, उनका उबर पाना बिना कानूनी प्रयास के लगभग असंभव रहता है। एशियाई आर्थिक संकट के कारण स्थितियां और अधिक दुरूह हो चली हैं। एशियाई देशों की मुद्रा के मूल्य के गिरावट ने महंगाई बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर कम कर दिए हैं और पारिवारिक आय पर भी करारी चोट की है। ऐसी दशा में वूमेन ट्रैफिकिंग जैसे अपराध महिलाओं के जीवन को तेजी से अपनी लपेट में लेता जाएगा।
इंगलुक शिनवात्रा |
इंगलुक ने सत्य, न्याय और सभी के लिए कानून के शासन से वादा किया तथा सन् 2020 तक अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेने की आशा व्यक्त की थी। यदि इंगलुक शिनवात्रा अपने घोषित उद्देश्यों में सफल हो पाती हैं तथा वूमेन ट्रैफिकिंग पर अंकुश लगा पाती हैं तो उनका यह कार्य एशिया प्रशांत क्षेत्र ही नहीं अपितु समूचे एशिया पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
(साभार- दैनिक ‘नईदुनिया’ में 04.09.2011 को प्रकाशित मेरा लेख)