Wednesday, March 17, 2021

चर्चा प्लस | भावनाओं की मछली और इंटरनेट के मछुवारे | डाॅ. शरद सिंह

चर्चा प्लस 
भावनाओं की मछली और इंटरनेट के मछुआरे 
- डाॅ. शरद सिंह
        यदि दुनिया में ‘पाप’ की कोई अवधारणा है तो सबसे बड़ा पाप है - किसी की भावनाओं से खेलना। इंटरनेट की दुनिया में ऐसे पापियों की कोई कमी नहीं है जो दूसरों की भावनाओं को हथियार बना कर उन्हीं पर वार करते हैं। इंटरनेट की आभासीय दुनिया में सच और झूठ के बीच फ़र्क़ करना बहुत कठिन है। प्रेम और विश्वास के नाम पर छलावा इंटरनेट पर हमेशा सबसे ऊपर ट्रेंड करता रहता है।
कोरोना वायरस आपदा से जब दुनिया अचानक थम-सी गई तो इंटरनेट की दुनिया ने लोगों के बीच की पारस्परिक दूरियों को मिटाया। उन्हें एक-दूसरे से जुड़े रहने में मदद की। लेकिन इंटरनेट ने जीवन को जितना सुविधाजनक बनाया है, इस इंटरनेट से उतने ही ख़तरे बढ़े हैं। आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने वाले लोगों ने इसका इसका प्रयोग अपराध के हथियार के रूप में करने से बाज नहीं आते हैं। भारत इससे अछूता नहीं है। एक मां सोचती रही कि उसका लाड़ला बेटा घंटों अपने कमरे में बैठा पढ़ाई करता रहता है। उसने अपने पढ़ाकू बेटे के खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा। ‘‘मुझे डिस्टर्ब मत करो’’ जैसी झिड़कियां भी झेला। मगर जब भयावह सच्चाई सामने आई तो मां स्तब्ध रह गई। वह अपने जिस बेटे को पढ़ाकू समझती थी। जिसके लिए वह गवर्् से कहती फिरती थी कि मेरा बेटा दिन-रात पढ़ाई में जुटा रहता है, वही बेटा इंटरनेट जुआरी और शराबी निकला।  घटना छत्तीसगढ़ की है। वैसे इस तरह की घटना किसी भी राज्य, किसी भी जिले की हो सकती है। रायगढ़ में 17 साल के एक लड़के ने ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर 75 हजार रुपये का कर्ज़ ले लिया और इसी के चलते उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। उसने अपने दोस्त से ‘फ्री फायर’ गेम में गन के अपडेट और बाकी फीचर्स खरीदने के लिए पैसे लिए थे और जिसे वह लौटा नहीं पाया। इससे नाराज होकर उसके दोस्त ने उसे शराब पिलाकर उसका गला काट दिया। इंटरनेट पर ‘पब्जी’, ‘ब्लूव्हेल’ और ‘मोमो’ जैसे आत्मघाती गेमिंग ने कुछ साल पहले ही चेतावनी दे दी थी कि इस तरह के गेम एक नशे की तरह होते हैं और खेलने वाले के मन में चुनौती का जुनून जगा कर उन्हें आत्महत्या या हत्या करने तक को विवश कर देते हैं। युवाओं के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन कर सामने आई है इस तरह की गेमिंग।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के मुताबिक वर्ष 2017 में 21796 मामले आए, वर्ष 2018 में 27248 मामले आए और वर्ष 2019 में 44546 मामले सामने आए। आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि प्रति वर्ष साइबर क्राइम में वृद्धि होती जा रहा है। सरकार ने इनसे निपटने के लिए साइबर पुलिस स्टेशन, सूचना प्रौद्यिगिकी अधिनियम 2000 में साइबर क्राइम को खत्म करने के लिए कई प्रावाधान जोड़े हैं। लेकिन हमेशा की तरह सिर्फ़ कानून बन जाने से सबकुछ नहीं हो जाता है। महज़ सावधानी ही है जो किसी भी अपराधी से बचाए रखती है। इंटरनेट की दुनिया में अपराध का कोई एक चेहरा नहीं है। किसी भी उम्र, किसी भी लिंग का व्यक्ति इसका शिकार बन सकता है।  
एक युवती सोशल मीडिया एक युवक से दोस्ती कर बैठी। दोनों को परस्पर प्रेम हो गया। युवक ने मीठी और अपनेपन की बातों से लड़की का विश्वास जीता और उसे उकसा कर उसकी कुछ न्यूड फोटो हासिल कर लीं। इसके बाद ही युवती के उस कथित प्रेमी ने अपना असली चेहरा दिखा दिया। उसने युवती को धमकी दी कि अगर वह पैसे नहीं देगी तो तो वह उन न्यूड फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर देगा। युवती घबरा गई। आरोपी युवती को लगातार ब्लैकमेल करता रहा और रुपए ऐंठता रहा। उसने लगभग ढाई लाख रुपए ऐंठ लिए। उसके बाद जब युवती ने रुपए दे पाने में असमर्थता जताई तो उस युवक ने कुछ आपत्तिजनक काम कर के रुपए जुटाने के लिए दबाव डाला। जिसके लिए युवती तैयार नहीं हुई और उसने साहस का परिचय देते हुए पुलिस में इसकी शिकायत कर दी। पुलिस ने साईबर क्राईम शाखा की मदद से आरोपी को धर दबोचा। आरोपी को उसके किए की सज़ा तो जरूर मिलेगी लेकिन युवती के विश्वास और सम्मान को जो ठेस पहुंची, उससे उबर पाना उस युवती के लिए बहुत कठिन साबित होगा। लेकिन उसे यह सीख अवश्य मिल गई कि इंटरनेट पर सबकुछ अच्छा या सबकुछ सुरक्षित नहीं होता है। इंटरनेट पर अनेक फ्रेंडशिप साईट्स हैं जहां अपराधियों फ़र्ज़ी परिचय, फ़र्ज़ी तस्वीरें लगा कर अकाउंट खोल लिए जाते हैं। उनके निशाने पर युवक, युवती, बच्चे, बूढ़े सभी होते हैं। इन सबके साथ तरीका एक ही अपनाया जाता है- भावनाओं को भड़का कर अपने प्रभाव में ले लेना और अपने अनुसार चलने को उन्हें विवश करना। बच्चों को गेमिंग के लिए, युवक-युवतियों को प्रेम के नाम पर और बड़े उम्र के व्यक्तियों को उनके एकाकीपन में भावनात्मक सहारा देने का ढोंग कर के उनके साथ छल किया जाता है।  

