- डॉ. शरद सिंह
नेपाल में संयुक्त कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी द्वारा कमला रोका को युवा एवं खेल मंत्री का पद सौंप कर नेपाली सत्ता में स्त्री शक्ति को एक बार फिर समुचित अवसर दिया गया। नेपाल की स्त्रियां एक साथ अनेक मोर्चे पर जूझती रहती हैं। जिसमें सबसे बड़ा मोर्चा वेश्यावृत्ति का है। नेपाल में विशेषरूप से उन स्त्रियों एवं लड़कियों का जीवन सदा संकट में घिरा रहता है जो विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की हैं। ऐसी लड़कियों को वे लोग सुगमता से अपना शिकार बना लेते हैं जो स्त्री देह व्यापार संचालित करते हैं। इनमें से यदि कोई लड़की सौभाग्यवश छूट भी जाती है तो उसका अपना परिवार उसे अपनाने से मना कर देता है। अर्थात् इधर कुआं, उधर खाई। अपने दुर्भाग्य से लोहा लेती ऐसी ही अनेक नेपाली औरतों के लिए अनुराधा कोइराला का अस्तित्व एक सबसे बड़े सहारे के रूप में सन् 1993 मे�तॎ0��मने आया। जब अनुराधा कोइराला ने "माइती नेपाल" अर्थात् मां का घर संस्था की स्थापना की। दो कमरे से आरंभ की गई यह संस्था देखते ही देखते बेसहारा स्त्रियों के बीच सबसे बड़ा सहारा बन कर उभरी और एक दशक में ही पच्चीस से अधिक जिले में इसकी शाखाएं खुल गईं।
अनुराधा कोइराला |
अनुराधा कोइराला ने नेपाल में ही मौजूद वेश्यावृत्ति के अड्डों से अपने देश की युवतियों को मुक्त कराया तो उन्हें महसूस हुआ कि यह पर्याप्त नहीं है। आखिर उन युवतियों का क्या होगा जो नेपाल से बाहर मानव तस्करी के द्वारा भेज दी जाती हैं। इसके बाद अनुराधा ने विदेशों में भी माइती नेपाल स्वयंसेवक चुने। माइती नेपाल के अंतर्गत लगभग 12000 से भी अधिक लड़कियों को देह व्यापार से बचाया जा चुका है। जिसमें 12 लड़कियां सउदी और कुवैत के दलालों के हाथों मुक्त कराई गईं।
अनुराधा कोइराला के इस जुझारू काम के कारण उन्हें अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने सन् 2010 की इंटरनेशनल हीरो ऑफ दी ईयर का सम्मान प्रदान किया था। सीएनएन ने 50 मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी जिसमें अनुराधा कोइराला के कार्यों पर विस्तृत चर्चा करते हुए उनसे माइती नेपाल के बारे में बातचीत भी की गई। लगभग 50 मिनट लंबी इस डॉक्यूमेंट्री की एंकरिंग हॉलीवुड की ऑस्कर अवार्ड विजेता अभिनेत्री डेमी मूर ने किया था।
अनुराधा कोइराला के इस जुझारू काम के कारण उन्हें अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने सन् 2010 की इंटरनेशनल हीरो ऑफ दी ईयर का सम्मान प्रदान किया था। सीएनएन ने 50 मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी जिसमें अनुराधा कोइराला के कार्यों पर विस्तृत चर्चा करते हुए उनसे माइती नेपाल के बारे में बातचीत भी की गई। लगभग 50 मिनट लंबी इस डॉक्यूमेंट्री की एंकरिंग हॉलीवुड की ऑस्कर अवार्ड विजेता अभिनेत्री डेमी मूर ने किया था।
अभिनेत्री डेमी मूर |
इस डॉक्यूमेंट्री में देह व्यापार से बचाई कुछ लड़कियों के साक्षात्कार भी हैं। इन साक्षात्कारों को देख-सुन कर शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। कोई मनुष्य स्त्री रूपी दूसरे मनुष्य के प्रति कितना अमानवीय हो सकता है यह उन युवतियों की व्यथा कथा से पता चलता है। नेपाल में लिंगभेद कुछ अधिक है। वहां लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा देने में भी भेदभाव बरता जाता है। कम उम्र में विवाह और उसके बाद पारिवारिक विवाद की संख्या नेपाल में देखने को ज्यादा मिलती है। नेपाली समाज में महिलाओं की उपेक्षा भी एक बड़ा कारण है वहां व्याप्त वेश्यावृत्ति का जाल। अनुराधा कोइराला का मानना है कि नेपाली समाज की स्त्रियों में व्याप्त अशिक्षा और गरीबी के कारण ही लड़कियां देहव्यापारियों के हाथों फंस जाती हैं और मानव तस्करी की शिकार बनती हैं। इसलिए "माइती नेपाल" के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तथा शहरी क्षेत्रों की आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं की शिक्षा का अभियान चलाया जा रहा है। अनुराधा कोइराला के अनुसार करीब दो लाख के करीब नेपाली लड़कियां भारत के विभिन्न वेश्यालयों में हैं। इन लड़कियों को भारत-नेपाल सीमा से भारत लाया जाता है। इसलिए माइती नेपाल की ओर से ऐसी स्त्रियों को सीमा पर नियुक्त किया गया है जो स्वयं मानव तस्करी की शिकार हुई थीं तथा जिन्हें बचा लिया गया था। अनुराधा के अनुसार ऐसी स्त्रियां देह-व्यापार के लिए