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"सच तो ये है कि फोटोग्राफी कैमरे से किसी दृश्य को कैप्चर करना मात्र नहीं होता है": डॉ. शरद सिंह
आमतौर पर यही माना जाता है कि फोटोग्राफी आज कोई बड़ी बात नहीं रह गई, जब से हर हाथ में एंडरॉयड मोबाईल फोन आ गया है, लेकिन सच तो ये है कि फोटोग्राफी कैमरे से किसी दृश्य को कैप्बर करना मात्र नहीं होता है। इसके पीछे एक विशेष दृष्टिकोण होना जरूरी है। जिसे अकसर हम अंग्रेजी शब्द 'विजन' के रूप में स्वीकार करते हैं। सागर के फोटोग्राफी के इतिहास में पुरुष और महिला फोटोग्राफर्स के नाम आते हैं लेकिन पहली महिला फोटोग्राफर एकल प्रदर्शनी हाल ही में हुई जिसने इस शहर में कला प्रदर्शन का एक नया द्वार खोल दिया। मेरे शहर में यानी मध्यप्रदेश के सागर शहर में पहली बार एक महिला फोटोग्राफर द्वारा खींचे गए छाया चित्रों की एकल प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। उनका नाम है सुश्री संध्या सर्वटे। उन्होंने अपने जिन छाया चित्रों को प्रदर्शनी के लिए चुना उनमें नेचर फोटोग्राफ्स थे। चूंकि मैं भी फोटोग्राफी में दिलचस्पी रखती हूं। मेरा खुद का फोटांग्राफी ब्लॉग है जिसका नाम है "क्लिक जिक" और एक फेसबुक पेज भी है "शरद क्लिक टॉक"। नेचर औ लाईफ फोटोग्राफी मेरे शौक से जुड़ी हुई है
संध्या सरवटे जी की फोटाग्राफी की
एकल प्रदर्शनी मेरे लिए विशेष महत्व रखती थी। वैसे वे मेरी परिचित हैं और उन्होंने समय-समय पर मुझे अपने खींचे कुछ फोटाग्राफ्स भेजे भी हैं जो मुझे बहुत अच्छे लगे थे। लेकिन वे फोटोग्राफी में इतनी अधिक दिलचस्पी रखती हैं इसका अहसास मुझे तब हुआ जब उनकी फोटोग्राफी की एकल प्रदर्शनी की सूचना मुझे मिली। अच्छा लगा यह सोच कर एक महिला ने अपने शौक को प्रदर्शनी के द्वारा दूसरों के लिए एक मार्ग प्रशस्त करने जा रही है। देखा जाए तो आज अमैच्योर फोटोग्राफर सभी हैं लेकिन उसे सार्वजनिक प्रदर्शित करने के बारे में विचार नहीं करते हैं। वैसे एक बात और ध्यान देने की है कि सागर शहर में श्यामलम नामक संस्था एक ऐसी संस्था है जो साहित्य, भाषा, कला और संस्कृक्ति के लिए निरंतर प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है। मूल रूप से इसी संस्था ने संध्या सरवटे को भी प्लेटफार्म दिया, प्रोत्साहन दिया और परिणामस्वरूप उनकी फोटोग्राफी की एकल प्रदर्शनी साकार हुई। फोटोग्राफी के लिए क्या चाहिए? सिर्फ एक अदद कैमरा। नहीं, कुछ समय पहले यह सब कुछ इतना आसान नहीं था। पहले एक कैमरे के साथ एक फोटोग्राफर के स्टूडियो की भी आवश्यकता होती थी जहां से पहले फिल्म रोल खरीदना पड़ता था और फोटो खींचने के बाद उस रोल को ले कर फिर किसी फोटोग्राफर के स्टूडियो पर जाना पड़ता था ताकि उसे धुलवाया और प्रिंट कराया जा सके। कई बार उससे निवेदन करना पड़ता था कि ग्लॉसी पेपर पर प्रिंट करे। शार्प प्रिंट करे। इसके बाद भी कई बार प्रिंट मिलते फूजी कलर में। इससे पहले ब्लैक एंड व्हाईट फोटोग्राफी की दुनिया थी। पहले हर घर में कैमरे भी नहीं होते थे। कैमरा एक विलासिता की वस्तु समझा जाता था। यह स्थिति तब तक रही जब तक डिजिटल कैमरों का अवतरण नहीं हुआ। डिजिटल कैमरों ने फोटोग्राफी की जिंदगी को एक हद तक आसान कर दिया। अपने कैमरों को आप अपने लैपटॉप या कम्प्यूटर से जोड़ कर फोटोज सीधे अपने डिवाइस में स्थानांतरित कर