जहां तक भावनाओं को भड़का कर छल करने का अपराध है तो अभी पिछले दिनों इसी प्रकार की घटना सामने आई जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया। इस घटना में एक पाकिस्तानी महिला एजेंट के हनीट्रैप में भारतीय सेना का एक जवान फंस गया। वह महिला एजेंट वीडियो कॉल पर न्यूड होकर उस जवान से अश्लील बातें किया करती थी। साईबर सुरक्षा के सामने यह तथ्य आने पर उस जवान को सेना की खुफिया जानकारी विदेशी मुल्क को देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अब इस बात की जांच की जा रही है कि उस महिला ने उस जवान से कहीं कोई खुफ़िया बातें तो नहीं जान ली हैं। जाहिर है कि वह पाकिस्तानी महिला ऐजेंट ने सेना के जवान की कमजोर मनोवृत्ति का फ़ायदा उठाया।

इंटरनेट पर सोशल मीडिया तो भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का गढ़ बना हुआ है। जिसके कारण कई बार माहौल गरमाने लगता है और पुलिस व्यवस्था को यथार्थ के बदले आभासीय दुनिया से उपजे खतरों के पीछे दौड़ना पड़ता है। महिलाओं और उसमें भी विशेषरूप से स्कूल-काॅलेज जाने वाली लड़कियों को इससे विशेष खतरा रहता है। बदनीयत लड़के पहले मित्र बनते हैं फिर अवसर पाते ही विशेष ऐंगल से ली गई सेल्फी या फिर मित्रता प्रेम में बदल चुकी हो तो भावुक पलों का मोबाईल-वीडियो बना लेते हैं और फिर उसे इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी दे कर लड़की को ब्लैकमेल करते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसे अपराध पहले नहीं होते थे। लेकिन एक पीढ़ी पहले तक ऐसे अपराधों को उंगलियों पर गिना जा सकता था। तब लड़की द्वारा लिखे गए प्रेमपत्र बदनीयत लड़कों के हथियार होते थे लेकिन वह उन्हें लड़की के माता-पिता या रिश्तेदारों तक ही भेजने की क्षमता रखता था। लेकिन आज एक अपलोड लड़की की गोपनीयता को पल भर में पूरी दुनिया के सामने सार्वजनिक कर सकता है। यह अपराध भावनाओं के साथ किया गया ऐसा अपराध है जो हत्या से भी अधिक जघन्य है। सिर्फ लड़की नहीं वरन किसी सभ्रांत पुरुष या लड़के की आपत्तिजनक तस्वीरें या वीडियो इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी दे कर उसका जीना हराम करने की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। यहां तक कि कभी कोई प्रोफेसर इस अपराध की चपेट में आता है तो कभी कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता।

