Wednesday, July 28, 2021
चर्चा प्लस | कभी न रुकने वाले ओलम्पिक खेलों के जज़्बे को सलाम | डाॅ शरद सिंह
Tuesday, July 27, 2021
पुस्तक समीक्षा | अनगढ़पन के स्वाभाविक सौंदर्य की कविताएं | समीक्षक - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
Friday, July 23, 2021
बुंदेली व्यंग्य | जै हो पेगासस भैया की | डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
ब्लॉग साथियों, आज 23.07.2021 को #पत्रिका समाचार पत्र में मेरा बुंदेली व्यंग्य "जै हो पेगासस भैया की " प्रकाशित हुआ है... आप भी पढ़ें...आंनद लें....
#Thank you #Patrika
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बुंदेली व्यंग्य
जै हो पेगासस भैया की
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
नोने भैया मूंड़ औंधाए भये बैठे हते अपने दुआरे पे। भौजी ने कही हती के जा के भटा-मटा ले आओ, सो तुमाये लाने भर्त बना देवें।
‘‘हऔ, लाए देत हैं। पैले अच्छी-सी चाय-माय तो पिला देओ। जब देखों बस काम ई की कैत रैत हो। कछु तो सरम कर लौ करे।’’ नोने भैया ने भौजी से कही।
‘‘जे देखो, कछु करत न धरत के औ बोल ऐसे रै के मनो घर-बाहरै को सबई काम जे ई तो करत होंए। हुंह! चाय पी के भटा ले अइयो, ने तो आज सब्जी न मिलहे खाबे खों।’’ भौजी ने सोई ठोंक के सुना दई।
‘‘हऔ तो, चलो चाय तो देओ, मंत्री हरन की घोषणा घंई बोल के न रै जाओ।’’ नोने भैया ने कहीं और ताज़ो अख़बार ले के बैठ गए। पैलई ख़बर पढ़ के उनको मत्था घूम गओ। ख़बर हती पेगासस फोन हैकिंग की।
जो का, जे पेगासस लिस्ट में सोई सबरे बड़े-बड़े नाम दए हैं। ग़रीब की तो कोई पूछ-परख करत ई नईयां। ग़रीबन के इते ने तो कभऊं कोई छापा-वापा पड़त आए, ने तो कोनऊ मंत्री-मिनिस्टर आउत है औ अब जे देखो, पेगासस से भी बड़े लोगन की जासूसी कराई जा रई। अरे, कभऊं कोनऊ गरीबन की बातें सुन लओ करे। छोटो-मोटो सस्तो सो एंडरायड फोन तो गरीबन के एऐंडर सोई पाओ जात आए। मनो उनको तो कोनऊं स्टेटस ई नइयां। नोने भैया चाय सुड़कत भए सोसत रये। चाय ख़तम भई सो कप-बसी उतई छोड़ के बाहरे दुआरे पे पसर गए।
दरअसल, नोने भैया ने भौजी को ‘हऔ’ तो कै दई बाकी बे भटा-मटा लेबे कहूं गए नईं। अखबार पढ़ के उनको मन उदास हो गओ। मोए का पतो रहो के नोने भैया उदासे डरे हैं। नोने भैया के दुआरे से निकलत भए मैंने उनसे राम-राम कर लई। बे तो मनो कोनऊं से बतकाव करन चाह रए हते।
‘‘काए भैया सब ठीक आए।’’ मैंने नोने भैया से का पूछी, मनो भिड़ के छत्ते में अपनों हाथ दे दओ।
‘‘बिन्ना हमाए इते छापो पड़वा देओ।’’ नोने भैया मोए चौंकात भए बोले।
‘‘का? का कै रए?’’ मोए कछु समझ में न आओ।
‘‘अरे बिन्ना, ई दुनिया में हमाई तो कोनऊं पूछ-परख है नईं। मनो हमाए इते बी छापो-वापो पड़ जातो तो बिरादरी में तनक इज्जत बढ़ जाती।’’ नोने भैया बोले।
‘‘जो का कै रए, भैया? सुभ-सुभ बोलो!’’