ले जाई जा रही लड़कियों को तुरंत पहचान लेती हैं क्योंकि वे स्वयं भी उस दौर से गुजर चुकी होती हैं। ऐसी भुक्तभोगी स्त्रियों की छठीं इंद्रिय सीमा पर तैनात जवानों से भी तेज होती है। इसे दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि एक स्त्री दूसरी स्त्री के दुख और कष्ट को तत्काल भांप जाती है। इसी प्रकृतिप्रदत्त कौशल का सदुपयोग अनुराधा कोइराला वेश्यावृत्ति के लिए सीमा पार कराई जाने वाली युवतियों को बचाने में काम में लाती हैं। इसका परिणाम भी सार्थक रहा है और सीमा पर तैनात इन महिला कार्यकर्ताओं द्वारा प्रतिदिन औसतन दो से चार युवतियां मानव-तस्करों के चंगुल से बचाई जा रही हैं।
"माइती नेपाल" में वेश्यावृत्ति से मुक्त कराई गई युवतियों के साथ ही उनकी संतानों को भी आश्रय दिया जाता है जिन्हें समाज अवैध संतान कहकर अपनाने को तैयार नहीं होता है। माइती नेपाल सन् 1993 में अपनी स्थापना के बाद से लगभग 500 अपराधियों को सजा दिला कर उनकी पकड़ से युवतियों को मुक्त करा चुकी है। वहीं, नेपाली राजनीति में अनेक बार वूमेन ट्रैफिकिंग की चर्चा गरमाई किंतु कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका।
ऐसी दशा में कमला रोका के रूप में महिलाओं का सत्ता तक पहुंचना और युवा एवं खेल मंत्री बनना इस बात के लिए आश्वस्त कर सकता है कि नौकरी के नाम पर वेश्यावृत्ति के दलदल में युवतियों का धकेले जाने के विरुद्ध ठोस कदम उठाए जा सकेंगे और अनेक युवतियां इस अमानवीय त्रासदी से बच सकेंगी।
"माइती नेपाल" में वेश्यावृत्ति से मुक्त कराई गई युवतियों के साथ ही उनकी संतानों को भी आश्रय दिया जाता है जिन्हें समाज अवैध संतान कहकर अपनाने को तैयार नहीं होता है। माइती नेपाल सन् 1993 में अपनी स्थापना के बाद से लगभग 500 अपराधियों को सजा दिला कर उनकी पकड़ से युवतियों को मुक्त करा चुकी है। वहीं, नेपाली राजनीति में अनेक बार वूमेन ट्रैफिकिंग की चर्चा गरमाई किंतु कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका।
कमला रोका |
(साभार- दैनिक ‘नईदुनिया’ में 18.09.2011 को प्रकाशित मेरा लेख)
parivartan hoga ..bas samay lagega.aisi mahilayen hi umeed kee kiran jagati hain.
ReplyDeleteshard ji -poori duniya me hi striyon ke dasha me kuchh parivartan aa raha hai ...par unke viroodh apradh bhi badh rahe hain par nari jati ko aage aane se aur soshan se mukt hone se ab koi takat nahi rok sakti hai .sarthak aalekh .aabhar बाल- विवाह कु- प्रथा को जड़ से मिटा दिया जाये !
ReplyDeleteनै उम्र की नै फसल नेपाल में राजनीति में जगह बना रही है .अनुराधा कोइराला जैसी सामाजिक नेत्रियाँ वहां आलमी स्तर पर सक्रीय हैं यह सबको प्रभावित करता है .अच्छे आलेख के लिए आपको बधाई .
ReplyDeleteपरिवर्तन तो अवश्यंभावी है।
ReplyDeleteपरिवर्तन की आग के लिए एक चिंगारी ज़रूरी होती है..आशा है अनुराधा कोइराला जी का और भी लोग अनुशरण करेंगे और नेपाली समाज को ऐसे कुकृत्यों से बचायेंगे..सार्थक लेख.
ReplyDeleteमाईटी नेपाल का सराहनीय कार्य...
ReplyDeleteनिश्चय ही परिवर्तन की फसल उगेगी नेपाल मे भी...
सार्थक चिंतन.... सादर।
सराहनीय कार्य है अनुराधा जी का, उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं। नेपाल में व्याप्त गरीबी ने बालाओं को वेश्यावृत्ति के पंक में ढकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ReplyDeleteसार्थक लेख.
ReplyDeletenice writing with a good information about women power ..
ReplyDeleteyogendra kumar purohit
मेरे लेख को पसन्द करने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार !
ReplyDeleteऐसे लेख से ज्ञान में वृद्धि के साथ विचारों का मंथन भी होता है।
ReplyDeleteइस तरह के आलेख ही जन जागृति में सहायक होते हैं...
ReplyDeleteप्रस्तुति के लिये आभार.....
अनुराधा कोइराला जैसी महिलाए ही देश को नयी दिशा दे सकती हैं ...जानकारी युक्त आलेख के लिए आपका धन्यवाद ...आज देश की सक्षम महिलाओं को किटी पार्टी तथा क्लबों की संस्कृति से बाहर निकल कर अनुराधा कोइराला से सीख लेने की जरुरत है
ReplyDeletejagruk karta lekh. dhanywad ise ham tak pahuchane k liye.
ReplyDeletedhannya bad sharad g nepali mahilaon ka bareme bataya ......
ReplyDeletedhannya bad sharad g nepali mahilaon ka bareme bataya ......
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