सकते थे। फिर सारी फोटो प्रिंट करना जरूरी नहीं होता थां जो तस्वीर अच्छी लगे, उसे प्रिंट कराइए और बाकी या तो डिलीट करिए या फिर अपने जमा खाते में रखिए। फिर भी कैमरा हर घर में जगह नहीं बना पाया था। फोटोग्राफी को हर घर ही नहीं अपितु हर हाथ में पहुंचा दिया एंडरायड मोबाईल फोन ने। जी हां, फोटोग्राफी की जिंदगी को और आसान कर दिया एंडरायड मोबाईल फोन के कैमरा एप्लीकेशन्स ने। अब छोटे से मोबाईल फोन के कैमरे से हाई रेज्यूलेशंस की फोटो खींची जा सकती है। इन मोबाईल्स के सौजन्य से पैनोरमा और नाईटविजन फोटोग्राफी आसान हो गई है। दृश्य के गति की तीव्रता भी अब कोई बड़ा मसला नहीं रह गई है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि हर व्यक्ति हर घड़ी अपनी मनचाहे दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के योग्य हो गया है। अब बात आती है अमैच्योर और प्रोफेशनल फोटोग्राफी की। अमैच्योर यानी जिन्होंने फोटोग्राफी की विधिवत शिक्षा नहीं ली, जो धन कमाने के दृष्टिकोण से फोटोग्राफी नहीं करते हैं और जिन्हें शौकिया फोटोग्राफर कहा जा सकता है। वहीं, प्रोफेशनल फोटोग्राफर वे हैं जो फोटोग्राफी का कोर्स करते हैं, धन कमाने के लिए फोटोग्राफी करते हैं एवं जिन्हें फोटोग्राफी की बारीकियां बहुत अच्छे से पता होती हैं। वैसे, यह बात अलग है कि कई बार अमैच्योर फोटोग्राफर भी प्रोफेशनल्स को पीछे छोड़ देते हैं। फोटोग्राफी की वास्तविक दुनिया बहुत विस्तृत है। इसमें नेचर फोटोग्राफी, वाईल्ड फोटोग्राफी, मरीन फोटोग्राफी, अंडर वाटर फोटोग्राफी, फैशन फोटोग्राफी, न्यूज फोटोग्राफी, फीचर फोटोग्राफी आदि-आदि बहुत से प्रकार हैं। संध्या सरवटे ने फिलहाल नेचर फोटोग्राफी को चुना है। उनकी खूबी ये है कि वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं। वे मराठी में सुंदर कविताएं रचती हैं, पेंटिंग्स करती हैं, रांगोली बनाती हैं, रंगमंच से संबद्ध हैं और गुलाबों की बागवानी करती हैं। उनके ये सारे शौक उनके घर के परिसर तक सिमटे हुए नहीं हैं, वरन वे पेंटिग और रांगोली प्रदर्शनी में सहभागिता कर चुकी हैं, अपनी फोटोग्राफी को भी प्रदर्शनी में शामिल कर चुकी हैं। एक महिला का अपने गुणों को निरंतर निखारना और उसे विविध माध्यमों के द्वारा प्रदर्शकारी कलाओं के द्वारा जनसामान्य के बीच लाना एक सुखद प्रसंग है। संध्या सर्वटे द्वारा लगाई गई फोटो प्रदर्शनी में प्रदर्शित उनके छायाचित्रों में सबसे विशेष बात थी उन छायाचित्रों का कवित्व तत्त्व। जब एक फोटोग्राफर प्रकृति और साहित्य दोनों से समान रूप से जुड़ा हुआ हो तो उसकी फोटोग्राफी में एक पोएटिक सेंस स्वतः आ जाएगा। ढलती हुई शाम का धुंधलका, पौधों पर पड़ती हुई नर्म धूप, एकांत में खड़े घर को घेरता कोहरे का हल्का घूसरपन यह सब देखना कविताओं के पढ़ने की भांति था। हर फोटोग्राफ एक कविता की तरह प्रकृति के सौंदर्य को मुखर कर रहा था। संध्या सरवटे जी ने बातचीत के दौरान बताया था कि वे अपने मोबाईल फोन से ही फोटोग्राफी करती हैं। वैसे उन्हें बचपन में कैमरे से फोटोग्राफ्स लेने का अवसर भी मिला था। वे इस संबंध में अपनी आई एवं बाबा अर्थात माता-पिता की प्रशंसा करती हैं कि उन्होंने कभी कोई रोक-टोक नहीं की और उन्हें अपना शौक विकसित करने करने का भरपूर अवसर दिया।
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