‘‘अरे बिन्ना, हम सुभ-सुभ ई बोल रए। तुम देखत नईयां का, के जोने के इते छापो पड़ जात है, उनकी इज्जत बढ़ जात है। सबई समझ जात आएं के जे खतो-पीतो पिरानी आए। एक हम आएं ठट्ठ, कोनऊं पूछ-बकत नईं।’’ नोने भैया कलपत भए बोले।
‘‘जो का उल्टो-सूधो बक रए हो भैया! ऐसो कहूं नईं होत।’’ मैंने विरोध करी।
‘‘चलो, छापो-वापो को छोड़ो, हमाई आज की पीड़ा सुनो।’’ नोने भैया ने कही।
‘‘हऔ, बोलो!’’
‘‘बोलने का आए, जे देखो हमाए पास सोई एंडरायड मोबाईल फोन आए, पर हमाई बात कोई ने न सुनी।’’ नोने भैया ने दूसरो सुर पकड़ लओ।
‘‘एंडरायड फोन से का होत है, तुम सोई कभऊं कोनऊं खों फोव-वोन कर लओ करे। तुम ने लगेओ सो, दूसरो ई कहां तक तुमाए लाने घंटी मारत रैहे?’’ मैंने नोने भैया को समझाई।
‘‘अरे, हम तो दो-तीन दिना से खटोले कक्का से रोजई बतकाव कर रै आएं पर जे देखो नासपिटे पेगासस की, हमाई ने तो कोनऊं न बात सुनी, ने तो फोन हैक करो और तो और हमाओ डाटा तक ने चुराओ, नासपिटे ने।’’ नोने भैया मों लटकात भए बोले।
‘‘उदास न हो भैया! बड़े-बड़े लोगन को फोन हैक करो जात है। हमाए-तुमाए फोन में का रखो? अपन ओरन के पास बेई घिसी-पिटी बातें रैत आएं कि आज डीजल मैंहगो हो गओ तो कल पेट्रोल के दाम बढ़ गए। आज टमाटर पचास रुपए किलो बिको तो गिल्की साठ रुपए किलो। हमाई इन बातन से कोनऊं को कोऊ मतलब नईयां।’’ मैंने नोने भैया को समझाई।
‘‘बात तो सही कै रईं बिन्ना, बाकी मैंहगाई के बारे में कोऊ काए नहीं बात करत है। अपन ओरन के कष्टन की कोनऊं को फिकर नईयां।’’ नोने भैया दुखी होत भए बोले।
‘‘मैंहगाई-फहंगाई में कछु नई रखो, पेगासस में तुमें अपना नाम जुड़वाने है तो मंत्री-मिनिस्टर से सांठ-गांठ करो। उनसे ऐसे बतियाओ के मनो कोई भेद की बात कर रए। तुमाओ रसूख जम जाए, तब कहीं काम बनेगा।
‘‘अरे, का बिन्ना! तुमने का हमें बाबाजी को ठुल्लू समझ रखो है? हमने बताई न कि हम दो-तीन दिना से खटोले कक्का से राजनीति पे बहसें कर रैं हैं, पर बात नईं बनी। खटोले कक्का राजनीति से संन्यास ले चुके हैं, बाकी, बे ठैरे मंत्री जी के चच्चा, सो हमने बोल-चाल के लाने उनई को पकड़ रखो है। काए से के मंत्री जी सो हमने बोलहें न।’’ नोने भैया ने अपनी चतुराई बघारी।
‘‘गम्म न करो भैया, कोन जाने अगली लिस्ट में तुमाओ नाम सोई दिखा जाए।’’ मोए उनको झूठी तसल्ली देनी पड़ी।
‘‘नासपिटे जे पेगासस को, इसे जो न बनो के ऊपरे के बजाए तरे से लिस्ट बनाए। जोन को देखो ऊपरई वालन खों देखत आए। नाम ऊपर वारे कमाएं औ मैंहगाई के मोटे-मोटे दाम हम चुकाएं। अभ्भई हमने भी सोच लई कि हमें व्हाट्सएप्प अनवरसिटी में भर्ती हो जाने है, कछु उल्टो-सूधो लिखबो सीख जाएं तो कहो काम बन जाए।’’ नोने भैया ने अपनी परेसानी को खुदई हल निकार लओ।
‘‘भली सोची भैया! सो, अब तुम लग जाओ पोस्ट-मोस्ट में औ हमें जान देओ।’’ मैंने नोने भैया से कही औ चलबे को हुई कि नोने भैया बोल उठे,‘‘देख लइयो, नासपिटे पेगासस की अगली लिस्ट में हमाओ नाम सोई हुइए। औ हम सोई कछु बड़े कहान लगहें।’’
‘‘हऔ भैया, मोरी दुआ तुमाए संगे है।’’ मैंने कही औ वहां से दौड़ लगा दई।
बाकी नोने भैया खों बड़ी आसा है पेगासस से कि उनको फोन कोई हैक कर के उनको रसूख दिला देगा। जै हो सेंधमार पेगासस भैया की!