आज का युग कम्प्यूटर, मोबाईल और इंटरनेट का युग है। इंटरनेट की मदद के बिना किसी बड़े काम की कल्पना करना भी मुश्किल है। ऐसे में अपराधी भी तकनीक के सहारे हाईटेक हो रहे हैं। वे अपराध करने के लिए कम्प्यूटर, इंटरनेट, डिजिटल डिवाइसेज और वल्र्ड वाइड वेब आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन ठगी या चोरी भी इसी श्रेणी का अहम अपराध होता है। किसी की वेबसाइट को हैक करना या सिस्टम डेटा को चुराना ये सभी तरीके साइबर क्राइम की श्रेणी में आते हैं। साइबर क्राइम दुनिया भर में सुरक्षा और जांच एजेंसियां के लिए परेशानी का कारण साबित हो रहा है। लेकिन कंप्यूटर, इंटरनेट और मोबाईल का प्रयोग करने वालों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि कहीं उनसे भी जाने-अनजाने में कोई साइबर क्राइम तो नहीं हो रहा है। जहां तक संभव हो आपत्तिजनक संदेशों को फार्वर्ड करने से बचने में ही भलाई है। साथ ही, संदिग्ध-संवेदनशील संदेशों को कुछ पल ठहर कर परखना जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि जाने-अनजाने हम अपनी भावुकता के हाथों ही ठगे जाएं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सोशल मीडिया के अपराधी दूसरों के दिमाग पर कब्जा कर के अपने अपराधों को अंजाम देते हैं। इसी लिए सतर्क रहते हुए सोशल मीडिया में मौजूद अपराधियों से अपनी संवेदनाओं और भावनाओं को बचाए रखना जरूरी है। वरना हर साईबर अपराधी ऐसा मछुआरा के जिसके लिए हर इंटरनेट सर्फर जाल में फंसाने योग्य एक मछली है।
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(दैनिक सागर दिनकर 17.03.2021 को प्रकाशित)
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10 comments:

  1. सही लिखा है. जानकारीपरक तथ्य!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद रोली अभिलाषा जी 🌹🙏🌹

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  2. "उनके निशाने पर युवक, युवती, बच्चे, बूढ़े सभी होते हैं। इन सबके साथ तरीका एक ही अपनाया जाता है- भावनाओं को भड़का कर अपने प्रभाव में ले लेना और अपने अनुसार चलने को उन्हें विवश करना। बच्चों को गेमिंग के लिए, युवक-युवतियों को प्रेम के नाम पर और बड़े उम्र के व्यक्तियों को उनके एकाकीपन में भावनात्मक सहारा देने का ढोंग कर के उनके साथ छल किया जाता है। "

    बिलकुल सही कहा है आपने शरद जी,ये चिंताजनक विषय है और इससे अपने बच्चों और खुद अपने आप को भी सुरक्षित रखने के लिए हरपल सतर्क रहना ही होगा। एक मात्र यही उपाय है। सड़क दुर्घटना की तरह यहाँ भी यही फर्मूला लागु होता है कि-"सतर्कता गई दुर्घटना हुई"
    छत्तीसगढ़ के १७ साल के बच्चें की घटना सुनकर तो आत्मा कांप गई। बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख लिखा है आपने जिसके लिए हृदयतल से आपको बधाई,सादर नमन

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी !!!
      कोरोना आपदा ने बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ दिया। इससे ख़तरे और बढ़ गए हैं। आपने सही कहा कि हर पल सतर्क रहना ज़रूरी है। आपको पुनः धन्यवाद🌹🙏🌹

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  3. सही जानकारी

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी 🌹🙏🌹

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  4. मीना भारद्वाज जी,
    मेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏
    हार्दिक आभार 🌹🙏🌹

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  5. समय की मांग है ये लेख शरद जी ।
    आपने एक गूढ़ चिंताजनक स्थिति पर विस्तृत विश्लेषण किया है ।
    आपकी हर बात अच्छी तरह जाँच का परिणाम है, सत्य सटीक।
    बहुत उपयोगी पोस्ट साधुवाद आपको।
    सस्नेह।

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  6. यथार्थपूर्ण समसामयिक मुद्दे पर आपका लेख चिंतनीय तथा विचारणीय भी है,सादर शुभकामनाएं।

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  7. साइबर क्राइम वर्तमान में एक चुनौती बन चुका है नौजवानों के जीवन पर प्रभाव विचारणीय है।बहुत ही सुंदर सराहनीय जानकारी से परिपूर्ण आलेख आदरणीया शरद दी जी।
    आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

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