Saturday, October 5, 2024

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | सबई पे किरपा राखियो, ओ मां ! | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
सबई पे किरपा राखियो, ओ मां !
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
   नवरातें चल रईं। जागां-जागां माता की झांकियां सजी दिखा रईं। संझा-सकारें माता के जयकारे लग रए। अपने इते पुरव्याऊ टौरी की झांकी सबसे पुरानी आए। जेई 120 सालों से उते दुर्गा रखी जा रईं। हऔ, 1905 में पैली बेर उते दुर्गा मैया रखी गईं हतीं। लोग बताऊत आएं के जोन स्व. हीरासिंह राजपूत ने पैली मूर्ति राखी हती बा मूर्ति उन्ने खुदई  बनाई रई। ऊ टेम पे जे ट्रक-ट्रैक्टर तो इत्ते हते न, सो बनाबे वारी जागां से माता की मूरत खों कंधा पे बिठा के लाओ गओ रओ। तब से आज लौं पुरव्याऊ टौरी की दुर्गा मैया कंधा पे सवार हो के निकरत आएं औ सबरे कैत चलत आएं के “चल माई”। जे समै पे स्व. हीरासिंह राजपूत जू की चौथी पीढ़ी चल रई, मनो उन्ने सोई जे परंपरा बना रखी आए। रामधई ! जो अच्छी चीजें चलत रयें तो भौतई अच्छो लगत आए।
    सबई खों मां प्यारी औ मां खो सबई प्यारे। काए से के देवी मैया बच्चन में भेद-भाव  नईं करत, बा तो मानुष आए जोन के जी में ‘हमें-हमें’ लगो रैत आए। हमाये दोरे की रोड साजी बन जाए, दूसरे के दोरे की जाए चूला में। जेई चलन सो चल रओ। तभईं तो पूरे शहर की मुतकी रोडें मिटी डरीं, मनो कोनऊं मों बोल के नईं जानत। आवारा कुत्ता, गैयां सो बरहमेस रोड पे हल्लू-हाय करत मिलत आयें। मने का आए के इते तो फीता कटवाबे की जल्दी रैत आए, काम पूरो करबे की नोईं। सो, अब तो दुर्गा मैया को ई भरोसो आए के बे हम सबई पे किरपा बनाएं राखें। 
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