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Thursday, July 22, 2021
चर्चा प्लस | बुंदेलखंड तक आ पहुंची पेगासस की आंच | डाॅ शरद सिंह
चर्चा प्लस
बुंदेलखंड तक आ पहुंची पेगासस की आंच
- डाॅ शरद सिंह
बुंदेलखंड का क्षेत्र आमतौर पर राजनीतिक दृष्टि से शांत क्षेत्र है। यहां कोई बड़ी राजनीतिक हलचल कभी नहीं हुई। शायद पहली बार बुंदेलखंड किसी राजनीतिक मुद्दे पर दुनिया के नक्शे पर आ गया है। पेगासिस लिस्ट में बुंदेलखंड के एक राजनेता का नाम आना चौंकाने वाला है। पेगासस यानी हैकिंग की दुनिया का वो ‘‘सफे़द घोड़ा’’ जो डेटा सुरक्षा की हर दीवार लांघ सकता है। सच-झूठ का पता तो बाद में चलेगा लेकिन फ़िलहाल इस मुद्दे ने बुंदेलखंड में एक गर्म लहर दौड़ा दी है।
केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का नाम भी पेगासस की नई लिस्ट में पाए जाने से बुंदेलखंड में राजनीतिक गरमागर्मी शुरू हो गई है। प्रहलाद सिंह पटेल मध्य प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। वाजपेयी प्रशासन में एक पूर्व कोयला मंत्री, प्रहलाद सिंह पहली बार 1989 में 9 वीं लोकसभा के लिए चुने गए और फिर 1996 में 11 वीं लोकसभा (दूसरा कार्यकाल), 1999 में 13 वीं लोकसभा (तीसरा कार्यकाल), 16 वीं लोकसभा 2014 में (चैथा कार्यकाल) के लिए चुने गए। वे वर्तमान में मध्य प्रदेश में दमोह लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय संसद के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। वे कटनी जिले में नर्मदाखंड सेवा संस्थान, तहसील बहोरीबंद के संस्थापक हैं। वे नियमित रूप से विभिन्न रक्तदान और नेत्र दान शिविरों का संचालन करते हैं और गरीब बच्चों और व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रमों को शिक्षित करने के लिए विभिन्न वर्गों का संचालन भी करते हैं। लेकिन मानसून सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले प्रहलाद सिंह पटेल का नाम पेगासस की लिस्ट में पाया गया। क्या उनकी भी जासूसी की जा रही थी? यदि हां, तो कौन कर रहा था यह?
इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए जाने का मामला अब गंभीर हो चला है। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले ही इस जासूसी कांड का खुलासा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों के फोन टैप किए गए उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सहित कई पत्रकार भी शामिल हैं। यद्यपि, सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है और रिपोर्ट जारी होने की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि इजराइल स्थित कंपनी एनएसओ ग्रुप के सैन्य दर्जे के मालवेयर का इस्तेमाल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक असंतुष्टों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है।
पत्रकारिता संबंधी पेरिस स्थित गैर-लाभकारी संस्था फॉरबिडन स्टोरीज एवं मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा हासिल की गई और 16 समाचार संगठनों के साथ साझा की गई 50,000 से अधिक सेलफोन नंबरों की सूची से पत्रकारों ने 50 देशों में 1,000 से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की है, जिन्हें एनएसओ के ग्राहकों ने संभावित निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना। वैश्विक मीडिया संघ के सदस्य श्द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, जिन लोगों को संभावित निगरानी के लिए चुना गया, उनमें 189 पत्रकार, 600 से अधिक नेता एवं सरकारी अधिकारी, कम से कम 65 व्यावसायिक अधिकारी, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई राष्ट्राध्यक्ष शामिल हैं। ये पत्रकार द एसोसिएटेड प्रेस (एपी), रॉयटर, सीएनएन, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, ले मोंदे और द फाइनेंशियल टाइम्स जैसे संगठनों के लिए काम करते हैं। एनएसओ ग्रुप के स्पाइवेयर को मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और मैक्सिको में लक्षित निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने के आरोप हैं। सऊदी अरब को एनएसओ के ग्राहकों में से एक बताया जाता है। इसके अलावा सूची में फ्रांस, हंगरी, भारत, अजरबैजान, कजाकिस्तान और पाकिस्तान सहित कई देशों के फोन हैं। इस सूची में मैक्सिको के सर्वाधिक फोन नंबर हैं। इसमें मैक्सिको के 15,000 नंबर हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के मंत्रियों अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिए हैकिंग के लिए सूचीबद्ध किया गया था। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने सोमवार को यह जानकारी दी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे तथा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर हैकरों के निशाने पर थे। गांधी और केंद्रीय मंत्रियों वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल के अलावा जिन लोगों के फोन नंबरों को निशाना बनाने के लिये सूचीबद्ध किया गया उनमें चुनाव पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर और शीर्ष वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार सूची में राजस्थान की मुख्यमंत्री रहते वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव और संजय काचरू का नाम शामिल था, जो 2014 से 2019 के दौरान केन्द्रीय मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी के पहले कार्यकाल के दौरान उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) थे। इस सूची में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अन्य जूनियर नेताओं और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया का फोन नंबर भी शामिल था।
पेगासस संबंधित फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में सक्षम है। यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है। पेगासस स्पाइवेयर को जासूसी के क्षेत्र में अचूक माना जाता है। तकनीक जानकारों का दावा है कि इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे एप भी सुरक्षित नहीं। क्योंकि यह फोन में मौजूद एंड टू एंड एंक्रिप्टेड चैट को भी पढ़ सकता है। पेगासस एक स्पाइवेयर है, जिसे इसराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलॉजीज ने बनाया है। इसका दूसरा नाम क्यू-सुईट भी है।
स्पाईवेयर का अर्थ है जासूूसी करने वाला टूल। स्पाई यानी जासूस और वेयर का मतलब टूल। सरल शब्दों कहें तो स्पाईवेयर उस सॉफ्टवेयर को कहते हैं जो डिवाइसेज की हैकिंग के काम आता है। इन्हें जासूसी के काम में लाया जाता है। पेगासस स्पाईवेयर दुनिया में अब तक किसी प्राइवेट कंपनी का बनाया सबसे ताकतवर स्पाईवेयर माना जा रहा है। एक बार ये किसी फोन डिवाइस में घुस गया तो फोन यूज़र की रह बात जैसे वह किससे बात करता है, कहां जाता है, क्या मैसेज करता है, यहां तक कि चुपके से कैमरा ऑन करके वीडियो भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। पेगासस वॉट्सऐप चैट, ईमेल्स, एसएमएस, जीपीएस, फोटो, वीडियोज, माइक्रोफोन, कैमरा, कॉल रिकॉर्डिंग, कैलेंडर, कॉन्टैक्ट बुक, इतना सब एक्सेस कर सकता है।
किसी फोन में सिर्फ मिस कॉल के जरिए इसे इंस्टॉल किया जा सकता है। इसे यूजर की इजाजत और जानकारी के बिना भी फोन में डाला जा सकता है। एक बार फोन में पहुंच जाने के बाद इसे हटाना आसान नहीं होता। ये एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसे अगर किसी स्मार्टफोन फोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मैसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। यह एक ऐसी खुफिया तकनीक है जो हर डिवाइस और सॉफ्टवेयर में सेंध लगा सकती है। चाहे एंड्रॉयड फोन हो या आई फोन, इससे कोई नहीं बच सकता है।
पेगासस नाम ग्रीस के देवता के सफेद घोड़े का है, जो अपने पंखों के सहारे किसी को भी धरती से पल भर में सातवें आसमान पर पहुंचा सकता है। अर्थात् पेगासस को कोई बाधा रोक नहीं सकती है। उसकी इसी विशेषता को ध्यान में रखते हुए इसका स्पाईवेयर का नाम पेगासस दिया गया। आज इस साफ्टवेयर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है। बहरहाल, यह तय है कि भारतीय संसद के मानसून सत्र का केन्द्रबिन्दु पेगासस ही रहेगा और बुंदेलखंड को भी इसकी आंच झुलसाती रहेगी।
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(सागर दिनकर, 22.07.2021)
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Tuesday, July 20, 2021
पुस्तक समीक्षा | छोटी कहानियों का जीवन्त रोचक संग्रह | समीक्षक - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
प्रस्तुत है आज 20.07. 2021 को #आचरण में प्रकाशित मेरे द्वारा की गई लेखिका श्रीमती आशा मुखारया के कहानी संग्रह "ज़िंदगी के रंग अनेक" की समीक्षा...
