Saturday, October 26, 2024

टॉपिक एक्सपर्ट | पत्रिका | ई दिवारी सबके घरे रए उजियारो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पत्रिका | टॉपिक एक्सपर्ट | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | बुंदेली में
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टाॅपिक एक्सपर्ट
ई दिवारी सबके घरे रए उजियारो
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
    सांची में दिवारी भौतई नोनो त्योहार आए। ई टेम पे घरों की ऐसी लिपाई- पुताई होत आए के घर नओ सो लगन लगत आए। चाए मकान कच्चो होय, चाए पक्को मनो आंगन में ढिग धरी जात आए औ सातिया पूरो जात आए। किसम- किसम के पकवान छनत आएं। खुरमा, बतियां, गूझा, पपड़ियां, चकली, बरफी सबई कछु तो बनत आए। ऊपे बच्चन की तो मनो लाटरी लग जात आए। संकारे से रात लों उनके पटाखा चलत रैत आएं। औ ईके पैले कातिक लगे साथ कतकारियां भुनसारे से नदी, तला में नहाबे खों निकर परत आएं। ऊ टेम पे बे गाऊत चलत आएं-"उठो मोरे कान्हा भओ भुनसारो/ गऊअन ले के चलो सकारे/
सुरहिन हेरे, संगे टेरे/ उठो मोरे…
         शहर में तो अब कतकारियां नईं दिखाता, मनो गांव-देहात में अभी जे चलन आए।
     दिवारी में सबई अपने घरे दिया जलात आएं। फेर बी मुतके गरीब-गुरबां ऐसे होत आएं जिनके पास ने तो दिया जलाबे जोग पइसा होत आएं औ ने बे अपने बच्चन खों नओ हुन्ना-लत्ता दे पाऊंत आएं। सो ई दफा ऐसो करो जाए के भले अपने घरे दो दिया कम जलाओ जाए पर कोनऊं को घर आंदियारो ने रैने पाए। कछु नए हुन्ना-लत्ता उन ओरन खों बी दए जाएं, जोन खरीद नईं सकत। दिवारी के त्योहार को मजो तो तभई आहे जबे सबई के घर दिया जरें। संगे एक बात को खयाल सोई राखने के अच्छो खाइयो औ अच्छो खिलाइयो। नकली खोवा ने लइयो। मिलावटी मिठाइयन से बचियो। त्योहार के संगे सेहत सोई देखने। औ बच्चा पटाखा चलाएं सो ध्यान राखियो। सो सबई खों हैप्पी दिवारी! लछमी मैया सब पे किरपा करें औ सबके के घरे उजियारो रए।
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