"आज बुंदेली संस्कृति और गौरैया दोनों को सहेजना, संरक्षित करना आवश्यक हो गया है। ऐसे जटिल, खुरदरे एवं संवेदनाओं में शुष्कता ढोते समय में ‘‘बुन्देली गौरैया’’ काव्य संग्रह अपने नाम से ही उस मधुरता का आभास कराता है जिसमें लोकधर्मिता समाई हुई है। बिहारी सागर की कविताओं में यही सबसे बड़ी विशेषता है कि उनकी कविताओं में लोक संस्कृति है और गौरैया का उनके प्रतीक सटीक है।" बतौर विशिष्ट अतिथि मैंने (यानी डॉ. (सुश्री) शरद सिंह ने) स्थानीय कवि बिहारी सागर की कविताओं एवं सृजनकर्म पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा।
अवसर था हिन्दी साहित्य भारती सागर इकाई के तत्वावधान में आयोजित कवि बिहारी सागर के गीत संग्रह "बुंदेली गौरैया" का विमोचन कार्यक्रम। मुख्य अतिथि थे स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अनिल तिवारी जी, विशिष्ट अतिथि आपकी यह मित्र तथा अध्यक्षता की पी.आर.मलैया जी ने। स्वागत भाषण दिया इकाई के अध्यक्ष श्री अंबिका यादव जी ने तथा संचालन किया श्री हरि सिंह ठाकुर जी ने। संस्था के कोषाध्यक्ष श्री आरके तिवारी जी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा आभार प्रदर्शित किया।
इस अवसर पर सुगम संगीत गायक श्री जगदीश सागर ने कवि बिहारी सागर के लोक शैलिबद्ध गीतों का सुमधुर गायन किया।
विमोचन कार्यक्रम में श्यामलम अध्यक्ष श्री उमाकांत मिश्रा जी, भाई पूरन सिंह राजपूत जी, जगदीश सागर जी, मुकेश तिवारी जी, कपिल बैसाखिया जी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।
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