आभार दैनिक "आचरण" 🙏
Thursday, July 15, 2021
चर्चा प्लस | इंसान के कारण देवता भी रह जाते हैं अधूरे | डाॅ शरद सिंह
चर्चा प्लस
इंसान के कारण देवता भी रह जाते हैं अधूरे
- डाॅ शरद सिंह
लगभग हर धर्म में मान्यता यही है कि इंसान को देवता ने बनाया है। मगर विडंबना यह कि इंसान ने देवता को ही पूरा नहीं होने दिया। इसका उदाहरण है पुरी की जगन्नाथ मंदिर की प्रतिमाएं। ये मूर्तियां अधूरी हैं, अधबनी हैं और साक्ष्य हैं इंसान उतावलेपन की। इंसान अपनी हठधर्मिता के कारण मानो सब कुछ खण्डित करने पर तुला है, मानवता से ले कर जंगल तक और विश्वास से ले कर भविष्य तक।
खण्डित या अधूरी मूर्ति की पूजा को अशुभ माना जाता है। खण्डित मूर्तियों की पूजा तो दूर, प्राणप्रतिष्ठा भी नहीं की जाती है। लेकिन जगन्नाथ धाम की मूर्तियां अधूरी हैं और उनकी पूजा भी की जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि जिससे पता चलता है कि इंसान के कारण देवता भी अधूरे रह जाते हैं। कथा के अनुसार राजा इंद्रद्युम्न पुरी में मंदिर बनावा रहे थे तो भगवान जगन्नाथ की मूर्ति बनाने का कार्य उन्होंने देव शिल्पी विश्वकार्मा को सौंपा। लेकिन विश्वकर्मा ने शर्त रखी कि वे मूर्ति का निर्माण बंद कमरे में करेंगे और यदि किसी ने उन्हें मूर्त बनाते देखने की कोशिश की तो वो उसी क्षण कार्य छोड़ कर चले जाएंगे। राजा इंद्रद्युम्न ने शर्त मान ली और विश्वकर्मा ने मूर्ति निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया। उत्सुकतावश राजा इंद्रद्युम्न रोज दरवाजे के बाहर से मूर्ति निर्माण की आवाज़ सुनने जाने लगे। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न को कोई आवाज सुनाई नहीं दी तो उन्हें लगा कहीं विश्वकर्मा चले तो नहीं गए। राजा से रहा नहीं गया और अपना वादा भूल कर राजा ने दरवाज़ा खोल दिया। उन्होंने जैैसे ही दरवाजा खोला देवशिल्पी विश्वकर्मा वहां से चले गएऔर मूर्तियां वैसी ही अधूरी रह गई। आज भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां वैसी ही अधूरी हैं। यदि राजा इंद्रद्युम्न ने धैर्य का परिचय दिया होता जो जगन्नाथ की प्रतिमा बन गई होती। एक इंसान के कारण भगवान को भी अपने भाई-बहनों सहित अधूरा रहना पड़ा।
इंसान के कारण ही मानवता भी अब खंडित हो रही है। वही मानवता जो ईश्वर की देन मानी जाती है। कोरोना वायरस का ख़तरा अभी टला नहीं है। देश में कोरोना वायरस की दो लहरें कहर ढा चुकी हैं। आज भी दुनिया के 200 से ज्यादा देश कोरोना वायरस का कहर झेल रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना वायरस से 2.8 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, वहीं, 9 लाख 23 हजार से ज्यादा लोग अब तक इस जानलेवा वायरस के शिकार बन चुके हैं। विगत वर्ष कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी। ऐसा माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस वुहान के लैब में ही तैयार किया गया था, लेकिन चीन इससे साफतौर पर इनकार करता रहा। लेकिन अब यह सब जान चुके हैं कि कोरोना वायरस मानव निर्मित है। चीन की वीरोलॉजिस्ट डॉ. ली मेंग यान का दावा है कि नोवल कोरोना वायरस वुहान में एक सरकार नियंत्रित लैबोरेटरी में बनाया गया था और उसके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत हैं। लैब में वायरस बना कर पूरी दुनिया पर कहर बरपा देना मानवता को पंगु बना देने के समान है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में शायद कोई परिवार ऐसा होगा जिसने अपने किसी न किसी रिश्तेदार को कोरोना से न खोया। दूसरी लहर किसी सुनामी की तरह आई और हज़ारों लोगों को बहा कर ले गई। तीसरी लहर का आसन्न संकट सामने खड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक वीडियो सन्देश में कहा कि ‘‘कोई भी देश महामारी का मुकाबला अकेले नहीं कर सकता और ना ही प्रवासन स्थिति को पूरी तरह अकेले सम्भाल सकता है। लेकिन एकजुट होकर हम वायरस के फैलाव को रोक सकते हैं। सबसे निर्बल लोगों पर होने वाले असर को कम कर सकते हैं और बेहतर तरीक़े से उबर सकते हैं जिससे सभी का भला हो सके।” निसन्देह कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में लोगों की जिन्दगियों और आजीविकाओं पर भारी तबाही बरपा कर दी है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रकोप सबसे निर्बल आबादी पर हो रहा है। महासचिव ने कहा कि इस आबादी में शरणार्थी, देशों के ही भीतर विस्थापित लोग और ख़तरनाक हालात में रहने को मजबूर प्रवासी शामिल हैं। ये आबादी एक ऐसे संकट का सामना कर रही हैं जिसकी तिहरी मार पड़ रही है।’’
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इसके अतिरिक्त प्रवासियों द्वारा अपने परिवारों और मूल स्थानों को भेजी जाने वाली धनराशि में कोविड-19 के कारण लगभग 109 अरब डॉलर तक की कमी आ सकती है। प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली इस रकम पर लगभग 80 करोड़ लोगों की जिन्दगी निर्भर होती है।
जिस प्रकार सम्पूर्ण मानवता आहत् है ठीक उसी प्रकार बक्सवाहा के जंगल आहत होने जा रहे हैं। इंसान देवता के द्वारा निर्मित जंगल को खण्डित करने की तैयारी में है। वस्तुतः मध्यप्रदेश के बक्सवाहा में एक निजी कंपनी को हीरों के खुदाई करने का अधिकार मिल चुका है। इसके लिए कंपनी को 2.15 लाख जंगली पेड़ों को काटने का अधिकार भी मिल गया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि इन जंगलों की कटाई से पर्यावरण और स्थानीय आदिवासियों को अपूर्णीय क्षति होगी। इससे केवल इस क्षेत्र में ही नहीं, बुंदेलखंड के इलाके में भी जल संकट गहराएगा क्योंकि इस क्षेत्र से होने वाला जल का बहाव ही बुंदेलखंड के क्षेत्रों तक जाता है। स्थानीय आदिवासियों ने इसे अपने जीवन पर संकट बताते हुए इस परियोजना पर रोक लगाने की मांग करते हुए एनजीटी में याचिका दाखिल कर दी है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में राज्य सरकार ने निजी कंपनी आदित्य बिरला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बक्सवाहा के जंगलों की कटाई करने की अनुमति दे कर आॅक्सीजन के प्राकृतिक भंडार को हीरे की चकाचैंध पर बलि देना मंजूर कर लिया है। अनुमान है कि 382.131 हेक्टेयर के इस जंगल क्षेत्र के कटने से 40 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के दो लाख 15 हजार 875 पेड़ों को काटना होगा। इससे इस क्षेत्र में रहने वाले लाखों वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास पर भी असर पड़ेगा। यद्यपि कंपनी और सरकार का कहना है कि ये पेड़ एक साथ नहीं काटे जाएंगे, बल्कि 12 चरणों में काटे जाएंगे और इनकी जगह 10 लाख पेड़ भी लगाए जाएंगें। देश में जानलेवा कोरोना वायरस की दूसरी लहर में लोग ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण तड़प-तड़प कर मरे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ऑक्सीजन की कीमत पर हीरे क्यों ज़रूरी? जबकि एक साधारण पेड़ चार लोगों को ऑक्सीजन देता है। जबकि एक पीपल का पेड़ 24 घंटे में 600 किलो ऑक्सीजन देता है।
स्थिति की गंभीरता के प्रति लापरवाही भरा रवैया हम इंसानों को उस धरती का गुनहगार बना रहा है जिस पर सदियों से रिहाइश रही है। औपनिवेशिक काल से ही साम्राज्यवादी देशों ने प्राकृतिक साधनों का अंधाधुंध दोहन किया। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, संयंत्र आदि स्थापित हुए। यूरोप अमेरिका आदि देशों में जीवाश्म इंधन की खपत बढ़ती चली गई। प्राकृतिक संसाधनों के धनी देश जैसे-भारत, अफ्रिका आदि बड़े और अमीर देशों की जरूरत को पूरा करने लिए शोषित होने लगे। एक ओर जहां औद्योगिकरण की बयार, धन, ऐशो-आराम, रोमांच और जीत का एहसास लाई, वहीं पृथ्वी की हवा में जहर घुलना शुरू हो गया। इसकी परिणती पर्यावरणीय असंतुलन के रूप में सामने आई। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघलने एवं वनों की अत्यधिक कटाई से नदियों में बाढ़ आ रही है। समुद्र का जलस्तर सन् 1990 के मुकाबले सन् 2011 में 10 से 20 सेमी. तक बढ़ गया है। जिससे तटीय इलाकों में मैंग्रोव के जंगल नष्ट हो रहे हैं। परिणाम स्वरूप समुद्री तुफानों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रतिवर्ष समुद्र में करोड़ों टन कूड़े-कचरे एवं खर-पतवार के पहुंचने से विश्व की लगभग एक चौथाई मुंगे की चट्टाने (कोरल रीफ) नष्ट हो चूकी है। जिसमें समुद्री खाद्य प्रणाली प्रभावित होने से परिस्थिति तंत्र संकट में पड़ गया है। अनियंत्रित औद्योगिक विकास के फलस्वरूप निकले विषाक्त कचरे को नदियों में बहाते रहने से विश्व में स्वच्छ जल का संकट उत्पन्न हो गया है। विश्व के लगभग 1 अरब से अधिक लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। रासायनिक खादों और किट नाशकों के अधिक प्रयोग से कृषि योग्य भूमि बंजर हो रही है। देवताओं को अधूरेपन के जिम्मेदार हम इंसान स्वयं को भी अधूरा करते जा रहे हैं जो कि चिन्तनीय है।
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(सागर दिनकर, 15.07.2021)
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डॉ (सुश्री) शरद सिंह वनमाली सृजन पीठ भोपाल के सागर केंद्र की अध्यक्ष मनोनीत
साहित्य, संस्कृति एवं सृजन के लिए समर्पित वनमाली सृजन पीठ भोपाल के सृजन केंद्र सागर की कार्यकारी समिति में अध्यक्ष के रूप में मुझे मनोनीत किए जाने पर वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय संतोष चौबे जी तथा केंद्र संयोजक परमआदरणीय उमाकांत मिश्र जी की मैं अत्यंत आभारी हूं। मुझे विश्वास है कि उमाकांत मिश्रा जी के अद्वितीय संयोजकत्व एवं निर्देशन में सृजन पीठ के सागर केन्द्र की महत्ता को पीठ के राष्ट्रीय मूल्यों के अनुरूप बनाए रख सकूंगी।
प्रिय बंधुसम सर्वश्री कथाकार डॉ आशुतोष मिश्र, डॉ नवनीत धगट, कवि डॉ नलिन जैन, कवि अभिषेक ऋषि, कथाकार शुभम उपाध्याय को सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाने पर मैं उन्हें हार्दिक बधाई देती हूं तथा विश्वास व्यक्त करती हूं कि इन अद्वितीय प्रतिभाओं के साथ मुझे साहित्य जगत की सेवा का अवसर मिलेगा, जो मेरे लिए सुखद और शिक्षाप्रद अवसर होगा।
04.07.2021
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